29-12-2019, 06:29 PM
अगली सुबह मेरी मनीष से कोई बात नही हो पाई क्यूकी मनीष को सुबह जल्दी ऑफीस जाना था ओर मैं थोड़ा लेट सो कर उठी थी.. इस लिए उठ ते के साथ ही मैं किचन के अंदर चली आई मनीष के ऑफीस जाने के लिए खाना तैयार करने के लिए..
अरे पीनू तुम्हे कही आना जाना तो नही है ? मनीष ने जाते हुए उस से पूछा..
नही भैया जी मुझे कही नही जाना आज मैं यही पर रह कर एक्षाँ की तैयारी करूगा.. कल जाना है एग्ज़ॅम देने के लिए..
उसकी बात सुन कर मैं अपने दाँत भींच कर रह गयी.. मेरा पूरा खून खूल गया था.. मनीष के जाते ही मैं वापस अपने कमरे मे आ गयी ऑर कपड़े वगेरह सही करने लग गयी.. सुबह के 10 बज रहे थे.. हमारे घर मे एक काम वाली आती थी घर का काम करने के लिए.. वो रोज सुबह 10 बजे तक आती थी ऑर 11 बजे तक घर की सॉफ सफाई का काम करके चली जाती थी..
काम वाली के जाने के बाद करीब 12 बजे मैने दोफर का खाना बनाने के लिए किचन मे गयी.. उस देहाती की पसंद पूछना मैने ज़रूरी नही समझा.. मनीष सुबह ही लंच ले कर चले गये थे इस लिए मुझे उनके लिए खाना बनाने की कोई ज़रूरत नही थी.. दो जानो का खाना बनाना था इसलिए मुझे ज़्यादा टाइम नही लगा खाना बना ने मे.. मेरे दिमाग़ मे यही चल रहा था कि इसे जितना कम भाव दिया जाए उतना ही अच्छा है.. वैसे भी मुझे इसकी हरकत ज़रा भी पसंद नही है.. हर समय मुझे ही घूरता रहता है.. ओर रात को तो मुझे चिढ़ा रहा था.. सोच कर ही मेरा पूरा दिमाग़ खराब हो गया था..
खाना बनाने के बाद जब मैं किचन से निकली तो वो मेरे पीछे ही कुछ दूरी पर खड़े हो कर मुझे देख रहा था.. उसे देख कर मेरा खून खौल गया था.. मैं वाहा से पैर पटक कर टाय्लेट के अंदर चली गयी.. गर्मी मे खड़े हो कर खाना बना ने की वजह से मुझे बोहोत ज़ोर से प्रेशर आ रहा था.. मेरा पूरा चेहरा पसीने से भीग गया था..
जब मैं टाय्लेट के बाहर आई तो फिर से टाय्लेट के बाहर अपने लिंग पर हाथ फिराते हुए खड़ा था..
उसकी इस हरकत को देख कर मैं बुरी तरह से उस पर झल्ला पड़ी..
ये क्या बदतमीज़ी है ? मैने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा..
क्या हुआ भाभी जी ? क्या बदतमीज़ी कर दी मैने ? उसने अपने लिंग पर हाथ को ऑर भी तेज़ी से जैसे वो उसे मरोड़ रहा हो, करना शुरू कर दिया..
उसकी ये बात ओर हरकत देख कर मुझसे बर्दाश्त नही हुआ.. मैं उस से कहने ही वाली कि थी कि तुम मुझे देख कर तुम अपने लिंग पर हाथ क्यू लगाते हो ? पर अगले ही पल मैने खुद पर काबू पाया ऑर वाहा पर पैर पटकते हुए वापस अपने कमरे मे आ गयी..
उसकी इस हरकत ओर जवाब को सुन कर मेरा पूरा सर दर्द करने लग गया था समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू.. मनीष को उसकी इस हरकत के बारे मे बताऊ या नही..
मैं अपने कमरे मे आई ही थी कि वो पीछे से आ गया.. मैने दरवाजा बंद नही किया था इस लिए वो सीधा अंदर घुसा चला आया.. जब मेरी नज़र उस पर पढ़ी तो मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी..
तुउउउम्म्म्म… तुम.. यहा क्या कर रहे हो ? मैं जल्दी से उठ कर बैठ गयी ओर अपने कपड़े सही करने लगी..
वो भाभी भूक लगी थी.. उसका हाथ बराबर उसके लिंग पर चल रहा था.
मेरा मन तो ऐसा किया कि खींच कर एक लात उसके लिंग पर मार दू.. पर कर नही सकी.. ठीक है तुम बाहर चलो मैं आती हू
अरे पीनू तुम्हे कही आना जाना तो नही है ? मनीष ने जाते हुए उस से पूछा..
नही भैया जी मुझे कही नही जाना आज मैं यही पर रह कर एक्षाँ की तैयारी करूगा.. कल जाना है एग्ज़ॅम देने के लिए..
उसकी बात सुन कर मैं अपने दाँत भींच कर रह गयी.. मेरा पूरा खून खूल गया था.. मनीष के जाते ही मैं वापस अपने कमरे मे आ गयी ऑर कपड़े वगेरह सही करने लग गयी.. सुबह के 10 बज रहे थे.. हमारे घर मे एक काम वाली आती थी घर का काम करने के लिए.. वो रोज सुबह 10 बजे तक आती थी ऑर 11 बजे तक घर की सॉफ सफाई का काम करके चली जाती थी..
काम वाली के जाने के बाद करीब 12 बजे मैने दोफर का खाना बनाने के लिए किचन मे गयी.. उस देहाती की पसंद पूछना मैने ज़रूरी नही समझा.. मनीष सुबह ही लंच ले कर चले गये थे इस लिए मुझे उनके लिए खाना बनाने की कोई ज़रूरत नही थी.. दो जानो का खाना बनाना था इसलिए मुझे ज़्यादा टाइम नही लगा खाना बना ने मे.. मेरे दिमाग़ मे यही चल रहा था कि इसे जितना कम भाव दिया जाए उतना ही अच्छा है.. वैसे भी मुझे इसकी हरकत ज़रा भी पसंद नही है.. हर समय मुझे ही घूरता रहता है.. ओर रात को तो मुझे चिढ़ा रहा था.. सोच कर ही मेरा पूरा दिमाग़ खराब हो गया था..
खाना बनाने के बाद जब मैं किचन से निकली तो वो मेरे पीछे ही कुछ दूरी पर खड़े हो कर मुझे देख रहा था.. उसे देख कर मेरा खून खौल गया था.. मैं वाहा से पैर पटक कर टाय्लेट के अंदर चली गयी.. गर्मी मे खड़े हो कर खाना बना ने की वजह से मुझे बोहोत ज़ोर से प्रेशर आ रहा था.. मेरा पूरा चेहरा पसीने से भीग गया था..
जब मैं टाय्लेट के बाहर आई तो फिर से टाय्लेट के बाहर अपने लिंग पर हाथ फिराते हुए खड़ा था..
उसकी इस हरकत को देख कर मैं बुरी तरह से उस पर झल्ला पड़ी..
ये क्या बदतमीज़ी है ? मैने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा..
क्या हुआ भाभी जी ? क्या बदतमीज़ी कर दी मैने ? उसने अपने लिंग पर हाथ को ऑर भी तेज़ी से जैसे वो उसे मरोड़ रहा हो, करना शुरू कर दिया..
उसकी ये बात ओर हरकत देख कर मुझसे बर्दाश्त नही हुआ.. मैं उस से कहने ही वाली कि थी कि तुम मुझे देख कर तुम अपने लिंग पर हाथ क्यू लगाते हो ? पर अगले ही पल मैने खुद पर काबू पाया ऑर वाहा पर पैर पटकते हुए वापस अपने कमरे मे आ गयी..
उसकी इस हरकत ओर जवाब को सुन कर मेरा पूरा सर दर्द करने लग गया था समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू.. मनीष को उसकी इस हरकत के बारे मे बताऊ या नही..
मैं अपने कमरे मे आई ही थी कि वो पीछे से आ गया.. मैने दरवाजा बंद नही किया था इस लिए वो सीधा अंदर घुसा चला आया.. जब मेरी नज़र उस पर पढ़ी तो मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी..
तुउउउम्म्म्म… तुम.. यहा क्या कर रहे हो ? मैं जल्दी से उठ कर बैठ गयी ओर अपने कपड़े सही करने लगी..
वो भाभी भूक लगी थी.. उसका हाथ बराबर उसके लिंग पर चल रहा था.
मेरा मन तो ऐसा किया कि खींच कर एक लात उसके लिंग पर मार दू.. पर कर नही सकी.. ठीक है तुम बाहर चलो मैं आती हू