30-01-2019, 12:06 AM
मौसी की बात सुनते ही बूढ़ा मौसी की चूचियों को पकड़ते हुए बहुत तेजी के साथ उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। मौसी भी कुछ ही देर में फिर से गरम होते हुए काँपने लगी, और वो अपने चूतड़ों को बूढ़े के लण्ड पर जोर-जोर से धक्के देते हुए झड़ने लगी। झड़ते हुए मौसी ने अपनी आँखें बंद कर ली। उस बूढ़े ने मौसी की चूत के रस से भीगा हुआ अपना लण्ड बाहर निकालते हुए मौसी की गाण्ड पर रखकर एक जोर का धक्का लगा दिया। मौसी की गाण्ड में उस बूढ़े का आधा लण्ड घुस चुका था।
मौसी चीखी- “ऊईई... साले हरामी बिना बताए ही घुसा दिया...”
बूढ़ा मौसी की परवाह ना करते हुए उसकी कमर में हाथ डालते हुए दो-चार जोर के धक्के लगाकर अपना लण्ड मौसी की गाण्ड में पूरा घुसा दिया और बहुत जोर-जोर से उसकी गाण्ड को चोदते हुए हाँफते हुए अपने वीर्य से उसकी गाण्ड को भरने लगा।
मौसी की गाण्ड में पूरा लण्ड घुसते ही उसके मुँह से एक जोर की चीख निकल गई मगर फिर धन्नो का सोचते हुए उसने अपना मुँह तकिये में घुसा दिया। ताकी उसके चीखने से धन्नो ना जाग जाए। मौसी उस बूढ़े के झड़ने के बाद वहीं पर सीधा होकर लेट गई। उसकी आँखों से अब भी आँसू निकल रहे थे। उसने बूढ़े की तरफ देखते हुए कहा- “साले हरामी बहुत कमीना है तू... थोड़ा भी रहम नहीं आया तुझे...”
धन्नो एक बार झड़ चुकी थी मगर वो अपने आपको बूढे के सामने नंगा होने के खयाल से ही फिर से उत्तेजित हो रही थी। मौसी ने कुछ देर तक यूँ ही लेटे रहने के बाद बूढ़े से कहा- “साले अब बताओ कैसे इस लौंडिया को नंगा करोगे?"
बूढ़े ने कहा- “मेरे पास एक दवा है, जिसे मैं रुमाल पर लगाकर उसकी नाक पर रबँगा, उसे पूँघते ही यह लौंडिया एक घंटे तक अपने होश खो देगी..."
मौसी ने अपने मुँह पर हाथ रखते हुए कहा- “साले कुत्ते... तुम तो बहुत हरामी हो...”
वो बूढ़ा उठते हुए अपनी कमीज से एक दवा और रुमाल निकाला और वो दवाई रुमाल पर लगाते हुए धन्नों की खटिया की तरफ बढ़ने लगा।
धन्नो उनकी सारी बातें सुन चुकी थी। वो नहीं चाहती थी की वो बेहोश हो क्योंकी वो उस बूढ़े से अपने होश में रहकर मजे लेना चाहती थी। बूढ़े ने धन्नो की खटिया के पास पहुँचते ही धन्नो के ऊपर से चादर को हटा दिया। धन्नो ने पहले से ही अपनी आँखें बंद कर ली थी, और वो सोने का नाटक कर रही थी। बूढ़े ने दवाई वाला रुमाल आगे बढ़ाते हुए धन्नो की नाक पर रख दिया।
उस बूढ़े ने कुछ देर तक धन्नों की नाक पर रुमाल डाले रखा और फिर उसकी नाक से रुमाल हटाते हुए वापस जाकर अपनी कमीज में रख दिया। धन्नो ने बूढ़े के रुमाल रखने से पहले अपनी साँसें बंद कर ली थी, जिस वजह से वो बेहोश नहीं हुई थी।
बूढ़े ने मौसी से कहा- “जाओ तुम उस लौंडिया को जाकर देखो की वो बेहोश हुई या नहीं?”
मौसी धन्नो के पास जाकर उसे अपने हाथों से झंझोड़ते हुए कहने लगी- “धन्नो क्या तुम जाग रही हो?”
धन्नो चुपचाप सोने का नाटक करने लगी।
मौसी ने बूढ़े से कहा- “यह सच में बेहोश हो गई है...”
मौसी की बात सुनकर बूढ़ा खुश होते हुए धन्नो के पास आ गया और उसकी चादर को खींचकर उसके ऊपर से हटा दिया। धन्नो चुपचाप सीधी सोई हुई थी और उसकी साँसों के साथ उसकी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थी।
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बूढ़ा- “वाह लौंडिया तो बहुत गोरी और चिकनी है, साली का माल कैसा होगा?” यह कहते हुए बूढ़े ने धन्नो की साड़ी को उसके पेट से हटा दिया। धन्नो के दूध जैसे गोरे पेट को देखकर बूढ़ा लार टपकाने लगा। बूढ़े ने धन्नो
की खटिया पर बैठते हुए अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।
बूढ़ा- “वाह साली का क्या जिश्म है... मुझे ऐसे महसूस हो रहा है जैसे किसी शीशे पर अपना हाथ फिरा रहा हूँ..." बूढ़े ने खुश होते हुए कहा।
मौसी भी वहाँ खड़ी धन्नो को देख रही थी।
धन्नो बूढ़े का हाथ अपने पेट पर पड़ते ही सिहर उठी थी, उसे बहुत ज्यादा गुदगुदी महसूस हो रही थी और बूढ़े का सख़्त हाथ अपने पेट पर पड़ते ही वो फिर से गरम होने लगी थी। बूढ़े ने कुछ देर तक धन्नो के पेट को । सहलाने के बाद अपना मुँह नीचे करते हुए धन्नो के पेट पर रख दिया और उसे अपने होंठों से चूमने लगा।
मौसी चीखी- “ऊईई... साले हरामी बिना बताए ही घुसा दिया...”
बूढ़ा मौसी की परवाह ना करते हुए उसकी कमर में हाथ डालते हुए दो-चार जोर के धक्के लगाकर अपना लण्ड मौसी की गाण्ड में पूरा घुसा दिया और बहुत जोर-जोर से उसकी गाण्ड को चोदते हुए हाँफते हुए अपने वीर्य से उसकी गाण्ड को भरने लगा।
मौसी की गाण्ड में पूरा लण्ड घुसते ही उसके मुँह से एक जोर की चीख निकल गई मगर फिर धन्नो का सोचते हुए उसने अपना मुँह तकिये में घुसा दिया। ताकी उसके चीखने से धन्नो ना जाग जाए। मौसी उस बूढ़े के झड़ने के बाद वहीं पर सीधा होकर लेट गई। उसकी आँखों से अब भी आँसू निकल रहे थे। उसने बूढ़े की तरफ देखते हुए कहा- “साले हरामी बहुत कमीना है तू... थोड़ा भी रहम नहीं आया तुझे...”
धन्नो एक बार झड़ चुकी थी मगर वो अपने आपको बूढे के सामने नंगा होने के खयाल से ही फिर से उत्तेजित हो रही थी। मौसी ने कुछ देर तक यूँ ही लेटे रहने के बाद बूढ़े से कहा- “साले अब बताओ कैसे इस लौंडिया को नंगा करोगे?"
बूढ़े ने कहा- “मेरे पास एक दवा है, जिसे मैं रुमाल पर लगाकर उसकी नाक पर रबँगा, उसे पूँघते ही यह लौंडिया एक घंटे तक अपने होश खो देगी..."
मौसी ने अपने मुँह पर हाथ रखते हुए कहा- “साले कुत्ते... तुम तो बहुत हरामी हो...”
वो बूढ़ा उठते हुए अपनी कमीज से एक दवा और रुमाल निकाला और वो दवाई रुमाल पर लगाते हुए धन्नों की खटिया की तरफ बढ़ने लगा।
धन्नो उनकी सारी बातें सुन चुकी थी। वो नहीं चाहती थी की वो बेहोश हो क्योंकी वो उस बूढ़े से अपने होश में रहकर मजे लेना चाहती थी। बूढ़े ने धन्नो की खटिया के पास पहुँचते ही धन्नो के ऊपर से चादर को हटा दिया। धन्नो ने पहले से ही अपनी आँखें बंद कर ली थी, और वो सोने का नाटक कर रही थी। बूढ़े ने दवाई वाला रुमाल आगे बढ़ाते हुए धन्नो की नाक पर रख दिया।
उस बूढ़े ने कुछ देर तक धन्नों की नाक पर रुमाल डाले रखा और फिर उसकी नाक से रुमाल हटाते हुए वापस जाकर अपनी कमीज में रख दिया। धन्नो ने बूढ़े के रुमाल रखने से पहले अपनी साँसें बंद कर ली थी, जिस वजह से वो बेहोश नहीं हुई थी।
बूढ़े ने मौसी से कहा- “जाओ तुम उस लौंडिया को जाकर देखो की वो बेहोश हुई या नहीं?”
मौसी धन्नो के पास जाकर उसे अपने हाथों से झंझोड़ते हुए कहने लगी- “धन्नो क्या तुम जाग रही हो?”
धन्नो चुपचाप सोने का नाटक करने लगी।
मौसी ने बूढ़े से कहा- “यह सच में बेहोश हो गई है...”
मौसी की बात सुनकर बूढ़ा खुश होते हुए धन्नो के पास आ गया और उसकी चादर को खींचकर उसके ऊपर से हटा दिया। धन्नो चुपचाप सीधी सोई हुई थी और उसकी साँसों के साथ उसकी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थी।
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बूढ़ा- “वाह लौंडिया तो बहुत गोरी और चिकनी है, साली का माल कैसा होगा?” यह कहते हुए बूढ़े ने धन्नो की साड़ी को उसके पेट से हटा दिया। धन्नो के दूध जैसे गोरे पेट को देखकर बूढ़ा लार टपकाने लगा। बूढ़े ने धन्नो
की खटिया पर बैठते हुए अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।
बूढ़ा- “वाह साली का क्या जिश्म है... मुझे ऐसे महसूस हो रहा है जैसे किसी शीशे पर अपना हाथ फिरा रहा हूँ..." बूढ़े ने खुश होते हुए कहा।
मौसी भी वहाँ खड़ी धन्नो को देख रही थी।
धन्नो बूढ़े का हाथ अपने पेट पर पड़ते ही सिहर उठी थी, उसे बहुत ज्यादा गुदगुदी महसूस हो रही थी और बूढ़े का सख़्त हाथ अपने पेट पर पड़ते ही वो फिर से गरम होने लगी थी। बूढ़े ने कुछ देर तक धन्नो के पेट को । सहलाने के बाद अपना मुँह नीचे करते हुए धन्नो के पेट पर रख दिया और उसे अपने होंठों से चूमने लगा।