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Fantasy माया- एक अनोखी कहानी
#70
११ 

माँठाकुराइन हमारे घर कुल तीन दिन तक रुकी| इन तीन दिनों में हर रात को उन्होंने मुझसे छाया मौसी की मालिश करवाई फिर उन्होंने खुद अपनी मालिश करवाई और उसके बाद उस दिन रात की तरह मुझे अपने साथ लेकर सोई और मेरे साथ लगातार उन्होंने सहवास भी किया... 


अब तो मुझे इसकी लत लग गई थी और माँठाकुराइन को यह समझ में गया था| उन्होंने कहा कि वह कुछ हफ़्तों बाद फिर हमारे घर आएँगीलेकिन इस बार वह छाया मौसी के जोड़ों का दर्द का इलाज करने नहींबल्कि उन्होंने मुझसे जो वादा किया था वो निभाने आएगीताकि छाया मौसी भी इस काबिल हो सके वह मेरे बदन की भूख को मिटा सके...

***

एक महीने के अंदर ही मैंने छाया मौसी के अंदर एक बदलाव सा देखा... छाया मौसी अब इस काबिल हो चुकी थी कि वह मुझे यौनरूप से खुश रख सकेमाँठाकुराइन ने अपना वादा पूरा कर दिया था... छाया मौसी का भागंकुर भी अब ज़रूरत पड़ने पर पुरुष के लिंग की तरह विकसित हो जाया करता था| वह भी अब उसे मेरे भग एक लिंग की तरह घुसा कर मैथुन कर सकती थीपर कभी कबार मैं सोचती हूँ….

माँठाकुराइन तो एक समकामी औरत थी और पेशे से जादू टोने वाली एक तांत्रिक| तांत्रिक लोगों के तौर-तरीके कुछ और ही होते हैं| वह समाज से लगभग अकेले अपनी ही दुनिया में अलग रहते हैं और माँठाकुराइन जैसी तांत्रिक महिला भी अकेली ही रहा करती थी|

शायद इसीलिए उस रात को उन्हें मेरे सहारे की... मेरी जवानी की जरूरत पड़ी थी?... जो उन्हें मिल गई... लेकिन छाया मौसी उनकी बातों आख़िर में क्यों गई?

एक आम लड़की की तरह शायद कुछ दिनों बाद मेरी भी शादी हो जाती| तब मुझे भी अपने ससुराल चले जाना पड़ता| क्या छाया मौसी चाहती थी कि मैं अभी कुछ और सालों तक उनके साथ ही रहूं, उनकी देखभाल करूँ और उनका अकेलापन दूर करती रहूं
 
जाते जाते माँठाकुराइन ने कहा था कि उनको मुझसे एक और चीज की भी जरूरत है... कहीं उन्होंने ऐसा ही कुछ छाया मौसी से भी तो नहीं कह रखा था? जाने वह मुझ गरीब से अब माँठाकुराइन क्या मांगने वाली थी?

मैंने छाया मौसी की तरफ एक बार देखा, उनकी सेहत में काफी सुधार आया था, वह रसोई घर में बैठकर सब्जियां काट रही थी और बीच-बीच में अपने गले में पहने हुए चाँदी के लॉकेट को सहला रही थींजहाँ तक मुझे पता है, यह लाकेट उन्होने बचपन से पह्न रखा था पर उनका का नाम लिखा हुआ था- छाया... पता नहीं शायद कभी ना कभी मुझे इन सवालों का जवाब जरुर मिलेगा

तभी तेज हवा सी चली और मेरा ध्यान जासे पहले की तरह भटकने लगा…. मुझे अचानक से ध्यान आयाअभी घर के बहुत सारे काम बाकी पड़े हैं... उसके बाद मुझे छाया मौसी का हाथ भी बटाना है और फिर रात को उनकी सेवा भी करनी है... उनकी सेवा का ख्याल मन में आते ही मुझे महसूस होने लगा कि पेट के निचले हिस्से में थोड़ी गुदगुदी सी महसूस होने लगीमेरी यौनांग के आस-पास का हिस्सा गीला थोड़ा चिपचिपा सा लग रहा है… 

फिर से तेज़ हवा का एक झोंका आया और मुझे यह एहसास हुआ खड़े खड़े ना जाने मैं क्या सोच रही थी... अभी घर के बहुत सारे काम बाकी पड़े हैं... मुझ रखैल को तो अभी अपनी छाया मौसी की सेवा करनी है... उन्हें शिकायत का कोई मौका नहीं देना है... उनको और माँठाकुराइन को हमेशा खुश रखना है|

मुझे सब कुछ त्यागना होगा... अपना सारा गर्व... अपना सारा सनमान... माँठाकुराइन के अनुसार जब तक मैं घर के अंदर हूं, मुझे उन लोगों के सामने बिल्कुल नंगी होकर रहना पड़ेगा और हां मुझे तो अपने बालों को भी बांधने की इजाजत नहीं है...
फिलहाल मैं एक जवान सुंदर लड़की हूं... मेरा भविष्य मेरे दो टांगों के बीच में ही है... मेरा तन मन धन सब कुछ छाया मौसी और माँठाकुराइन के अधीन है|

इतने में रसोई घर से आवाज आई, माया अरि ओ माया

आई, मालकिन”, यह कह कर मैं छाया मौसी का हाथ बटाने में रसोई में चली गई|
 
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RE: माया- एक अनोखी कहानी- समाप्ति - by naag.champa - 30-01-2019, 11:14 AM



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