27-12-2019, 08:41 PM
फिर खुद ही बात आगे बढाता बोला,ठाकुरजी लेकिन आज त बहुत बढिया माल देखली ह,एकदम छमकछल्लो,बहिनचोद का माल रहे एकदम ठस,ऊमरो जादा ना होखी तीस से कमे ही होई,साला लौड़ा अभिओ टनटनाएल बा।वाह.कि चुंची रहे,मन त करत रहे जे पकर के मचोर दिहीं आ चुतर शाली के गांर के दरार में लौड़ा घुसेर दिं,पर शाली के.एगो बाहर के सोलहचकवा वाला झपट लिहिस,उ तीनो जने चार हजार में पटा लिहलस।पेलात होईंहे बुरचोदो तीन तीन लोगन से।हम त सोच लेले बानी अगला खेप में आएब त ओकरे पर सवारी करब,मस्त कुतिया बा हो ठाकुरजी।
यह सब सुन कर मेरी आंखों के सामने सविता भाभी का रूप नाचने लगी,मैंने आहिस्ते आवाज में उषा भाभी को कोहनी से टहोका देते हुए बोली,ए भाभी सुनतानी,भाभी बोली ठिक समझली ह,ईनका हाथ में चार हजार रूपया उहे दिहल रहे।चुप रही जे बोलता ओने ध्यान ना दिहीं।फिर आवाज देकर रमेश भैया से बोली,एजी सुनतानी,केतना देर यहां जाम खुले के ईंतजार करब।चली नहरिया वाली रसता से,जे होखी से देखल जाई।
यह सब सुन कर मेरी आंखों के सामने सविता भाभी का रूप नाचने लगी,मैंने आहिस्ते आवाज में उषा भाभी को कोहनी से टहोका देते हुए बोली,ए भाभी सुनतानी,भाभी बोली ठिक समझली ह,ईनका हाथ में चार हजार रूपया उहे दिहल रहे।चुप रही जे बोलता ओने ध्यान ना दिहीं।फिर आवाज देकर रमेश भैया से बोली,एजी सुनतानी,केतना देर यहां जाम खुले के ईंतजार करब।चली नहरिया वाली रसता से,जे होखी से देखल जाई।