28-12-2019, 10:45 AM
"हां तो पूजा क्या कुछ जानती हो उस आदमी के बारे में...क्या नाम था उसका...उम्म" सौरभ ने कहा.
"परवीन" पूजा झट से बोली.
"हां तो तुम्हे शक है कि किलर वही है" सौरभ ने कहा.
"मुझे शक नही पूरा यकीन है की वही किलर है" पूजा ने कहा.
"नही मैं वैसे ही पूछ रहा था.... दरअसल कल हमारी बहुत फ़ज़ियत हुई है"
"कैसी फ़ज़ीहत?" पूजा ने पूछा.
"छोड़ो जाने दो तुम उस परवीन के बारे में बताओ" सौरभ ने कहा.
"मुझे उसके बारे में और कुछ नही पता...हां उसका एक नौकर भी है मुझे उस पर भी शक है. शायद नौकर साथ देता है परवीन का"
"ह्म्म....पहले तुम मुझे ये बताओ कि वो कहा मिलेगा" सौरभ ने कहा.
"मुझे उसके फार्म हाउस का पता है बाकी उसके बारे में और कोई जानकारी नही मुझे"
"ठीक है मुझे उसका फार्म हाउस दीखा दो बाकी जानकारी मैं इक्कथा कर लूँगा" सौरभ ने कहा.
"ठीक है" पूजा ने कहा.
"अपर्णा मैं पूजा के साथ उसका फार्म हाउस देख आता हूँ...बाद में आशु के आने पे देखते हैं कि क्या करना है?"
"ह्म्म ठीक है जाओ...मेरा सर दर्द कर रहा है मैं सोने जा रही हूँ" अपर्णा ने कहा.
"मेडिसिन दूं क्या...पड़ी है मेरे पास" सौरभ ने कहा.
"नही ये दर्द दवाई से नही जाएगा...मैं ठीक हूँ तुम लोग जाओ" अपर्णा ने कहा.
"आओ पूजा चलें"
"क्या उसी कार में चलेंगे?" पूजा ने पूछा.
"नही बायक से चलेंगे वो कार तो किसी और की थी"
"बायक पर!"
"क्यों कोई परेशानी है क्या?"
"नही चलो" पूजा ने कहा.
कुछ ही देर बाद सौरभ और पूजा फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहे थे.
"क्या तुम्हारी उस लड़के ने कोई मूवी बना ली थी" सौरभ ने पूछा.
"मेरी पर्सनल लाइफ के बारे में बात ना ही करो तो अच्छा है मैं बस अपर्णा की मदद करना चाहती हू और कुछ नही" पूजा ने कहा.
"तुम तो बुरा मान गयी...मैं तो यू ही पूछ रहा था."
"जो भी हो मेरी लाइफ के बारे में तुम्हे जान-ने का कोई हक़ नही है समझे बहुत अच्छे से जानती हूँ मैं तुम दोनो को"
"क्या जानती हो ज़रा हमे भी बता दो हम भी तो देखें की दुनिया हमारे बारे में क्या सोचती है" सौरभ ने कहा.
"वो तुम्हे भी पता है और मुझे भी" पूजा ने कहा.
"क्या श्रद्धा ने तुम्हे बता दिया कि मैने उसकी गान्ड मारी थी" सौरभ ने कहा.
पूजा सौरभ की बात सुन कर हैरान रह गयी. उसे ऐसी बात की उम्मीद नही थी.
"क्या कहा तुमने?" पूजा ने पूछा.
"ओह....शायद तुम नही जानती कि तुम्हारी बड़ी बहन कितनी पहुँची हुई चीज़ है" सौरभ ने कहा.
"मैं सब जानती हूँ....आशु ने ही उसे बिगाड़ा है...वरना मेरी दीदी ऐसी नही है"
"हे..हे..हा..हा..हा"
"क्या हुआ" पूजा ने पूछा.
"तुम्हारी दीदी ऐसी नही है....हे..हे..हा..हा. अरे वो तो अच्छे अछो को बिगाड़ दे...उसे कौन बिगाड़ेगा."
"तुम झूठ बोल रहे हो"
"मैं झूठ क्यों बोलूँगा जाके पूछ लेना अपनी दीदी से....पर तुम्हे वो सच क्यों बताएगी"
"बायक इस रोड से सीधा ले लो इसी रोड के आख़िर में है वो फार्म हाउस."
"आशु बेचारा तो तुम्हारे पीछे था पर पट गयी श्रद्धा...पट क्या गयी वो हमेशा तैयार रहती है....आशु ने एक बार मुझसे मिलवाया श्रद्धा को और उसी दिन मैने उसकी गान्ड ले ली हे..हे..हे"
"ये बाते तुम मुझे क्यों सुना रहे हो."
"तुम्हारा कोई इंटेरेस्ट है कि नही इन बातो में जान-ना चाहता हूँ क्या पता तुम्हारी मेरी जम जाए बात."
"अच्छा तो तुम मुझ पर लाइन मार रहे हो....अगर ऐसी बाते करके सोचते हो कि मुझे पटा लोगे तो तुम ग़लत हो. मुझे बिल्कुल अछी नही लगी तुम्हारी बाते."
"अछी ना लगी हो सेक्सी तो लगी होंगी...क्या तुम्हारा मन नही करता किसी को चूत देने का...मुझमे क्या बुराई है. अपनी दीदी से पूछ लेना बहुत अच्छे से मारता हूँ"
"मैं दीदी से क्यों पूचु भला मुझे क्या मतलब...तुम सीधे सीधे चलाओ" पूजा ने कहा.
"मुझे पता है उस लड़के ने तुम्हारी ली होगी और मूवी बना ली होगी तभी तुम उसे मारने भागी थी. देखो मैं उस लड़के जैसा कमीना नही हूँ"
"तुम्हारी दाल यहा नही गलेगी मिस्टर बायक चलाने पर ध्यान दो."
"तुम ही बता दो कि दाल गलाने के लिए मुझे क्या करना होगा."
"ये दाल किसी हालत में नही गलेगी"
"अच्छा ऐसा है...फिर तो मैं भी चलेंज लेता हूँ कि तुम्हारी चूत में लंड डाल के रहूँगा...वो भी तुम्हारी मर्ज़ी से."
"ऐसा दिन कभी नही आएगा हा....जिस काम से आए हो उस पर ध्यान दो."
"देखो मेरे साथ आगे से ऐसी बात मत करना वरना तुम देख ही चुके हो की मैं क्या कर सकती हूँ" पूजा ने कहा
"अगर मैं और आशु वक्त से ना पहुँचते तो तुम्हारी बॅंड बजने वाली थी वहां...बंदूक निकाल ली थी उसने और तुम एक चाकू ले कर घूम रही थी"
"मैने तुम लोगो को नही बुलाया था."
"वाह जी वाह एक तो इनकी गान्ड की रक्षा करो उपर से कोई नाम भी नही"
"फार्म हाउस आ गया...बकवास बंद करो और बायक रोको" पूजा ने कहा.
"कहा है फार्म हाउस" सौरभ ने बायक रोक कर पूछा.
पूजा ने हाथ का इशारा करके बताया, "वो रहा...यही से देख लो पास जाना ठीक नही"
"वैसे एक बात पूचु"
"क्या है अब?" पूजा ने कहा.
"फार्म हाउस जैसी जगह पर तो उल्टे ही काम होते हैं तुम यहा क्या करने आई थी?" सौरभ ने पूछा
"तुमसे मतलब...तुम बस अपने काम से मतलब रखो...चलो वापिस अब" पूजा ने कहा.
"अरे इतनी दूर क्या बस इस फार्म हाउस की शक्ल देखने आए हैं"
"तो क्या इरादा है तुम्हारा?" पूजा ने कहा.
"मैं ज़रा वहां जा कर देखता हूँ...अगर इस परवीन का घर का अड्रेस मिल जाए तो अच्छा होगा."
"ठीक है जाओ...मैं यही वेट करूँगी" पूजा ने कहा.
"पर तुम यहा अकेली...ऐसा करते हैं इस बायक को यही सड़क किनारे की झाड़ियो में छुपा कर दोनो चलते हैं"
"परवीन" पूजा झट से बोली.
"हां तो तुम्हे शक है कि किलर वही है" सौरभ ने कहा.
"मुझे शक नही पूरा यकीन है की वही किलर है" पूजा ने कहा.
"नही मैं वैसे ही पूछ रहा था.... दरअसल कल हमारी बहुत फ़ज़ियत हुई है"
"कैसी फ़ज़ीहत?" पूजा ने पूछा.
"छोड़ो जाने दो तुम उस परवीन के बारे में बताओ" सौरभ ने कहा.
"मुझे उसके बारे में और कुछ नही पता...हां उसका एक नौकर भी है मुझे उस पर भी शक है. शायद नौकर साथ देता है परवीन का"
"ह्म्म....पहले तुम मुझे ये बताओ कि वो कहा मिलेगा" सौरभ ने कहा.
"मुझे उसके फार्म हाउस का पता है बाकी उसके बारे में और कोई जानकारी नही मुझे"
"ठीक है मुझे उसका फार्म हाउस दीखा दो बाकी जानकारी मैं इक्कथा कर लूँगा" सौरभ ने कहा.
"ठीक है" पूजा ने कहा.
"अपर्णा मैं पूजा के साथ उसका फार्म हाउस देख आता हूँ...बाद में आशु के आने पे देखते हैं कि क्या करना है?"
"ह्म्म ठीक है जाओ...मेरा सर दर्द कर रहा है मैं सोने जा रही हूँ" अपर्णा ने कहा.
"मेडिसिन दूं क्या...पड़ी है मेरे पास" सौरभ ने कहा.
"नही ये दर्द दवाई से नही जाएगा...मैं ठीक हूँ तुम लोग जाओ" अपर्णा ने कहा.
"आओ पूजा चलें"
"क्या उसी कार में चलेंगे?" पूजा ने पूछा.
"नही बायक से चलेंगे वो कार तो किसी और की थी"
"बायक पर!"
"क्यों कोई परेशानी है क्या?"
"नही चलो" पूजा ने कहा.
कुछ ही देर बाद सौरभ और पूजा फार्म हाउस की तरफ बढ़ रहे थे.
"क्या तुम्हारी उस लड़के ने कोई मूवी बना ली थी" सौरभ ने पूछा.
"मेरी पर्सनल लाइफ के बारे में बात ना ही करो तो अच्छा है मैं बस अपर्णा की मदद करना चाहती हू और कुछ नही" पूजा ने कहा.
"तुम तो बुरा मान गयी...मैं तो यू ही पूछ रहा था."
"जो भी हो मेरी लाइफ के बारे में तुम्हे जान-ने का कोई हक़ नही है समझे बहुत अच्छे से जानती हूँ मैं तुम दोनो को"
"क्या जानती हो ज़रा हमे भी बता दो हम भी तो देखें की दुनिया हमारे बारे में क्या सोचती है" सौरभ ने कहा.
"वो तुम्हे भी पता है और मुझे भी" पूजा ने कहा.
"क्या श्रद्धा ने तुम्हे बता दिया कि मैने उसकी गान्ड मारी थी" सौरभ ने कहा.
पूजा सौरभ की बात सुन कर हैरान रह गयी. उसे ऐसी बात की उम्मीद नही थी.
"क्या कहा तुमने?" पूजा ने पूछा.
"ओह....शायद तुम नही जानती कि तुम्हारी बड़ी बहन कितनी पहुँची हुई चीज़ है" सौरभ ने कहा.
"मैं सब जानती हूँ....आशु ने ही उसे बिगाड़ा है...वरना मेरी दीदी ऐसी नही है"
"हे..हे..हा..हा..हा"
"क्या हुआ" पूजा ने पूछा.
"तुम्हारी दीदी ऐसी नही है....हे..हे..हा..हा. अरे वो तो अच्छे अछो को बिगाड़ दे...उसे कौन बिगाड़ेगा."
"तुम झूठ बोल रहे हो"
"मैं झूठ क्यों बोलूँगा जाके पूछ लेना अपनी दीदी से....पर तुम्हे वो सच क्यों बताएगी"
"बायक इस रोड से सीधा ले लो इसी रोड के आख़िर में है वो फार्म हाउस."
"आशु बेचारा तो तुम्हारे पीछे था पर पट गयी श्रद्धा...पट क्या गयी वो हमेशा तैयार रहती है....आशु ने एक बार मुझसे मिलवाया श्रद्धा को और उसी दिन मैने उसकी गान्ड ले ली हे..हे..हे"
"ये बाते तुम मुझे क्यों सुना रहे हो."
"तुम्हारा कोई इंटेरेस्ट है कि नही इन बातो में जान-ना चाहता हूँ क्या पता तुम्हारी मेरी जम जाए बात."
"अच्छा तो तुम मुझ पर लाइन मार रहे हो....अगर ऐसी बाते करके सोचते हो कि मुझे पटा लोगे तो तुम ग़लत हो. मुझे बिल्कुल अछी नही लगी तुम्हारी बाते."
"अछी ना लगी हो सेक्सी तो लगी होंगी...क्या तुम्हारा मन नही करता किसी को चूत देने का...मुझमे क्या बुराई है. अपनी दीदी से पूछ लेना बहुत अच्छे से मारता हूँ"
"मैं दीदी से क्यों पूचु भला मुझे क्या मतलब...तुम सीधे सीधे चलाओ" पूजा ने कहा.
"मुझे पता है उस लड़के ने तुम्हारी ली होगी और मूवी बना ली होगी तभी तुम उसे मारने भागी थी. देखो मैं उस लड़के जैसा कमीना नही हूँ"
"तुम्हारी दाल यहा नही गलेगी मिस्टर बायक चलाने पर ध्यान दो."
"तुम ही बता दो कि दाल गलाने के लिए मुझे क्या करना होगा."
"ये दाल किसी हालत में नही गलेगी"
"अच्छा ऐसा है...फिर तो मैं भी चलेंज लेता हूँ कि तुम्हारी चूत में लंड डाल के रहूँगा...वो भी तुम्हारी मर्ज़ी से."
"ऐसा दिन कभी नही आएगा हा....जिस काम से आए हो उस पर ध्यान दो."
"देखो मेरे साथ आगे से ऐसी बात मत करना वरना तुम देख ही चुके हो की मैं क्या कर सकती हूँ" पूजा ने कहा
"अगर मैं और आशु वक्त से ना पहुँचते तो तुम्हारी बॅंड बजने वाली थी वहां...बंदूक निकाल ली थी उसने और तुम एक चाकू ले कर घूम रही थी"
"मैने तुम लोगो को नही बुलाया था."
"वाह जी वाह एक तो इनकी गान्ड की रक्षा करो उपर से कोई नाम भी नही"
"फार्म हाउस आ गया...बकवास बंद करो और बायक रोको" पूजा ने कहा.
"कहा है फार्म हाउस" सौरभ ने बायक रोक कर पूछा.
पूजा ने हाथ का इशारा करके बताया, "वो रहा...यही से देख लो पास जाना ठीक नही"
"वैसे एक बात पूचु"
"क्या है अब?" पूजा ने कहा.
"फार्म हाउस जैसी जगह पर तो उल्टे ही काम होते हैं तुम यहा क्या करने आई थी?" सौरभ ने पूछा
"तुमसे मतलब...तुम बस अपने काम से मतलब रखो...चलो वापिस अब" पूजा ने कहा.
"अरे इतनी दूर क्या बस इस फार्म हाउस की शक्ल देखने आए हैं"
"तो क्या इरादा है तुम्हारा?" पूजा ने कहा.
"मैं ज़रा वहां जा कर देखता हूँ...अगर इस परवीन का घर का अड्रेस मिल जाए तो अच्छा होगा."
"ठीक है जाओ...मैं यही वेट करूँगी" पूजा ने कहा.
"पर तुम यहा अकेली...ऐसा करते हैं इस बायक को यही सड़क किनारे की झाड़ियो में छुपा कर दोनो चलते हैं"