28-12-2019, 12:59 PM
जोबन का जोर
इस स्साले मेरे साजन में एक बड़ी गड़बड़ थी , ...
क्विकी भी इसकी ३० मिनट से कम टाइम नहीं लेती थी ,
और इधर मेरे गाल की मसल्स थक रही थीं , ...
लेकिन मेरे पास कोई एक हथियार था क्या , ... मैंने झट से अपने ब्लाउज के बटन खोले , फिर फ्रंट ओपन ब्रा का हुक , ...
मेरे दोनों जोबन , ३४ सी , बाहर ,
और अब खूंटा उनके बीच में ,
अपनी दोनों मांसल रसीली गदरायी चूँचियों को पकड़ के मैं उनके लंड को चोद रही थी ,
नहीं मेरे होंठ खाली नहीं बैठे थे ,
कुछ पल में ही एक बार फिर , सुपाड़ा मेरे मुंह में था ,
और वो मेरी चूँची चोद रहे थे
मैं उनका लंड चूस रही थी ,
मस्ती से हम दोनों की हालत ख़राब थी ,
जब वो मोटा मूसल मेरी दोनों चूँचियों को रगड़ते दरेरते घिसटते निकलता , बता नहीं सकती कितना मज़ा आ रहा था
पर कुछ देर में सुपाड़ा चूसते एक बार फिर मैंने आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया और मुख मैथुन जोर से स्टार्ट हो गया ,
वो मेरे सर को पकड़ के कस कस के धक्के ऐसे मार रहे थे जैसे मैं लंड नहीं चूस रही होऊं ,
वो मेरे मुंह को चोद रहा हो , बुर समझ के ,...
लेकिन तब तक नीचे से आवाज आयी , ... अबकी मेरी सासू माँ थी
" अरे वो टैक्सी वाला हल्ला कर रहा है ,... "
२२ मिनट ,... घडी रानी ने सूचना दी , ... और मैं बिना उन्हें झाड़े छोड़ने वाली नहीं थी , पर टाइम भी ,...
मुझे याद आया एक वो अच्छी वाली फिल्म मैंने देखी थी , ... और नेट पर भी पढ़ा था ,...
नहीं नहीं ये ट्रिक इनकी सलहज ने नहीं सिखाई थी , ...
ये मेरी माँ , इनकी सास ने बताई समझायी थी ,
जब मेरी शादी पक्की हुयी उसी दिन ,
और फिर जब मेरी विदायी हो रही थी , एक बार फिर से इनकी सास ने ,...
रोते हुए भी मुझे हंसी आ गयी , इनकी सास भी न
मेरी एक ऊँगली इनके पिछवाड़े पर थी ही , एकदम सेंटर पर ,
गच्चाक ,
अपनी कलाई की पूरी ताकत से मैंने पेल दिया , ..
दो धक्का और अबकी जड़ तक ऊँगली इनकी गांड में
गोल गोल मैं घुमा रही थी और साथ में मूसल कस के चूस रही थी
गोल गोल घुमाते मिल गया मैंने जो पढ़ा था ,
प्रोस्ट्रेट , ... मर्दो का जादुई का बटन ,...
और मैंने वहां दबाना , मालिश करना , रगड़ना शुरू कर दिया ,
असर दो मिनट में हो गया ,
मूसल एकदम जड़ तक मेरे गले तक मेरे मुंह में धंसा था , ... और मेरी ऊँगली भी जड़ तक इनके पिछवाड़े ,
दूसरे हाथ से कस कस के मैं मूसल को उसके बेस पर दबा दबा के मुठिया भी रही थी
उनकी देह एकदम ढीली पड़ने लगी ,
लंड एकदम कड़ा , ... और फट गया ज्वालामुखी , सीधे मेरे मुंह में , ... बल्कि गले में
सफ़ेद मलाई की फुहार , सीधे मेरे गले में , गले से पेट में
मेरी पकड़ भी ढीली हो गयी थी पर प्रोस्ट्रेट को रगड़ना मैंने कम नहीं किया था ,
उनकी हालत एकदम खराब थी ,...
और जब खूंटा बाहर निकला , ...
२५ मिनट ,...
लेकिन मैं एक बात भूल गयी थी , ये डबल बैरेल गन थी , एक बार में खाली नहीं होती
और जब दूसरी बार फुहार निकली तो सीधे मेरे चेहरे पर ,
गाढ़ी थक्केदार दही मेरे चेहरे पर लिपी पोती , ...
मैंने झट से साडी ठीक की , बलाउज के बटन बंद किये , ब्रा के हुक भी
और इन्होने अपनी पैंट ऊपर चढ़ा ली , ...
लेकिन तब तक नीचे से फिर गुहार आ गयी
मैं शीशे में अपना चेहरा देख रही थी , चेहरा दिख नहीं रहा था , सिर्फ इनकी रबड़ी मलाई ,...
वो बदमाश लड़का देख देख के मुस्करा रहा था ,
मैं कौन कम थी , मैं भी उसे देख के मुस्करायी , ...
और न तो साफ़ करने का टाइम था न मैं साफ़ करना चाहती थी , ..
बस चेहरे पर अच्छी तरह फैला लिया ,
सास जेठानी देखें तो देखे ,
आखिर उन्ही का लड़का देवर है , और वही तो गयी थीं मुझे लाने ,...
सच में टैक्सी वाला हल्ला कर रहा था , बाबतपुर ( बनारस के एयरपोर्ट ) से उसे कोई और सवारी पिक करनी थी ,
टैक्सी चली गयी उन्हें लेकर , मैं देर तक वहीँ चुप चाप खड़ी रही ,