29-12-2019, 10:50 AM
(This post was last modified: 10-03-2021, 11:34 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
'बेड टी '
रोल प्ले खत्म हुआ जब सुबह वो बेड टी ले के आये ,
लेकिन उसके पहले हम दोनों ने उन्हें 'बेड टी ' पिलाई।
असल में मेरी चुनमुनिया कुलबुला रही थी , सास दामाद की प्रेमलीला देख देख कर ,
लेकिन उससे भी ज्यादा जिस तरह से वो आदरणीया सास की , अपनी माँ को एक से एक मस्त गालियां दे रहे थे ,
अब ये पक्का हो गया था ये बेटा बिना अपनी माँ को चोदे नहीं रहेगा ,
और ये सुन सुन के मैं और , ... रहा नहीं जा रहा था
मैंने मम्मी को प्रॉमिस किया था की आज रात इनके खूंटे को मैं हाथ भी नहीं लगाउंगी , ...
( इसीलिए तो मैंने पैर से उस मोटे को पकड़ जकड के रगड़ा था )
और अपने किसी भी छेद में इनका मूसल नहीं घोंटूंगी ( इसलिए बहुत ललचायी , तो इनके 'रसगुल्ले ' को ही घोंट के ही ,.. )
लेकिन ये तो मेरी चुनमुनिया को चाट चूस सकते थे ,
इसलिए जैसे ही ये अपने सास से अलग हुए , इनकी सास इनके ऊपर से हटीं , मैं चढ़ गयी ,
मेरी चुनमुनिया सीधे इनके मुंह के ऊपर , ...
ये न एकदम पक्के लालची , नदीदे , लगे चाटने चूसने ,
पर मैंने अपनी जाँघों को थोड़ा सा ऊपर कर दिया , और कंधो को कस के दबा दिया ,
अब बेचारे वो सर उठा के अपनी जीभ निकाल के मेरी गुलाबो पर , नीचे से ही ,
लेकिन मन तो मेरा भी उतना ही कर रहा था मैं एक बार फिर से बैठ गयी ,
और उनके खुले होंठों के बीच अपने निचले होंठों को ,
जैसे थोड़ी देर पहले उनकी सास उन्हें चोद रही थीं , कस कस के ,
उसी तरह मेरी गुलाबो भी कस कस के उनके होंठों को रगड़ रही थी
सच में चूसने में उनका जवाब नहीं था , पक्का चूत चटोरा , ... दोनों होंठ मेरी फांको के ऊपर और चूत के अंदर उनकी जीभ ,
क्या कोई लंड से चोदेगा जैसे वो जीभ से चोद रहे थे , हुआ वही जो होना था , दस मिनट और मैं ऐसी झड़ी की , ....
एकदम थेथर लेकिन उनका चूसना चाटना बंद नहीं हुआ ,
और मैं भी ,
लेकिन थोड़ी देर में एक और परेशानी आ गयी , ... सुनहली धूप की पहली किरण छन के आना शुरू हो गयी थी , पिघलते सोने की तरह ,
और जो सुबह सुबह होता है ,...
बहुत जोर से आ रही थी ,
मैंने छुड़ाने की कोशिश की
लेकिन मम्मी के दामाद की पकड़ , पहली रात से ही मैं समझ गयी थी की मैं इससे छूट नहीं सकती थी ,
मैंने हलके से बोला भी , ...
छोड़ न यार , ...आ रही है बहुत जोर से , ...
जवाब में उन्होंने और कस के पकड़ लिया मुझे ,
मुस्कराते , उन्हें समझाते मैंने हलके से एक चपत लगाई और वार्न किया ,
" हे छोड़ यहीं हो जायेगी यहीं "
पर वो ऐसे मुस्कराये जैसे कह रहे हों , हो जाने दो न ,...
और फिर कस के अपने दोनों होंठ मेरी गुलाबो से चिपका दिया एकदम और इतनी जोर से चूसने लगे की ,
किसी तरह से मैंने अपनी गुलाबो को उठाने की कोशिश की ,
उनका मुंह एकदम खुला था ,
सुनहली धुप हम दोनों पर बरस रही थी ,
और मेरी गुलाबो से
एक सुनहली बूंद ,
दूसरी सुनहली बूंद ,...
और फिर तो मैं चाह के भी नहीं रोक सकती थी ,
तेज धार छलछल ,
सीधे मेरे निचले होंठों से उनके होंठ के बीच ,
वो मुंह खोल के एक एक बूँद रोप रहे थे , ...
मुझे बहुत प्यार आ रहा था , उनपर
प्यार से उनके गाल पर चपत मारते हुए मैंने बोला ,
" देख , स्साले माँ के भंडुए , ... एक भी बूँद अगर बाहर छलकी न तो बहुत मारूंगी मैं, ... "
मम्मी मुझे देख कर मुस्करा रही थीं ,
मुझे उकसा रही थीं , और फिर तो जैसे बाँध टूट पड़ा ,
लेकिन सच में एक भी बूद बाहर नहीं छलकी ,
और फिर मैंने अपनी चुनमुनिया उनके होंठों के बीच चिपका दिया , और अब सीधे मेरे निचले होंठों से उनके होंठों से होते हुए , ...
कुछ देर तक उनका गाल फुला रहा , फिर सब का सब पेट में , ...
और मेरे बाद मम्मी ने नंबर लगाया लेकिन टिपिकल उनकी सास , उनसे खुल कर कहलवाया , उनसे बुलवाया
न गोल्डन शावर , न सुनहली शराब , बल्कि साफ साफ ,
और उसके बाद जम कर ,
दो कप बेड टी उन्हें हम माँ बेटी ने पिलाई , सुबह हो रही थी
और उसके बाद हम दोनों सो गए , वो घर के काम में लग गए।
सुबह का ब्रेकफास्ट , बाकी सब कुछ,
ब्रेकफास्ट टेबल पर हम दोनों ,मैं और मम्मी उन्हें चिढाते रहे ,खूब छेड़ते रहे। उनकी माँ का नाम ले ले ,
मम्मी तो सीधे उन्हें मादरचोद कह के ही बुला रही थीं ,
अरे चोदने में लाज नहीं तो नाम में क्या लाज , बिचारे बीरबहूटी हो रहे थे।
और मैं भी उन्हें बार बार याद दिला रही थी ,
" याद हैं न आज से ठीक २२ दिन ,बल्कि २१ दिन बाद ,देखते देखते २१ दिन बीत जाएंगे पता ही नहीं चलेगा तुझे , लांग वीकेंड है , दो तीन दिन की छुट्टी ले ले ,बल्कि आज ही अप्लाई कर देना , चार पांच दिन मातृभूमि की सेवा में , है न। "
और जब मेरी निगाह सामने टंगे कैलेण्डर पर गयी ,
उनकी चोरी पकड़ी गयी , मैं और मम्मी खिलखिलाहटों में डूब गए।
२१ दिन बाद वाली ' उस तारीख ' को आलरेडी उन्होंने लाल गोले से घेर दिया था।
" आफिस में आज एक जल्दी मीटिंग है ,निकलना है। "
कह के शरमाते लजाते वो उठ खड़े हुए , लेकिन मम्मी भी उनके उठते उठते भी उनकी पेंट खोल चेक चेक कर लिया।
सब ठीक था , फार्मल ग्रे पैंट के अंदर
मम्मी की दो दिन की पहनी पैंटी ,
और उनका ' वो ' भी थोड़ा सोया ज्यादा जागा।
अपनी पैंटी के ऊपर से ' उसे ' रगड़ते मम्मी बोलीं ,
" बहुत याद आ रही है मेरी छिनार चूत मरानो समधन के भोंसडे की न , जा जा अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे रसीले भोंसडे का रस , उन के भी भोंसडे में तुझ से ज्यादा चींटे काट रहे हैं , अभी आता होगा बुरचोदो का फोन। "
और सच में वो निकले भी नहीं थे की मेरी सास का फोन आ गया , आफ कोर्स स्पीकर फोन था ,
और आज तो कल से भी दस गुना ज्यादा खुल्लम खुला दोनों समधनों के बीच बातें हो रही थी।
रोल प्ले खत्म हुआ जब सुबह वो बेड टी ले के आये ,
लेकिन उसके पहले हम दोनों ने उन्हें 'बेड टी ' पिलाई।
असल में मेरी चुनमुनिया कुलबुला रही थी , सास दामाद की प्रेमलीला देख देख कर ,
लेकिन उससे भी ज्यादा जिस तरह से वो आदरणीया सास की , अपनी माँ को एक से एक मस्त गालियां दे रहे थे ,
अब ये पक्का हो गया था ये बेटा बिना अपनी माँ को चोदे नहीं रहेगा ,
और ये सुन सुन के मैं और , ... रहा नहीं जा रहा था
मैंने मम्मी को प्रॉमिस किया था की आज रात इनके खूंटे को मैं हाथ भी नहीं लगाउंगी , ...
( इसीलिए तो मैंने पैर से उस मोटे को पकड़ जकड के रगड़ा था )
और अपने किसी भी छेद में इनका मूसल नहीं घोंटूंगी ( इसलिए बहुत ललचायी , तो इनके 'रसगुल्ले ' को ही घोंट के ही ,.. )
लेकिन ये तो मेरी चुनमुनिया को चाट चूस सकते थे ,
इसलिए जैसे ही ये अपने सास से अलग हुए , इनकी सास इनके ऊपर से हटीं , मैं चढ़ गयी ,
मेरी चुनमुनिया सीधे इनके मुंह के ऊपर , ...
ये न एकदम पक्के लालची , नदीदे , लगे चाटने चूसने ,
पर मैंने अपनी जाँघों को थोड़ा सा ऊपर कर दिया , और कंधो को कस के दबा दिया ,
अब बेचारे वो सर उठा के अपनी जीभ निकाल के मेरी गुलाबो पर , नीचे से ही ,
लेकिन मन तो मेरा भी उतना ही कर रहा था मैं एक बार फिर से बैठ गयी ,
और उनके खुले होंठों के बीच अपने निचले होंठों को ,
जैसे थोड़ी देर पहले उनकी सास उन्हें चोद रही थीं , कस कस के ,
उसी तरह मेरी गुलाबो भी कस कस के उनके होंठों को रगड़ रही थी
सच में चूसने में उनका जवाब नहीं था , पक्का चूत चटोरा , ... दोनों होंठ मेरी फांको के ऊपर और चूत के अंदर उनकी जीभ ,
क्या कोई लंड से चोदेगा जैसे वो जीभ से चोद रहे थे , हुआ वही जो होना था , दस मिनट और मैं ऐसी झड़ी की , ....
एकदम थेथर लेकिन उनका चूसना चाटना बंद नहीं हुआ ,
और मैं भी ,
लेकिन थोड़ी देर में एक और परेशानी आ गयी , ... सुनहली धूप की पहली किरण छन के आना शुरू हो गयी थी , पिघलते सोने की तरह ,
और जो सुबह सुबह होता है ,...
बहुत जोर से आ रही थी ,
मैंने छुड़ाने की कोशिश की
लेकिन मम्मी के दामाद की पकड़ , पहली रात से ही मैं समझ गयी थी की मैं इससे छूट नहीं सकती थी ,
मैंने हलके से बोला भी , ...
छोड़ न यार , ...आ रही है बहुत जोर से , ...
जवाब में उन्होंने और कस के पकड़ लिया मुझे ,
मुस्कराते , उन्हें समझाते मैंने हलके से एक चपत लगाई और वार्न किया ,
" हे छोड़ यहीं हो जायेगी यहीं "
पर वो ऐसे मुस्कराये जैसे कह रहे हों , हो जाने दो न ,...
और फिर कस के अपने दोनों होंठ मेरी गुलाबो से चिपका दिया एकदम और इतनी जोर से चूसने लगे की ,
किसी तरह से मैंने अपनी गुलाबो को उठाने की कोशिश की ,
उनका मुंह एकदम खुला था ,
सुनहली धुप हम दोनों पर बरस रही थी ,
और मेरी गुलाबो से
एक सुनहली बूंद ,
दूसरी सुनहली बूंद ,...
और फिर तो मैं चाह के भी नहीं रोक सकती थी ,
तेज धार छलछल ,
सीधे मेरे निचले होंठों से उनके होंठ के बीच ,
वो मुंह खोल के एक एक बूँद रोप रहे थे , ...
मुझे बहुत प्यार आ रहा था , उनपर
प्यार से उनके गाल पर चपत मारते हुए मैंने बोला ,
" देख , स्साले माँ के भंडुए , ... एक भी बूँद अगर बाहर छलकी न तो बहुत मारूंगी मैं, ... "
मम्मी मुझे देख कर मुस्करा रही थीं ,
मुझे उकसा रही थीं , और फिर तो जैसे बाँध टूट पड़ा ,
लेकिन सच में एक भी बूद बाहर नहीं छलकी ,
और फिर मैंने अपनी चुनमुनिया उनके होंठों के बीच चिपका दिया , और अब सीधे मेरे निचले होंठों से उनके होंठों से होते हुए , ...
कुछ देर तक उनका गाल फुला रहा , फिर सब का सब पेट में , ...
और मेरे बाद मम्मी ने नंबर लगाया लेकिन टिपिकल उनकी सास , उनसे खुल कर कहलवाया , उनसे बुलवाया
न गोल्डन शावर , न सुनहली शराब , बल्कि साफ साफ ,
और उसके बाद जम कर ,
दो कप बेड टी उन्हें हम माँ बेटी ने पिलाई , सुबह हो रही थी
और उसके बाद हम दोनों सो गए , वो घर के काम में लग गए।
सुबह का ब्रेकफास्ट , बाकी सब कुछ,
ब्रेकफास्ट टेबल पर हम दोनों ,मैं और मम्मी उन्हें चिढाते रहे ,खूब छेड़ते रहे। उनकी माँ का नाम ले ले ,
मम्मी तो सीधे उन्हें मादरचोद कह के ही बुला रही थीं ,
अरे चोदने में लाज नहीं तो नाम में क्या लाज , बिचारे बीरबहूटी हो रहे थे।
और मैं भी उन्हें बार बार याद दिला रही थी ,
" याद हैं न आज से ठीक २२ दिन ,बल्कि २१ दिन बाद ,देखते देखते २१ दिन बीत जाएंगे पता ही नहीं चलेगा तुझे , लांग वीकेंड है , दो तीन दिन की छुट्टी ले ले ,बल्कि आज ही अप्लाई कर देना , चार पांच दिन मातृभूमि की सेवा में , है न। "
और जब मेरी निगाह सामने टंगे कैलेण्डर पर गयी ,
उनकी चोरी पकड़ी गयी , मैं और मम्मी खिलखिलाहटों में डूब गए।
२१ दिन बाद वाली ' उस तारीख ' को आलरेडी उन्होंने लाल गोले से घेर दिया था।
" आफिस में आज एक जल्दी मीटिंग है ,निकलना है। "
कह के शरमाते लजाते वो उठ खड़े हुए , लेकिन मम्मी भी उनके उठते उठते भी उनकी पेंट खोल चेक चेक कर लिया।
सब ठीक था , फार्मल ग्रे पैंट के अंदर
मम्मी की दो दिन की पहनी पैंटी ,
और उनका ' वो ' भी थोड़ा सोया ज्यादा जागा।
अपनी पैंटी के ऊपर से ' उसे ' रगड़ते मम्मी बोलीं ,
" बहुत याद आ रही है मेरी छिनार चूत मरानो समधन के भोंसडे की न , जा जा अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे रसीले भोंसडे का रस , उन के भी भोंसडे में तुझ से ज्यादा चींटे काट रहे हैं , अभी आता होगा बुरचोदो का फोन। "
और सच में वो निकले भी नहीं थे की मेरी सास का फोन आ गया , आफ कोर्स स्पीकर फोन था ,
और आज तो कल से भी दस गुना ज्यादा खुल्लम खुला दोनों समधनों के बीच बातें हो रही थी।