30-01-2019, 02:37 PM
बॉबी जासूस
मैंने थोड़ा जासूसी लगाई। मेरे अंदर का छिपा बॉबी जासूस जाग उठा।
कई चैट रूम में मैंने चेक किया , जिस समय वो निकले थे उसके हिसाब से ,. और तीन चैट साइट्स पे एक नाम मिला जो उनके निकलने के समय का था।
ज्यादा चांसेज थे वही आई डी रही होगी , लेकिन प्रोफाइल चेक करने पे कन्फर्म हो जाता। पर वो पॉसिबल नहीं था , क्योंकि साइट्स पे मैं घूम टहल सकती थी वो भी सिरफ ५ मिनट के लिए उसके बादसाइट पे रजिस्टर करना होता।
बॉबी जासूस ने फिर काम करना शुरू किया।
मुझे मालूम था उनकी लापरवाही और भूलने की आदत , जरूर उन्होंने पासवर्ड कहीं सेव करके रखे होंगे।
और पिछले दिनों मैंने ' दस दिनों में घर बैठे हैकर बनिए ' का कोर्स भी ज्वाइन कर रखा था।
मैंने हिडेन फोल्ड्र्स देखने शुरू किये और एक फोल्डर मिल गया , बिजनेस डेवलेपमेंट , उनके आफिस का काम। अगर कोई देखे भी तो यही सोचेगा की कुछ आफिस का होगा , लेकिन मैं मुस्कराई।
आफिस के काम को छुपा के रखने की क्या जरूरत थी , और खुलते ही
जैसे कोई कारूं का खजाना खुल गया हो।
उन सारी सुरंगो पर बंद पत्थर हट गए।
साइट वाइज आईडी , पासवर्ड , जी टाक सबकी आईडी।
पहले मैंने याहू मेसेंजर , और जी टाक चेक किया ,
एक मजे की बात थी , जिस दिन से हम लोग उन के 'टूर ' से लौटे थे ( वही जहाँ वो 'जोरू का गुलाम ' बने थे और उन का बदलाव शुरू हो गया था ) वो साइट्स खुली भी नहीं थी।
लेकिन तब तक मुझे शक ने आ घेरा और मैंने कंप्यूटर बंद कर दिया।
ये उसी तरह की बात थी जैसे मैं किसी की पर्सनल डायरी पढूं या चिट्ठी खोल के पढूं , गन्दी बात।
कुछ समझ में नहीं आ रहा था , एक तो क्यूरियॉसिटी ऊपर से मैं ये भी सोच रही थी
जितना मैं उन्हें ज्यादा जानूंगी उतना ही हम दोनों के लिए अच्छा होगा।
गनीमत थी मेरी एक फ्रेंड सुजाता ( उनकी एक कुलीग ,जिसकी कुछ दिन पहले शादी हुयी थी की वाइफ ) का फोन आ गया , और आधे घंटे तक हम दोनों मस्ती करते रहे। एक ही टॉपिक होता था , कलकितनी बार , कैसे , कितनी देर तक। और मेरे ध्यान से सब कुछ हट गया।
लेकिन मैं भी न , थोड़ी देर में मैंने फिर कंप्यूटर खोल लिया और अब जब सिम सिम मुझे मालूम हो गया था तो फिर क्या सारी साइट धड़ाम धड़ाम खुल गयीं।
उनकी एक फीमेल आईडी थी , जो मैं सस्पेक्ट कर रही थी , वही।
डॉली और पासवर्ड था ३२ सी।
मुझे बाबी जासूस होने की इस काम के लिए जरूरत नहीं थी , की उनके मन में डॉली और ३२ सी कहाँ से आया।
डॉली →→ गुड्डी एकदम साफ था।
और ३२ सी उसके कच्चे टिकोरे।
यानी उनके मन में मेरी उस छिनाल ननद के लिए साॅफ्ट और हार्ड दोनों कार्नर थे बस उस 'अच्छे बच्चे ' वाली इमेज के पत्थर के चलते ,
और वैसे भी बहुत से लड़के जिनमें थोड़ा भी कांफिडेंस की कमी होती है , लड़कियों की आईडी फेसबुक पे या चैट पे बना के बात करते हैं।
तो शायद यही बात रही हो ,
लेकिन अब मेरे लिए उनकी पुरानी चैट के रिकार्ड भी देखना पॉसिबल था ,
और जिस तरह की ड्रेसेज उन्होंने पहनी थी चैट रूम में , जिस तरह अपने को डिस्क्राइब किया था ,
मैंने थोड़ा जासूसी लगाई। मेरे अंदर का छिपा बॉबी जासूस जाग उठा।
कई चैट रूम में मैंने चेक किया , जिस समय वो निकले थे उसके हिसाब से ,. और तीन चैट साइट्स पे एक नाम मिला जो उनके निकलने के समय का था।
ज्यादा चांसेज थे वही आई डी रही होगी , लेकिन प्रोफाइल चेक करने पे कन्फर्म हो जाता। पर वो पॉसिबल नहीं था , क्योंकि साइट्स पे मैं घूम टहल सकती थी वो भी सिरफ ५ मिनट के लिए उसके बादसाइट पे रजिस्टर करना होता।
बॉबी जासूस ने फिर काम करना शुरू किया।
मुझे मालूम था उनकी लापरवाही और भूलने की आदत , जरूर उन्होंने पासवर्ड कहीं सेव करके रखे होंगे।
और पिछले दिनों मैंने ' दस दिनों में घर बैठे हैकर बनिए ' का कोर्स भी ज्वाइन कर रखा था।
मैंने हिडेन फोल्ड्र्स देखने शुरू किये और एक फोल्डर मिल गया , बिजनेस डेवलेपमेंट , उनके आफिस का काम। अगर कोई देखे भी तो यही सोचेगा की कुछ आफिस का होगा , लेकिन मैं मुस्कराई।
आफिस के काम को छुपा के रखने की क्या जरूरत थी , और खुलते ही
जैसे कोई कारूं का खजाना खुल गया हो।
उन सारी सुरंगो पर बंद पत्थर हट गए।
साइट वाइज आईडी , पासवर्ड , जी टाक सबकी आईडी।
पहले मैंने याहू मेसेंजर , और जी टाक चेक किया ,
एक मजे की बात थी , जिस दिन से हम लोग उन के 'टूर ' से लौटे थे ( वही जहाँ वो 'जोरू का गुलाम ' बने थे और उन का बदलाव शुरू हो गया था ) वो साइट्स खुली भी नहीं थी।
लेकिन तब तक मुझे शक ने आ घेरा और मैंने कंप्यूटर बंद कर दिया।
ये उसी तरह की बात थी जैसे मैं किसी की पर्सनल डायरी पढूं या चिट्ठी खोल के पढूं , गन्दी बात।
कुछ समझ में नहीं आ रहा था , एक तो क्यूरियॉसिटी ऊपर से मैं ये भी सोच रही थी
जितना मैं उन्हें ज्यादा जानूंगी उतना ही हम दोनों के लिए अच्छा होगा।
गनीमत थी मेरी एक फ्रेंड सुजाता ( उनकी एक कुलीग ,जिसकी कुछ दिन पहले शादी हुयी थी की वाइफ ) का फोन आ गया , और आधे घंटे तक हम दोनों मस्ती करते रहे। एक ही टॉपिक होता था , कलकितनी बार , कैसे , कितनी देर तक। और मेरे ध्यान से सब कुछ हट गया।
लेकिन मैं भी न , थोड़ी देर में मैंने फिर कंप्यूटर खोल लिया और अब जब सिम सिम मुझे मालूम हो गया था तो फिर क्या सारी साइट धड़ाम धड़ाम खुल गयीं।
उनकी एक फीमेल आईडी थी , जो मैं सस्पेक्ट कर रही थी , वही।
डॉली और पासवर्ड था ३२ सी।
मुझे बाबी जासूस होने की इस काम के लिए जरूरत नहीं थी , की उनके मन में डॉली और ३२ सी कहाँ से आया।
डॉली →→ गुड्डी एकदम साफ था।
और ३२ सी उसके कच्चे टिकोरे।
यानी उनके मन में मेरी उस छिनाल ननद के लिए साॅफ्ट और हार्ड दोनों कार्नर थे बस उस 'अच्छे बच्चे ' वाली इमेज के पत्थर के चलते ,
और वैसे भी बहुत से लड़के जिनमें थोड़ा भी कांफिडेंस की कमी होती है , लड़कियों की आईडी फेसबुक पे या चैट पे बना के बात करते हैं।
तो शायद यही बात रही हो ,
लेकिन अब मेरे लिए उनकी पुरानी चैट के रिकार्ड भी देखना पॉसिबल था ,
और जिस तरह की ड्रेसेज उन्होंने पहनी थी चैट रूम में , जिस तरह अपने को डिस्क्राइब किया था ,