30-01-2019, 12:10 AM
* * * * * * * * * *रवि ने अपने बाप ठाकुर प्रताप सिंह और नौकरानी शिल्पा चुदाई देखी, और शिल्पा को चोदा ।
रवी आज बहुत खुश था उसे अपनी पसंद की बीवी मिल गई थी, इसलिए वो देर रात तक अपने दोस्तों के साथ शराब पीकर अब हवेली में आया था। वो जैसे ही लड़खड़ाता हुआ अपने कमरे की तरफ जाने लगा, उसे ठाकुर के कमरे से किसी औरत के हँसने की आवाज आई। रवी को कुछ समझ में नहीं आया इसलिए वो ठाकुर के कमरे के दरवाज की तरफ जाने लगा।
रवी जैसे ही अपने पिता के कमरे के दरवाजे तक पहुँचा सामने का नजारा देखकर उसके पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। क्योंकी दरवाजा पूरा खुला हुआ था। रवी का बाप ठाकुर प्रताप सिंह नंगा बिस्तर पर लेटा हुआ था और उसके खड़े लण्ड पर इस घर की नौकरानी शिल्पा उछल रही थी। यह सब कुछ देखकर रवी फौरन वहाँ से दूर हटते हुए अपने कमरे में आ गया। ठाकुर और शिल्पा के बारे में सोचते हुए रवी का सिर चकरा रहा था, एक तो शराब का नशा उसपर चढ़ा हुआ था।
रवी को बार-बार शिल्पा के भारी चूतड़ और हिलती हुई बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी आँखों के सामने घूमती नजर आ रही थीं। रवी को नशे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसका लण्ड उसकी पैंट को फाड़कर बाहर निकलने के लिए उतावला हो रहा था। रवी ने अपने पूरे कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगा होकर अपने ऊपर कंबल डालकर बेड पर लेट गया।
रवी के दिमाग में बार-बार शिल्पा के नंगे जिश्म की तस्वीर आ रही थी। उसका हाथ अब अपने खड़े लण्ड पर जा चुका था, और वो अपने खंभे की तरह खड़े लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगा। रवी ने नशे की वजह से अपने कमरे का दरवाजा भी बंद नहीं किया था। हवेली की तीन चाभियां थीं, एक ठाकुर के पास, दूसरी शिल्पा और तीसरी रवी के पास, क्योंकी रवीं रात को अपने दोस्तों के साथ होता था और रात को किसी भी वक़्त आकर अपने कमरे में सो जाता था।
शिल्पा रोज रात को हवेली में आती थी। ठाकुर ने शिल्पा को कह दिया था की डेली वो रात को आया करे क्योंकी मनीष के आने के बाद दिन में चुदाई करना मुश्किल हो गया था, और वैसे भी ठाकुर यही चाहता था की रात को शिल्पा उसकी बाहों में आए। शिल्पा का घर हवेली से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए वो रात को चुपचाप हवेली आ जाती थी और जी भरकर चुदवाने के बाद रात को ही वहाँ से चली जाती थी। शिल्पा आज भी ठाकुर के लण्ड का जी भरकर मजा लेने के बाद उठकर अपने कपड़े पहनने लगी। ठाकुर कपड़े पहनते हुए शिल्पा को घूर रहा था।
शिल्पा ने गुस्सा करते हुए कहा- “क्यों अभी तक पेट नहीं भरा क्या आपका?”
ठाकुर ने कहा- “नहीं। मैं तुम्हारे कपड़ों को देख रहा था। आज तुमने बहुत ढीली ब्रा पहनी है, और आज तुमने साड़ी भी नहीं पहनी है, सिर्फ एक नाइटगाउन पहना हुआ है.”
शिल्पा ने झंपते हुए कहा- “वो... वैसे भी यहाँ पर रात को कपड़ों की जरूरत नहीं पड़ती, और घर पर भी मैं ऐसे ही सोती हूँ। इसलिए वहाँ से साड़ी पहनकर नहीं आई...”
ठाकुर ने मुश्कुराते हुए कहा- “ठीक है तुम घबरावो मत, मैं ऐसे ही पूछ रहा था...”
शिल्पा ने वो नाइटगाउन पहनने के बाद ठाकुर के कमरे से निकलते हुए उसके कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और वहाँ से जाने लगी। शिल्पा की नजर जाते हुए रवी के कमरे पर पड़ी, जिसका दरवाजा खुला हुआ था। वो । मुश्कुराई क्योंकी डेली रवी के कमरे का दरवाजा वो ही बंद करती थी। शिल्पा रवी के कमरे की तरफ बढ़ने लगी, वो जैसे ही कमरे के दरवाजे तक पहुँची तो, उसने देखा की रवी कंबल ओढ़कर सोया हुआ है, मगर उसकी आँखें खुली हुई थी।
रवी आज बहुत खुश था उसे अपनी पसंद की बीवी मिल गई थी, इसलिए वो देर रात तक अपने दोस्तों के साथ शराब पीकर अब हवेली में आया था। वो जैसे ही लड़खड़ाता हुआ अपने कमरे की तरफ जाने लगा, उसे ठाकुर के कमरे से किसी औरत के हँसने की आवाज आई। रवी को कुछ समझ में नहीं आया इसलिए वो ठाकुर के कमरे के दरवाज की तरफ जाने लगा।
रवी जैसे ही अपने पिता के कमरे के दरवाजे तक पहुँचा सामने का नजारा देखकर उसके पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। क्योंकी दरवाजा पूरा खुला हुआ था। रवी का बाप ठाकुर प्रताप सिंह नंगा बिस्तर पर लेटा हुआ था और उसके खड़े लण्ड पर इस घर की नौकरानी शिल्पा उछल रही थी। यह सब कुछ देखकर रवी फौरन वहाँ से दूर हटते हुए अपने कमरे में आ गया। ठाकुर और शिल्पा के बारे में सोचते हुए रवी का सिर चकरा रहा था, एक तो शराब का नशा उसपर चढ़ा हुआ था।
रवी को बार-बार शिल्पा के भारी चूतड़ और हिलती हुई बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी आँखों के सामने घूमती नजर आ रही थीं। रवी को नशे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उसका लण्ड उसकी पैंट को फाड़कर बाहर निकलने के लिए उतावला हो रहा था। रवी ने अपने पूरे कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगा होकर अपने ऊपर कंबल डालकर बेड पर लेट गया।
रवी के दिमाग में बार-बार शिल्पा के नंगे जिश्म की तस्वीर आ रही थी। उसका हाथ अब अपने खड़े लण्ड पर जा चुका था, और वो अपने खंभे की तरह खड़े लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगा। रवी ने नशे की वजह से अपने कमरे का दरवाजा भी बंद नहीं किया था। हवेली की तीन चाभियां थीं, एक ठाकुर के पास, दूसरी शिल्पा और तीसरी रवी के पास, क्योंकी रवीं रात को अपने दोस्तों के साथ होता था और रात को किसी भी वक़्त आकर अपने कमरे में सो जाता था।
शिल्पा रोज रात को हवेली में आती थी। ठाकुर ने शिल्पा को कह दिया था की डेली वो रात को आया करे क्योंकी मनीष के आने के बाद दिन में चुदाई करना मुश्किल हो गया था, और वैसे भी ठाकुर यही चाहता था की रात को शिल्पा उसकी बाहों में आए। शिल्पा का घर हवेली से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए वो रात को चुपचाप हवेली आ जाती थी और जी भरकर चुदवाने के बाद रात को ही वहाँ से चली जाती थी। शिल्पा आज भी ठाकुर के लण्ड का जी भरकर मजा लेने के बाद उठकर अपने कपड़े पहनने लगी। ठाकुर कपड़े पहनते हुए शिल्पा को घूर रहा था।
शिल्पा ने गुस्सा करते हुए कहा- “क्यों अभी तक पेट नहीं भरा क्या आपका?”
ठाकुर ने कहा- “नहीं। मैं तुम्हारे कपड़ों को देख रहा था। आज तुमने बहुत ढीली ब्रा पहनी है, और आज तुमने साड़ी भी नहीं पहनी है, सिर्फ एक नाइटगाउन पहना हुआ है.”
शिल्पा ने झंपते हुए कहा- “वो... वैसे भी यहाँ पर रात को कपड़ों की जरूरत नहीं पड़ती, और घर पर भी मैं ऐसे ही सोती हूँ। इसलिए वहाँ से साड़ी पहनकर नहीं आई...”
ठाकुर ने मुश्कुराते हुए कहा- “ठीक है तुम घबरावो मत, मैं ऐसे ही पूछ रहा था...”
शिल्पा ने वो नाइटगाउन पहनने के बाद ठाकुर के कमरे से निकलते हुए उसके कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और वहाँ से जाने लगी। शिल्पा की नजर जाते हुए रवी के कमरे पर पड़ी, जिसका दरवाजा खुला हुआ था। वो । मुश्कुराई क्योंकी डेली रवी के कमरे का दरवाजा वो ही बंद करती थी। शिल्पा रवी के कमरे की तरफ बढ़ने लगी, वो जैसे ही कमरे के दरवाजे तक पहुँची तो, उसने देखा की रवी कंबल ओढ़कर सोया हुआ है, मगर उसकी आँखें खुली हुई थी।