30-01-2019, 03:03 PM
सातवीं फुहार ,
बरसात की झड़ी
![[Image: rain-18-e0e15ec5f35a92422134cafde3fded31.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/15/rain-18-e0e15ec5f35a92422134cafde3fded31.md.jpg)
न्दा बोली- “लौटते हुए लगता है इस माल का उद्घाटन हो जायेगा, डरना मत मेरी बिन्नो…”
“यहां डरता कौन है…” जोबन उभारकर मैंने कहा।
चन्दा के यहां से हम जल्दी ही लौट आये।
रात अच्छी तरह हो गयी थी। चारों ओर, घने बादल उमड़ घुमड़ रहे थे। तेज हवा सांय-सांय चल रही थी। बड़े-बड़े पेड़ हवा में झूम रहे थे, बड़ी मुश्किल से रास्ता दिख रहा था।
मैंने कस के अजय की कलाई पकड़ रखी थी।
पता नहीं अजय किधर से ले जा रहा था कि रास्ता लंबा लग रहा था।
एक बार तेजी से बिजली कड़की तो मैंने उसे कस के पकड़ लिया।
![[Image: Rain-lightning-strikes-sky-to-ground-animated-gif.gif]](https://i.ibb.co/3FZhScQ/Rain-lightning-strikes-sky-to-ground-animated-gif.gif)
हम लोग उस अमराई के पास आ आ गये थे जहां कल हम लोग झूला झूलने गये थे। हल्की-हल्की बूंदे पड़नी शुरू हो गयी थीं।
अजय ने कहा-
“चलो बाग में चल चलते हैं, लगता है तेज बारिश होने वाली है…”
![[Image: rain-G-15.gif]](https://i.ibb.co/9y5zL26/rain-G-15.gif)
और उसके कहते ही मुसलाधार बारिश शुरू हो गयी।
मेरी साड़ी, चोली अच्छी तरह मेरे बदन से चिपक गये थे।
![[Image: wet-6.jpg]](https://i.ibb.co/M9RqdM3/wet-6.jpg)
जमीन पर भी अच्छी फिसलन हो गयी थी। बाग के अंदर बारिश का असर थोड़ा तो कम था, पर अचानक मैं फिसल कर गिर पड़ी। मुझे कसकर चोट लगती, पर, अजय ने मुझे पकड़ लिया।
उसमें एक हाथ उसका मेरे जोबन पर पड़ गया और दूसरा मेरे नितंबों पर। मैं अच्छी तरह सिहर गयी।
सामने झूला दिख रहा था, उसने मुझे वहीं बैठा दिया और मेरे बगल में बैठ गया। तभी बड़े जोर की बिजली चमकी और उसने और मैंने एक साथ देखा कि भीगने से मेरा ब्लाउज़ एकदम पारदर्शी हो गया है, ब्रा तो मैंने पहनी नहीं थी इसलिये मेरी चूचियां साफ दिख रही थीं।
![[Image: wet-8.jpg]](https://i.ibb.co/hWyftSK/wet-8.jpg)
अजय के चेहरे पे उत्तेजना साफ-साफ दिख रही थी।
उसने मुझे खींचकर अपनी गोद में बैठा लिया और मेरे गालों को चूमने लगा। उसके हाथ भी बेसबरे हो रहे थे और उसने एक झटके में मेरी चोली के सारे बटन खोल दिये। मेरी साड़ी भी मेरी जांघों के बीच चिपक गयी थी। उसका एक हाथ वहां भी सहलाने लगा। मैं भी मस्ती में गरम हो रही थी।
उसका हाथ अब मेरे खुले जोबन को धीरे-धीरे सहला रहा था।
जोश में मेरे चूचुक पूरे खड़े हो गये थे। उसने साड़ी भी नीचे कर दी और अब मैं पूरी तरह टापलेश हो गयी थी। जब वह मेरे कड़े-कड़े निपल मसलता तो… मेरी भी सिसकी निकल रही थी।
![[Image: topless-7.jpg]](https://i.ibb.co/fdXXr5Q/topless-7.jpg)
तभी मुझे लगा की मैं क्या कर रही हूं… मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था पर मैं बोलने लगी-
“नहीं अजय प्लीज मुझे छोड़ दो… नहीं रहने दो घर चलते हैं… फिर कभी… आज नहीं…”
पर अजय कहां सुनने वाला था, उसके हाथ अब मेरी चूचियां खूब कस के रगड़ मसल रहे थे। मन तो मेरा भी यही कर रहा था कि बस वह इसी तरह रगड़ता रहे, मसलता रहे… मेरे मम्मे।
पर मैं बोले जा रही थी-
“अजय, प्लीज छोड़ दो आज नहीं… हटो मैं गुस्सा हो जाऊँगी… सीधे से घर चलो… वरना…”
और अजय मुझे झूले पर ही छोड़कर हट गया। उसकी आवाज जाती हुई सुनाई दी- “ठीक है, मैं चलता हूं… तुम घर आ जाना…”
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बरसात की झड़ी
![[Image: rain-18-e0e15ec5f35a92422134cafde3fded31.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/15/rain-18-e0e15ec5f35a92422134cafde3fded31.md.jpg)
न्दा बोली- “लौटते हुए लगता है इस माल का उद्घाटन हो जायेगा, डरना मत मेरी बिन्नो…”
“यहां डरता कौन है…” जोबन उभारकर मैंने कहा।
चन्दा के यहां से हम जल्दी ही लौट आये।
रात अच्छी तरह हो गयी थी। चारों ओर, घने बादल उमड़ घुमड़ रहे थे। तेज हवा सांय-सांय चल रही थी। बड़े-बड़े पेड़ हवा में झूम रहे थे, बड़ी मुश्किल से रास्ता दिख रहा था।
मैंने कस के अजय की कलाई पकड़ रखी थी।
पता नहीं अजय किधर से ले जा रहा था कि रास्ता लंबा लग रहा था।
एक बार तेजी से बिजली कड़की तो मैंने उसे कस के पकड़ लिया।
![[Image: Rain-lightning-strikes-sky-to-ground-animated-gif.gif]](https://i.ibb.co/3FZhScQ/Rain-lightning-strikes-sky-to-ground-animated-gif.gif)
हम लोग उस अमराई के पास आ आ गये थे जहां कल हम लोग झूला झूलने गये थे। हल्की-हल्की बूंदे पड़नी शुरू हो गयी थीं।
अजय ने कहा-
“चलो बाग में चल चलते हैं, लगता है तेज बारिश होने वाली है…”
![[Image: rain-G-15.gif]](https://i.ibb.co/9y5zL26/rain-G-15.gif)
और उसके कहते ही मुसलाधार बारिश शुरू हो गयी।
मेरी साड़ी, चोली अच्छी तरह मेरे बदन से चिपक गये थे।
![[Image: wet-6.jpg]](https://i.ibb.co/M9RqdM3/wet-6.jpg)
जमीन पर भी अच्छी फिसलन हो गयी थी। बाग के अंदर बारिश का असर थोड़ा तो कम था, पर अचानक मैं फिसल कर गिर पड़ी। मुझे कसकर चोट लगती, पर, अजय ने मुझे पकड़ लिया।
उसमें एक हाथ उसका मेरे जोबन पर पड़ गया और दूसरा मेरे नितंबों पर। मैं अच्छी तरह सिहर गयी।
सामने झूला दिख रहा था, उसने मुझे वहीं बैठा दिया और मेरे बगल में बैठ गया। तभी बड़े जोर की बिजली चमकी और उसने और मैंने एक साथ देखा कि भीगने से मेरा ब्लाउज़ एकदम पारदर्शी हो गया है, ब्रा तो मैंने पहनी नहीं थी इसलिये मेरी चूचियां साफ दिख रही थीं।
![[Image: wet-8.jpg]](https://i.ibb.co/hWyftSK/wet-8.jpg)
अजय के चेहरे पे उत्तेजना साफ-साफ दिख रही थी।
उसने मुझे खींचकर अपनी गोद में बैठा लिया और मेरे गालों को चूमने लगा। उसके हाथ भी बेसबरे हो रहे थे और उसने एक झटके में मेरी चोली के सारे बटन खोल दिये। मेरी साड़ी भी मेरी जांघों के बीच चिपक गयी थी। उसका एक हाथ वहां भी सहलाने लगा। मैं भी मस्ती में गरम हो रही थी।
उसका हाथ अब मेरे खुले जोबन को धीरे-धीरे सहला रहा था।
जोश में मेरे चूचुक पूरे खड़े हो गये थे। उसने साड़ी भी नीचे कर दी और अब मैं पूरी तरह टापलेश हो गयी थी। जब वह मेरे कड़े-कड़े निपल मसलता तो… मेरी भी सिसकी निकल रही थी।
![[Image: topless-7.jpg]](https://i.ibb.co/fdXXr5Q/topless-7.jpg)
तभी मुझे लगा की मैं क्या कर रही हूं… मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था पर मैं बोलने लगी-
“नहीं अजय प्लीज मुझे छोड़ दो… नहीं रहने दो घर चलते हैं… फिर कभी… आज नहीं…”
पर अजय कहां सुनने वाला था, उसके हाथ अब मेरी चूचियां खूब कस के रगड़ मसल रहे थे। मन तो मेरा भी यही कर रहा था कि बस वह इसी तरह रगड़ता रहे, मसलता रहे… मेरे मम्मे।
पर मैं बोले जा रही थी-
“अजय, प्लीज छोड़ दो आज नहीं… हटो मैं गुस्सा हो जाऊँगी… सीधे से घर चलो… वरना…”
और अजय मुझे झूले पर ही छोड़कर हट गया। उसकी आवाज जाती हुई सुनाई दी- “ठीक है, मैं चलता हूं… तुम घर आ जाना…”
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![[Image: 15027443-1325812400796149-8392065115185627324-n.jpg]](https://i.ibb.co/PFRWWp9/15027443-1325812400796149-8392065115185627324-n.jpg)