30-01-2019, 09:07 AM
काजल (नाराज़गी भरे स्वर मे) : "क्या केशव....तुम भी ना, उसको भगा नही सकते थे क्या...इतना सही सरूर बन चुका था ...साला एन टाइम पर आ टपका...''
केशव : "यार दीदी .... गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है...पर अब मैं भी क्या करू...कोई ज़रूरी बात करनी है उसे...शाम के जुए के बारे में ...हम तो अब ये काम कभी भी कर लेंगे..''
काजल : "ओहो .... तब तो जाकर सुन ही लो .... शायद कोई काम की बात करने आया हो...और रही बात मेरी, तो मैने आज तक इतने साल वेट ही तो किया है...कुछ देर और सही...''
वो अपनी चूत को मसलते हुए बोली..
जुए के बारे मे दोनो भाई-बहन को ऐसे बात करते देखकर सारिका चोंक गयी और बोली : "जुआ .... इसका मतलब आजकल यहाँ जुआ चल रहा है....और ये काजल इसमे इतना इंटरस्ट क्यो ले रही है...''
केशव : "ये सिर्फ़ इंटरस्ट ही नही ले रही, बल्कि खेलती भी है...समझी....मैं नीचे चलता हू ,बाकी की कहानी तुम्हे दीदी सुना देगी.....''
और काजल वो सब सारिका को बताने लगी जिसे सुनकर सारिका हैरान होती चली गयी...और उन दोनो को वहीं बाते करता छोड़कर केशव नीचे आ गया और दरवाजा खोल दिया
बिल्लू अंदर आकर सोफे पर बैठ गया.
केशव : "बोल बिल्लू , क्या बोलना चाहता है...''
बिल्लू : "केशव भाई..ये राणा साला बड़ा चालू हो गया है आजकल...''
केशव : "कैसे ....''
बिल्लू : "भाई...आप तो जानते ही हो, उसके पास पैसे की कमी तो है नही...पर साले को खेलना भी नही आता, ये भी वो जान ही चुका है...इसलिए आजकल जब भी वो खेलता है तो अपने साथ जीवन को रखता है...और जीवन के बारे मे तो आप जानते ही हो भाई, वो साला एक नंबर का जुवारी है...बड़े-2 केसिनो में जाकर जुआ खेलता है और हमेशा जीत कर ही आता है...और इसलिए उसको कोई भी अपने अड्डे पर या केसिनो में आकर खेलने नही देता..क्योंकि कोई भी उसके साथ खेलना नही चाहता..''
जीवन के साथ भी केशव कई बार खेल चुका था...उसकी किस्मत कह लो या हाथ की सफाई, वो कभी भी हारकर गेम से नही उठता था..और अब राणा के साथ जीवन का रहना सच में मुसीबत वाली बात थी..
केशव : "पर ऐसे कोई अपने साथ किसी को लाकर खेल नही खेल सकता...''
बिल्लू : "भाई, मैने भी यही बोला था राणा को, की अगर आना है तो अकेले आना, किसी को साथ मे लेकर जुआ खेलने का कोई रूल नही है अपनी गेंग मे..पर भाई, काजल और आप भी तो ऐसे हो, इसलिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया ''
केशव : "फिर, क्या बोला वो हरामी...''
बिल्लू : "बोलना क्या था भाई...सॉफ माना कर दिया...बोला, मेरे को चूतिया बना कर आजतक जीतने लोगो ने मेरा पैसा जीतना था वो जीत लिया...अब मेरे साथ खेलना है तो जीवन मेरे साथ रहेगा...जमता है तो बोलो...वरना रहने दो..''
केशव : "वो साला इतना अकलमंद लगता तो नही है....इसमे ज़रूर जीवन का कुछ किया धरा होगा...वरना उसे क्या पड़ी थी की अपने साथ जीवन को लेकर घूमता...''
बिल्लू : "भाई, आप समझे नही...राणा ने जीवन के साथ 50-50 की पार्टनरशिप कर रखी है...जो भी जीत का माल होगा, उसमे से दोनो मिलकर शेयर करेंगे...अब जीवन को जितना भी मिल रहा है, उसके लिए बहुत है...वैसे भी उसके साथ कोई जुआ नही खेलता..और दूसरी तरफ राणा के लिए भी फायदे का सौदा है...सुना है जब से उसने जीवन को साथ मे लिया है, वो हारा नही है अब तक...हमेशा जीतकर ही निकला है...अब पैसे जाने से अच्छा तो आने लगे है उसके पास...उसे भी ये पार्टनरशिप सही लग रही है...''
केशव गहरी सोच मे डूब गया..
केशव : "तो तू क्या चाहता है अब...''
बिल्लू (धीरे से) : "देखो भाई....मै यहाँ सिर्फ़ एक बात बोलने आया हू...अगर आप कहो तो राणा को हाँ बोल दू ..अगर ऐसा हो जाता है तो वो जीवन के साथ आएगा और वो दोनो मिलकर बैठेंगे..ऐसे मे अगर हम दोनो भी मिलकर खेले...मतलब दूसरो के लिए हम अलग ही होंगे...पर आपस मे हमारी भी पार्टनरशिप होगी...तो हम दोनो मिलकर उसे और गणेश को भी आसानी से हरा सकते हैं...''
केशव ने सोचा, ये साला मेरे साथ पार्टनरशिप की बातें कर रहा है..ये इतना भी नही जानता की उसके साथ काजल है, और उसकी किस्मत में तो हारना लिखा भी नही है..
पर अच्छी से अच्छी किस्मत भी साथ नही देती अगर जीवन हाथ की सफाई दिखाकर जुआ खेलने पर आ गया..ऐसे मे पार्टनरशिप करके कम से कम नुकसान झेलना पड़ेगा..
काफ़ी देर तक सोचने के बाद केशव बोला : "मुझे लगता है तू सही कह रहा है...हमे भी पार्टनरशिप कर लेनी चाहिए...''
इतना कहकर उसने बिल्लू से हाथ मिलाया और कुछ और बाते करके बिल्लू चला गया..
और जब बिल्लू बाहर जा रहा था तो उपर से सारिका और काजल नीचे उतर रही थी...उन दोनो को एक साथ देखकर उसके लंड में खुजली सी होने लगी..वो वहीं रुक गया और उपर से नीचे आ रही काजल और सारिका के उछलते हुए मुम्मे देखकर ठंडी आहें भरने लगा.
बिल्लू : "अरे वाह काजल ...लगता है पुरानी सहेलियो में फिर से दोस्ती हो गयी है...अच्छी जोड़ी लग रही है तुम दोनो की...''
उसकी ठरकी नज़रों को सारिका अच्छी तरह से पहचानती थी..क्योंकि वो बात तो काजल से कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी छातियों पर थी...और उसके उभरे हुए निप्पल्स देख कर वो उत्तेजित हो रहा था...शायद काजल जल्दबाज़ी मे बिना ब्रा के नीचे आ गयी थी..
अब सारिका को क्या पता था की बिना ब्रा के तो वो पिछले 2 दीनो से घूम रही है बिल्लू और गणेश के सामने..
काजल : "अब नज़र मत लगाओ हमारी दोस्ती को तुम....''
और इतना कहती हुई वो उसकी बगल से निकल कर अंदर की तरफ चल दी.
और जब सारिका बिल्लू के पास से निकलने लगी तो बिल्लू फुसफुसाकर बोला : "भर गयी हो पहले से ज़्यादा...''
ऐसी फब्तियाँ तो वो कई बार कस चुका था उसके उपर, जब भी वो गली से निकलती थी...पर वो तब भी उसको कुछ नही बोल पाती थी और ना ही अब बोल पाई..
इसका ये मतलब नही था की वो डरती थी..बल्कि अंदर ही अंदर उसको ये सब अच्छा लगता था..अब हर लड़की तो खुलकर नही बोल पाती ना की उसे भी ये छेड़छाड़ पसंद है...बस मुँह फिरा कर आगे निकल जाती...और अपने पीछे घूमने वाले छिछोरे लड़को में एक और नाम शामिल कर लेती..
बिल्लू के जाने के कुछ देर बाद सारिका भी चली गयी...वैसे भी उसको काफ़ी देर हो चुकी थी.
केशव : "यार दीदी .... गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है...पर अब मैं भी क्या करू...कोई ज़रूरी बात करनी है उसे...शाम के जुए के बारे में ...हम तो अब ये काम कभी भी कर लेंगे..''
काजल : "ओहो .... तब तो जाकर सुन ही लो .... शायद कोई काम की बात करने आया हो...और रही बात मेरी, तो मैने आज तक इतने साल वेट ही तो किया है...कुछ देर और सही...''
वो अपनी चूत को मसलते हुए बोली..
जुए के बारे मे दोनो भाई-बहन को ऐसे बात करते देखकर सारिका चोंक गयी और बोली : "जुआ .... इसका मतलब आजकल यहाँ जुआ चल रहा है....और ये काजल इसमे इतना इंटरस्ट क्यो ले रही है...''
केशव : "ये सिर्फ़ इंटरस्ट ही नही ले रही, बल्कि खेलती भी है...समझी....मैं नीचे चलता हू ,बाकी की कहानी तुम्हे दीदी सुना देगी.....''
और काजल वो सब सारिका को बताने लगी जिसे सुनकर सारिका हैरान होती चली गयी...और उन दोनो को वहीं बाते करता छोड़कर केशव नीचे आ गया और दरवाजा खोल दिया
बिल्लू अंदर आकर सोफे पर बैठ गया.
केशव : "बोल बिल्लू , क्या बोलना चाहता है...''
बिल्लू : "केशव भाई..ये राणा साला बड़ा चालू हो गया है आजकल...''
केशव : "कैसे ....''
बिल्लू : "भाई...आप तो जानते ही हो, उसके पास पैसे की कमी तो है नही...पर साले को खेलना भी नही आता, ये भी वो जान ही चुका है...इसलिए आजकल जब भी वो खेलता है तो अपने साथ जीवन को रखता है...और जीवन के बारे मे तो आप जानते ही हो भाई, वो साला एक नंबर का जुवारी है...बड़े-2 केसिनो में जाकर जुआ खेलता है और हमेशा जीत कर ही आता है...और इसलिए उसको कोई भी अपने अड्डे पर या केसिनो में आकर खेलने नही देता..क्योंकि कोई भी उसके साथ खेलना नही चाहता..''
जीवन के साथ भी केशव कई बार खेल चुका था...उसकी किस्मत कह लो या हाथ की सफाई, वो कभी भी हारकर गेम से नही उठता था..और अब राणा के साथ जीवन का रहना सच में मुसीबत वाली बात थी..
केशव : "पर ऐसे कोई अपने साथ किसी को लाकर खेल नही खेल सकता...''
बिल्लू : "भाई, मैने भी यही बोला था राणा को, की अगर आना है तो अकेले आना, किसी को साथ मे लेकर जुआ खेलने का कोई रूल नही है अपनी गेंग मे..पर भाई, काजल और आप भी तो ऐसे हो, इसलिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया ''
केशव : "फिर, क्या बोला वो हरामी...''
बिल्लू : "बोलना क्या था भाई...सॉफ माना कर दिया...बोला, मेरे को चूतिया बना कर आजतक जीतने लोगो ने मेरा पैसा जीतना था वो जीत लिया...अब मेरे साथ खेलना है तो जीवन मेरे साथ रहेगा...जमता है तो बोलो...वरना रहने दो..''
केशव : "वो साला इतना अकलमंद लगता तो नही है....इसमे ज़रूर जीवन का कुछ किया धरा होगा...वरना उसे क्या पड़ी थी की अपने साथ जीवन को लेकर घूमता...''
बिल्लू : "भाई, आप समझे नही...राणा ने जीवन के साथ 50-50 की पार्टनरशिप कर रखी है...जो भी जीत का माल होगा, उसमे से दोनो मिलकर शेयर करेंगे...अब जीवन को जितना भी मिल रहा है, उसके लिए बहुत है...वैसे भी उसके साथ कोई जुआ नही खेलता..और दूसरी तरफ राणा के लिए भी फायदे का सौदा है...सुना है जब से उसने जीवन को साथ मे लिया है, वो हारा नही है अब तक...हमेशा जीतकर ही निकला है...अब पैसे जाने से अच्छा तो आने लगे है उसके पास...उसे भी ये पार्टनरशिप सही लग रही है...''
केशव गहरी सोच मे डूब गया..
केशव : "तो तू क्या चाहता है अब...''
बिल्लू (धीरे से) : "देखो भाई....मै यहाँ सिर्फ़ एक बात बोलने आया हू...अगर आप कहो तो राणा को हाँ बोल दू ..अगर ऐसा हो जाता है तो वो जीवन के साथ आएगा और वो दोनो मिलकर बैठेंगे..ऐसे मे अगर हम दोनो भी मिलकर खेले...मतलब दूसरो के लिए हम अलग ही होंगे...पर आपस मे हमारी भी पार्टनरशिप होगी...तो हम दोनो मिलकर उसे और गणेश को भी आसानी से हरा सकते हैं...''
केशव ने सोचा, ये साला मेरे साथ पार्टनरशिप की बातें कर रहा है..ये इतना भी नही जानता की उसके साथ काजल है, और उसकी किस्मत में तो हारना लिखा भी नही है..
पर अच्छी से अच्छी किस्मत भी साथ नही देती अगर जीवन हाथ की सफाई दिखाकर जुआ खेलने पर आ गया..ऐसे मे पार्टनरशिप करके कम से कम नुकसान झेलना पड़ेगा..
काफ़ी देर तक सोचने के बाद केशव बोला : "मुझे लगता है तू सही कह रहा है...हमे भी पार्टनरशिप कर लेनी चाहिए...''
इतना कहकर उसने बिल्लू से हाथ मिलाया और कुछ और बाते करके बिल्लू चला गया..
और जब बिल्लू बाहर जा रहा था तो उपर से सारिका और काजल नीचे उतर रही थी...उन दोनो को एक साथ देखकर उसके लंड में खुजली सी होने लगी..वो वहीं रुक गया और उपर से नीचे आ रही काजल और सारिका के उछलते हुए मुम्मे देखकर ठंडी आहें भरने लगा.
बिल्लू : "अरे वाह काजल ...लगता है पुरानी सहेलियो में फिर से दोस्ती हो गयी है...अच्छी जोड़ी लग रही है तुम दोनो की...''
उसकी ठरकी नज़रों को सारिका अच्छी तरह से पहचानती थी..क्योंकि वो बात तो काजल से कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी छातियों पर थी...और उसके उभरे हुए निप्पल्स देख कर वो उत्तेजित हो रहा था...शायद काजल जल्दबाज़ी मे बिना ब्रा के नीचे आ गयी थी..
अब सारिका को क्या पता था की बिना ब्रा के तो वो पिछले 2 दीनो से घूम रही है बिल्लू और गणेश के सामने..
काजल : "अब नज़र मत लगाओ हमारी दोस्ती को तुम....''
और इतना कहती हुई वो उसकी बगल से निकल कर अंदर की तरफ चल दी.
और जब सारिका बिल्लू के पास से निकलने लगी तो बिल्लू फुसफुसाकर बोला : "भर गयी हो पहले से ज़्यादा...''
ऐसी फब्तियाँ तो वो कई बार कस चुका था उसके उपर, जब भी वो गली से निकलती थी...पर वो तब भी उसको कुछ नही बोल पाती थी और ना ही अब बोल पाई..
इसका ये मतलब नही था की वो डरती थी..बल्कि अंदर ही अंदर उसको ये सब अच्छा लगता था..अब हर लड़की तो खुलकर नही बोल पाती ना की उसे भी ये छेड़छाड़ पसंद है...बस मुँह फिरा कर आगे निकल जाती...और अपने पीछे घूमने वाले छिछोरे लड़को में एक और नाम शामिल कर लेती..
बिल्लू के जाने के कुछ देर बाद सारिका भी चली गयी...वैसे भी उसको काफ़ी देर हो चुकी थी.