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Adultery मेहमान बेईमान
#19
मैं वाहा से फिर अपने कमरे के लिए जाने को हुई तो वो फिर से वही आआआआअहह… आआहह… की आवाज़ निकाल कर मुझे चिढ़ाने लग गया..

मैं अपने कमरे मे वापस आ गयी ऑर अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.. दिमाग़ पूरी तरह से खराब हो गया था जिसकी वजह से हेडएक हो गया था.. दर्द से नीजात पाने के लिए मैने सर दर्द की गोली ले ली ऑर काम वाली बाई रूपा को शाम को आने के लिए फ़ोन करके सो गयी..

शाम को काफ़ी देर तक मेरी आँख नही खुली.. सो कर उठने के बाद मैं काफ़ी हल्का हल्का सा महसूस कर रही थी..

मैं भूल गयी थी कि काम करने के लिए मैने रूपा को बुला लिया था.. उठ कर मैं कमरे से बाहर आई तो बाहर देख कर लग रहा था कि काफ़ी ज़्यादा टाइम हो गया था मुझे सोए हुए.. मैं अपने बालो को सही करते हुए किचन के अंदर आ गयी जहा सारे बर्तन वगेरह एक दम सॉफ रखे हुए थे.. सॉफ बर्तनो को देख कर मुझे याद आया कि मैं शाम को रूपा को बुला लिया था ताकि उस अमित के बच्चे के आगे ना जाना पड़े मुझे रूपा से ही उसके खाने पीने का इंतज़ाम करवा दूँगी..

रूपा ने काम ख़तम कर दिया ऑर मुझे बिना बताए वो चली भी गयी ऐसा कैसे हो सकता है.. वो मुझे बिना बताए ही चली गयी.. ओह्ह.. शायद उसने मुझे आवाज़ लगाई हो ऑर मैं गहरी नींद मे सो रही थी इस लिए मुझे पता नही चला.. मैने अपने सर पर हाथ मारते हुए खुद को जवाब दिया..

अपने लिए किचन मे चाइ बना कर पीने के बाद कोई काम तो था नही सोचा जा कर इस देहाती को देखा जाए कि क्या कर रहा है.. मैने चाइ का कप वही किचन मे रख कर उसके कमरे की तरफ चल दी..

उसके कमरे की तरफ बढ़ते हुए मेरे दिमाग़ मे कयि सवाल उठ रहे थे क्या इस तरह उसके कमरे की तरफ जाना सही है.. क्या मैं इस तरह उस पर नज़र रख कर सही कर रही हू.. अभी मैं ये सब सोच ही रही थी कि अंदर कमरे से आती हुई आवाज़ ने मेरे होश ही उड़ा कर रख दिया..

आआहह… उूउउइ…म्माआ….. धीरीईई… ध्ीएररररीई…. आऐईयईईईईई….. मररररर…. गयी….

ईीई… ये आवाज़ तो रूपा की है… यही रूपा इस अमित के साथ अंदर है.. अंदर से आ रही आवाज़े सुन कर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी.. मेरे चेहरे पर बुरी तरह से पसीना आ गया था.. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही..

पहले सोचा कि ज़ोर से आवाज़ लगा कर रूपा को आवाज़ दू.. पर फिर पता नही मेरे दिल मे आया कि देखु तो सही ये कर क्या रहा है..

दरवाजे के पास आ कर मैं कान लगा कर उनके सिसकारिया लेने की आवाज़ सुन ने लगी..

आअहह.. उम्म्म… स्ाआहाआब्ब्ब… धीरीई… धीरीए.. करो आप का बोहोत बड़ा है आह..

क्यू भोसड़ी की तेरे पति का क्या छ्होटा है… ?

हां साहब आप के लंड का आधा भी नही है..

तभी तेरी चूत एक दम मक्खन मलाई है.. तेरा पति कितनी दफ़ा लेता है तेरी..

वो साले का तो अब खड़ा भी नही होता.. वो क्या चोदेगा मुझे.. आहह…. आप के जैसा लंड अपनी चूत मे लेकर मुझे इतनी ख़ुसी हो रही है जिसे मैं बता नही सकती..

छीईईई कैसी गंदी गंदी बाते कर रहे है..

आआहह… तेजज़्ज़्ज… र तेजज्ज़ अब मैं झड़ने वाली हू रुकना मत साहब रुकना मत ओर तेजज़्ज़्ज्ज….

अंदर की आवाज़ सुन कर मेरी पूरा दिमाग़ खराब हो चुका था.. उन आवाज़ो को सुन कर मेरा पूरा गला सुख सा गया था..
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 30-12-2019, 12:57 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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