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Adultery मायके का जायका
#36
तनी आउर ठहर के देख लेल जाता,कहीं सड़क चालू हो जाई।होने त एक त एगारह बारह किलोमीटर जादा के घुमाव हो जाई और दूसर सुनसान कहके रमेश भैया हमलोगों के तरफ देखने लगे जैसे हमलोगों से राय या रजामंदी चाहते हों।तभी दामू बोल बैठा आ हो रमेश भाई एकदम सुनसान ना बाटे।सहनी/मल्लाह लोग मिल के एगो बर सहन डाल के चाय के दुकनिया खोल देले बा,आउर त आउर मछली दारू सब मिलता वहां ।रमेश भैया धमकते हुए बोले आ एत्ता रात में तोहार गांड मारेला बईठल होखिहें।तु त बिगड़ जाला,अरे रात में रहेला न ,नहरिया से.मछरिया जे चोरी हो.जाई। ऊषा भाभी बोली ऐजी दामुजी त ठिके बोलत हईं।चलींं ,काहेला टाईम बेकार.कैल जाला।ठीक कहनी ह न मीरा बबुनी मेरी ओर देखते हुए बोली।हम का कहीं न हम एने के रसता देखले बारी ना ओने के,जैसन आउर लोग पसंद करी ,मै भाभी को बोली।ऐसे में वहां के माहौल यानी कि जैसी बातें ट्रक के पास खरे लोग बातचीत कर रहे थे,ऊससे भीतर ही भीतर हम तीनो ही गिली होने लगी थी,हालांकि उपर से ऐसी जाहिर कर रही थी,मानो उनलोगों की बात हमलोग सुन ही न पा रही हो।रमेश भैया मानो ईसी सहमति का ईंतजार कर रहे थे,उन्होनकई बार आगे पिछे कर आटो को मोड़कर जाम से निकाला,और वापस उसी रास्ते पर लौट चले।धीमी चाल से चलते हुए आटो वापस लौट रही थी क्योंकि पचिसो ट्रक और अन्य वाहन जाम खुलने के ईंतजार में लगे हुए थे।करिब पौन किलोमीटर चलने के बाद रास्ता खाली मिलने लगी।थोड़ी देर में ही वह मोड़ भी आ गई जहां से हमलोग मुरकर नहर वाले रास
ते पर आ गए।कौन रोड ठिके बा रे ऊतरही कि दखिन वाला,रमेश भैया ने दामु से.पुछा।ऊतरवारी से चलीं,एही पार सब ठिकाना बनैले बारन,कोई दिक्कत ना होखी।अब आटो नहर पर बने सड़क पर चल रही थी।नहर पर कहीं ईट बिछी हुई थी कही सिर्फ मट्टी।आटो कभी बाएं झूकती कभी दाएं,कभी किसी गड्ढे में चक्का पर जाती तो एक दूसरे से टकरा जाते।ऊषा भाभी को ईसमें भी मजाक करने में मजा आ रहा था।ए मीरा बबुनी जानतानी ,सबसे मजा में सीमा रानी बारी ,देखी.ना
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RE: मायके का जायका - by Meerachatwani111 - 28-12-2019, 04:45 PM



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