30-01-2019, 12:21 AM
धन्नो और करुणा का ठाकुर की हवेली में खाना
छोटे ठाकुर खाना लगा दिया है, बड़े साहब अभी तक नहीं आए। आप चाहें तो खाना खा लें, वरना खाना ठंडा हो। जायगा...”
मनीष कुछ बोलने वाला ही था की ठाकुर अंदर दाखिल होते हुए बोले- “यार काम की वजह आज बहुत देर हो गई, चलो उठो खाने पर चलो..."
धन्नो और करुणा ठाकुर को देखते ही उठते हुए उनके पैर पड़ी।
ठाकुर ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए उठा लिया, और अपनी बहुओं के साथ चलते हुए खाने की टेबल तक आ गया। ठाकुर ने एक कुर्सी पर बैठते हुए पानी से हाथ धोए और सब मिलकर खाना खाने लगे।
खाना खतम करने के बाद ठाकुर ने कहा- “चलो आज हमारे कमरे में चलकर बातें करते हैं, मुझे अपनी बहुओं से। बहुत बातें करनी हैं...”
ठाकुर की बात सुनकर सभी बड़े ठाकुर के कमरे में जाने लगे। कमरे में पहुँचते ही मनीष और रवी जाकर सोफे पर बैठ गए। ठाकुर ने बेड पर बैठते हुए धन्नो और करुणा को अपने पास बेड पर बैठने को कहा। ठाकुर धन्नो और करुणा के बैठने के बाद उनसे बातें करने लगा। थोड़ी ही देर बाद शिल्पा कमरे का दरवाजा खोलते हुए शरबत का एक जग और ग्लास लेकर कमरे में दाखिल हुई। शिल्पा ग्लासों में शरबत डालने लगी।
रवी ने मनीष से कहा- “सुना है गाँव में मेला लगा है...”
मनीष- “हाँ यार मैंने भी किसी के मुँह से सुना था...” मनीष रवी के बात सुनते हुए बोला।
रवि- “मनीष चलो ना आज शाम को भाभी और छोरी को मेला घुमाने ले चलें..." रवी ने मनीष की तरफ देखते हुए कहा।
रवी की बात सुनकर मनीष की आँखों में चमक आ गई और धन्नो और करुणा की तरफ देखते हुए कहा- “क्या
कहती हो, चलें शाम को मेला घूमने?”
करुणा ने कहा- “हाँ मैं तैयार हूँ चलने के लिए...”
करुणा की बात सुनकर धन्नों ने भी कहा- “सब राजी हो, तो भला मुझे क्या ऐतराज हो सकता है?”
शिल्पा शरबत के ग्लास सबके हाथों में देते हुए वहां से चली गई। ठाकुर सबकी बातें गौर से सुन रहा था, उसने कहा- “एक काम करो इन दोनों को अभी घर छोड़ आओ, शाम को इन्हें वहाँ से लेते जाना। वरना इनके रिश्तेदार बुरा मान जाएंगे...”
ठाकुर की बात सुनकर मनीष ने शरबत का खाली ग्लास टेबल पर रखते हुए कहा- “आप ठीक कह रहे हैं। हम कुछ देर के बाद इन्हें घर छोड़ आते हैं. और फिर सब आपस में बातें करने लगे। एक घंटे तक वो आपस में बातें करते रहे और फिर मनीष उन दोनों को घर पर छोड़कर आ गया।
घर के अंदर दाखिल होते हुए धन्नो ने करुणा से कहा- “आज शाम को तो बहुत मस्ती करेंगे मेले में..."
करुणा ने कहा- “हाँ दीदी घर में बैठे-बैठे बोर होते रहते हैं आज खूब मजे करेंगे मेले में..." धन्नो और करुणा जैसे ही अंदर दाखिल हुई, वो हैरान रह गई क्योंकी घर में कोई भी नहीं था और मोहित के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। धन्नो ने दरवाजे के पास आते हुए अपने कान दरवाजे के करीब कर लिये।
रिया की आवाज- “छोड़ो ना तुमने कहा था सिर्फ गालों पर चुम्मी दोगे, मगर तुम तो बहुत गंदे हो मेरे होंठों को चूमने लगे...” अंदर से रिया की आवाज आई।
धन्नो समझ गई के मोहित रिया के साथ मजे कर रहा है। धन्नो ने फिर से गौर से सुनने की कोशिश की।
मोहित- “करने दो ना वैसे भी हमारी शादी होने वाली है और इन सबसे कुछ होता भी नहीं है...” मोहित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
रिया- “नहीं तुम एक नंबर के झूठे हो। जब शादी हो जाये तो फिर कर लेना...” रिया ने गुस्से में कहा।
मोहित- “देख रिया गाँव में मेला लगा है अगर तुम मुझे अपने होंठों पर चूमने दोगी तो शाम को मैं तुम्हें मेला घुमाने ले जाऊँगा..” मोहित ने रिया को खुश करने के लिए आखिरी पत्ता फेंका।
रिया- “सच में तुम मुझे मेला घुमाने ले जाओगे?” रिया ने खुश होते हुए कहा।
मोहित अपनी कामयाबी पर खुश होते हुए- “हाँ जान तुम्हारी कसम मैं तुम्हें मेला घुमाने ले जाऊँगा..."
रिया- “ठीक है मगर थोड़ी देर ही चूमना...” रिया ने राजी होते हुए कहा।
मोहित ने रिया की इजाजत पाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और बहुत जोर से चूसने लगा। धन्नो को अब कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी वो समझ गई की मोहित रिया के होंठों का रस पी रहा है। धन्नो को। अचानक आवाज सुनाई दी।
रिया- “हम्म्म्म ... छोड़ो तुम बहुत गंदे हो... ऐसे भी कोई होंठों को चूसता है। मेरा दम घुटा जा रहा था...” रिया ने गुस्सा होते हुए कहा।
मोहित- “यार अब क्या हुआ थोड़ी देर चूमने दो ना बहुत लजीज हैं तुम्हारे होंठ..” मोहित ने फिर से रिया को मिन्नत करते हुए कहा।
छोटे ठाकुर खाना लगा दिया है, बड़े साहब अभी तक नहीं आए। आप चाहें तो खाना खा लें, वरना खाना ठंडा हो। जायगा...”
मनीष कुछ बोलने वाला ही था की ठाकुर अंदर दाखिल होते हुए बोले- “यार काम की वजह आज बहुत देर हो गई, चलो उठो खाने पर चलो..."
धन्नो और करुणा ठाकुर को देखते ही उठते हुए उनके पैर पड़ी।
ठाकुर ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए उठा लिया, और अपनी बहुओं के साथ चलते हुए खाने की टेबल तक आ गया। ठाकुर ने एक कुर्सी पर बैठते हुए पानी से हाथ धोए और सब मिलकर खाना खाने लगे।
खाना खतम करने के बाद ठाकुर ने कहा- “चलो आज हमारे कमरे में चलकर बातें करते हैं, मुझे अपनी बहुओं से। बहुत बातें करनी हैं...”
ठाकुर की बात सुनकर सभी बड़े ठाकुर के कमरे में जाने लगे। कमरे में पहुँचते ही मनीष और रवी जाकर सोफे पर बैठ गए। ठाकुर ने बेड पर बैठते हुए धन्नो और करुणा को अपने पास बेड पर बैठने को कहा। ठाकुर धन्नो और करुणा के बैठने के बाद उनसे बातें करने लगा। थोड़ी ही देर बाद शिल्पा कमरे का दरवाजा खोलते हुए शरबत का एक जग और ग्लास लेकर कमरे में दाखिल हुई। शिल्पा ग्लासों में शरबत डालने लगी।
रवी ने मनीष से कहा- “सुना है गाँव में मेला लगा है...”
मनीष- “हाँ यार मैंने भी किसी के मुँह से सुना था...” मनीष रवी के बात सुनते हुए बोला।
रवि- “मनीष चलो ना आज शाम को भाभी और छोरी को मेला घुमाने ले चलें..." रवी ने मनीष की तरफ देखते हुए कहा।
रवी की बात सुनकर मनीष की आँखों में चमक आ गई और धन्नो और करुणा की तरफ देखते हुए कहा- “क्या
कहती हो, चलें शाम को मेला घूमने?”
करुणा ने कहा- “हाँ मैं तैयार हूँ चलने के लिए...”
करुणा की बात सुनकर धन्नों ने भी कहा- “सब राजी हो, तो भला मुझे क्या ऐतराज हो सकता है?”
शिल्पा शरबत के ग्लास सबके हाथों में देते हुए वहां से चली गई। ठाकुर सबकी बातें गौर से सुन रहा था, उसने कहा- “एक काम करो इन दोनों को अभी घर छोड़ आओ, शाम को इन्हें वहाँ से लेते जाना। वरना इनके रिश्तेदार बुरा मान जाएंगे...”
ठाकुर की बात सुनकर मनीष ने शरबत का खाली ग्लास टेबल पर रखते हुए कहा- “आप ठीक कह रहे हैं। हम कुछ देर के बाद इन्हें घर छोड़ आते हैं. और फिर सब आपस में बातें करने लगे। एक घंटे तक वो आपस में बातें करते रहे और फिर मनीष उन दोनों को घर पर छोड़कर आ गया।
घर के अंदर दाखिल होते हुए धन्नो ने करुणा से कहा- “आज शाम को तो बहुत मस्ती करेंगे मेले में..."
करुणा ने कहा- “हाँ दीदी घर में बैठे-बैठे बोर होते रहते हैं आज खूब मजे करेंगे मेले में..." धन्नो और करुणा जैसे ही अंदर दाखिल हुई, वो हैरान रह गई क्योंकी घर में कोई भी नहीं था और मोहित के कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। धन्नो ने दरवाजे के पास आते हुए अपने कान दरवाजे के करीब कर लिये।
रिया की आवाज- “छोड़ो ना तुमने कहा था सिर्फ गालों पर चुम्मी दोगे, मगर तुम तो बहुत गंदे हो मेरे होंठों को चूमने लगे...” अंदर से रिया की आवाज आई।
धन्नो समझ गई के मोहित रिया के साथ मजे कर रहा है। धन्नो ने फिर से गौर से सुनने की कोशिश की।
मोहित- “करने दो ना वैसे भी हमारी शादी होने वाली है और इन सबसे कुछ होता भी नहीं है...” मोहित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
रिया- “नहीं तुम एक नंबर के झूठे हो। जब शादी हो जाये तो फिर कर लेना...” रिया ने गुस्से में कहा।
मोहित- “देख रिया गाँव में मेला लगा है अगर तुम मुझे अपने होंठों पर चूमने दोगी तो शाम को मैं तुम्हें मेला घुमाने ले जाऊँगा..” मोहित ने रिया को खुश करने के लिए आखिरी पत्ता फेंका।
रिया- “सच में तुम मुझे मेला घुमाने ले जाओगे?” रिया ने खुश होते हुए कहा।
मोहित अपनी कामयाबी पर खुश होते हुए- “हाँ जान तुम्हारी कसम मैं तुम्हें मेला घुमाने ले जाऊँगा..."
रिया- “ठीक है मगर थोड़ी देर ही चूमना...” रिया ने राजी होते हुए कहा।
मोहित ने रिया की इजाजत पाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और बहुत जोर से चूसने लगा। धन्नो को अब कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी वो समझ गई की मोहित रिया के होंठों का रस पी रहा है। धन्नो को। अचानक आवाज सुनाई दी।
रिया- “हम्म्म्म ... छोड़ो तुम बहुत गंदे हो... ऐसे भी कोई होंठों को चूसता है। मेरा दम घुटा जा रहा था...” रिया ने गुस्सा होते हुए कहा।
मोहित- “यार अब क्या हुआ थोड़ी देर चूमने दो ना बहुत लजीज हैं तुम्हारे होंठ..” मोहित ने फिर से रिया को मिन्नत करते हुए कहा।