27-12-2019, 07:02 PM
"लो कर लो बात खोदा पहाड़ और निकला चूहा" श्रद्धा ने कहा.
"तुम्हे क्या पहाड़ खोदने पर लंड की उम्मीद थी" सौरभ ने धीरे से कहा.
"जी नही....मुझसे मज़ाक मत किया करो"श्रद्धा ने कहा.
आशु को पता नही क्या सूझी उसने टीवी ऑन कर दिया.
बाय चान्स टीवी पर सुरिंदर के खून की खबर ही आ रही थी.
"बहुत ही दर्दनाक मौत दी है कातिल ने सुरिंदर को. कातिल ने उन दो कॉन्स्टेबल्स को भी मार डाला जो कि सुरिंदर के घर पर तैनात थे. पूरा शक अपर्णा पाठक और उसके नकाब पोश साथी पर है. सुरिंदर के घर के सामने रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया है कि उसने रात के कोई 11:30 बजे एक महिला को सुरिंदर के घर से निकलते देखा था. हो ना हो शायद वो महिल अपर्णा ही थी. अभी पोलीस की तरफ से कोई बयान नही आया है. दो कॉन्स्टेबल्स की मौत के बाद पोलीस महकमा भी सकते में है" न्यूज़ आंकर ने कहा.
न्यूज़ सुनते ही आशु और सौरभ हैरान रह गये. तभी अपर्णा भी टॉयलेट से बाहर आ गयी.
"आपका सपना तो सच हो गया अपर्णा जी...देखिए न्यूज़ पर दीखा रहे हैं की सुरिंदर का खून हो गया" आशु ने कहा.
"इसका मतलब तुम्हे पोलीस की वर्दी मिलने वाली है....सपने में तुम भी तो पोलीस की वर्दी में थे" सौरभ ने कहा
"अपर्णा जी पूरा सपना सूनाओ ना" आशु ने कहा.
"नही-नही मुझे पूरा सपना याद नही... जितना याद था बता दिया बाकी मैं भूल गयी" अपर्णा ने कहा.
"तुम कुछ छुपा रही हो....सच-सच बताओ मेरा आशु तुम्हारे सपने में क्या कर रहा था?" श्रद्धा ने अपर्णा के कान में कहा.
"मैं क्यों कुछ छुपाउंगी मुझे जो याद रहा बता दिया" अपर्णा ने धीरे से कहा.
"कहीं आशु तुझे झुका के तेरी चूत तो नही मार रहा था" श्रद्धा ने धीरे से कहा.
अपर्णा ने श्रद्धा की ओर गौर से देखा जैसे कि पूछ रही हो कि 'तुम्हे कैसे पता?'
"क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो जैसे कि मैने तुम्हारी चोरी पकड़ ली....अरे मैं तो मज़ाक कर रही हूँ. आशु अक्सर झुका कर चूत मारता है. वो तुम्हारे सपने में था मैने सोचा कही तुम्हारी भी मार ली हो. हक़ीकत में ऐसा सोचना भी मत तुम्हारी जान ले लूँगी मैं" श्रद्धा ने कहा.
"क्या कह रही हो अपर्णा जी को चुपचाप...उन्हे परेशान मत करो" आशु ने कहा.
अपर्णा ने आशु की तरफ देखा और मन ही मन बोली,"प्यार और वो भी आशु से कभी नही....छी कितना गंदा सपना था. सब इस श्रद्धा के कारण हुआ...हर वक्त गंदी बाते करती रहती है. कही ये सपना सच हुआ तो...नही... नही सपने की सारी बाते थोड़ा सच हो सकती हैं. पर ये सुबह का सपना है. एक बात तो सच भी हो गयी. पर जो भी हो मैं आशु जैसे लड़के से प्यार किसी भी हालत में नही कर सकती"
"कहा खो गयी और मेरे आशु को इस तरह से क्या देख रही हो" श्रद्धा ने अपर्णा को हिलाया.
"कुछ नही है हर वक्त एक ही राग मत गाया करो" अपर्णा ने कहा.
अगले ही पल अपर्णा गहरी चिंता में खो गयी.
"उस विटनेस के मरने का मतलब है कि मैं अब बुरी तरह फँस चुकी हूँ" अपर्णा ने कहा.
"ये जो भी हो है बहुत शातिर...पूरी प्लॅनिंग से काम कर रहा है" आशु ने कहा.
"अब हम क्या करेंगे?" अपर्णा ने कहा.
ये ऐसा सवाल था जिसका किसी के पास कोई जवाब नही था. कमरे में सन्नाटा हो गया. किसी ने कुछ नही कहा.
"तुम्हे क्या पहाड़ खोदने पर लंड की उम्मीद थी" सौरभ ने धीरे से कहा.
"जी नही....मुझसे मज़ाक मत किया करो"श्रद्धा ने कहा.
आशु को पता नही क्या सूझी उसने टीवी ऑन कर दिया.
बाय चान्स टीवी पर सुरिंदर के खून की खबर ही आ रही थी.
"बहुत ही दर्दनाक मौत दी है कातिल ने सुरिंदर को. कातिल ने उन दो कॉन्स्टेबल्स को भी मार डाला जो कि सुरिंदर के घर पर तैनात थे. पूरा शक अपर्णा पाठक और उसके नकाब पोश साथी पर है. सुरिंदर के घर के सामने रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया है कि उसने रात के कोई 11:30 बजे एक महिला को सुरिंदर के घर से निकलते देखा था. हो ना हो शायद वो महिल अपर्णा ही थी. अभी पोलीस की तरफ से कोई बयान नही आया है. दो कॉन्स्टेबल्स की मौत के बाद पोलीस महकमा भी सकते में है" न्यूज़ आंकर ने कहा.
न्यूज़ सुनते ही आशु और सौरभ हैरान रह गये. तभी अपर्णा भी टॉयलेट से बाहर आ गयी.
"आपका सपना तो सच हो गया अपर्णा जी...देखिए न्यूज़ पर दीखा रहे हैं की सुरिंदर का खून हो गया" आशु ने कहा.
"इसका मतलब तुम्हे पोलीस की वर्दी मिलने वाली है....सपने में तुम भी तो पोलीस की वर्दी में थे" सौरभ ने कहा
"अपर्णा जी पूरा सपना सूनाओ ना" आशु ने कहा.
"नही-नही मुझे पूरा सपना याद नही... जितना याद था बता दिया बाकी मैं भूल गयी" अपर्णा ने कहा.
"तुम कुछ छुपा रही हो....सच-सच बताओ मेरा आशु तुम्हारे सपने में क्या कर रहा था?" श्रद्धा ने अपर्णा के कान में कहा.
"मैं क्यों कुछ छुपाउंगी मुझे जो याद रहा बता दिया" अपर्णा ने धीरे से कहा.
"कहीं आशु तुझे झुका के तेरी चूत तो नही मार रहा था" श्रद्धा ने धीरे से कहा.
अपर्णा ने श्रद्धा की ओर गौर से देखा जैसे कि पूछ रही हो कि 'तुम्हे कैसे पता?'
"क्या हुआ ऐसे क्यों देख रही हो जैसे कि मैने तुम्हारी चोरी पकड़ ली....अरे मैं तो मज़ाक कर रही हूँ. आशु अक्सर झुका कर चूत मारता है. वो तुम्हारे सपने में था मैने सोचा कही तुम्हारी भी मार ली हो. हक़ीकत में ऐसा सोचना भी मत तुम्हारी जान ले लूँगी मैं" श्रद्धा ने कहा.
"क्या कह रही हो अपर्णा जी को चुपचाप...उन्हे परेशान मत करो" आशु ने कहा.
अपर्णा ने आशु की तरफ देखा और मन ही मन बोली,"प्यार और वो भी आशु से कभी नही....छी कितना गंदा सपना था. सब इस श्रद्धा के कारण हुआ...हर वक्त गंदी बाते करती रहती है. कही ये सपना सच हुआ तो...नही... नही सपने की सारी बाते थोड़ा सच हो सकती हैं. पर ये सुबह का सपना है. एक बात तो सच भी हो गयी. पर जो भी हो मैं आशु जैसे लड़के से प्यार किसी भी हालत में नही कर सकती"
"कहा खो गयी और मेरे आशु को इस तरह से क्या देख रही हो" श्रद्धा ने अपर्णा को हिलाया.
"कुछ नही है हर वक्त एक ही राग मत गाया करो" अपर्णा ने कहा.
अगले ही पल अपर्णा गहरी चिंता में खो गयी.
"उस विटनेस के मरने का मतलब है कि मैं अब बुरी तरह फँस चुकी हूँ" अपर्णा ने कहा.
"ये जो भी हो है बहुत शातिर...पूरी प्लॅनिंग से काम कर रहा है" आशु ने कहा.
"अब हम क्या करेंगे?" अपर्णा ने कहा.
ये ऐसा सवाल था जिसका किसी के पास कोई जवाब नही था. कमरे में सन्नाटा हो गया. किसी ने कुछ नही कहा.
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