30-01-2019, 12:11 AM
शिल्पा हैरान रह गई। क्योंकी वो डेली रवी के कमरे का दरवाजा बंद करती थी, तो वो हमेशा सोया हुआ होता था। शिल्पा डर के मारे काँपने लगी। वो सोच रही थी की रवी जाने क्या सोच रहा होगा की वो इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है? इसी खौफ की वजह से वो दरवाजे को बंद करके जाने की सोच ही रही थी।
तभी रवी ने उसकी तरफ देखते हुए लड़खड़ाती आवाज में कहा- “शिल्पा तुम इस वक़्त यहाँ क्या कर रही हो?”
शिल्पा ने काँपते हुए कहा- “रवी, मैं ठाकुर साहब से पैसे लेने आई, थी क्योंकी बापू की तबीयत ठीक नहीं है...”
शिल्पा की बात सुनकर रवी ने कहा- “दरवाजा बंद करके अंदर आ जाओ, मुझे सिर में दर्द है थोड़ा सा दबा दो...”
शिल्पा रवी की बात सुनकर दरवाजा बंद करते हुए अंदर आ गई और रवी के पास बेड पर बैठते हुए उसका सिर दबाने लगी। रवी बड़े गौर से शिल्पा को घूर रहा था। नाइटगाउन पहनने की वजह से और कुछ तो नहीं पर उसकी चिकनी टाँगें रवी को नजर आ रही थी।
शिल्पा ने कुछ देर बाद रवी से कहा- “छोटे ठाकुर, बाबूजी मेरा इंतजार कर रहे होंगे। मैं जाऊँ?”
रवी ने गुस्से से कहा- “तुम्हें इतनी जल्दी है क्या? नीचे बैठकर मेरी टाँगों को दबाओ, मुझे जब नींद आ जाए तो तुम चली जाना...”
शिल्पा चुप होकर वहाँ से उठते हुए नीचे जाकर बैठ गई और रवी के टाँगों से कंबल को ऊपर करते हुए उसकी टाँगों को दबाने लगी। शिल्पा को रवी की टाँगें दबाते हुए अपने पूरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी क्योंकी रवी के जिश्म को शिल्पा ने कभी नहीं छुआ था।
रवी ने शिल्पा से कहा- “ऊपर टीक से बैठो और मेरी टाँगों को थोड़ा ऊपर दबाओ जांघों के पास...”
शिल्पा रवी की बात सुनकर बेड पर चढ़कर बैठ गई, और कंबल को और ऊपर करने लगी। रवी का कंबल ऊपर करते हुए अचानक शिल्पा का नाइटगाउन आगे से थोड़ा खुल गया। शिल्पा ने जल्दी से उसे ठीक कर दिया। मगर रवी की नजर तब तक शिल्पा की ढीली ब्रा में कैद बड़ी-बड़ी चूचियों का दीदार कर चुकी थी। रवी का लण्ड जो पहले से तना हुआ था अब बहुत जोर से कंबल पर ठोकरें मारने लगा। रवी ने अपने कंबल को अपने हाथों से खींचकर बहुत ऊपर कर दिया। रवी की पूरी टाँगें नंगी शिल्पा के सामने थीं। रवी का लण्ड अब भी कंबल में था।
रवी ने शिल्पा से अपनी जाँघ पर हाथ रखते हुए कहा- “यहाँ दबाओ...”
शिल्पा ऊपर होते हुए अपना हाथ रवी की जाँघ पर रखकर उसे दबाने लगी।
शिल्पा का नरम हाथ अपनी जाँघ पर पड़ते ही रवी के मुँह से “आहह्ह..” निकल गया।
शिल्पा ने रवी से कहा- “क्या हुआ छोटे मालिक?”
रवी ने कहा- “कुछ नहीं, बहुत दर्द है। वहां पर तुम दबाती रहो...”
शिल्पा रवी की बात सुनकर उसकी जाँघों को फिर से दबाने लगी। शिल्पा आज दिल ही दिल में बहुत खुश थी। क्योंकी उसका प्यार और उसका बिछाया हुआ जाल कामयाब हो रहा था। ठाकुर तो पहले से शिल्पा के काबू में था, मगर आज जानबूझ कर ठाकुर के कमरे का दरवाजा बंद ना करके शिल्पा ने रवी को भी अपने जाल में लाने की साजिश की थी, जो कामयाब हो गई थी। शिल्पा का नाइटगाउन फिर से आगे से खुल चुका था, मगर इस बार उसने उसे बंद नहीं किया और ऐसे ही रवी की जांघों को सहलाती रही।
रवी की नजर शिल्पा की चूचियों पर टिक गई थी।
शिल्पा दिल ही दिल में अपने प्लान की कामयाबी पर मुश्कुराते हुए खुश हो रही थी। शिल्पा ने नाइटगाउन सिर्फ अपने प्लान को कामयाब बनाने के लिए पहना था। अचानक शिल्पा ने रवी की जाँघ को सहलाते हुए अपना हाथ थोड़ा ऊपर करते हुए उसके लण्ड को अपने हाथों से दबा दिया, और जल्दी से अपना हाथ वहाँ से हटाते हुए नीचे कर दिया।
तभी रवी ने उसकी तरफ देखते हुए लड़खड़ाती आवाज में कहा- “शिल्पा तुम इस वक़्त यहाँ क्या कर रही हो?”
शिल्पा ने काँपते हुए कहा- “रवी, मैं ठाकुर साहब से पैसे लेने आई, थी क्योंकी बापू की तबीयत ठीक नहीं है...”
शिल्पा की बात सुनकर रवी ने कहा- “दरवाजा बंद करके अंदर आ जाओ, मुझे सिर में दर्द है थोड़ा सा दबा दो...”
शिल्पा रवी की बात सुनकर दरवाजा बंद करते हुए अंदर आ गई और रवी के पास बेड पर बैठते हुए उसका सिर दबाने लगी। रवी बड़े गौर से शिल्पा को घूर रहा था। नाइटगाउन पहनने की वजह से और कुछ तो नहीं पर उसकी चिकनी टाँगें रवी को नजर आ रही थी।
शिल्पा ने कुछ देर बाद रवी से कहा- “छोटे ठाकुर, बाबूजी मेरा इंतजार कर रहे होंगे। मैं जाऊँ?”
रवी ने गुस्से से कहा- “तुम्हें इतनी जल्दी है क्या? नीचे बैठकर मेरी टाँगों को दबाओ, मुझे जब नींद आ जाए तो तुम चली जाना...”
शिल्पा चुप होकर वहाँ से उठते हुए नीचे जाकर बैठ गई और रवी के टाँगों से कंबल को ऊपर करते हुए उसकी टाँगों को दबाने लगी। शिल्पा को रवी की टाँगें दबाते हुए अपने पूरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी क्योंकी रवी के जिश्म को शिल्पा ने कभी नहीं छुआ था।
रवी ने शिल्पा से कहा- “ऊपर टीक से बैठो और मेरी टाँगों को थोड़ा ऊपर दबाओ जांघों के पास...”
शिल्पा रवी की बात सुनकर बेड पर चढ़कर बैठ गई, और कंबल को और ऊपर करने लगी। रवी का कंबल ऊपर करते हुए अचानक शिल्पा का नाइटगाउन आगे से थोड़ा खुल गया। शिल्पा ने जल्दी से उसे ठीक कर दिया। मगर रवी की नजर तब तक शिल्पा की ढीली ब्रा में कैद बड़ी-बड़ी चूचियों का दीदार कर चुकी थी। रवी का लण्ड जो पहले से तना हुआ था अब बहुत जोर से कंबल पर ठोकरें मारने लगा। रवी ने अपने कंबल को अपने हाथों से खींचकर बहुत ऊपर कर दिया। रवी की पूरी टाँगें नंगी शिल्पा के सामने थीं। रवी का लण्ड अब भी कंबल में था।
रवी ने शिल्पा से अपनी जाँघ पर हाथ रखते हुए कहा- “यहाँ दबाओ...”
शिल्पा ऊपर होते हुए अपना हाथ रवी की जाँघ पर रखकर उसे दबाने लगी।
शिल्पा का नरम हाथ अपनी जाँघ पर पड़ते ही रवी के मुँह से “आहह्ह..” निकल गया।
शिल्पा ने रवी से कहा- “क्या हुआ छोटे मालिक?”
रवी ने कहा- “कुछ नहीं, बहुत दर्द है। वहां पर तुम दबाती रहो...”
शिल्पा रवी की बात सुनकर उसकी जाँघों को फिर से दबाने लगी। शिल्पा आज दिल ही दिल में बहुत खुश थी। क्योंकी उसका प्यार और उसका बिछाया हुआ जाल कामयाब हो रहा था। ठाकुर तो पहले से शिल्पा के काबू में था, मगर आज जानबूझ कर ठाकुर के कमरे का दरवाजा बंद ना करके शिल्पा ने रवी को भी अपने जाल में लाने की साजिश की थी, जो कामयाब हो गई थी। शिल्पा का नाइटगाउन फिर से आगे से खुल चुका था, मगर इस बार उसने उसे बंद नहीं किया और ऐसे ही रवी की जांघों को सहलाती रही।
रवी की नजर शिल्पा की चूचियों पर टिक गई थी।
शिल्पा दिल ही दिल में अपने प्लान की कामयाबी पर मुश्कुराते हुए खुश हो रही थी। शिल्पा ने नाइटगाउन सिर्फ अपने प्लान को कामयाब बनाने के लिए पहना था। अचानक शिल्पा ने रवी की जाँघ को सहलाते हुए अपना हाथ थोड़ा ऊपर करते हुए उसके लण्ड को अपने हाथों से दबा दिया, और जल्दी से अपना हाथ वहाँ से हटाते हुए नीचे कर दिया।