30-01-2019, 12:14 AM
रवी ने शिल्पा की चूत से लण्ड निकाला और बेड पर सीधा लेट गया। शिल्पा की चूत सूजकर लाल हो चुकी थी। रवी का लण्ड निकलते ही उसे कुछ सुकून मिला। शिल्पा ने रवी के लण्ड को पहले अपनी जीभ से चाटकर साफ किया और फिर अपने हाथ से जोर से ऊपर-नीचे करने लगी। पांच मिनट तक वो उसके लण्ड को ऊपर-नीचे करती रही। वो उसके लण्ड को ऊपर-नीचे करते हुए कभी-कभी उसके सुपाड़े को अपनी जीभ से चाट भी रही थी।
रवी का जिश्म अचानक अकड़ने लगा और उसका लण्ड फूलने लगा। शिल्पा ने रवी के लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में डाल लिया और अपने हाथ से उसके लण्ड को ऊपर-नीचे करने लगी। रवी के मुँह अचानक से एक चीख निकली। और उसके चूतड़ थोड़ा ऊपर उठ गये। रवी के चूतड़ उछालने से उसका लण्ड 3 इंच तक शिल्पा के मुँह में चला गया और रवी के लण्ड से वीर्य का सैलाब निकलने लगा। रवी के लण्ड से निकलती हुई पहली पिचकारी शिल्पा के हलक से जा टकराई। रवी के लण्ड से जाने कितनी पिचकारियां छूटी। शिल्पा का पूरा मुँह रवी के वीर्य से भर गया और वीर्य उसके मुंह से निकालकर उसकी चूचियों पर गिरने लगा।
रवी का झड़ना जब खतम हुआ तो शिल्पा वहाँ से उठकर बाथरूम चली गई। शिल्पा अपने आपको साफ करने के बाद वापस आकर अपने कपड़े पहनने लगी। शिल्पा ने कपड़े पहनने के बाद रवी की तरफ देखा, तो वो सो चुका था। शिल्पा उसके कमरे का दरवाजा बंद करते हुए हवेली से निकल गई। रास्ते में शिल्पा को एक आदमी मिला जिससे वो गले जा लगी और रोने लगी।
वो शख्स परेशान होते हुए बोला- “क्या हुआ तुमसे कुछ गलत हो गया क्या?”
शिल्पा ने कहा- “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं। अब ठाकुर को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता..."
शिल्पा की बात सुनकर वो शख्स खुश होते हुए बोला- “पगली फिर तुम रो क्यों रही हो?”
शिल्पा ने कहा- “अपने नशीब पर। अंजाने में मैंने अपना जिम ठाकुर को सौंप दिया था। मुझे क्या पता वो इतना बड़ा कमीना है और अब सब कुछ जानने के बाद अपना बदला लेने के लिए मुझे उसके बेटे को अपना जिम सौंपना पड़ा...” शिल्पा यह कहते हुए फिर से उस शख्स के कंधे पर सिर रखकर रोने लगी।
उस शख्स ने अपने हाथों से शिल्पा की पीठ को सहलाते हुए कहा- “मुझे पता है की तुम सब मजबूरी में कर रही हो। मैंने तुमसे पहले भी कहा था, अब भी कह रहा हूँ की ठाकुर से बदला लेने के बाद हम यहाँ से कहीं दूर जाकर शादी कर लेंगे..."
शिल्पा ने उस शख्स की बात सुनते ही उसको अपनी बाहों में भरते हुए उसके होंठों पर एक चुम्मी दे दी, और उससे कहा- “तुम इतने दिनों से शहर में थे, कुछ पता चला मनीष के बारे में...”
उस शख्स ने कहा- “मैं शहर के पास वाले जंगल में अपने साथियों के साथ ठहरा था, कुछ खास जान नहीं पाया, मगर वो बहुत शरीफ लड़का है। मनीष में कोई बुरी आदत नहीं है। लगता है वो ठाकुर का नहीं उसकी बीवी के । यार का बेटा है...”
शिल्पा उसकी बात सुनकर हँसते हुए कहने लगी- “सूरज बहुत देर हो गई, है मैं जा रही हूँ.”
सूरज ने शिल्पा को अपनी बाहों से आजाद करते हुए कहा- “तुम हँसते हुए बहुत अच्छी लगती हो, मैं यही तो चाहता हूँ की तुम हमेशा यूँ ही हँसती रहो...”
शिल्पा ने फिर से सूरज के होंठों पर चुम्मी देते हुए कहा- “तुम मेरी कितनी चिंता करते हो? अपना भी कुछ
खयाल रखो बहुत पतले हो गये हो...” ।
सूरज ने शिल्पा की बात सुनते हुए कहा- “मैं भले पतला हो गया हूँ मगर वो अभी तक वैसे ही लंबा और मोटा है..” यह कहते हुए सूरज ने शिल्पा को आँख मार दी।
शिल्पा शर्म से लाल होते हुए सूरज को बाइ कहते हुए वहाँ से जाते हुए अपने घर पहुँच गई। अपने घर का लाक खोलते हुए वो कमरे में पहुँच गई। शिल्पा ने देखा की उसका बापू सोया हुआ है।
वो अपने बापू के करीब जाते हुए दिल में सोचने लगी- “बापू तुमने इतना बड़ा दर्द मुझसे छुपाए हुए अपने दिल में रखा, कम से कम जब मैं हवेली में काम करने जा रही थी तो मुझे वहाँ काम करने से रोक लेते...” शिल्पा । यह सोचते हुए अपनी खटिया पर जाकर लेट गई और थोड़ी ही देर में वो नींद के आगोश में चली गई।
रवी का जिश्म अचानक अकड़ने लगा और उसका लण्ड फूलने लगा। शिल्पा ने रवी के लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में डाल लिया और अपने हाथ से उसके लण्ड को ऊपर-नीचे करने लगी। रवी के मुँह अचानक से एक चीख निकली। और उसके चूतड़ थोड़ा ऊपर उठ गये। रवी के चूतड़ उछालने से उसका लण्ड 3 इंच तक शिल्पा के मुँह में चला गया और रवी के लण्ड से वीर्य का सैलाब निकलने लगा। रवी के लण्ड से निकलती हुई पहली पिचकारी शिल्पा के हलक से जा टकराई। रवी के लण्ड से जाने कितनी पिचकारियां छूटी। शिल्पा का पूरा मुँह रवी के वीर्य से भर गया और वीर्य उसके मुंह से निकालकर उसकी चूचियों पर गिरने लगा।
रवी का झड़ना जब खतम हुआ तो शिल्पा वहाँ से उठकर बाथरूम चली गई। शिल्पा अपने आपको साफ करने के बाद वापस आकर अपने कपड़े पहनने लगी। शिल्पा ने कपड़े पहनने के बाद रवी की तरफ देखा, तो वो सो चुका था। शिल्पा उसके कमरे का दरवाजा बंद करते हुए हवेली से निकल गई। रास्ते में शिल्पा को एक आदमी मिला जिससे वो गले जा लगी और रोने लगी।
वो शख्स परेशान होते हुए बोला- “क्या हुआ तुमसे कुछ गलत हो गया क्या?”
शिल्पा ने कहा- “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं। अब ठाकुर को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता..."
शिल्पा की बात सुनकर वो शख्स खुश होते हुए बोला- “पगली फिर तुम रो क्यों रही हो?”
शिल्पा ने कहा- “अपने नशीब पर। अंजाने में मैंने अपना जिम ठाकुर को सौंप दिया था। मुझे क्या पता वो इतना बड़ा कमीना है और अब सब कुछ जानने के बाद अपना बदला लेने के लिए मुझे उसके बेटे को अपना जिम सौंपना पड़ा...” शिल्पा यह कहते हुए फिर से उस शख्स के कंधे पर सिर रखकर रोने लगी।
उस शख्स ने अपने हाथों से शिल्पा की पीठ को सहलाते हुए कहा- “मुझे पता है की तुम सब मजबूरी में कर रही हो। मैंने तुमसे पहले भी कहा था, अब भी कह रहा हूँ की ठाकुर से बदला लेने के बाद हम यहाँ से कहीं दूर जाकर शादी कर लेंगे..."
शिल्पा ने उस शख्स की बात सुनते ही उसको अपनी बाहों में भरते हुए उसके होंठों पर एक चुम्मी दे दी, और उससे कहा- “तुम इतने दिनों से शहर में थे, कुछ पता चला मनीष के बारे में...”
उस शख्स ने कहा- “मैं शहर के पास वाले जंगल में अपने साथियों के साथ ठहरा था, कुछ खास जान नहीं पाया, मगर वो बहुत शरीफ लड़का है। मनीष में कोई बुरी आदत नहीं है। लगता है वो ठाकुर का नहीं उसकी बीवी के । यार का बेटा है...”
शिल्पा उसकी बात सुनकर हँसते हुए कहने लगी- “सूरज बहुत देर हो गई, है मैं जा रही हूँ.”
सूरज ने शिल्पा को अपनी बाहों से आजाद करते हुए कहा- “तुम हँसते हुए बहुत अच्छी लगती हो, मैं यही तो चाहता हूँ की तुम हमेशा यूँ ही हँसती रहो...”
शिल्पा ने फिर से सूरज के होंठों पर चुम्मी देते हुए कहा- “तुम मेरी कितनी चिंता करते हो? अपना भी कुछ
खयाल रखो बहुत पतले हो गये हो...” ।
सूरज ने शिल्पा की बात सुनते हुए कहा- “मैं भले पतला हो गया हूँ मगर वो अभी तक वैसे ही लंबा और मोटा है..” यह कहते हुए सूरज ने शिल्पा को आँख मार दी।
शिल्पा शर्म से लाल होते हुए सूरज को बाइ कहते हुए वहाँ से जाते हुए अपने घर पहुँच गई। अपने घर का लाक खोलते हुए वो कमरे में पहुँच गई। शिल्पा ने देखा की उसका बापू सोया हुआ है।
वो अपने बापू के करीब जाते हुए दिल में सोचने लगी- “बापू तुमने इतना बड़ा दर्द मुझसे छुपाए हुए अपने दिल में रखा, कम से कम जब मैं हवेली में काम करने जा रही थी तो मुझे वहाँ काम करने से रोक लेते...” शिल्पा । यह सोचते हुए अपनी खटिया पर जाकर लेट गई और थोड़ी ही देर में वो नींद के आगोश में चली गई।