29-12-2019, 12:59 AM
मनीष ने मुझे देखा तो बोले अरे निशा तुम उठ गयी.. अपनी उसी प्यार भारी मुस्कुराहट के साथ देखते हुए कहा.. मैने भी मनीष की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया.. पर जब मेरी नज़र उस अमित पर गयी तो मेरा खून खूल उठा उसके चेहरे पर वही घिनूनी मुस्कुराहट कायम थी.. उस पर नज़र पड़ते ही मेरे चेहरे से सारी हसी गायब हो गयी.. मैं वाहा से वापस किचिन की तरफ हो ली रात के खाने की तैयारी करने के लिए..
किचन मे आकर मैं खाना बनाया ओर मनीष को खाने के लिए आवाज़ लगा दी.. थोड़ी ही देर मे हम सबने खाना खा लिया.. उसके देखने ऑर घूर्ने का सिलसिला बदस्तूर जारी था.. खाना खा कर मैं जब हाथ सॉफ करने गयी तो वही दोपहर वाला एहसास की जैसे किसी ने मेरे नितंब पर हाथ फिराया हो.. अबकी बार मुझे पहले से ज़्यादा अच्छी तरह हाथ अपने नितंब पर महसूस हुआ..
मैने पलट कर देखा तो मनीष ऑर वो पीनू दोनो ही मेरे पीछे खड़े हुए थे मेरी समझ मे नही आया कि किसने हाथ लगाया था.. लेकिन आगे की तरफ वो पीनू ही खड़ा हुआ था मुझे उसकी ही हरकत मालूम पड़ रही थी.. मेरे से ये सब ओर बर्दाश्त नही हो रहा था.. मैने मन ही मन फ़ैसला कर लिया था कि मैं इस बारे मे मनीष से बात करूगी.. चाहे जो भी हो.. अब मुझे ये लड़का एक पल भी बर्दाश्त नही है..
मैं वाहा से हाथ सॉफ कर के अपने बेडरूम मे आ गयी.. अपने नितंब पर हाथ महसूस करके बोहोत गुस्से मे थी.. थोड़ी ही देर मे मनीष भी कमरे मे आ गये थे..
क्या बात है बड़ी परेशान सी दिख रही हो ? मनीष ने मेरे चेहरे पर आ रही परेशानियो की लकीरो को देख कर कहा..
ये लड़का यहा से कब जाएगा ? मैने वैसे ही गुस्से भरे हुए अंदाज मे कहा
क्या हुआ जान इतना नाराज़ क्यू हो रही हो ?
मुझे बिल्कुल भी पसंद नही है कि मैं किसी ऐरे गैरे के लिए गरमी मे अपना पसीना बहाऊ.. मुझे वो लड़का बिल्कुल भी पसंद नही है.. उसकी नज़र ठीक नही है.. जब भी देखती हू मुझे देख कर अजीब तरह से मुस्कुराते रहता है.. मैने सॉफ सॉफ कह दिया मनीष से..
अरे निशा ऐसी कोई बात नही है.. वो बचपन से ही ऐसा है.. ऑर तुम्हे देख कर मुस्कुराते ही तो है.. तो इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है..? कहते हुए मनीष मेरे बगल मे आ कर लेट गये ऑर मुझे पीछे से अपनी बाहो मे भरने लगे.. मैने गुस्से के मारे अपने आप को उनसे दूर करने लग गयी..
क्या निशा तुम भी अरे दो दिन के लिए आया है यहा पर उसे एग्ज़ॅम देने है एग्ज़ॅम ख़तम होते ही चला जाएगा ऑर पापा ने ही उसे यहा का अड्रेस दे कर भेजा है.. ताकि उसे कोई तकलीफ़ ना हो.. मनीष ने मुझे पकड़ कर मेरे चेहरे को अपने चेहरे की तरफ घुमा कर मेरी आँखो मे आँखे डाल प्यार से कहा..
पक्का दो दिन बाद चला जाएगा ना ? मैने मनीष की आँखो मे देखते हुए कहा..
मनीष ने अब अपने दोनो हाथ मेरे कंधे से हटा कर मेरे नितंब पर फिराना शुरू कर दिया था.. हां उसने दो दिन के लिए ही बोला है..
मनीष के हाथ अब तेज़ी के साथ मेरे नितंबो पर चलने लग गये थे.. थोड़ी ही देर मे मैं मदहोश होने लग गयी.. मनीष का अब एक हाथ मेरे कुर्ते के उपर से ही मेरे मम्मो पर चल रहा था.. अपने मम्मो पर मनीष का हाथ पड़ते ही मैं ऑर भी ज़्यादा मदहोश होने लग गयी.. नीचे उनका एक हाथ बारी बारी से मेरे नितंबो के गुंबदो को मसल रहा था.. मनीष को मेरे दोनो गुंबदो के साथ खेलने मे बड़ा मज़ा आता था..
क्या कर रहे हो.. छ्चोड़ो भी.. मैने मनीष से मदहोशी भरे अंदाज मे कहा..
कोई भला चूतिया ही होगा जो अपनी इतनी हसीन बीवी को यूँ छ्चोड़ दे.. मनीष ने मेरे बाए मम्मे को छ्चोड़ मेरे दाए मम्मे को मसलना शुरू कर दिया..
दरवाजा तो ठीक से बंद कर लिया है.. मैं जानती थी कि अब मनीष को रोकना मुश्किल है इस लिए मैने दरवाजे के बारे मे पूछा..
किचन मे आकर मैं खाना बनाया ओर मनीष को खाने के लिए आवाज़ लगा दी.. थोड़ी ही देर मे हम सबने खाना खा लिया.. उसके देखने ऑर घूर्ने का सिलसिला बदस्तूर जारी था.. खाना खा कर मैं जब हाथ सॉफ करने गयी तो वही दोपहर वाला एहसास की जैसे किसी ने मेरे नितंब पर हाथ फिराया हो.. अबकी बार मुझे पहले से ज़्यादा अच्छी तरह हाथ अपने नितंब पर महसूस हुआ..
मैने पलट कर देखा तो मनीष ऑर वो पीनू दोनो ही मेरे पीछे खड़े हुए थे मेरी समझ मे नही आया कि किसने हाथ लगाया था.. लेकिन आगे की तरफ वो पीनू ही खड़ा हुआ था मुझे उसकी ही हरकत मालूम पड़ रही थी.. मेरे से ये सब ओर बर्दाश्त नही हो रहा था.. मैने मन ही मन फ़ैसला कर लिया था कि मैं इस बारे मे मनीष से बात करूगी.. चाहे जो भी हो.. अब मुझे ये लड़का एक पल भी बर्दाश्त नही है..
मैं वाहा से हाथ सॉफ कर के अपने बेडरूम मे आ गयी.. अपने नितंब पर हाथ महसूस करके बोहोत गुस्से मे थी.. थोड़ी ही देर मे मनीष भी कमरे मे आ गये थे..
क्या बात है बड़ी परेशान सी दिख रही हो ? मनीष ने मेरे चेहरे पर आ रही परेशानियो की लकीरो को देख कर कहा..
ये लड़का यहा से कब जाएगा ? मैने वैसे ही गुस्से भरे हुए अंदाज मे कहा
क्या हुआ जान इतना नाराज़ क्यू हो रही हो ?
मुझे बिल्कुल भी पसंद नही है कि मैं किसी ऐरे गैरे के लिए गरमी मे अपना पसीना बहाऊ.. मुझे वो लड़का बिल्कुल भी पसंद नही है.. उसकी नज़र ठीक नही है.. जब भी देखती हू मुझे देख कर अजीब तरह से मुस्कुराते रहता है.. मैने सॉफ सॉफ कह दिया मनीष से..
अरे निशा ऐसी कोई बात नही है.. वो बचपन से ही ऐसा है.. ऑर तुम्हे देख कर मुस्कुराते ही तो है.. तो इसमे बुरा मानने वाली क्या बात है..? कहते हुए मनीष मेरे बगल मे आ कर लेट गये ऑर मुझे पीछे से अपनी बाहो मे भरने लगे.. मैने गुस्से के मारे अपने आप को उनसे दूर करने लग गयी..
क्या निशा तुम भी अरे दो दिन के लिए आया है यहा पर उसे एग्ज़ॅम देने है एग्ज़ॅम ख़तम होते ही चला जाएगा ऑर पापा ने ही उसे यहा का अड्रेस दे कर भेजा है.. ताकि उसे कोई तकलीफ़ ना हो.. मनीष ने मुझे पकड़ कर मेरे चेहरे को अपने चेहरे की तरफ घुमा कर मेरी आँखो मे आँखे डाल प्यार से कहा..
पक्का दो दिन बाद चला जाएगा ना ? मैने मनीष की आँखो मे देखते हुए कहा..
मनीष ने अब अपने दोनो हाथ मेरे कंधे से हटा कर मेरे नितंब पर फिराना शुरू कर दिया था.. हां उसने दो दिन के लिए ही बोला है..
मनीष के हाथ अब तेज़ी के साथ मेरे नितंबो पर चलने लग गये थे.. थोड़ी ही देर मे मैं मदहोश होने लग गयी.. मनीष का अब एक हाथ मेरे कुर्ते के उपर से ही मेरे मम्मो पर चल रहा था.. अपने मम्मो पर मनीष का हाथ पड़ते ही मैं ऑर भी ज़्यादा मदहोश होने लग गयी.. नीचे उनका एक हाथ बारी बारी से मेरे नितंबो के गुंबदो को मसल रहा था.. मनीष को मेरे दोनो गुंबदो के साथ खेलने मे बड़ा मज़ा आता था..
क्या कर रहे हो.. छ्चोड़ो भी.. मैने मनीष से मदहोशी भरे अंदाज मे कहा..
कोई भला चूतिया ही होगा जो अपनी इतनी हसीन बीवी को यूँ छ्चोड़ दे.. मनीष ने मेरे बाए मम्मे को छ्चोड़ मेरे दाए मम्मे को मसलना शुरू कर दिया..
दरवाजा तो ठीक से बंद कर लिया है.. मैं जानती थी कि अब मनीष को रोकना मुश्किल है इस लिए मैने दरवाजे के बारे मे पूछा..