29-12-2019, 09:31 AM
(This post was last modified: 07-03-2021, 02:30 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
पग घुंघुर बाँध
उन की सास ने मुझसे तीन तिरबाचा भरवाया था की आज रात सिर्फ उनकी सास के नाम ,
और आज वो उसे पक्का मादरचोद बना के छोड़ेंगी , ...
आज वो मूसल मुझे नहीं मिलेगा ,
लेकिन चोर चोरी से जाय , हेरा फेरी से थोड़े ही जाता है , ...
मैं पलंग के दूसरी ओर बैठी , सास दामाद की प्रेम लीला देख रही थी , ...
मुंह उनका सास की सेवा कर रहा था ,
पर ' वो ' ,... मोटे मूसलचंद तो खाली थे ,
हाँ दो बार अपनी सास को मेरी सास समझ कर जो उन्होंने पूरे जोश से चोदा था , ....तो वो भी थोड़ा सोया , थोड़ा थका ,...
पर मुझे इससे क्या फरक पड़ता था , .... वो मुझे छोड़ते थे क्या , ...
मैंने अपने महावर लगे गोरे गोरे पैरों की ओर देखा ,
इन पैरों के तो वो , ... सच्ची में वो चरणदास थे ,
और मेरे बिछुओं की रुनझुन , ...
मैंने हलके से अपने पैरों को हिलाया ,
बिछुए मेरे झुंझुनाये , ...
असर उनके सोते खूंटे पर हुआ , ...
और अगले पल वो ' मोटू ' मेरे गोरे चिकने मखमली पैरों के बीच ,
कई बार ' मेरे उन पांच दिनों में ' मैंने उन्हें सिर्फ तलुवों से रगड़ के पैर से रगड़ के झाड़ चुकी थी , ...
कुछ देर तक मैं सिर्फ अपने दोनों पैरों के बीच ' उसे ' दबाये रही ,
फिर हलके हलके मेरे पैरों ने हिलना शुरू किया ,
मम्मी मेरी शरारत देख रही थीं , मुस्करा रही थीं ,
उनके दामाद की हम दोनों मिल के रगड़ाई कर रहे थे ,
मेरे घुंघरू वाले बिछुए गुनगुना रहे थे ,
थोड़ी देर में मेरे पायल के घुंघरू भी गाने लगे साथ साथ , मैंने रफ़्तार बढ़ा दी थी , और सोया शेर जाग रहा था , ...
मम्मी ने उनके सर पर जोर कुछ कम किया ,
और वो भी अब मम्मी का एक एक इशारा समझने लगे थे ,
हलके से उन्होंने सर उठाया , मम्मी की बुर में लगी सब मलाई उन्होंने चाट चाट कर साफ़ कर दी थी ,
पर प्रेम गली के अंदर अभी भी ,
बस अपनी दोनों उँगलियों से उन्होंने अपनी सास की दोनों फांकों को फैलाया और कस एक जीभ पूरी जड़ तक ठेल दी ,
और फिर गोल गोल , ...
मैंने पैरों के बीच मथानी की तरह , उनके उस मोटे मुस्टंडे को मसल रगड़ रही थी।
अब वह जग गया था
और उधर वो पूरी तरह मुंह अपनी सास की बिल से चिपकाए , जीभ अंदर ठेले , पूरी ताकत से सास की बुर से अपनी मलाई की एक एक बूँद चाट रहे थे
उनकी सास कस के अपने दामाद का सर अपनी जाँघों के बीच में दबाये अपनी बुर चुसवा , चटवा रही थीं , ...
दामाद के दोनों होंठ सास की बुर से चिपके , वैक्यूम क्लीनर से भी जोर से चूस रहे थे , ..
और जीभ उनकी सास की पूरी गहराई में घुसी , उनके अपने लंड की मलाई चाट चाट के साफ़ कर रही थी , ...
मम्मी मेरी ओर तारीफ़ की नजर से देख रही थीं की कैसे पक्का कम स्लट मैंने इन्हे बना दिया , ...
और तभी उनकी निगाह मेरे दोनों पैरों के बीच में दबे इनके मोटू की ओर पड़ी तो वो मुस्करा उठीं ,
अब वो एकदम जग गया था , पूरा तन्नाया , खड़ा , फनफनाया , कड़ा , मोटा , ... पूरे बालिश्त भर का ,
अब वो भी एक एक बून्द अपनी सास के अंदर से मलाई चाट चुके थे , ...
बस झुक के सास ने मोटा खूंटा गड़प कर लिया ,
दामाद के चूसने चाटने का असर उनपर भी होगया था वो भी एकबार फिर से गरमा रही थीं ,
मेरे चेहरे की ओर देख कर मम्मी समझ गयीं ,
और उन्होंने इशारा किया मैं भी आ जाऊं उनके दामाद का खूंटा चूसने चाटने में ,
ऐसी तैसी करने में ,
बस हम दोनों मिल के , ...
लेकिन मैं मान गयी मम्मी को ,
उन की सास ने मुझसे तीन तिरबाचा भरवाया था की आज रात सिर्फ उनकी सास के नाम ,
और आज वो उसे पक्का मादरचोद बना के छोड़ेंगी , ...
आज वो मूसल मुझे नहीं मिलेगा ,
लेकिन चोर चोरी से जाय , हेरा फेरी से थोड़े ही जाता है , ...
मैं पलंग के दूसरी ओर बैठी , सास दामाद की प्रेम लीला देख रही थी , ...
मुंह उनका सास की सेवा कर रहा था ,
पर ' वो ' ,... मोटे मूसलचंद तो खाली थे ,
हाँ दो बार अपनी सास को मेरी सास समझ कर जो उन्होंने पूरे जोश से चोदा था , ....तो वो भी थोड़ा सोया , थोड़ा थका ,...
पर मुझे इससे क्या फरक पड़ता था , .... वो मुझे छोड़ते थे क्या , ...
मैंने अपने महावर लगे गोरे गोरे पैरों की ओर देखा ,
इन पैरों के तो वो , ... सच्ची में वो चरणदास थे ,
और मेरे बिछुओं की रुनझुन , ...
मैंने हलके से अपने पैरों को हिलाया ,
बिछुए मेरे झुंझुनाये , ...
असर उनके सोते खूंटे पर हुआ , ...
और अगले पल वो ' मोटू ' मेरे गोरे चिकने मखमली पैरों के बीच ,
कई बार ' मेरे उन पांच दिनों में ' मैंने उन्हें सिर्फ तलुवों से रगड़ के पैर से रगड़ के झाड़ चुकी थी , ...
कुछ देर तक मैं सिर्फ अपने दोनों पैरों के बीच ' उसे ' दबाये रही ,
फिर हलके हलके मेरे पैरों ने हिलना शुरू किया ,
मम्मी मेरी शरारत देख रही थीं , मुस्करा रही थीं ,
उनके दामाद की हम दोनों मिल के रगड़ाई कर रहे थे ,
मेरे घुंघरू वाले बिछुए गुनगुना रहे थे ,
थोड़ी देर में मेरे पायल के घुंघरू भी गाने लगे साथ साथ , मैंने रफ़्तार बढ़ा दी थी , और सोया शेर जाग रहा था , ...
मम्मी ने उनके सर पर जोर कुछ कम किया ,
और वो भी अब मम्मी का एक एक इशारा समझने लगे थे ,
हलके से उन्होंने सर उठाया , मम्मी की बुर में लगी सब मलाई उन्होंने चाट चाट कर साफ़ कर दी थी ,
पर प्रेम गली के अंदर अभी भी ,
बस अपनी दोनों उँगलियों से उन्होंने अपनी सास की दोनों फांकों को फैलाया और कस एक जीभ पूरी जड़ तक ठेल दी ,
और फिर गोल गोल , ...
मैंने पैरों के बीच मथानी की तरह , उनके उस मोटे मुस्टंडे को मसल रगड़ रही थी।
अब वह जग गया था
और उधर वो पूरी तरह मुंह अपनी सास की बिल से चिपकाए , जीभ अंदर ठेले , पूरी ताकत से सास की बुर से अपनी मलाई की एक एक बूँद चाट रहे थे
उनकी सास कस के अपने दामाद का सर अपनी जाँघों के बीच में दबाये अपनी बुर चुसवा , चटवा रही थीं , ...
दामाद के दोनों होंठ सास की बुर से चिपके , वैक्यूम क्लीनर से भी जोर से चूस रहे थे , ..
और जीभ उनकी सास की पूरी गहराई में घुसी , उनके अपने लंड की मलाई चाट चाट के साफ़ कर रही थी , ...
मम्मी मेरी ओर तारीफ़ की नजर से देख रही थीं की कैसे पक्का कम स्लट मैंने इन्हे बना दिया , ...
और तभी उनकी निगाह मेरे दोनों पैरों के बीच में दबे इनके मोटू की ओर पड़ी तो वो मुस्करा उठीं ,
अब वो एकदम जग गया था , पूरा तन्नाया , खड़ा , फनफनाया , कड़ा , मोटा , ... पूरे बालिश्त भर का ,
अब वो भी एक एक बून्द अपनी सास के अंदर से मलाई चाट चुके थे , ...
बस झुक के सास ने मोटा खूंटा गड़प कर लिया ,
दामाद के चूसने चाटने का असर उनपर भी होगया था वो भी एकबार फिर से गरमा रही थीं ,
मेरे चेहरे की ओर देख कर मम्मी समझ गयीं ,
और उन्होंने इशारा किया मैं भी आ जाऊं उनके दामाद का खूंटा चूसने चाटने में ,
ऐसी तैसी करने में ,
बस हम दोनों मिल के , ...
लेकिन मैं मान गयी मम्मी को ,