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Adultery एक नंबर के ठरकी (from internet)
#54
गुप्ताजी ने पिछली बाजी शशांक से जीती थी...इसलिए उन्होने ही इस बार का वेरीएशन सिलेक्ट किया था.

इस बार का वेरीएशन था मुफ़लिस.

इसके अनुसार जिसके पास सबसे छोटे पत्ते होंगे, वो बाजी जीत जाएगा.

उन्होने पत्ते बाँटे और सबने बूट के 500 रूपए डालने के बाद 2-2 ब्लाइंड चल दी..

सरदारजी की बारी थी...उन्होने तीसरी ब्लाइंड चल दी.

कपूर साहब को भी ना जाने क्या सूझा,उन्होंने भी ब्लाइंड चल दी.

राहुल का नंबर आया तो उसने रिस्क लेना सही नही समझा...उसने पत्ते उठा ही लिए.

और इस बार फिर से अपने पत्ते देखकर उसकी आँखे चमक गयी...उसने तुरंत एक हज़ार का नोट फेंकते हुए चाल चल दी.

अपने पति को इतने उत्साह के साथ चाल चलता देखकर सबा खुश हो गयी...वो तो पिछली जीत के पैसो के मिलने के बाद से ही काफ़ी उत्साहित थी...और जानती थी की राहुल ने चाल चली है,तो उसके पास ज़रूर अच्छे पत्ते आए होंगे.

शशांक ने भी सरदारजी और कपूर की तरह एक और ब्लाइंड चल दी...और वो भी एक हज़ार की...ये जानते हुए भी की राहुल की चाल आ चुकी है.

अब जो भी पत्ते देखकर चाल चलता तो उसे डबल यानी 2 हज़ार की चाल चलनी पड़ेगी.

गुप्ताजी ने पत्ते उठा लिए.

पिछली गेम जीतने के बाद उनके पास करीब 20 हज़ार रूपए आए थे...और इस बार के पत्ते भी खेलने लायक तो थे...उनके पास 3,7 और 10 नंबर आए थे...उन्होने 2 हज़ार की चाल चल दी.

सरदारजी ने अपने पत्ते उठाए...उन्हे चूमा और इस बार अपने पत्ते देखकर उनका चेहरा खिल गया...उन्होने तुरंत चाल को बढ़ाते हुए 3 हज़ार कर दिया...और अपनी मूँछो पर ताव देने लगे...

कपूर साहब की तो किस्मत ही खराब थी....उन्होने अपने पत्ते उठाए..और सबके सामने फेंकते हुए पेक कर दिया...उनके पास इकके के साथ हुक्म का कलर आया था...मुफ़लिस में ऐसे पत्ते आने पर कितना दुखा होता है,ये आज उन्हे समझ आ रहा था.नॉर्मल गेम में अगर ये पत्ते आए होते तो वो सब की खाट खड़ी कर देते.

राहुल ने बड़े ही आराम से 3 हज़ार की चाल चल दी.

शशांक समझ गया की ये गेम लंबी जाने वाली है..उसने पत्ते उठा कर देखे तो उसके पास 2 का पेयर आया था...उसने भी तुरंत पेक कर दिया.

गुप्ताजी तो सोच में पड़ गये...लेकिन उन्होने पिछली गेम जीती थी,इसलिए उन्होने एक और चाल खेलना सही समझा...और काफ़ी देर तक सोचने के बाद उन्होने भी 3 हज़ार की चाल चल दी.

सरदारजी तो अपने पत्तो को चूम-2 कर खुश हुए जा रहे थे....उन्होने इस बार 4 हज़ार की चाल चली.

राहुल ने बिना किसी रिएक्शन के 4 हज़ार चल दिए.

गुप्ताजी समझ गये की उनका अब इस गेम में कोई काम नही है..उन्होने पेक कर दिया.

अब सरदारजी और राहुल बचे थे. सरदारजी ने फिर से 4 हज़ार की चाल चली.

राहुल ने भी उसका जवाब चाल से ही दिया. कमरे में बैठे सभी लोगो का ध्यान इन दोनो पर ही था.

लेकिन सुमन का टेबल के पत्तो से ज़्यादा ध्यान राहुल पर था...और उसे अपनी तरफ ताकते हुए सिर्फ़ राहुल ही देख पा रहा था.दोनों की आँखों में एक दूसरे के लिए बढ़ती चाहत साफ़ देखी जा सकती थी ।

सबा मन ही मन कोई कलमा पढ़कर अपने पति के जीतने की दुआ माँग रह थी..डिंपल सरदारनी का भ कुछ-2 ऐसा ही हाल था...वो भी मन ही मन कुछ बुदबुदा रही थी.

राहुल को इतने आराम से चाल चलते देखकर गुरपाल भी सोच में पड़ गया...ये पत्तो के खेल में कुछ भी हो सकता है...वैसे भी उसके पास सबसे छोटे पत्ते तो आए नही थे...3,4 और 6 नंबर थे उसके पास..

वैसे भी वो अपने लाए हुए 20 हज़ार तो आज की रात उड़ा ही चुका था...उसका मन बोल रहा था की चाल चलता रह..लेकिन दिमाग़ कह रहा था की शो माँग लेना चाहिए..

उसने राहुल से कहा : "देख राहुल भ्रा...पत्ते तो मेरे पास अच्छे है...लेकिन आज मैं और रिस्क लेने की कंडीशन में नही हू...इसलिए तू शो दे दे मुझे...''

उसने गुप्ताजी से 8 हज़ार रुपय लिए और उन्हे बीच में फेंक कर शो माँग लिया.

राहुल ने बड़े ही आराम से अपने पत्ते एक-2 करके दिखाने शुरू किए...

वो बोला : "ये रहा मेरा सबसे बड़ा पत्ता...''

और उसने 6 बीच मे फेंक दिया...

सरदरजी की आँखे चमक उठी ...उन्होने भी अपना 6 का पत्ता बीच मे फेंक दिया.

राहुल ने अगला पत्ता फेंका...वो 4 था..

सरदारजी ने भी बड़ी मुश्किल से अपनी खुशी को कंट्रोल करते हुए 4 बीच में फेंका.

सभी लोग समझ चुके थे की गेम फँसने वाली है....क्या दोनो के पास एक जैसे पत्ते आए है...

अगर हाँ तो उसके अनुसार तो सरदारजी अभी तक जीत रहे थे...उनके पास पान का 6 था...जबकि राहुल ने हुक्म का 6 फेंका था.

लेकिन ऐसा हुआ नही...
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RE: एक नंबर के ठरकी (from internet) - by Deadman2 - 29-12-2019, 01:07 AM



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