27-12-2019, 06:55 PM
Update 26
"श्रद्धा की चिंता मत करो उसका मेरा कोई प्यार का रिस्ता नही है"
"शरीर का रिस्ता तो है ना"
"ऐसा रिस्ता तो श्रद्धा का काई लोगो से है...मेरे होने ना होने से उसे फर्क नही पड़ेगा"
"नही पर वो फिदा है तुम पर"
"फिदा है....ऐसा नही हो सकता...तुम्हे कैसे पता ये?"
"उसी ने बताया था..."
"बकवास है....उसको क्या कमी है लड़को की"
"नही वो कह रही थी की......" अपर्णा कहते-कहते रुक गयी
"क्या कह रही थी?"
"वो कह रही थी की तुम बहुत अच्छे से करते हो...तुम जैसा कोई नही"
"क्या अच्छे से करता हूँ मैं कुछ समझा नही अपर्णा जी"
"आशु तुम सब समझ रहे हो नादान मत बनो"
"मुझे सच में कुछ समझ नही आया...साफ साफ बताओ ना क्या कह रही थी श्रद्धा मेरे बारे में"
"वो कह रही थी की तुम वो पकड़ कर बहुत अच्छे से घुस्साते हो....समझ गये अब"
"वो मतलब कि गान्ड है ना"
"हां हां वही"
"अब मैने श्रद्धा की चूत अच्छे से मारी है तो इसका मतलब ये तो नही की मैं सारी उमर उसी के साथ रहूँगा...मेरा अपना दिल भी तो है जिसमे प्यार उमड़ रहा है तुम्हारे लिए"
"ऐसी बाते मत करो मुझे कुछ कुछ होता है"
"तुम्हे भी मुझसे प्यार हो गया है हैं ना"
"ऐसा नही है"
"ऐसा ही है अपर्णा जी"
"तुम श्रद्धा को छोड़ दोगे क्या?"
"श्रद्धा के पास बहुत आशिक हैं उसकी चिंता क्यों कर रही हो...आओ अपने प्यार का थोड़ा मज़ा ले"
"मज़ा ले मतलब?"
"मतलब की कुछ हो जाए"
"देखा ये प्यार नही हवस है तुम्हारी"
"हवस में भी तो प्यार ही है...आओ तुम्हे कुछ दीखाता हूँ"
"क्या दिखाओ"
"वही जिसकी श्रद्धा दीवानी थी"
"मुझे नही देखना"
"तुम देखे बिना रह नही पाओगि" आशु ने कहा और अपनी ज़िप खोल कर अपना भारी भरकम विसाल काय लंड बाहर खींच लिया.
अपर्णा ने आशु के लंड को सरसरी नज़र से देखा लेकिन एक बार उस पर नज़र क्या गयी वही टिकी रह गयी.
"ओह माय गॉड, ये तो बहुत बड़ा है...ये कैसे मुमकिन है"
"श्रद्धा इस लंड की दीवानी है और कुछ नही...पर आज से ये लंड तुम्हारा है छू कर देखो तुम्हे अच्छा लगेगा"
"तुम्हारा मेरा प्यार नही हो सकता"
"क्यों?"
"इतना बड़ा ना बाबा ना...मुझे नही करना ये प्यार"
"अपर्णा जी ऐसा मत कहो....ये आपको प्यार के सिवा कुछ और नही देगा"
"प्यार नही ये दर्द देगा मैं खूब समझ रही हूँ"
"ऐसा कुछ नही है डरो मत"
"डरने की बात ही है मैने इतना भयानक आज तक नही देखा"
"ओफ मैने ये लंड दीखा कर ग़लती कर ली चुपचाप तुम्हारी चूत में डाल देता तो अच्छा रहता"
"ये नही डलेगा वहां आशु...भूल जाओ मुझे"
"कैसी बात करती हो श्रद्धा तो पूरा ले लेती है....उसकी तो गान्ड में भी पूरा उतार दिया था मैने...तुम्हारे अंदर क्यों नही जाएगा फिर ये"
"मुझे नही पता पर ये मुमकिन नही है"
"श्रद्धा की चिंता मत करो उसका मेरा कोई प्यार का रिस्ता नही है"
"शरीर का रिस्ता तो है ना"
"ऐसा रिस्ता तो श्रद्धा का काई लोगो से है...मेरे होने ना होने से उसे फर्क नही पड़ेगा"
"नही पर वो फिदा है तुम पर"
"फिदा है....ऐसा नही हो सकता...तुम्हे कैसे पता ये?"
"उसी ने बताया था..."
"बकवास है....उसको क्या कमी है लड़को की"
"नही वो कह रही थी की......" अपर्णा कहते-कहते रुक गयी
"क्या कह रही थी?"
"वो कह रही थी की तुम बहुत अच्छे से करते हो...तुम जैसा कोई नही"
"क्या अच्छे से करता हूँ मैं कुछ समझा नही अपर्णा जी"
"आशु तुम सब समझ रहे हो नादान मत बनो"
"मुझे सच में कुछ समझ नही आया...साफ साफ बताओ ना क्या कह रही थी श्रद्धा मेरे बारे में"
"वो कह रही थी की तुम वो पकड़ कर बहुत अच्छे से घुस्साते हो....समझ गये अब"
"वो मतलब कि गान्ड है ना"
"हां हां वही"
"अब मैने श्रद्धा की चूत अच्छे से मारी है तो इसका मतलब ये तो नही की मैं सारी उमर उसी के साथ रहूँगा...मेरा अपना दिल भी तो है जिसमे प्यार उमड़ रहा है तुम्हारे लिए"
"ऐसी बाते मत करो मुझे कुछ कुछ होता है"
"तुम्हे भी मुझसे प्यार हो गया है हैं ना"
"ऐसा नही है"
"ऐसा ही है अपर्णा जी"
"तुम श्रद्धा को छोड़ दोगे क्या?"
"श्रद्धा के पास बहुत आशिक हैं उसकी चिंता क्यों कर रही हो...आओ अपने प्यार का थोड़ा मज़ा ले"
"मज़ा ले मतलब?"
"मतलब की कुछ हो जाए"
"देखा ये प्यार नही हवस है तुम्हारी"
"हवस में भी तो प्यार ही है...आओ तुम्हे कुछ दीखाता हूँ"
"क्या दिखाओ"
"वही जिसकी श्रद्धा दीवानी थी"
"मुझे नही देखना"
"तुम देखे बिना रह नही पाओगि" आशु ने कहा और अपनी ज़िप खोल कर अपना भारी भरकम विसाल काय लंड बाहर खींच लिया.
अपर्णा ने आशु के लंड को सरसरी नज़र से देखा लेकिन एक बार उस पर नज़र क्या गयी वही टिकी रह गयी.
"ओह माय गॉड, ये तो बहुत बड़ा है...ये कैसे मुमकिन है"
"श्रद्धा इस लंड की दीवानी है और कुछ नही...पर आज से ये लंड तुम्हारा है छू कर देखो तुम्हे अच्छा लगेगा"
"तुम्हारा मेरा प्यार नही हो सकता"
"क्यों?"
"इतना बड़ा ना बाबा ना...मुझे नही करना ये प्यार"
"अपर्णा जी ऐसा मत कहो....ये आपको प्यार के सिवा कुछ और नही देगा"
"प्यार नही ये दर्द देगा मैं खूब समझ रही हूँ"
"ऐसा कुछ नही है डरो मत"
"डरने की बात ही है मैने इतना भयानक आज तक नही देखा"
"ओफ मैने ये लंड दीखा कर ग़लती कर ली चुपचाप तुम्हारी चूत में डाल देता तो अच्छा रहता"
"ये नही डलेगा वहां आशु...भूल जाओ मुझे"
"कैसी बात करती हो श्रद्धा तो पूरा ले लेती है....उसकी तो गान्ड में भी पूरा उतार दिया था मैने...तुम्हारे अंदर क्यों नही जाएगा फिर ये"
"मुझे नही पता पर ये मुमकिन नही है"