29-12-2019, 01:12 AM
वो तो मैने अंदर आते ही बंद कर लिया था.. अब जल्दी से मुझे इन दोनो को चूमने दो.. उतार दो इस कुर्ते को.. अब इसका हमारे बीच मे क्या काम..
मनीष की बात सुन कर मुझे हल्की सी हँसी आ गयी.. मैने सीधे हो कर जब तक अपना कुर्ता उतारा तब तक मनीष ने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया ओर उसे हल्का सा नीचे सरका कर अपने पैरो से पूरा नीचे कर दिया.. गर्मी की वजह से मैने अंदर ब्रा ऑर पॅंटी नही पहनी थी.. वैसे भी घर मे मैं ओर मनीष ही रहते है.. मनीष के चक्कर मे मेरी ब्रा ऑर पॅंटी की आदत कम हो गयी थी.. जब कभी हम बाहर जाते थे तभी मैं पहनती थी..
कुर्ते के हट’ते ही मनीष ने छ्होटे बच्चे की तरह अपना मुँह मेरे एक उरोज पर जमा दिया.. मैं बिस्तर पर एक दम सीधी लेटी हुई थी.. मनीष एक हाथ से मेरी दूसरी उरोज दबा रहे थे ओर उनका एक हाथ मेरी योनि मे अंदर बाहर चल रहा था..
मनीष के साथ मे पूरी तरह से खूल कर आवाज़ करते हुए सेक्स का मज़ा लेती थी पर घर पर उस गाँव वाले अमित के आजाने से.. मैं खुल कर आवाज़ नही निकल पा रही थी जिस कारण मेरी उत्तेजना ऑर भी ज़्यादा बढ़ती जा रही थी.. ऑर इसी उत्तेजना के कारण मैं एक बार झाड़ चुकी थी.. मनीष की उंगलिया बराबर मेरी योनि मे अंदर बाहर हो रही थी.. थोड़ी ही देर मे मनीष ने मेरी दोनो टाँगो को घुटने से मोड़ कर दोनो टांगे हवा मे कर दी जिस से मेरी योनि खुल कर उनके सामने आ गयी थी.. मनीष ने अपना लिंग मेरी योनी की लकीर पर उपर से नीचे, नीचे से उपर फिराना शुरू कर दिया.. अब मैं अपना आपा पूरी तरह से खो चुकी थी ओर मेरे मुँह से ज़ोर ज़ोर से सिसकारिया निकालने लग गयी थी.. पूरा बदन पसीने मे तर बदर हो गया था..
आआआआआआअहह……. आआअहह… कम ऑन मनीष कम ऑन… मेरे मुँह से तेज तेज आवाज़ सुन कर मनीष ने मेरे मुँह पर हाथ लगा लिया ओर अपने लिंग को योनि के छेद पा टीका कर धीरे धीरे पूरा लिंग अंदर कर दिया.. ओर आगे पीछे होने लगे.. थोड़ी देर यही सिलसिला चलता रहा.. ओर फिर हम दोनो एक साथ खाली हो कर एक दूसरे से चिपक कर नंगे ही सो गये..
रात को करीब 12.30 बजे मेरी आँख खुल गयी.. मनीष मेरे बगल मे ही सो रहे थे ऑर ज़ोर ज़ोर से खर्राटे ले रहे थे.. मुझे बोहोत ज़ोर से प्रेशर लगा हुआ था मैने अपने कपड़े पहने ऑर बेडरूम से बाहर आ कर दबे पाँव(ताकि वो पीनू का बच्चा ना जाग जाए) से टाय्लेट की तरफ चल कर टाय्लेट मे आ गयी..
जब मैं टाय्लेट से बाहर निकली तो मेरे होश उड़ गये.. टाय्लेट के दरवाजे पर वो पीनू का बच्चा खड़ा हुआ था.. उसे वाहा दरवाजे पर खड़ा देख कर मैं बुरी तारह हड़बड़ा गयी..
तूमम्म्म……. तुम यहा क्या कर रहे हो ?? मैने उसको देख कर गुस्से से कहा..
माफ़ करना भाभी जी.. मुझे बोहोत ज़ोर से पेशाब लगी हुई थी.. उसने अपना एक हाथ अपने लिंग पर लगा रखा था.. उसने नाडे वाला अंडरवेर पहन रखा था उसके अंडरवेर मे उसका लिंग तन कर टेंट बना रहा था.. उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी ओर उसका एक हाथ बराबर उसके लिंग के उपर चल रहा था..
उसकी इस हरकत से मैं बुरी तरह से तिलमिला गयी ओर नाक-मुँह सिकोड कर वाहा से अपने कमरे के लिए चल दी..
आआहह….आआहह.. कम ऑन… कम ऑन…. हहे हहे… उसने हस्ते हुए कहा ओर टाय्लेट के अंदर घुस गया..
मैने जब पीछे पलट कर देखा तो मुझे टाय्लेट का दरवाजा बंद मिला..
हे भगवान… मेरा मुँह खुला का खुला रहा गया.. मतलब कि इसने सब सुन लिया.. मैं शर्म से पानी पानी हो गयी उसकी बात सुन कर.. पर मेरे दिमाग़ मे उसके लिए नफ़रत ऑर बढ़ गयी थी.. बेशर्मी तो देखो मेरे सामने ही मेरा मज़ाक उड़ा रहा है.. मुझे अब इस बारे मे मनीष से बात करनी होगी.. मैने मन ही मन सोचा ऑर वापस अपने कमरे मे आ कर मनीष की बगल मे लेट गयी..
मनीष की बात सुन कर मुझे हल्की सी हँसी आ गयी.. मैने सीधे हो कर जब तक अपना कुर्ता उतारा तब तक मनीष ने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया ओर उसे हल्का सा नीचे सरका कर अपने पैरो से पूरा नीचे कर दिया.. गर्मी की वजह से मैने अंदर ब्रा ऑर पॅंटी नही पहनी थी.. वैसे भी घर मे मैं ओर मनीष ही रहते है.. मनीष के चक्कर मे मेरी ब्रा ऑर पॅंटी की आदत कम हो गयी थी.. जब कभी हम बाहर जाते थे तभी मैं पहनती थी..
कुर्ते के हट’ते ही मनीष ने छ्होटे बच्चे की तरह अपना मुँह मेरे एक उरोज पर जमा दिया.. मैं बिस्तर पर एक दम सीधी लेटी हुई थी.. मनीष एक हाथ से मेरी दूसरी उरोज दबा रहे थे ओर उनका एक हाथ मेरी योनि मे अंदर बाहर चल रहा था..
मनीष के साथ मे पूरी तरह से खूल कर आवाज़ करते हुए सेक्स का मज़ा लेती थी पर घर पर उस गाँव वाले अमित के आजाने से.. मैं खुल कर आवाज़ नही निकल पा रही थी जिस कारण मेरी उत्तेजना ऑर भी ज़्यादा बढ़ती जा रही थी.. ऑर इसी उत्तेजना के कारण मैं एक बार झाड़ चुकी थी.. मनीष की उंगलिया बराबर मेरी योनि मे अंदर बाहर हो रही थी.. थोड़ी ही देर मे मनीष ने मेरी दोनो टाँगो को घुटने से मोड़ कर दोनो टांगे हवा मे कर दी जिस से मेरी योनि खुल कर उनके सामने आ गयी थी.. मनीष ने अपना लिंग मेरी योनी की लकीर पर उपर से नीचे, नीचे से उपर फिराना शुरू कर दिया.. अब मैं अपना आपा पूरी तरह से खो चुकी थी ओर मेरे मुँह से ज़ोर ज़ोर से सिसकारिया निकालने लग गयी थी.. पूरा बदन पसीने मे तर बदर हो गया था..
आआआआआआअहह……. आआअहह… कम ऑन मनीष कम ऑन… मेरे मुँह से तेज तेज आवाज़ सुन कर मनीष ने मेरे मुँह पर हाथ लगा लिया ओर अपने लिंग को योनि के छेद पा टीका कर धीरे धीरे पूरा लिंग अंदर कर दिया.. ओर आगे पीछे होने लगे.. थोड़ी देर यही सिलसिला चलता रहा.. ओर फिर हम दोनो एक साथ खाली हो कर एक दूसरे से चिपक कर नंगे ही सो गये..
रात को करीब 12.30 बजे मेरी आँख खुल गयी.. मनीष मेरे बगल मे ही सो रहे थे ऑर ज़ोर ज़ोर से खर्राटे ले रहे थे.. मुझे बोहोत ज़ोर से प्रेशर लगा हुआ था मैने अपने कपड़े पहने ऑर बेडरूम से बाहर आ कर दबे पाँव(ताकि वो पीनू का बच्चा ना जाग जाए) से टाय्लेट की तरफ चल कर टाय्लेट मे आ गयी..
जब मैं टाय्लेट से बाहर निकली तो मेरे होश उड़ गये.. टाय्लेट के दरवाजे पर वो पीनू का बच्चा खड़ा हुआ था.. उसे वाहा दरवाजे पर खड़ा देख कर मैं बुरी तारह हड़बड़ा गयी..
तूमम्म्म……. तुम यहा क्या कर रहे हो ?? मैने उसको देख कर गुस्से से कहा..
माफ़ करना भाभी जी.. मुझे बोहोत ज़ोर से पेशाब लगी हुई थी.. उसने अपना एक हाथ अपने लिंग पर लगा रखा था.. उसने नाडे वाला अंडरवेर पहन रखा था उसके अंडरवेर मे उसका लिंग तन कर टेंट बना रहा था.. उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी ओर उसका एक हाथ बराबर उसके लिंग के उपर चल रहा था..
उसकी इस हरकत से मैं बुरी तरह से तिलमिला गयी ओर नाक-मुँह सिकोड कर वाहा से अपने कमरे के लिए चल दी..
आआहह….आआहह.. कम ऑन… कम ऑन…. हहे हहे… उसने हस्ते हुए कहा ओर टाय्लेट के अंदर घुस गया..
मैने जब पीछे पलट कर देखा तो मुझे टाय्लेट का दरवाजा बंद मिला..
हे भगवान… मेरा मुँह खुला का खुला रहा गया.. मतलब कि इसने सब सुन लिया.. मैं शर्म से पानी पानी हो गयी उसकी बात सुन कर.. पर मेरे दिमाग़ मे उसके लिए नफ़रत ऑर बढ़ गयी थी.. बेशर्मी तो देखो मेरे सामने ही मेरा मज़ाक उड़ा रहा है.. मुझे अब इस बारे मे मनीष से बात करनी होगी.. मैने मन ही मन सोचा ऑर वापस अपने कमरे मे आ कर मनीष की बगल मे लेट गयी..