30-01-2019, 12:26 AM
धन्नो ने रवी से कहा- “मुझे बहुत डर लग रहा है, मैं गिर जाऊँगी...”
रवि- “मैंने तुमसे कहा था ना की तुम्हें डर लगेगा, मगर तुम ही जिद करके चढ़ी थी...” रवी ने गुस्से से धन्नो को कहा- “एक काम करो अपना हाथ मुझे दो और मेरी गोद में आकर बैठो..." रवी ने धन्नो को सुझाव दिया।
धन्नो को डर तो बहुत लग रहा था मगर वो रवी की गोद में बैठने से शर्मा रही थी। धन्नो को अचानक चक्कर आने लगे और वो रवी का हाथ पकड़ते हुए उसकी गोद में जाकर बैठ गई। रवी ने धन्नो के अपनी गोद बैठते ही अपनी बाहों में जकड़कर काबू कर लिया। धन्नो के भारी चूतड़ अपनी गोद पर महसूस होते ही रवी को अपनी । पैंट में गर्माहट महसूस होने लगी। रवी ने अपने हाथों को थोड़ा ऊपर करते हुए धन्नो की चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा।
अचानक रवी का हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही धन्नो चौंकते हुए “आअह्ह्ह...” करके सिसक पड़ी। रवी ने वैसे ही धन्नो की चूचियों को सहलाते हुए अपने होंठ उसके कंधे पर रख दिए। रवी अपने होंठ धन्नो के कंधे पर चारों तरफ फिराते हुए उसे चूमने लगा। झूला वैसे ही तेज रफ़्तारी से चल रहा था। धन्नो जो थोड़ी देर पहले गिरने से डर रही थी अब अपने होने वाले पति की मजबूत बाहों में अपनी आँखें बंद किए हुए दुनियां से बेखबर मजे से सिसक रही थी।
अचानक झूले की स्पीड कम हो गई। धन्नो झूले की स्पीड कम होते ही होश में आ गई और रवी के हाथों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपनी चूचियों से अलग कर दिया। धन्नो रवी की गोद से उठते हुए अपनी सीट पर जाकर बैठ गई। झूले की स्पीड कम होती गई और झूला ठहर गया। रवी और धन्नो झूले के ठहरते ही वहाँ से उतर गये।
रवी ने धन्नो से कहा- “अब कहाँ चलना है?”
धन्नो- “जी आप जहाँ चले, मैं कुछ नहीं कहूँगी..." धन्नो ने जवाब दिया।
रवी ने कुल्फी वाले के पास ठहरते हुए दो कुल्फियां ले ली। रवी ने एक कुल्फी धन्नो को दे दी और सामने एक मैजिक शो की दो टिकटें खरीद कर धन्नो के साथ अंदर आ गया।
दोनों एक साथ बैठकर कुल्फी खाते हुए मैजिक शो देखने लगे। रवी की नजर कुल्फी खाते हुए धन्नो को घूर । रही। रवी को धन्नो कुल्फी खाते हुए बहुत अच्छी लग रही थी। धन्नो जैसे ही कुल्फी को अपनी जीभ निकालकर चाटती रवी के पूरे शरीर में सिहरन होने लगती। रवी अपनी किश्मत पर बहुत खुश हो रहा था की उसे अपने लिए धन्नो जैसी पढ़ी लिखी खूबसूरत बीवी मिल गई।
मोहित और रिया भी झूले पर चढ़ने के बाद एक जगह से आइसक्रीम खरीदकर उसी मैजिक शो में आ गये, जहाँ रवी और धन्नो मौजूद थे। मनीष और करुणा भी मौत के कुवें को देखने के बाद कोल्ड ड्रिंक खरीदते हुए उसी मैजिक शो में आ गये। मैजिक शो के खतम होते ही सभी बाहर निकलने लगे।
तभी धन्नो ने करुणा और रवी को देख लिया और चिल्लाते हुए अपने पास बुला लिया। तभी मोहित की नजर भी उन चारों पर पड़ी और वो भी चलते हुए सभी के साथ खड़े हो गये। सभी ने आपस में मिलकर वापस जाने का फैसला किया और सभी साथ में चलते हुए अपनी गाड़ी तक पहुँच गये।
मनीष गाड़ी का लाक खोल ही रहा था की एक जोरदार आवाज के साथ गोली चलने की आवाज आई, गोली मनीष के बाजू के बिल्कुल पास से गुजरती हुई जमीन पर जा लगी। मनीष जल्दी से गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए उसमें बैठ गया और सभी भी डर के मारे गाड़ी में बैठ गये। मनीष गाड़ी चला चुका था। मेले के शोर में किसी को खबर ही नहीं लगी की यहाँ किसी ने गोली चलाई है।
मनीष बहुत डरा हुआ था उस समझ में नहीं आ रहा था की उसका कोई दुश्मन भी हो सकता है, उसपर जानलेवा हमला हो चुका था। मनीष गाड़ी को सीधे अपनी हवेली की तरफ ले जाने लगा। रास्ते में डर के मारे किसी ने एक दूसरे से बात नहीं की।
शिल्पा ठाकुर से चुदवाने के बाद बाथरूम में अपने कपड़े पहनते हुए एक बार फिर बाथरूम में जाते हुए अपना मोबाइल उठाकर अपने कपड़ों में छुपा लिया। शिल्पा ठाकुर से इजाजत लेकर हवेली से निकल गई।
मनीष ने गाड़ी को सीधा अपनी हवेली के बाहर रोका और सभी कार से उतरकर हवेली में दाखिल हो गये।
ठाकुर- “अरे बेटे इन्हें घर क्यों नहीं छोड़ आए?” ठाकुर ने सभी को साथ में देखते हुए कहा।
रवि- “डैड हम पर किसी ने गोली चलाई है...” रवी ने अपने बाप को कहा।
ठाकुर- “क्या? गोली चलाई है, तुम सब ठीक तो हो?” ठाकुर ने परेशान होते हुए कहा।
रवि- “जी डैड हम सब ठीक हैं, गोली मनीष भैया के बिल्कुल करीब से गुजरी थी...” रवी ने फिर से कहा।
ठाकुर- “किस कमीने की जुर्रत हुई जो हमारे बेटे पर हमला किया, हम उस कुत्ते की बोटी-बोटी नोच लेंगे...” ठाकुर ने गुस्से से दाँत पीसते हुए कहा।
ठाकुर ने अपने एक नौकर से कहा- “कालू इनको गाड़ी में घर छोड़कर आओ..."
नौकर- “जो हुक्म ठाकुर साहब..” कहकर वो नौकर चारों को अपने साथ लेकर चला गया।
ठाकुर- “आओ बेटे मेरे कमरे में चलो..” ठाकुर ने मनीष और रवी को अपने साथ ले जाते हुए कहा। ठाकुर ने कमरे में आते ही फोन लगाया।
हेलो...” दूसरी तरफ से अवाज आई।
ठाकुर- “हम ठाकुर प्रताप सिंह बोल रहे हैं.” ठाकुर ने कड़क आवाज में बात करते हुए कहा।
“प्रणाम ठाकुर साहब कैसे याद किया?” दूसरी तरफ से आवाज आई।
ठाकुर- “आज मेले में हमारे बेटों पर किसी ने गोली चलाई, जल्दी से पता करें किस कुत्ते की मजाल हुई और हमारे बेटों पर भौंका?” ठाकुर ने गुस्से से तिलमिलाते हुए कहा।
रवि- “मैंने तुमसे कहा था ना की तुम्हें डर लगेगा, मगर तुम ही जिद करके चढ़ी थी...” रवी ने गुस्से से धन्नो को कहा- “एक काम करो अपना हाथ मुझे दो और मेरी गोद में आकर बैठो..." रवी ने धन्नो को सुझाव दिया।
धन्नो को डर तो बहुत लग रहा था मगर वो रवी की गोद में बैठने से शर्मा रही थी। धन्नो को अचानक चक्कर आने लगे और वो रवी का हाथ पकड़ते हुए उसकी गोद में जाकर बैठ गई। रवी ने धन्नो के अपनी गोद बैठते ही अपनी बाहों में जकड़कर काबू कर लिया। धन्नो के भारी चूतड़ अपनी गोद पर महसूस होते ही रवी को अपनी । पैंट में गर्माहट महसूस होने लगी। रवी ने अपने हाथों को थोड़ा ऊपर करते हुए धन्नो की चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा।
अचानक रवी का हाथ अपनी चूचियों पर पड़ते ही धन्नो चौंकते हुए “आअह्ह्ह...” करके सिसक पड़ी। रवी ने वैसे ही धन्नो की चूचियों को सहलाते हुए अपने होंठ उसके कंधे पर रख दिए। रवी अपने होंठ धन्नो के कंधे पर चारों तरफ फिराते हुए उसे चूमने लगा। झूला वैसे ही तेज रफ़्तारी से चल रहा था। धन्नो जो थोड़ी देर पहले गिरने से डर रही थी अब अपने होने वाले पति की मजबूत बाहों में अपनी आँखें बंद किए हुए दुनियां से बेखबर मजे से सिसक रही थी।
अचानक झूले की स्पीड कम हो गई। धन्नो झूले की स्पीड कम होते ही होश में आ गई और रवी के हाथों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपनी चूचियों से अलग कर दिया। धन्नो रवी की गोद से उठते हुए अपनी सीट पर जाकर बैठ गई। झूले की स्पीड कम होती गई और झूला ठहर गया। रवी और धन्नो झूले के ठहरते ही वहाँ से उतर गये।
रवी ने धन्नो से कहा- “अब कहाँ चलना है?”
धन्नो- “जी आप जहाँ चले, मैं कुछ नहीं कहूँगी..." धन्नो ने जवाब दिया।
रवी ने कुल्फी वाले के पास ठहरते हुए दो कुल्फियां ले ली। रवी ने एक कुल्फी धन्नो को दे दी और सामने एक मैजिक शो की दो टिकटें खरीद कर धन्नो के साथ अंदर आ गया।
दोनों एक साथ बैठकर कुल्फी खाते हुए मैजिक शो देखने लगे। रवी की नजर कुल्फी खाते हुए धन्नो को घूर । रही। रवी को धन्नो कुल्फी खाते हुए बहुत अच्छी लग रही थी। धन्नो जैसे ही कुल्फी को अपनी जीभ निकालकर चाटती रवी के पूरे शरीर में सिहरन होने लगती। रवी अपनी किश्मत पर बहुत खुश हो रहा था की उसे अपने लिए धन्नो जैसी पढ़ी लिखी खूबसूरत बीवी मिल गई।
मोहित और रिया भी झूले पर चढ़ने के बाद एक जगह से आइसक्रीम खरीदकर उसी मैजिक शो में आ गये, जहाँ रवी और धन्नो मौजूद थे। मनीष और करुणा भी मौत के कुवें को देखने के बाद कोल्ड ड्रिंक खरीदते हुए उसी मैजिक शो में आ गये। मैजिक शो के खतम होते ही सभी बाहर निकलने लगे।
तभी धन्नो ने करुणा और रवी को देख लिया और चिल्लाते हुए अपने पास बुला लिया। तभी मोहित की नजर भी उन चारों पर पड़ी और वो भी चलते हुए सभी के साथ खड़े हो गये। सभी ने आपस में मिलकर वापस जाने का फैसला किया और सभी साथ में चलते हुए अपनी गाड़ी तक पहुँच गये।
मनीष गाड़ी का लाक खोल ही रहा था की एक जोरदार आवाज के साथ गोली चलने की आवाज आई, गोली मनीष के बाजू के बिल्कुल पास से गुजरती हुई जमीन पर जा लगी। मनीष जल्दी से गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए उसमें बैठ गया और सभी भी डर के मारे गाड़ी में बैठ गये। मनीष गाड़ी चला चुका था। मेले के शोर में किसी को खबर ही नहीं लगी की यहाँ किसी ने गोली चलाई है।
मनीष बहुत डरा हुआ था उस समझ में नहीं आ रहा था की उसका कोई दुश्मन भी हो सकता है, उसपर जानलेवा हमला हो चुका था। मनीष गाड़ी को सीधे अपनी हवेली की तरफ ले जाने लगा। रास्ते में डर के मारे किसी ने एक दूसरे से बात नहीं की।
शिल्पा ठाकुर से चुदवाने के बाद बाथरूम में अपने कपड़े पहनते हुए एक बार फिर बाथरूम में जाते हुए अपना मोबाइल उठाकर अपने कपड़ों में छुपा लिया। शिल्पा ठाकुर से इजाजत लेकर हवेली से निकल गई।
मनीष ने गाड़ी को सीधा अपनी हवेली के बाहर रोका और सभी कार से उतरकर हवेली में दाखिल हो गये।
ठाकुर- “अरे बेटे इन्हें घर क्यों नहीं छोड़ आए?” ठाकुर ने सभी को साथ में देखते हुए कहा।
रवि- “डैड हम पर किसी ने गोली चलाई है...” रवी ने अपने बाप को कहा।
ठाकुर- “क्या? गोली चलाई है, तुम सब ठीक तो हो?” ठाकुर ने परेशान होते हुए कहा।
रवि- “जी डैड हम सब ठीक हैं, गोली मनीष भैया के बिल्कुल करीब से गुजरी थी...” रवी ने फिर से कहा।
ठाकुर- “किस कमीने की जुर्रत हुई जो हमारे बेटे पर हमला किया, हम उस कुत्ते की बोटी-बोटी नोच लेंगे...” ठाकुर ने गुस्से से दाँत पीसते हुए कहा।
ठाकुर ने अपने एक नौकर से कहा- “कालू इनको गाड़ी में घर छोड़कर आओ..."
नौकर- “जो हुक्म ठाकुर साहब..” कहकर वो नौकर चारों को अपने साथ लेकर चला गया।
ठाकुर- “आओ बेटे मेरे कमरे में चलो..” ठाकुर ने मनीष और रवी को अपने साथ ले जाते हुए कहा। ठाकुर ने कमरे में आते ही फोन लगाया।
हेलो...” दूसरी तरफ से अवाज आई।
ठाकुर- “हम ठाकुर प्रताप सिंह बोल रहे हैं.” ठाकुर ने कड़क आवाज में बात करते हुए कहा।
“प्रणाम ठाकुर साहब कैसे याद किया?” दूसरी तरफ से आवाज आई।
ठाकुर- “आज मेले में हमारे बेटों पर किसी ने गोली चलाई, जल्दी से पता करें किस कुत्ते की मजाल हुई और हमारे बेटों पर भौंका?” ठाकुर ने गुस्से से तिलमिलाते हुए कहा।