29-12-2019, 12:03 PM
रीमा और जितेश दोनों ही बुरी तरह से थककर गहरी नीद में चले गए लेकिन कोई हा जिसकी दिन और रात दोनों की नीद उडी हुई थी वो था सूर्यदेव | मंत्री जी से बात करने के बाद उसकी रातो की नीद भी उड़ गयी थी | उसे समझ नहीं आ रहा था आखिर रीमा गायब कहाँ हो गयी | उसे जमीन निगल गयी या आसमान खा गया | उसका दाव उसे ही उल्टा पड़ जायेगा ये उसने नहीं सोचा था | जिस शूटर को उसने जग्गू को मारने बेजा था, उसे जग्गू की लाश भी ठिकाने लगा देनी थी | जिससे किसी को कुछ पता न चले | अपने बेटे के गम में विलास खुद ही पागल हो जाता | जब लाश नहीं मिलती तो दिन रात पागलों की तरह अपने बेटे को खोजता रहता | वो मंत्री जी के साथ बिज़नस में आगे निकल जाता | लेकिन रीमा की वजह से सब गड़बड़ हो गया | अब विलास का सीधा शक सूर्यदेव पर था और उसके पास ये आखिरी मौका था उसके कहर से बचने का | लेकिन वो रीमा को लाये कहाँ से, उस गार्ड के चुतियापे से वो इतनी गहरी मुसीबत में फंस जायेगा ये उसे पता नहीं था | पागलो की तरह छटपटाता अपने घर में घूम रहा था | फिर उसे अपने सारे खास आदमियों को बुलावा बेजा | जो आ सके उनको लेकर एक कमरे में चला गया बाकि को फ़ोन पर ले लिया |
सूर्यदेव - देखो भाई लोगो बात बहुत सीधी है | मेरी कल रात मंत्री जी से बात हुई थी | उन्होंने हाथ खड़े कर दिए है |
उसका सबसे खास आदमी था कालू | उसका नाम कालू पड़ा ही इसलिए था क्योंकि भालू जैसा उसका शरीर और उसका रंग भी भालू जैसा ही था | लोग उसे भालू है या कालू है कहकर चिढाते थे | धीरे धीरे लोग उसे कालू कहने लगे |
कालू - बॉस मंत्री जी क्या बोले |
सूर्यदेव - मंत्री जी बोले है जान बचानी है तो उस छिनार रंडी कुतिया को ढूंढो और विलास के हवाले कर दो | बाकि मंत्री जी संभाल लेगें |
कालू - बॉस हम पूरी कोशिश कर रहे है |
सूर्यदेव - कोशिश से काम नहीं चलेगा हरामजादो | विलास हम सबको कुत्तो की मौत मरेगा | मुझे मारने से पहले तुम सबको मरेगा |
तुम सब के सब सालों किसी काम के नहीं हो एक औरत को नहीं ढूंढ पा रहे हो तुम सब कुत्तों की मौत मारे जाओगे विलास किसी को नहीं छोड़ेगा अपनी जान प्यारी है तो उस साली रंडी को ढूंढो |
कालू - बॉस विलास को कैसे पता चला कि जग्गू को हमने मारा है |
सूर्यदेव - उसे शक है मंत्री जी बोले है तुमारे इलाके में उसका बेटा मारा गया है इसलिए पहला निशाना वो हम पर ही सधेगा |
कालू - बॉस हम ढूंढ रहे है उस औरत को |
सूर्यदेव - लकीर पीटने से काम नहीं चलेगा | जमीन खोदो या आसमान चीर डालो मुझे वो औरत चाहिए | चाहे उसे पाताल से ढूंढ कर लावो | चौबीस घंटे में उसे जिन्दा ढूंढ के लाना है | समझे तुम सब के सब , नहीं तो कुत्ते की मौत मरोगे |
कालू - 24 घन्टे में ही क्या ?
सूर्यदेव - क्योंकि कल जग्गू की तेरहँवी कर रहा विलास, उसके बाद हमारी करेगा |
कालू - बॉस हमने अपना पूरा दम लगा रखा है और आपको यकीन से कह सकता हूँ वो यहाँ से भाग नहीं पाई है | स्कूटर से लड़ने के बाद कोई चलने फिरने की हालत में ही नहीं रहेगा | हो सकता है वो जंगल में कही छुप गयी हो, उसे कोई जानवर उठा ले गया हो या फिर वो नदी के दोनों तरफ बनी बस्ती में कही छुपी हो |
सूर्यदेव - तुम कर क्या रहे हो | पता लगावो कहाँ है वो और घसीट के यहाँ ले आवो | मुझे वो जिन्दा चाहिए कान खोलकर सुन लो |
कालू - हमने चप्पा चप्पा छान मारा है जंगल भी एक बार छान मारा है | मुझे लगता है वो कही छिपी हुई है | जब तक वो इधर उधर निकलेगी नहीं हमारी नजर में कैसे आएगी | अपने आदमी हर गली के मोड़ पर खड़े है | पान वाला ठेले वाला रिक्शा वाला सबको खबर है | जैसे ही किसी को कुछ पता चलता है तुरंत हमें इतल्ला करेगे |
सूर्यदेव - तुमने उसकी फोटो दिखाई है सबको, उसको पहचाने कैसे |
कालू - फोटो तो नहीं है हमारे पास बॉस |
सूर्यदेव - तो सालो क्या गांड मरा रहे हो | उसे कोई पहचानेगा जैसे गधो |
कालू - फोटो कहाँ से लाऊ बॉस |
सूर्यदेव - इस गेंडे जैसे शरीर में दिमाग भगवान् ने मेढक का लगा दिया है | अबे न्यूज़ चैनल खोल उसकी फोटो जब टीवी पर आये तो खीच और किसी दुकान पर जा उसकी फोटो निकलवा, उसके पोस्टर छपवा और हर जगह बटवा |
बॉस - सही कहाँ आपने, मै तुरंत जाकर करता हूँ |
सभी जाने लगे | सूर्यदेव कुछ सोचता हुआ - कालू तू रुक ये काम तो कोई भी कर सकता है |
कालू एक आदमी को ये काम सौंप दिया |
बाकियों के जाते ही सूर्यदेव ने उससे दरवाजा बंद करने को कहा |
सूर्यदेव - देख कालू तू मेरे साथ पिछले 9 साल से काम कर रहा है | अगर वो औरत नहीं मिली तो पिछले १० साल की सारी मेहनत बेकार जाएगी ऊपर से जान से हाथ धो बैठेगे सो अलग |
कालू - बॉस मै और बाकि सब जी जान लगा देगें उसको ढूढ़ने में |
सूर्यदेव - सुन ये बता वो पांचो कहाँ है |
कालू - मुझे उनकी कोई खबर नहीं |
सूर्यदेव - तो पता लगा, जरुरत पड़े तो उनसे मदद मांग | अभी उनकी जरुरत है हमारे अकेले के बस का नहीं | माफ़ी मांग लेगें सालो से | जिन्दा रहेंगे तो इनसे भी निपट लेगे |
असल में सूर्यदेव अपने साथ पहले काम करने वाले उन खास पांच आदमियों की बात कर रहा था जो अपने अपने काम में परफेक्ट थे लेकिन उन्हें सूर्यदेव के कमीनेपन पर ऐतराज था इसलिए एक एक करके उससे अलग हो गए | उनमे से एक जितेश भी था | सारे के सारे बेहरतीन शूटर और खतरों के खिलाड़ी थे | कोई भी काम ऐसे अंजाम देते थे जैसे भूत करके निगल गया हो | आस पास किसी को कानो कान खबर नहीं होती थी | सब को सूर्यदेव के काम करने के तरीके और सूर्यदेव द्वारा उन पर भरोसा न करने के कारन वो सब छोड़ कर चले गए | एक ने अपनी प्राइवेट जासूसी की एजेंसी खोल ली | दो लोग सिक्युरिटी के लिए काम करने लगे | एक आदमी ने अपना लकड़ी का कारोबार शुरू कर दिया | जितेश सिक्युरिटी और प्राइवेट दोनों तरह की कॉन्ट्रैक्ट किल्लिंग का ठेका लेने लगा | भले ही उनमे से कुछ ने बन्दुखे रख दी लेकिन उनके निशाने आज भी अचूक थे | उनके काम करने के तरीके भी, भूसे में से सुई ढूढ़ना उन्हें आता था | यही बात सूर्यदेव को चुभती थी वो उनसे असुरक्षित महसूस करता था | इसीलिए सूर्यदेव ने उनमे से सभी को जान से मारने की कोशिश की लेकिन उन सब की किस्मत अच्छी थी की सब के सब बच गए |
सूर्यदेव - सुनो जो भी अगले 48 घंटे में रीमा का पता बताएगा या उसे ढूढ़ कर लायेगा उसको १० लाख का इनाम मिलेगा | ये खबर पुरे कस्बे में फैला दो |
कालू ने अपने आदमियों को फ़ोन किया और उन पांचो का पता लगाने को बेजा | सूर्यदेव के लिए टिक टिक करता घडी का एक एक सेकेण्ड भारी था |
सूर्यदेव के आदमी नए सिरे से कस्बे और जंगल का चप्पा चप्पा टटोलने लगे | सूर्यदेव के आदमियों के एक टुकड़ी नदी किनारे जंगल में भी रीमा को खोज रही थी दूसरी तरफ कस्बे की सिक्युरिटी भी रीमा को खोजने में लग गई थी |
इधर रोहित भी रीमा को लेकर बहुत बेचैन था | उसके सब्र का प्याला छलक रहा था | आखिर कब तक इस नाकारा सिक्युरिटी के भरोसे बैठा रहे | उसे अब रीमा की चिंता होने लगी थी, उसके अन्दर ये दहसत भरने लगी थी कही कुछ अनहोनी तो नहीं हो गयी | पता नहीं रीमा कहाँ हो तुम, जिन्दा हो सही सलामत हो | बस एक खबर मिल जाती तुम जहाँ भी हो जैसी भी ही ठीक हो | आखिर कार इस बार रोहित ने अकेले फिर से उसी कस्बे जाने का फैसला किया | वो चाहता था अनिल सिक्युरिटी के साथ रहे | अनिल मान गए | रोहित उसी कस्बे की तरफ अपनी कार से निकल पड़ा | रोहित भी अपने शहर से उस कसबे में आ गया था उसे पता था रीमा यहीं कहीं है और कहीं नहीं गई | अगर वह जिंदा है तो यहीं मिलेगी इसीलिए उसने हाथ पर हाथ धरकर सिक्युरिटी के भरोसे बैठने की बजाय खुद अपने स्तर पर रीमा कोढूंढना शुरू कर दिया था |
गिरधारी वहां से चला गया था लेकिन उसके दिमाग से रीमा नहीं निकली थी उसके दिलो-दिमाग पर बस रीमा का गोरा गुलाबी जिस्म ही घूम रहा था | उसके वह उठे हुए मोटे-मोटे चौड़े चुताड़ो के पठारों की गुलाबी ढलान, उसके रस टपकाते गुलाबी रसीले ओठ, चिकना गोरा गुलाबी महकता बदन, उसकी गुलाबी कसी हुई गांड और गीली गुलाबी मखमली चूत .................आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् रीमा तो जैसे औरत नहीं थी कयामत थी उसके लिए | उसके लिए तो आज का दिन ऐसा था जैसे रोज नमक रोटी तोड़ रहे इंसान को आज किसी ने रसमलाई और खीर खिला दी हो |
वो जितेश के यहाँ से दुत्कारे जाने के बाद, अपनी कुटिया में आकर लेता हुआ था | सुबह सुबह इतनी जोरदार मेहनत करने के बाद थक गया था | लेकिन रीमा के कारन उसे नीद नहीं आ रही थी | एक हाथ अपने पजामे में घुसेड़कर अपने लंड को सहला रहा था और अपने सुन्दर सपनो में खोया हुआ था | तभी किसी से उसकी झोपड़ी के बाहर आवाज लगायी | गिरधारी को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसक सपना तोड़ दिया हो |
बाहर एक आदमी था गिरधारी उसे जानता था | वो सूर्यदेव के लिए काम करता था |
उसे देखते ही गिरधारी का हाथ अपने आप अपनी कमर में घुसाई हुई पिस्टल पर चला गया | उसने दरवाजा खोलकर उस आदमी पर गन तान दी |
आदमी - अरे अरे इसकी कोई जरुरत नहीं है |
गिरधारी - क्यों आया है यहाँ |
आदमी - खबर देने |
गिरधारी - किसकी |
आदमी - कालू बॉस का संदेसा है | बड़े बॉस तुमारे बॉस से मिलना चाहते है |
गिरधारी - क्यों |
आदमी - पता नहीं |
गिरधारी - तो फुट ले यहाँ से, जब पता चल जाये तब आना | वर्ना इतनी गोली मरूँगा पिछवाड़े में साले कंफ्यूज हो जायेगा असली छेद कौन सा था |
गिरधारी के तेवर देखकर वो वहां से खिसक लिया | इधर गिरधारी बस फिर से लेता ही था वो फिर आकर बाहर आवाज देने लगा |
गिरधारी इस बार पिस्तौल तानकर ही निकला | इससे पहले गिरधारी कुछ बोलता वो बोल पड़ा - कालू बॉस से बात कर लो |
गिरधारी उसे घूरता रहा फिर उसने उसके हाथ से मोबाईल छीन लिया |
गिरधारी - हाँ हेलो बोल कालू |
कालू - मेरे बॉस तेरे बॉस से मिलना चाहते है |
गिरधारी - क्यों |
कालू - देख गिरधारी पुराणी बाते भुलाने का समय है ये | मेरे बॉस किसी मैडम को ढूंढ रहे है और उसमे तुम लोगो की मदद चाहिए | बॉस को हर हाल में वो मैडम अगले अड़तालीस घंटे में चाहिए | इसके लिए बॉस १० लाख तक पैसे भी देने को तैयार है |
गिरधारी - १० लाख , ऐसा क्या अर्जेंट है और वो मैडम क्यों चाहिए |
कालू - देख भाई अपना काम कर और पैसे ले, बात ख़तम |
गिरधारी - मुझे नहीं लगता मेरे बॉस मानेगे |
कालू - देख पीछे जो कुछ भी हुआ उसके लिए मेरे बॉस माफ़ी भी मांगना चाहते है एक बार कह दो बस जितेश बॉस आकार मेरे बॉस से मिल ले | तू बस उन तक संदेसा पंहुचा दे |
गिरधारी - ठीक है बता दूंगा |
कालू - अर्जेंट है |
गिरधारी - ठीक है गिरधारी ने जबान दे दी मतलब दे दी | तुमारे जैसे झूठे धोखेबाज नहीं है |
गिरधारी ने उसका फ़ोन वापस कर दिया | वो चला गया | गिरधारी फिर से बिसतर पर आकर लेट गया | उसे पता था कालू और उसके बॉस को कौन सी मैडम चाहिए | उसे अच्छे से पता था वो रीमा मैडम को ढूंढ रहे है और रीमा मैडम तो अपने बॉस के कब्जे में है | अब आएगा मजा | सालो से चुन चुन कर पिछला हिसाब चुकता किया जायेगा | ऊपर से मोटी रकम भी वसूली जाएगी मैडम के बदले | अभी तो बहुत टाइम है ऊपर से अभी वो जितेश के पास नहीं जाना चाहता था | उसे पता था बॉस गुस्सा होंगे | वैसे भी शाम होने वाली थी | कल सुबह जायेगा | यही सोचकर फिर से अपनी सपनीली दुनिया में खोकर अपने लंड को सहलाने लगा |
पूरी दुनिया की रीमा के लिए परेशान थी लेकिन रीमा तो किसी और चीज के लिए यही परेशान थी रीमा के जिंदगी को पल पल हर पल वहां खतरा था लेकिन जितेश की बाहों में सिमटने के बाद वह दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह रह रही हो वह अपनी ही चिंता में डूबती उतराती हुई उस कमरे के चारदीवारी में बंद थी | उसे अपनी वासना से मिले दुख तकलीफ, संतुष्टि तृप्ति, आनंद से ही फुर्सत नहीं थी जो वो समझ सके कि उसकी जान पर किस तरह से बन आई है और इस समय उसकी गर्दन पर तलवार लटक रही है |
सूर्यदेव - देखो भाई लोगो बात बहुत सीधी है | मेरी कल रात मंत्री जी से बात हुई थी | उन्होंने हाथ खड़े कर दिए है |
उसका सबसे खास आदमी था कालू | उसका नाम कालू पड़ा ही इसलिए था क्योंकि भालू जैसा उसका शरीर और उसका रंग भी भालू जैसा ही था | लोग उसे भालू है या कालू है कहकर चिढाते थे | धीरे धीरे लोग उसे कालू कहने लगे |
कालू - बॉस मंत्री जी क्या बोले |
सूर्यदेव - मंत्री जी बोले है जान बचानी है तो उस छिनार रंडी कुतिया को ढूंढो और विलास के हवाले कर दो | बाकि मंत्री जी संभाल लेगें |
कालू - बॉस हम पूरी कोशिश कर रहे है |
सूर्यदेव - कोशिश से काम नहीं चलेगा हरामजादो | विलास हम सबको कुत्तो की मौत मरेगा | मुझे मारने से पहले तुम सबको मरेगा |
तुम सब के सब सालों किसी काम के नहीं हो एक औरत को नहीं ढूंढ पा रहे हो तुम सब कुत्तों की मौत मारे जाओगे विलास किसी को नहीं छोड़ेगा अपनी जान प्यारी है तो उस साली रंडी को ढूंढो |
कालू - बॉस विलास को कैसे पता चला कि जग्गू को हमने मारा है |
सूर्यदेव - उसे शक है मंत्री जी बोले है तुमारे इलाके में उसका बेटा मारा गया है इसलिए पहला निशाना वो हम पर ही सधेगा |
कालू - बॉस हम ढूंढ रहे है उस औरत को |
सूर्यदेव - लकीर पीटने से काम नहीं चलेगा | जमीन खोदो या आसमान चीर डालो मुझे वो औरत चाहिए | चाहे उसे पाताल से ढूंढ कर लावो | चौबीस घंटे में उसे जिन्दा ढूंढ के लाना है | समझे तुम सब के सब , नहीं तो कुत्ते की मौत मरोगे |
कालू - 24 घन्टे में ही क्या ?
सूर्यदेव - क्योंकि कल जग्गू की तेरहँवी कर रहा विलास, उसके बाद हमारी करेगा |
कालू - बॉस हमने अपना पूरा दम लगा रखा है और आपको यकीन से कह सकता हूँ वो यहाँ से भाग नहीं पाई है | स्कूटर से लड़ने के बाद कोई चलने फिरने की हालत में ही नहीं रहेगा | हो सकता है वो जंगल में कही छुप गयी हो, उसे कोई जानवर उठा ले गया हो या फिर वो नदी के दोनों तरफ बनी बस्ती में कही छुपी हो |
सूर्यदेव - तुम कर क्या रहे हो | पता लगावो कहाँ है वो और घसीट के यहाँ ले आवो | मुझे वो जिन्दा चाहिए कान खोलकर सुन लो |
कालू - हमने चप्पा चप्पा छान मारा है जंगल भी एक बार छान मारा है | मुझे लगता है वो कही छिपी हुई है | जब तक वो इधर उधर निकलेगी नहीं हमारी नजर में कैसे आएगी | अपने आदमी हर गली के मोड़ पर खड़े है | पान वाला ठेले वाला रिक्शा वाला सबको खबर है | जैसे ही किसी को कुछ पता चलता है तुरंत हमें इतल्ला करेगे |
सूर्यदेव - तुमने उसकी फोटो दिखाई है सबको, उसको पहचाने कैसे |
कालू - फोटो तो नहीं है हमारे पास बॉस |
सूर्यदेव - तो सालो क्या गांड मरा रहे हो | उसे कोई पहचानेगा जैसे गधो |
कालू - फोटो कहाँ से लाऊ बॉस |
सूर्यदेव - इस गेंडे जैसे शरीर में दिमाग भगवान् ने मेढक का लगा दिया है | अबे न्यूज़ चैनल खोल उसकी फोटो जब टीवी पर आये तो खीच और किसी दुकान पर जा उसकी फोटो निकलवा, उसके पोस्टर छपवा और हर जगह बटवा |
बॉस - सही कहाँ आपने, मै तुरंत जाकर करता हूँ |
सभी जाने लगे | सूर्यदेव कुछ सोचता हुआ - कालू तू रुक ये काम तो कोई भी कर सकता है |
कालू एक आदमी को ये काम सौंप दिया |
बाकियों के जाते ही सूर्यदेव ने उससे दरवाजा बंद करने को कहा |
सूर्यदेव - देख कालू तू मेरे साथ पिछले 9 साल से काम कर रहा है | अगर वो औरत नहीं मिली तो पिछले १० साल की सारी मेहनत बेकार जाएगी ऊपर से जान से हाथ धो बैठेगे सो अलग |
कालू - बॉस मै और बाकि सब जी जान लगा देगें उसको ढूढ़ने में |
सूर्यदेव - सुन ये बता वो पांचो कहाँ है |
कालू - मुझे उनकी कोई खबर नहीं |
सूर्यदेव - तो पता लगा, जरुरत पड़े तो उनसे मदद मांग | अभी उनकी जरुरत है हमारे अकेले के बस का नहीं | माफ़ी मांग लेगें सालो से | जिन्दा रहेंगे तो इनसे भी निपट लेगे |
असल में सूर्यदेव अपने साथ पहले काम करने वाले उन खास पांच आदमियों की बात कर रहा था जो अपने अपने काम में परफेक्ट थे लेकिन उन्हें सूर्यदेव के कमीनेपन पर ऐतराज था इसलिए एक एक करके उससे अलग हो गए | उनमे से एक जितेश भी था | सारे के सारे बेहरतीन शूटर और खतरों के खिलाड़ी थे | कोई भी काम ऐसे अंजाम देते थे जैसे भूत करके निगल गया हो | आस पास किसी को कानो कान खबर नहीं होती थी | सब को सूर्यदेव के काम करने के तरीके और सूर्यदेव द्वारा उन पर भरोसा न करने के कारन वो सब छोड़ कर चले गए | एक ने अपनी प्राइवेट जासूसी की एजेंसी खोल ली | दो लोग सिक्युरिटी के लिए काम करने लगे | एक आदमी ने अपना लकड़ी का कारोबार शुरू कर दिया | जितेश सिक्युरिटी और प्राइवेट दोनों तरह की कॉन्ट्रैक्ट किल्लिंग का ठेका लेने लगा | भले ही उनमे से कुछ ने बन्दुखे रख दी लेकिन उनके निशाने आज भी अचूक थे | उनके काम करने के तरीके भी, भूसे में से सुई ढूढ़ना उन्हें आता था | यही बात सूर्यदेव को चुभती थी वो उनसे असुरक्षित महसूस करता था | इसीलिए सूर्यदेव ने उनमे से सभी को जान से मारने की कोशिश की लेकिन उन सब की किस्मत अच्छी थी की सब के सब बच गए |
सूर्यदेव - सुनो जो भी अगले 48 घंटे में रीमा का पता बताएगा या उसे ढूढ़ कर लायेगा उसको १० लाख का इनाम मिलेगा | ये खबर पुरे कस्बे में फैला दो |
कालू ने अपने आदमियों को फ़ोन किया और उन पांचो का पता लगाने को बेजा | सूर्यदेव के लिए टिक टिक करता घडी का एक एक सेकेण्ड भारी था |
सूर्यदेव के आदमी नए सिरे से कस्बे और जंगल का चप्पा चप्पा टटोलने लगे | सूर्यदेव के आदमियों के एक टुकड़ी नदी किनारे जंगल में भी रीमा को खोज रही थी दूसरी तरफ कस्बे की सिक्युरिटी भी रीमा को खोजने में लग गई थी |
इधर रोहित भी रीमा को लेकर बहुत बेचैन था | उसके सब्र का प्याला छलक रहा था | आखिर कब तक इस नाकारा सिक्युरिटी के भरोसे बैठा रहे | उसे अब रीमा की चिंता होने लगी थी, उसके अन्दर ये दहसत भरने लगी थी कही कुछ अनहोनी तो नहीं हो गयी | पता नहीं रीमा कहाँ हो तुम, जिन्दा हो सही सलामत हो | बस एक खबर मिल जाती तुम जहाँ भी हो जैसी भी ही ठीक हो | आखिर कार इस बार रोहित ने अकेले फिर से उसी कस्बे जाने का फैसला किया | वो चाहता था अनिल सिक्युरिटी के साथ रहे | अनिल मान गए | रोहित उसी कस्बे की तरफ अपनी कार से निकल पड़ा | रोहित भी अपने शहर से उस कसबे में आ गया था उसे पता था रीमा यहीं कहीं है और कहीं नहीं गई | अगर वह जिंदा है तो यहीं मिलेगी इसीलिए उसने हाथ पर हाथ धरकर सिक्युरिटी के भरोसे बैठने की बजाय खुद अपने स्तर पर रीमा कोढूंढना शुरू कर दिया था |
गिरधारी वहां से चला गया था लेकिन उसके दिमाग से रीमा नहीं निकली थी उसके दिलो-दिमाग पर बस रीमा का गोरा गुलाबी जिस्म ही घूम रहा था | उसके वह उठे हुए मोटे-मोटे चौड़े चुताड़ो के पठारों की गुलाबी ढलान, उसके रस टपकाते गुलाबी रसीले ओठ, चिकना गोरा गुलाबी महकता बदन, उसकी गुलाबी कसी हुई गांड और गीली गुलाबी मखमली चूत .................आआआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह् रीमा तो जैसे औरत नहीं थी कयामत थी उसके लिए | उसके लिए तो आज का दिन ऐसा था जैसे रोज नमक रोटी तोड़ रहे इंसान को आज किसी ने रसमलाई और खीर खिला दी हो |
वो जितेश के यहाँ से दुत्कारे जाने के बाद, अपनी कुटिया में आकर लेता हुआ था | सुबह सुबह इतनी जोरदार मेहनत करने के बाद थक गया था | लेकिन रीमा के कारन उसे नीद नहीं आ रही थी | एक हाथ अपने पजामे में घुसेड़कर अपने लंड को सहला रहा था और अपने सुन्दर सपनो में खोया हुआ था | तभी किसी से उसकी झोपड़ी के बाहर आवाज लगायी | गिरधारी को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसक सपना तोड़ दिया हो |
बाहर एक आदमी था गिरधारी उसे जानता था | वो सूर्यदेव के लिए काम करता था |
उसे देखते ही गिरधारी का हाथ अपने आप अपनी कमर में घुसाई हुई पिस्टल पर चला गया | उसने दरवाजा खोलकर उस आदमी पर गन तान दी |
आदमी - अरे अरे इसकी कोई जरुरत नहीं है |
गिरधारी - क्यों आया है यहाँ |
आदमी - खबर देने |
गिरधारी - किसकी |
आदमी - कालू बॉस का संदेसा है | बड़े बॉस तुमारे बॉस से मिलना चाहते है |
गिरधारी - क्यों |
आदमी - पता नहीं |
गिरधारी - तो फुट ले यहाँ से, जब पता चल जाये तब आना | वर्ना इतनी गोली मरूँगा पिछवाड़े में साले कंफ्यूज हो जायेगा असली छेद कौन सा था |
गिरधारी के तेवर देखकर वो वहां से खिसक लिया | इधर गिरधारी बस फिर से लेता ही था वो फिर आकर बाहर आवाज देने लगा |
गिरधारी इस बार पिस्तौल तानकर ही निकला | इससे पहले गिरधारी कुछ बोलता वो बोल पड़ा - कालू बॉस से बात कर लो |
गिरधारी उसे घूरता रहा फिर उसने उसके हाथ से मोबाईल छीन लिया |
गिरधारी - हाँ हेलो बोल कालू |
कालू - मेरे बॉस तेरे बॉस से मिलना चाहते है |
गिरधारी - क्यों |
कालू - देख गिरधारी पुराणी बाते भुलाने का समय है ये | मेरे बॉस किसी मैडम को ढूंढ रहे है और उसमे तुम लोगो की मदद चाहिए | बॉस को हर हाल में वो मैडम अगले अड़तालीस घंटे में चाहिए | इसके लिए बॉस १० लाख तक पैसे भी देने को तैयार है |
गिरधारी - १० लाख , ऐसा क्या अर्जेंट है और वो मैडम क्यों चाहिए |
कालू - देख भाई अपना काम कर और पैसे ले, बात ख़तम |
गिरधारी - मुझे नहीं लगता मेरे बॉस मानेगे |
कालू - देख पीछे जो कुछ भी हुआ उसके लिए मेरे बॉस माफ़ी भी मांगना चाहते है एक बार कह दो बस जितेश बॉस आकार मेरे बॉस से मिल ले | तू बस उन तक संदेसा पंहुचा दे |
गिरधारी - ठीक है बता दूंगा |
कालू - अर्जेंट है |
गिरधारी - ठीक है गिरधारी ने जबान दे दी मतलब दे दी | तुमारे जैसे झूठे धोखेबाज नहीं है |
गिरधारी ने उसका फ़ोन वापस कर दिया | वो चला गया | गिरधारी फिर से बिसतर पर आकर लेट गया | उसे पता था कालू और उसके बॉस को कौन सी मैडम चाहिए | उसे अच्छे से पता था वो रीमा मैडम को ढूंढ रहे है और रीमा मैडम तो अपने बॉस के कब्जे में है | अब आएगा मजा | सालो से चुन चुन कर पिछला हिसाब चुकता किया जायेगा | ऊपर से मोटी रकम भी वसूली जाएगी मैडम के बदले | अभी तो बहुत टाइम है ऊपर से अभी वो जितेश के पास नहीं जाना चाहता था | उसे पता था बॉस गुस्सा होंगे | वैसे भी शाम होने वाली थी | कल सुबह जायेगा | यही सोचकर फिर से अपनी सपनीली दुनिया में खोकर अपने लंड को सहलाने लगा |
पूरी दुनिया की रीमा के लिए परेशान थी लेकिन रीमा तो किसी और चीज के लिए यही परेशान थी रीमा के जिंदगी को पल पल हर पल वहां खतरा था लेकिन जितेश की बाहों में सिमटने के बाद वह दुनिया की सबसे सुरक्षित जगह रह रही हो वह अपनी ही चिंता में डूबती उतराती हुई उस कमरे के चारदीवारी में बंद थी | उसे अपनी वासना से मिले दुख तकलीफ, संतुष्टि तृप्ति, आनंद से ही फुर्सत नहीं थी जो वो समझ सके कि उसकी जान पर किस तरह से बन आई है और इस समय उसकी गर्दन पर तलवार लटक रही है |