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Fantasy माया- एक अनोखी कहानी
#69
अध्याय १०

उस रात माँठाकुराइन ने मेरे साथ कुल चार- पांच बार सहवास किया, पूरे जोश और ओज के साथ... दूसरी और तीसरी बार से मुझे इतनी तकलीफ नहीं हुई जितनी कि पहली बार हुई थी... बल्कि मुझे तो मजा आने लगा था| उसके बाद पता नहीं कब मैं सो गई थी| जब उठी तो मैंने देखा कि दिन चढ़ आया है|

मैं उठ कर बैठी और मैंने देखा की चटाई पर जगह-जगह मेरे खून के धब्बे बने हुए थे, माँठाकुराइन ने जब अपना भागंकुर मेरे भग में घुसाया था, तब मेरी कौमर्य झिल्ली फट गई थी और यह खून के धब्बे उसी का नतीजा था मैं थोड़ा मुस्कुराई और मैंने सोचा अब मैं खिलती हुई कली से अब एक फूल बन चुकी हूं... मैं अपनी ज़िंदगी की एक सीढ़ी और चढ़ चुकी हूँ

लेकिन कल रात जो मेरे साथ हुआ, उसकी वजह से मेरे बदन में हल्का हल्का दर्द सा महसूस हो रहा था| खासकर दो टांगों के बीच में... मेरे गुप्तांग में... कि इतने में पता नहीं कब माँठाकुराइन की भी नींद खुल गई थी|

मैं आगे की तरफ झुकी हुई थी| मेरे खुले बालों से मेरे चेहरे का एक तरफ ढक सा गया था| मैं मन ही मन मुस्कुराती हुई अपने कोमल अंग को सहला रही थी...

उन्होंने मेरे चेहरे से मेरे बाल हटाए और मेरे गालों को चूमा| मैं जैसे ही उनकी तरफ देखी, उन्होंने प्यार से मेरा चेहरा अपनी दोनों हथेलियों में लेकर मेरे होठों को चूमा और फिर अपनी जीभ से चाटा...

बीती रात की गर्मी मेरे अंदर शायद अभी भी बची हुई थी| इसलिए मैंने अपना मुंह खोल कर उनकी जीभ को अपने मुंह के अंदर के ले कर और चूसने लगी

कुछ देर बाद उन्होंने मेरे से कहा, “तेरी जवानी का स्वाद तो मैंने चख लिया लड़कीबहुत अच्छा लगा मुझे... फिलहाल मैं जो तुझे बताने जा रही हूं; उसे ध्यान से सुन! आज के बाद तुझे अपनी छाया मौसी के साथ ही पूरी जिंदगी बितानी है... जैसे एक पत्नी अपने पति के घर रहती है वैसे ही तू, अपनी मौसी के साथ ही रहेगी… उसकी रखैल बन कर…. और हां तुझे वह सब कुछ करना है अपनी छाया मौसी के साथ जो तूने मेरे साथ कल रात को किया…”

“पत्नी? रखैल?... अगर ऐसी बात है तो आप मुझे अपनी रखैल बना कर अपने साथ क्यों नहीं ले जातीं?” मैं बीच में ही बोल पड़ी, “मैं आपके लिए वह सब करने को तैयार हूँ जो आप मुझे छाया मौसी के लिए करने को बोल रही हैं... और फिर आप कह रही हैं कि मैं उनकी रखैल बन कर रहूं? वह सब करू जो कल रात मैंने आप के साथ किया? लेकिन जो यौन सुख आप मुझे दे सकती हैं, वह छाया मौसी कहाँ मुझे दे पाएंगी?

मेरा इस तरह से बीच में बोल पड़ना और थोड़ा ऊंची आवाज में बात करना शायद मठाकुराइन को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था, यह मैं उनकी आंखों में अचानक आए गुस्से को देख कर ही भांप गई थीलेकिन पल भर में ही उन्होंने अपना गुस्सा शांत कर लिया क्योंकि शायद उन्हें पता था अभी मैं नादान हूं... इस मामले में मैं बिलकुल कच्ची हूं| फिर वह बोलीं, “तू बस इतना याद रख कर छोरी अभी तुम नई-नई रखैल बनने जा रही है, अभी तुझे बहुत कुछ जानना, सीखना और समझना बाकी है... तू बस इतना याद रख, अब से तेरी जिंदगी का सिर्फ एक ही मकसद है, सिर्फ और सिर्फ अपनी छाया मौसी को खुश रखना और उनकी देखभाल करना… साथ में जैसा जैसा मैं कहूं बिल्कुल वैसा वैसा ही करना... और हां इस बात का इत्मीनान रख... मैं तुझे भी खुश देखना चाहती हूं| मैंने अपनी तांत्रिक शक्तियों से ऐसा इंतजाम कर दिया है कि एक महीने के अंदर अंदर तेरी छाया मालकिन का भागांगकुर भी एक पुरुष के लिंग की तरह विकसित हो जायेगा- जैसा कि मेरा हो चूका है-  वह भी मेरी तरह तेरे भग में अपना रूपांतरित भागांगकुर डालकर मैथुन कर पाएगी… इसलिए याद रखना, लड़की तू तेरी मालकिन की रखैल है... इसलिए अपनी मालकिन को यौनरूप से संतुष्ट करना भी तेरा कर्त्तव्य है, तेरे बदन में जो जवानी की भूख है वह ऐसे ही नहीं मरेगी... मैंने कहा ना मुझ पर भरोसा रख; मैं तेरी जिंदगी बदल दूंगी...”

जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था की माँठाकुराइन मेरे से यह कहना चाह रही हैं कि आज के बाद मुझे और विनम्र हीन और आज्ञाकारी बनकर रहना होगा| मुझे अपनी सारी शर्मो-हया को त्यागना होगा और इस लिहाज़ से मुझे अब ज़्यादातर समय नंगी ही रहना होगा...

फिर भी मैंने हिम्मत करके इसी तरह से अपनी नजरें माठकुराइन से मिलाई और बोली, “लेकिन इन सबके लिए क्या छाया मौसी राजी हो जाएँगी? क्या वह भी आपकी तरह मेरे साथ सहवास करेंगी?”

हां हां बिल्कुल तो इत्मीनान रख, मेरी छाया से इस बारे में बात हो चुकी है... वह तुझे अपनी रखैल बनाने को तैयार है, पर अच्छा एक बात और आज से छाया को मौसी नहीं मालकिन कहकर बुलाना... आज से मौसीवाला रिश्ता ख़तम... मैं एक छोटी सी रसम निभाऊंगी और तुम दोनों का समकामी जोड़ा बना दूंगीठीक वैसे ही जैसे शादी के बाद पति और पत्नी बनते हैं ठीक वैसे ही तुम मालकिन और रखेल बन जाओगी

हाँ, माँठाकुराइन ने जैसे मेरे उपर एक जादू सा कर दिया था... मैं पूरी की पूरी उनके वश में थी...

क्रमश: 
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RE: माया- एक अनोखी कहानी-10 - by naag.champa - 30-01-2019, 11:11 AM



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