27-12-2019, 06:53 PM
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"कहा ले जा रहे हो मुझे"
"आओ ना अपर्णा जी...आपको अच्छा लगेगा आओ"
"वो यही कही आस पास है"
"उसे मैं पकड़ लूँगा चिंता मत करो अब मैं पोलीस में हूँ ज़्यादा देर नही बच्चेगा वो"
"मुझे लगा था कि ये वर्दी किसी से माँग कर लाए हो...तुम पोलीस में कैसे चले गये"
"आपकी खातिर अपर्णा जी आपको इस मुसीबत से जो निकालना था"
"तुम मेरी इतनी परवाह क्यों करते हो"
"पता नही शायद आपसे प्यार हो गया है"
"प्यार और तुम....सब जानती हूँ मैं ये नाटक क्या है...मैं तुम्हारे झाँसे में आने वाली नही हूँ"
"ये कोई झाँसा नही है अपर्णा जी मेरे दिल की सच्चाई है कहो तो अपना दिल चीर कर दिखा दू"
"दीखाओ चीर कर मैं भी तो देखूं कितना पाप छुपा है वहां"
"जैसी आपकी मर्ज़ी" वो एक चाकू उठाता है और अपनी कमीज़ के बटन खोल कर चाकू से अपना जिगर चीरेने लगता है. खून की कुछ बूंदे उभर आती हैं उसके सीने पर.
"रूको ये क्या कोई मज़ाक है?"
"अपर्णा जी मेरे लिए तो ये हक़ीकत है आप शायद इसे मज़ाक समझ रही हैं"
"ऐसे दिल चीर दोगे तो उस को कौन पकड़ेगा"
"मेरा भूत उसे पकड़ कर जहन्नुम में डाल देगा"
"तुम प्यार कैसे कर सकते हो?"
"प्यार तो प्यार है अपर्णा जी...कभी भी कही भी हो सकता है"
"श्रद्धा को पता चल गया तो वो मुझे नही छोड़ेगी...... काई बार चेतावनी दे चुकी है मुझे की मेरे आशु से दूर रहना"
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