27-12-2019, 07:08 PM
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ए.एस.पि. अंकिता ठाकुर
"कब आई मेडम" चौहान ने पूछा.
"सर सुबह सुबह 9 बजे से हैं अपने कमरे में काफ़ी गुस्से वाली लगती हैं...काफ़ी यंग हैं कोई 24-25 साल की होंगी"
"देखने में कैसी है...सुंदर है क्या?" चौहान ने पूछा.
"पूछो मत सर बिजली है बिजली" विजय ने कहा.
"ह्म ये तो दो दिन बाद आने वाली थी इतनी जल्दी कैसे टपक पड़ी?" चौहान ने कहा.
"सर आपको तुरंत बुलाया है उन्होने...जल्दी जाओ कही नाराज़ हो जायें" विजय ने कहा.
"ठीक है मैं जा रहा हूँ उनके कमरे में....तुम यही रूको."
"जी सर"
चौहान ए.एस.पि. अंकिता ठाकुर के कमरे में घुस जाता है.
"गुड मॉर्निंग मेडम, आय ऍम इनस्पेक्टर रंजीत चौहान...सॉरी मुझे पता नही था कि आपने आज से ही जॉइन कर लिया है"
"गुड मॉर्निंग, बैठो....ये क्या चल रहा है शहर में"
"सब ठीक ही है मेडम बस ये सीरियल किलर के केस ने परेशान कर रखा है" चौहान ने कहा.
"ऐसी परेशानी हैंडल करना हमारी ड्यूटी है मिस्टर चौहान आप ऐसी बाते करेंगे तो कैसे चलेगा. मेरे सामने आगे से ऐसी बात मत करना."
"सॉरी मेडम" चौहान ने कहा.
"ऐसा कैसे हो गया कि विटनेस को मार कर चला गया कोई और हम कुछ नही कर पाए. साथ में दो कॉन्स्टेबल भी मारे गये. यही एफीशियेन्सी है यहा पर पोलीस की" अंकिता ने कहा.
"ये सीरियल किलर बहुत ख़तरनाक है मेडम...आप अभी नये हो आपको ये सब समझने में देर लगेगी"
"शट अप....मैं नयी बेसक हूँ पर बेवकूफ़ नही....तुम इस केस को बिल्कुल भी हैंडल नही कर पा रहे"
"नही मेडम ऐसी बात नही है...कातिल की पहचान तो हो ही चुकी है....वो जल्दी पकड़ी जाएगी"
"मुझे रिज़ल्ट चाहिए मिस्टर चौहान वरना तुम्हारी छुट्टी समझे...मुझे इस केस की पल-पल की रिपोर्ट चाहिए..... इज़ देट क्लियर?"
"जी मेडम जैसा आपका हुक्म" चौहान की बोलती बंद हो चुकी थी. बड़ी मुश्किल से बोल पाया बेचारा.
"और हां मैं ये फाइल देख रही थी.....ये आशुतोष शुक्ल है कोई...सब इनस्पेक्टर के लिए सेलेक्षन हुई थी इसकी. यहा पर अब तक उसकी जाय्निंग क्यों नही ली गयी"
"मैं देख लेता हूँ मेडम मुझे इसके बारे में जानकारी नही है.."
"शाम तक इसकी भी रिपोर्ट देना मुझे.... जाओ अब"
"जी मेडम"
चौहान बाहर आ जाता है. विजय उसे देख कर उसके पास आता है.
"क्या हुआ सर, आपके माथे पर तो पसीने हैं"
"पूछो मत....कयामत आ गयी है हमारे सिर पर. साली ने खूब डांटा मुझे. आज तक ऐसा नही हुआ मेरे साथ."
"सर वो हमारी बॉस है.."
"अरे बॉस है तो क्या कुछ भी बोलेंगी..."
"क्या कहा उन्होने?"
"कहेगी क्या उसे लगता है वो ज़्यादा जानती है....चल छोड़...और हां ये यार आशुतोष की जाय्निंग करवा दो"
"सर उसने कोई पैसा तो दिया नही फिर कैसे..वैसे भी ग़लती से नाम आया था उसका लिस्ट में..जिन्होने 50-50 लाख दिए वो क्या बेवकूफ़ हैं..?"
"अरे इन बातो को मार गोली....उस कयामत ने शाम तक रिपोर्ट माँगी है इस बारे में"
"ठीक है सर जैसा आप कहे मैं भोलू हवलदार को भेज कर बुला लेता हूँ उसे...उसके घर के पास ही रहता है वो आशुतोष "
"ठीक है....जो भी करो आज शाम तक ये काम हो जाना चाहिए कहीं मुझे डाँट पड़े."
"आप चिंता मत करो सिर ये काम तो हो ही जाएगा."
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