27-12-2019, 11:46 PM
तो पीनू कैसे आना हुआ ? मनीष ने उस से उसके आने के बारे मे पूछा..
वो भैया थोड़ा काम था यहा पर बाबू जी ने भेज दिया.. बोले आप यहा रहते ही हो अगर कोई मदद की ज़रूरत हुई तो आप कर दोगे.. पहले सोचा कि किसी धर्मशाला मे रुक जाउ पर फिर सोचा सीधा आप के पास ही चलु.. आप की शादी मे नही आ पाया था.. इसी बहाने भाभी जी से भी मुलाकात हो जाएगी.. यही सोच कर.. वो बात मनीष से रहा था पर देखे मेरी तरफ जा रहा था.. उसके देखने मे हवस सॉफ नज़र आ रही थी..
अरे पीनू बोहोत बढ़िया किया.. मनीष की बात सुन कर मेरे दिमाग़ मे यही ख़याल आया क्या खाक बढ़िया किया.. आज सोचा था सनडे है आज अपने लिए शॉपिंग करने जाउन्गी.. पर.. वो मेरी तरफ बराबर घूरे जा रहा था था उसकी मुस्कुराहट एक दम घिनूनी थी.. मैं वाहा से उठ कर बेडरूम मे आ गयी..
मनीष ने उसके रहने का इंतज़ाम दूसरे कमरे मे कर दिया..
भैया बोहोत थक गया हूँ सफ़र मे नहा कर आराम करना चाहता हू..
अरे बिल्कुल पीनू.. तुम आराम से नहा कर आराम करो..
मैं अपने बेडरूम मे गुस्से एक दम तिलमिलाई हुई लेटी थी.. अरे क्या हुआ जानू..? इतनी नाराज़ क्यू हो..? मनीष ने मेरे बगल मे आ कर मेरे चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा..
क्या ज़रूरत थी आप को उसे यहा पर रोकने की..हा..?
क्या जानू तुम भी.. अरे वो हमारे गाँव से आया है ओर मौसी का लड़का है.. पता है मैं जब गाँव मे था तो मौसी ने कभी कोई फरक नही किया अपने लड़के ओर मुझमे.. बल्कि अपने से ज़्यादा ही मुझे माना है.. और फिर दो हफ्ते बाद बिल्लू(प्रेम मनीष का छ्होटा भाई जिसे गाँव मे सब प्यार से बिल्लू बुलाते है) की शादी है.. सोचो अगर ये गाँव मे जा कर बताता कि हमने इसे यहा रखने से मना कर दिया.. तुम गाँव के लोगो को जानती नही हो वो ज़रा सी बात को दिल पर लगा लेते है.. ऑर अगर पापा को पता चलता कि उनकी बहू ने दो रोटी ज़्यादा बनाने की वजह से घर आए मेहमान को वापस लौटा दिया.. उनकी नज़र मे जो तुम्हारी इज़्ज़त है.. अगर तुम्हे लगता है मैने उसे रोक कर ग़लत किया तो तुम बोलो मैं उसे अभी यहा से जाने को बोल देता हू..
ठीक है ठीक है अब ज़्यादा इमोशनल ब्लॅकमेल करने की ज़रूरत नही है.. मनीष ने मुझे गले से लगा लिया.. ऑर फिर मेरे होंठो को किस करने लगे.. किस करते हुए ही जब मेरी नज़र दरवाजे की तरफ गयी तो मैं गुस्से ओर शरम से लाल हो गयी.. वो वही दरवाजे पर खड़े हो कर हमे किस करते हुए देख रहा था.. उसके चेहरे की हँसी देख कर मेरा खून खोले जा रहा था.. मैं जल्दी से मनीष से अलग हुई ओर अपने कपड़े सही करने लग गयी.. वो वाहा से हट कर वापिस अपने कमरे की तरफ चल दिया..
मेरा पूरा दिमाग़ खराब हो गया था उस देहाती की इस हरकत को देख कर.. मेरी समझ मे नही आ रहा था की इस बारे मे मनीष को कुछ बताऊ या नही.. वो जब से यहा पर आया था तब से मुझे उसकी नीयत ठीक नही लग रही थी.. वो जिस तरह से मुझे देखता था मन तो ऐसा कर रहता कि अभी इसका खून कर दू.. पर यही सोच कर कि गाँव से आया है.. पिता जी क्या सोचेगे ओर फिर 2 हफ्ते बाद बिल्लू की शादी भी है.. मैं खून का घूँट पी कर रह गयी..
वो भैया थोड़ा काम था यहा पर बाबू जी ने भेज दिया.. बोले आप यहा रहते ही हो अगर कोई मदद की ज़रूरत हुई तो आप कर दोगे.. पहले सोचा कि किसी धर्मशाला मे रुक जाउ पर फिर सोचा सीधा आप के पास ही चलु.. आप की शादी मे नही आ पाया था.. इसी बहाने भाभी जी से भी मुलाकात हो जाएगी.. यही सोच कर.. वो बात मनीष से रहा था पर देखे मेरी तरफ जा रहा था.. उसके देखने मे हवस सॉफ नज़र आ रही थी..
अरे पीनू बोहोत बढ़िया किया.. मनीष की बात सुन कर मेरे दिमाग़ मे यही ख़याल आया क्या खाक बढ़िया किया.. आज सोचा था सनडे है आज अपने लिए शॉपिंग करने जाउन्गी.. पर.. वो मेरी तरफ बराबर घूरे जा रहा था था उसकी मुस्कुराहट एक दम घिनूनी थी.. मैं वाहा से उठ कर बेडरूम मे आ गयी..
मनीष ने उसके रहने का इंतज़ाम दूसरे कमरे मे कर दिया..
भैया बोहोत थक गया हूँ सफ़र मे नहा कर आराम करना चाहता हू..
अरे बिल्कुल पीनू.. तुम आराम से नहा कर आराम करो..
मैं अपने बेडरूम मे गुस्से एक दम तिलमिलाई हुई लेटी थी.. अरे क्या हुआ जानू..? इतनी नाराज़ क्यू हो..? मनीष ने मेरे बगल मे आ कर मेरे चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा..
क्या ज़रूरत थी आप को उसे यहा पर रोकने की..हा..?
क्या जानू तुम भी.. अरे वो हमारे गाँव से आया है ओर मौसी का लड़का है.. पता है मैं जब गाँव मे था तो मौसी ने कभी कोई फरक नही किया अपने लड़के ओर मुझमे.. बल्कि अपने से ज़्यादा ही मुझे माना है.. और फिर दो हफ्ते बाद बिल्लू(प्रेम मनीष का छ्होटा भाई जिसे गाँव मे सब प्यार से बिल्लू बुलाते है) की शादी है.. सोचो अगर ये गाँव मे जा कर बताता कि हमने इसे यहा रखने से मना कर दिया.. तुम गाँव के लोगो को जानती नही हो वो ज़रा सी बात को दिल पर लगा लेते है.. ऑर अगर पापा को पता चलता कि उनकी बहू ने दो रोटी ज़्यादा बनाने की वजह से घर आए मेहमान को वापस लौटा दिया.. उनकी नज़र मे जो तुम्हारी इज़्ज़त है.. अगर तुम्हे लगता है मैने उसे रोक कर ग़लत किया तो तुम बोलो मैं उसे अभी यहा से जाने को बोल देता हू..
ठीक है ठीक है अब ज़्यादा इमोशनल ब्लॅकमेल करने की ज़रूरत नही है.. मनीष ने मुझे गले से लगा लिया.. ऑर फिर मेरे होंठो को किस करने लगे.. किस करते हुए ही जब मेरी नज़र दरवाजे की तरफ गयी तो मैं गुस्से ओर शरम से लाल हो गयी.. वो वही दरवाजे पर खड़े हो कर हमे किस करते हुए देख रहा था.. उसके चेहरे की हँसी देख कर मेरा खून खोले जा रहा था.. मैं जल्दी से मनीष से अलग हुई ओर अपने कपड़े सही करने लग गयी.. वो वाहा से हट कर वापिस अपने कमरे की तरफ चल दिया..
मेरा पूरा दिमाग़ खराब हो गया था उस देहाती की इस हरकत को देख कर.. मेरी समझ मे नही आ रहा था की इस बारे मे मनीष को कुछ बताऊ या नही.. वो जब से यहा पर आया था तब से मुझे उसकी नीयत ठीक नही लग रही थी.. वो जिस तरह से मुझे देखता था मन तो ऐसा कर रहता कि अभी इसका खून कर दू.. पर यही सोच कर कि गाँव से आया है.. पिता जी क्या सोचेगे ओर फिर 2 हफ्ते बाद बिल्लू की शादी भी है.. मैं खून का घूँट पी कर रह गयी..