31-12-2019, 02:59 PM
Update 29
"नही मैं वहां नही जाउंगी...तुम जाओ मैं यही वेट करूँगी"
"परवीन वहां हुआ तो मैं उसे कैसे पहचानूँगा...चलो ना पूजा"
"ठीक है...चलो...पर कोई बकवास मत करना"
"ठीक है अब चलो तो"
बायक को सड़क किनारे छुपा कर दोनो चुपचाप फार्म हाउस की तरफ चल पड़ते हैं. "हम झाड़ियों के रास्ते जाएँगे सामने से जाना ठीक नही" सौरभ ने कहा.
"ह्म्म ठीक कह रहे हो मैं भी ऐसा ही सोच रही थी."
"चुपचाप दबे पाँव मेरे पीछे आ जाओ." सौरभ ने कहा.
"तुम चलो मैं आ रही हूँ"
"बहुत सुनसान इलाक़े में बनाया है फार्म हाउस" सौरभ ने कहा.
"सस्स्शह तुम्हे कुछ सुनाई दिया" पूजा ने कहा.
"हां...शायद नज़दीक ही कोई है"
"कल साहिब लोगो ने एक लड़की की खूब मारी थी यही इस घास पर" उन्हे आवाज़ आती है.
सौरभ और पूजा आवाज़ के नज़दीक पहुँच जाते हैं...पर वो अभी भी झाड़ियों के पीछे रहते हैं.
"चलो यहा से" पूजा ने धीरे से कहा.
"अरे रूको तो लाइव ब्लू फिल्म तो देख ले" सौरभ ने कहा.
उनके सामने रामू एक औरत को बाहों में लिए खड़ा था. औरत कोई 35 साल की थी, रंग साफ था और शरीर गतिला था.
"क्या यही परवीन है?"
"नही ये उसका नौकर रामू है"
"ह्म्म नौकर ने क्या किस्मत पाई है...क्या माल हाथ लगा है सेयेल के" सौरभ ने कहा.
"मुझे लगता है परवीन यहा नही है हमे चलना चाहिए" पूजा ने कहा.
"परवीन का पता तो जानता ही होगा ये नौकर थोड़ा रूको ना" सौरभ ने कहा.
"तुम्हारे साहिब आ गये तो?" उस औरत ने पूछा.
"साहिब तो शहर से बाहर गये हैं...कल शाम को ही निकल गये थे यहा से" रामू ने कहा.
"अंदर घर में चलो ना यहा खुले में कुछ अजीब लगता है"
"कल उस लड़की की चुदाई देख कर मन कर रहा है की यही खुले में मस्ती की जाए चलो जल्दी कोड़ी हो जाओ" रामू ने कहा.
"ये किस लड़की की बात कर रहा है पूजा" सौरभ ने पूछा.
"मुझे क्या पता...चलो यहा से." पूजा गुस्से में बोली.
"धीरे बोलो बाबा वो लोग सुन लेंगे." सौरभ ने कहा.
रामू ने उस औरत को अपने आगे झुका दिया और अपने लंड को उसकी गान्ड पर रगड़ने लगा.
"ओफ क्या मस्त गान्ड है कास इस नौकर की जगह मैं होता उसके पीछे....अभी डाल देता पूरा का पूरा लंड गान्ड में" सौरभ बड़बड़ाया.
"तुम यहा मस्ती करने आए हो तो...मैं जा रही हूँ." पूजा ने कहा.
सौरभ ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, "रूको तो मैं इस नौकर से परवीन के बारे में पूछूँगा."
"ये काम बाद में कर लेना...मैने तुम्हे ये जगह दीखा दी है अब चलो यहा से" पूजा ने कहा.
"बस थोड़ी देर ये नज़ारा ले लेने दो फिर चलते हैं" सौरभ ने कहा.
पूजा पाँव पटक कर रह गयी.
"इस मोटी गान्ड पर लंड रगड़ना अच्छा लगता है मुझे" रामू ने कहा.
"आअहह तो रागडो ना लंड जी भरके किसने रोका है....पर अंदर मत डालना...आहह"
"तेरी चूत मारने से फ़ुर्सत मिले तब ना गान्ड में डालूँगा...वैसे सच सच बता ये गान्ड इतनी मोटी कैसे हो गयी जब तूने मरवाई नही एक भी बार."
"पता नही बचपन से ही ऐसी है....डाल दो ना अब चूत में मैं कब तक झुकी रहूंगी"
"थोड़ा रूको ना इस मोटी गान्ड पर लंड रगड़ कर इसे गरम तो कर लूँ"
"इसके लंड से भी मोटा लंड है मेरा" सौरभ ने कहा.
"अच्छा मज़ाक अच्छा कर लेते हो?" पूजा मुस्कुराइ.
"दीखाऊ क्या अभी?" सौरभ ने कहा.
"मुझे क्यों दीखाओगे उस औरत को दीखाओ जा के...मेरे उपर कोई असर नही होने वाला."
"हाई काश मैं वहां जा पाता....क्या मस्त गान्ड है...ऐसी मोटी गान्ड नही मारी मैने आज तक" सौरभ ने कहा.
"तुम्हारे जैसे लड़के मुझे बिल्कुल पसंद नही जो कही भी लार टपकाने लगते हैं" पूजा ने कहा.
"पूजा अगर तुम मान जाओ ना तो कसम से किसी की तरफ नही देखूँगा...तुम्हारा मुकाबला कोई नही कर सकता...तुम बिल्कुल अपर्णा जैसी हो....बहुत सुंदर." सौरभ ने कहा.
"अच्छा बेहतर हो की तुम दिन में सपने लेना छोड़ दो...तुम्हारे जैसे लोगो से मुझे नफ़रत है नफ़रत."
"उफ्फ तुम्हारी लेने के लिए बहुत पाप्ड बेलने पड़ेंगे" सौरभ ने कहा.
"बंद करो बकवास अपनी...मैं वापिस जा कर अपर्णा को सब बता दूँगी कि तुम यहा क्या कर रहे थे."
"नही पूजा ऐसा मत करना वो पहले ही मुझसे नाराज़ है" सौरभ ने कहा.
"ठीक है चलो फिर."
"रूको रूको देखो डाल दिया उसने उसकी चूत में थोड़ा तो देख लेने दो." सौरभ ने कहा.
"तुम देखो मैं जा रही हूँ" पूजा ने कहा.
पूजा मूड कर दबे पाँव वहां से चल दी. पूजा के जाते ही सौरभ झाड़ियो से बाहर आ गया.
"अरे भाई परवीन जी क्या यही रहते हैं." सौरभ ने पूछा.
आनन फानन में जल्दी से रामू ने अपना लंड उस औरत की चूत से निकाला. लंड के बाहर आते ही वो औरत अपने कपड़े जल्दी से ठीक करके वहां से भाग खड़ी हुई.
"क..क..कौन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो." रामू ने कहा.
"भाई मैं परवीन जी के गाँव से आया हूँ उनसे मिलना था. किसी ने इस फार्म हाउस का पता बताया तो चला आया. यहा आया तो क्या देखता हूँ एक महिला झुकी हुई हैं और आप उसकी चूत में लंड डाले खड़े हैं. सोचा वापिस चला जाउ लेकिन फिर रुक गया. सोचा बात करने में हर्ज़ ही क्या है"
"थोड़ी देर रुक नही सकते थे...एक भी धक्का नही मारने दिया उसकी चूत में"
"कोई बात नही मेरे जाने के बाद धक्के मारते रहिएगा...आप बस परवीन जी का घर का अड्रेस दे दो"
"वो तो भाग गयी अब क्या मैं हवा में धक्के मारु." रामू झल्ला कर बोला.
"रुकावट के लिए खेद है भाई...कृपया करके अड्रेस दे दीजिए मैं बहुत परेशान हूँ."
"ठीक है ठीक है अभी देता हूँ." रामू ने कहा.
रामू ने सौरभ को अड्रेस दे दिया. अड्रेस ले कर सौरभ मुस्कुराता हुआ फार्म हाउस से बाहर आ गया.
पूजा झाड़ियों के रास्ते सड़क पर वापिस आ गयी और सौरभ फार्म हाउस से अड्रेस ले कर मेन गेट से बाहर आ गया.
"बड़ी जल्दी वापिस आ गये" पूजा ने पूछा.
"अड्रेस मिल गया तो आ गया...मैं यहा इसी काम से तो आया था...काम होते ही आ गया" सौरभ ने कहा.
"ऐसा कैसे हो गया...वो लोग तो"
"हैरान हो ना...मैने सर्प्राइज़्ड एंट्री की वहां और काम बन गया....तुम थोड़ी देर रुकती तो अच्छा ख़ासा ड्रामा देखने को मिल जाता."
"अब चलें वापिस?" पूजा ने कहा.
"क्या मैं तुम्हे बिल्कुल भी अच्छा नही लगता?" सौरभ ने पूछा.
"क्यों ऐसा क्या है तुम में जो मुझे अच्छा लगेगा.? तुम्हारी तो बीवी भी छोड़ गयी ना तुम्हे...अगर तुम में कोई गुण होते तो क्या तुम्हारी बीवी छोड़ के जाती" पूजा ने कहा.
"वो अलग ही कहानी है पूजा...खैर छोड़ो...मुझसे ग़लती हो गयी जो तुम्हे श्रद्धा जैसी समझ बैठा. मुझे लगा तुम श्रद्धा की बहन हो तो उसके जैसी ही होगी. हालाँकि मुझे आशु ने बताया तो था कि तुम श्रद्धा जैसी नही हो पर यकीन नही था. तुम्हे पटाने का मेरा तरीका ग़लत था. मुझे तुमसे ऐसी अश्लील बाते नही करनी चाहिए थी. अब मैं कुछ और तरकीब लगाउन्गा." सौरभ ने कहा.
"तुम्हारी कोई भी तरकीब काम नही करने वाली...चलो अब"
"ये तो वक्त ही बताएगा." सौरभ ने कहा.
दोनो बायक पर बैठ कर वापिस चल दिए.
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"नही मैं वहां नही जाउंगी...तुम जाओ मैं यही वेट करूँगी"
"परवीन वहां हुआ तो मैं उसे कैसे पहचानूँगा...चलो ना पूजा"
"ठीक है...चलो...पर कोई बकवास मत करना"
"ठीक है अब चलो तो"
बायक को सड़क किनारे छुपा कर दोनो चुपचाप फार्म हाउस की तरफ चल पड़ते हैं. "हम झाड़ियों के रास्ते जाएँगे सामने से जाना ठीक नही" सौरभ ने कहा.
"ह्म्म ठीक कह रहे हो मैं भी ऐसा ही सोच रही थी."
"चुपचाप दबे पाँव मेरे पीछे आ जाओ." सौरभ ने कहा.
"तुम चलो मैं आ रही हूँ"
"बहुत सुनसान इलाक़े में बनाया है फार्म हाउस" सौरभ ने कहा.
"सस्स्शह तुम्हे कुछ सुनाई दिया" पूजा ने कहा.
"हां...शायद नज़दीक ही कोई है"
"कल साहिब लोगो ने एक लड़की की खूब मारी थी यही इस घास पर" उन्हे आवाज़ आती है.
सौरभ और पूजा आवाज़ के नज़दीक पहुँच जाते हैं...पर वो अभी भी झाड़ियों के पीछे रहते हैं.
"चलो यहा से" पूजा ने धीरे से कहा.
"अरे रूको तो लाइव ब्लू फिल्म तो देख ले" सौरभ ने कहा.
उनके सामने रामू एक औरत को बाहों में लिए खड़ा था. औरत कोई 35 साल की थी, रंग साफ था और शरीर गतिला था.
"क्या यही परवीन है?"
"नही ये उसका नौकर रामू है"
"ह्म्म नौकर ने क्या किस्मत पाई है...क्या माल हाथ लगा है सेयेल के" सौरभ ने कहा.
"मुझे लगता है परवीन यहा नही है हमे चलना चाहिए" पूजा ने कहा.
"परवीन का पता तो जानता ही होगा ये नौकर थोड़ा रूको ना" सौरभ ने कहा.
"तुम्हारे साहिब आ गये तो?" उस औरत ने पूछा.
"साहिब तो शहर से बाहर गये हैं...कल शाम को ही निकल गये थे यहा से" रामू ने कहा.
"अंदर घर में चलो ना यहा खुले में कुछ अजीब लगता है"
"कल उस लड़की की चुदाई देख कर मन कर रहा है की यही खुले में मस्ती की जाए चलो जल्दी कोड़ी हो जाओ" रामू ने कहा.
"ये किस लड़की की बात कर रहा है पूजा" सौरभ ने पूछा.
"मुझे क्या पता...चलो यहा से." पूजा गुस्से में बोली.
"धीरे बोलो बाबा वो लोग सुन लेंगे." सौरभ ने कहा.
रामू ने उस औरत को अपने आगे झुका दिया और अपने लंड को उसकी गान्ड पर रगड़ने लगा.
"ओफ क्या मस्त गान्ड है कास इस नौकर की जगह मैं होता उसके पीछे....अभी डाल देता पूरा का पूरा लंड गान्ड में" सौरभ बड़बड़ाया.
"तुम यहा मस्ती करने आए हो तो...मैं जा रही हूँ." पूजा ने कहा.
सौरभ ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, "रूको तो मैं इस नौकर से परवीन के बारे में पूछूँगा."
"ये काम बाद में कर लेना...मैने तुम्हे ये जगह दीखा दी है अब चलो यहा से" पूजा ने कहा.
"बस थोड़ी देर ये नज़ारा ले लेने दो फिर चलते हैं" सौरभ ने कहा.
पूजा पाँव पटक कर रह गयी.
"इस मोटी गान्ड पर लंड रगड़ना अच्छा लगता है मुझे" रामू ने कहा.
"आअहह तो रागडो ना लंड जी भरके किसने रोका है....पर अंदर मत डालना...आहह"
"तेरी चूत मारने से फ़ुर्सत मिले तब ना गान्ड में डालूँगा...वैसे सच सच बता ये गान्ड इतनी मोटी कैसे हो गयी जब तूने मरवाई नही एक भी बार."
"पता नही बचपन से ही ऐसी है....डाल दो ना अब चूत में मैं कब तक झुकी रहूंगी"
"थोड़ा रूको ना इस मोटी गान्ड पर लंड रगड़ कर इसे गरम तो कर लूँ"
"इसके लंड से भी मोटा लंड है मेरा" सौरभ ने कहा.
"अच्छा मज़ाक अच्छा कर लेते हो?" पूजा मुस्कुराइ.
"दीखाऊ क्या अभी?" सौरभ ने कहा.
"मुझे क्यों दीखाओगे उस औरत को दीखाओ जा के...मेरे उपर कोई असर नही होने वाला."
"हाई काश मैं वहां जा पाता....क्या मस्त गान्ड है...ऐसी मोटी गान्ड नही मारी मैने आज तक" सौरभ ने कहा.
"तुम्हारे जैसे लड़के मुझे बिल्कुल पसंद नही जो कही भी लार टपकाने लगते हैं" पूजा ने कहा.
"पूजा अगर तुम मान जाओ ना तो कसम से किसी की तरफ नही देखूँगा...तुम्हारा मुकाबला कोई नही कर सकता...तुम बिल्कुल अपर्णा जैसी हो....बहुत सुंदर." सौरभ ने कहा.
"अच्छा बेहतर हो की तुम दिन में सपने लेना छोड़ दो...तुम्हारे जैसे लोगो से मुझे नफ़रत है नफ़रत."
"उफ्फ तुम्हारी लेने के लिए बहुत पाप्ड बेलने पड़ेंगे" सौरभ ने कहा.
"बंद करो बकवास अपनी...मैं वापिस जा कर अपर्णा को सब बता दूँगी कि तुम यहा क्या कर रहे थे."
"नही पूजा ऐसा मत करना वो पहले ही मुझसे नाराज़ है" सौरभ ने कहा.
"ठीक है चलो फिर."
"रूको रूको देखो डाल दिया उसने उसकी चूत में थोड़ा तो देख लेने दो." सौरभ ने कहा.
"तुम देखो मैं जा रही हूँ" पूजा ने कहा.
पूजा मूड कर दबे पाँव वहां से चल दी. पूजा के जाते ही सौरभ झाड़ियो से बाहर आ गया.
"अरे भाई परवीन जी क्या यही रहते हैं." सौरभ ने पूछा.
आनन फानन में जल्दी से रामू ने अपना लंड उस औरत की चूत से निकाला. लंड के बाहर आते ही वो औरत अपने कपड़े जल्दी से ठीक करके वहां से भाग खड़ी हुई.
"क..क..कौन हो तुम और यहा क्या कर रहे हो." रामू ने कहा.
"भाई मैं परवीन जी के गाँव से आया हूँ उनसे मिलना था. किसी ने इस फार्म हाउस का पता बताया तो चला आया. यहा आया तो क्या देखता हूँ एक महिला झुकी हुई हैं और आप उसकी चूत में लंड डाले खड़े हैं. सोचा वापिस चला जाउ लेकिन फिर रुक गया. सोचा बात करने में हर्ज़ ही क्या है"
"थोड़ी देर रुक नही सकते थे...एक भी धक्का नही मारने दिया उसकी चूत में"
"कोई बात नही मेरे जाने के बाद धक्के मारते रहिएगा...आप बस परवीन जी का घर का अड्रेस दे दो"
"वो तो भाग गयी अब क्या मैं हवा में धक्के मारु." रामू झल्ला कर बोला.
"रुकावट के लिए खेद है भाई...कृपया करके अड्रेस दे दीजिए मैं बहुत परेशान हूँ."
"ठीक है ठीक है अभी देता हूँ." रामू ने कहा.
रामू ने सौरभ को अड्रेस दे दिया. अड्रेस ले कर सौरभ मुस्कुराता हुआ फार्म हाउस से बाहर आ गया.
पूजा झाड़ियों के रास्ते सड़क पर वापिस आ गयी और सौरभ फार्म हाउस से अड्रेस ले कर मेन गेट से बाहर आ गया.
"बड़ी जल्दी वापिस आ गये" पूजा ने पूछा.
"अड्रेस मिल गया तो आ गया...मैं यहा इसी काम से तो आया था...काम होते ही आ गया" सौरभ ने कहा.
"ऐसा कैसे हो गया...वो लोग तो"
"हैरान हो ना...मैने सर्प्राइज़्ड एंट्री की वहां और काम बन गया....तुम थोड़ी देर रुकती तो अच्छा ख़ासा ड्रामा देखने को मिल जाता."
"अब चलें वापिस?" पूजा ने कहा.
"क्या मैं तुम्हे बिल्कुल भी अच्छा नही लगता?" सौरभ ने पूछा.
"क्यों ऐसा क्या है तुम में जो मुझे अच्छा लगेगा.? तुम्हारी तो बीवी भी छोड़ गयी ना तुम्हे...अगर तुम में कोई गुण होते तो क्या तुम्हारी बीवी छोड़ के जाती" पूजा ने कहा.
"वो अलग ही कहानी है पूजा...खैर छोड़ो...मुझसे ग़लती हो गयी जो तुम्हे श्रद्धा जैसी समझ बैठा. मुझे लगा तुम श्रद्धा की बहन हो तो उसके जैसी ही होगी. हालाँकि मुझे आशु ने बताया तो था कि तुम श्रद्धा जैसी नही हो पर यकीन नही था. तुम्हे पटाने का मेरा तरीका ग़लत था. मुझे तुमसे ऐसी अश्लील बाते नही करनी चाहिए थी. अब मैं कुछ और तरकीब लगाउन्गा." सौरभ ने कहा.
"तुम्हारी कोई भी तरकीब काम नही करने वाली...चलो अब"
"ये तो वक्त ही बताएगा." सौरभ ने कहा.
दोनो बायक पर बैठ कर वापिस चल दिए.
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