29-01-2019, 11:56 PM
* * * * * * * * * *धन्नो और करुणा
ठाकुर की हवेली में हम ठाकुर की हवेली के गेट तक पहुँच गये थे। वहाँ पर एक चौकीदार खड़ा था। हमें देखकर उसने हमें सलाम करते हुए कहा- “मेमसाहब, आप हमारे साथ चलिए। साहब आपका ही इंतजार कर रहे थे...”
मैंने हैरान होते उससे कहा- “आपको कैसे पता की वो हमारा इंतजार कर रहे हैं?”
चौकीदार ने कहा- “मेमसाहब, साहब ने हमें बताया था की उनसे मिलने शहर की दो लड़कियां आ रही हैं, और इस गाँव में शहर जितनी गोरी और खूबसूरत लड़कियां तो हैं नहीं। इसलिए आप दोनों को देखते ही हम पहचान गये...”
हम दोनों उनके साथ चलने लगी, ठाकुर की हवेली बहुत शानदार बनी हुई थी। गेट के अंदर दाखिल होते ही एक बहुत बड़ा पार्क बना हुआ था, जिसमें ढेर सारे पौधे और पेड़ लगे हुए थे और अंदर दाखिल होते ही हमारी आँखें फटी की फटी रहो गई।
एक बहुत बड़ा हाल बना हुआ था जिसके चारों तरफ कमरे बने हुए थे, और दो तरफ से खूबसूरत सीढ़ियां बनी हुई थी जो ऊपर की तरफ जा रही थी। उस हाल में एक बड़ी टेबल और उसके चारों तरफ कुर्सियां रखी हुई थीं, जिनपर ठाकुर और उनके दोनों बेटे बैठे थे। हमने पहले कभी ठाकुर को देखा नहीं था, मगर मनीष और रवी के साथ बैठा होने के कारण हम समझ गये की वो ठाकुर है। हमने अंदर आते हुए अपने साड़ी के पल्लू अपने सिर पर रख लिए थे।
हमें देखकर वहाँ पर बैठे हुए तीनों बाप और बेटे उठकर हमारा स्वागत किये। मनीष ने ठाकुर से हमारा और उनका हमसे परिचय कराया। हम दोनों ने जाकर ठाकुर के पैरों को छुआ।
ठाकुर ने हमें आशीर्वाद देते हुए अपने पैरों से उठा लिया और खुश होते हुए कहा- “बेटी तुम दोनों शहर में रहकर भी बड़ों की इज्जत करना नहीं भूली। हमें तुम दोनों से मिलकर बहुत खुशी हुई.."
हम सब आकर कुर्सियों पर बैठ गये।
ठाकुर ने हमसे पूछा- “बेटी तुम दोनों कितना पढ़ी हुई हो?”
मैंने जवाब देते हुए कहा- “जी मैंने बी.ए. पास कर लिया है और करुणा ने इंटर तक...”
ठाकुर ने कहा- “बहुत खूब...”
कुछ देर तक हम बातें करते रहे। अचानक एक लड़की चाय और कुछ बिस्कुट लेकर आ गई और उन्हें टेबल पर रखते हुए हमें प्रणाम किया। हमने भी उसके प्रणाम का जवाब दिया।
ठाकुर ने उसका परिचय हमसे कराते हुए कहा- “यह शिल्पा है हमारे घर का काम करती है। मगर हमारी पत्नी के मरने के बाद सारा घर इसी ने संभाला हुआ है, इसलिए हमने कभी इसे अपनी नौकरानी नहीं समझा बल्की इसी घर का एक मेंबर समझा है...”
शिल्पा चाय कपों में भरने लगी और एक-एक करके सभी के सामने चाय के कप रख दिए। शिल्पा ने फिर बिस्कुट भी ऐसे ही सभी के सामने प्लेटों में रख दिए और खुश होकर वहाँ से चली गई। हम सबने चाय खतम की।
फिर कुछ देर तक बातें करने के बाद ठाकुर ने कहा- “बेटी तुम दोनों से एक बात करनी है...”
ठाकुर ने मनीष और रवी को वहाँ से जाने के लिए कहा। वो दोनों वहाँ से चले गये। मेरा और करुणा का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था की ठाकुर क्या कहना चाहता है?
ठाकुर ने कहा- “बेटी मैं जो बात कहने वाला हूँ, उसका जवाब दिमाग से सोच समझकर देना। तुम पर कोई जबरदस्ती नहीं है। हमारे दोनों नालायक बेटों को तुम दोनों पसंद आ गई हो। मनीष को करुणा और रवी को तुम, मगर मैं तुम्हारी आँटी के पास रिश्ता ले जाने से पहले तुमसे पूछना चाहता हूँ की तुम्हारी क्या मर्जी है?”
मैं ठाकुर की बात सुनकर सकते में आ गई। करुणा तो मनीष को पसंद करती है, मगर रवी क्या मेरे लिए सही रहेगा? मगर मेरा दिमाग कह रहा था की इससे अच्छा रिश्ता तुम्हारे लिए और कोई नहीं हो सकता। मैंने अपना सिर झुकाए हुए ही ठाकुर से कहा- “मैं इस रिश्ते के लिए तैयार हूँ और करुणा तो वैसे भी मनीष को चाहती है...”
ठाकुर ने खुश होते हुए कहा- “बेटी तुम दोनों ने मुझे आज जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी है..” और उठकर मनीष और रवी को बुला लिया।
ठाकुर ने मनीष और रवी के आते ही उन दोनों को गले से लगाते हुए कहा- “बेटा आज मैं बहुत खुश हूँ... यह दोनों तुमसे शादी करने के लिए राजी हैं। तुम दोनों इनके साथ जाकर अपने कमरे में बातें करो, मैं तब तक मिठाई मँगवाकर सारे गाँव में सबको भिजवाता हूँ..”
ठाकुर के जाते ही मनीष ने करुणा से कहा- “आओ मैं तुम्हें अपना कमरा दिखाता हूँ..” और वो दोनों साथ में चले गये।
ठाकुर की हवेली में हम ठाकुर की हवेली के गेट तक पहुँच गये थे। वहाँ पर एक चौकीदार खड़ा था। हमें देखकर उसने हमें सलाम करते हुए कहा- “मेमसाहब, आप हमारे साथ चलिए। साहब आपका ही इंतजार कर रहे थे...”
मैंने हैरान होते उससे कहा- “आपको कैसे पता की वो हमारा इंतजार कर रहे हैं?”
चौकीदार ने कहा- “मेमसाहब, साहब ने हमें बताया था की उनसे मिलने शहर की दो लड़कियां आ रही हैं, और इस गाँव में शहर जितनी गोरी और खूबसूरत लड़कियां तो हैं नहीं। इसलिए आप दोनों को देखते ही हम पहचान गये...”
हम दोनों उनके साथ चलने लगी, ठाकुर की हवेली बहुत शानदार बनी हुई थी। गेट के अंदर दाखिल होते ही एक बहुत बड़ा पार्क बना हुआ था, जिसमें ढेर सारे पौधे और पेड़ लगे हुए थे और अंदर दाखिल होते ही हमारी आँखें फटी की फटी रहो गई।
एक बहुत बड़ा हाल बना हुआ था जिसके चारों तरफ कमरे बने हुए थे, और दो तरफ से खूबसूरत सीढ़ियां बनी हुई थी जो ऊपर की तरफ जा रही थी। उस हाल में एक बड़ी टेबल और उसके चारों तरफ कुर्सियां रखी हुई थीं, जिनपर ठाकुर और उनके दोनों बेटे बैठे थे। हमने पहले कभी ठाकुर को देखा नहीं था, मगर मनीष और रवी के साथ बैठा होने के कारण हम समझ गये की वो ठाकुर है। हमने अंदर आते हुए अपने साड़ी के पल्लू अपने सिर पर रख लिए थे।
हमें देखकर वहाँ पर बैठे हुए तीनों बाप और बेटे उठकर हमारा स्वागत किये। मनीष ने ठाकुर से हमारा और उनका हमसे परिचय कराया। हम दोनों ने जाकर ठाकुर के पैरों को छुआ।
ठाकुर ने हमें आशीर्वाद देते हुए अपने पैरों से उठा लिया और खुश होते हुए कहा- “बेटी तुम दोनों शहर में रहकर भी बड़ों की इज्जत करना नहीं भूली। हमें तुम दोनों से मिलकर बहुत खुशी हुई.."
हम सब आकर कुर्सियों पर बैठ गये।
ठाकुर ने हमसे पूछा- “बेटी तुम दोनों कितना पढ़ी हुई हो?”
मैंने जवाब देते हुए कहा- “जी मैंने बी.ए. पास कर लिया है और करुणा ने इंटर तक...”
ठाकुर ने कहा- “बहुत खूब...”
कुछ देर तक हम बातें करते रहे। अचानक एक लड़की चाय और कुछ बिस्कुट लेकर आ गई और उन्हें टेबल पर रखते हुए हमें प्रणाम किया। हमने भी उसके प्रणाम का जवाब दिया।
ठाकुर ने उसका परिचय हमसे कराते हुए कहा- “यह शिल्पा है हमारे घर का काम करती है। मगर हमारी पत्नी के मरने के बाद सारा घर इसी ने संभाला हुआ है, इसलिए हमने कभी इसे अपनी नौकरानी नहीं समझा बल्की इसी घर का एक मेंबर समझा है...”
शिल्पा चाय कपों में भरने लगी और एक-एक करके सभी के सामने चाय के कप रख दिए। शिल्पा ने फिर बिस्कुट भी ऐसे ही सभी के सामने प्लेटों में रख दिए और खुश होकर वहाँ से चली गई। हम सबने चाय खतम की।
फिर कुछ देर तक बातें करने के बाद ठाकुर ने कहा- “बेटी तुम दोनों से एक बात करनी है...”
ठाकुर ने मनीष और रवी को वहाँ से जाने के लिए कहा। वो दोनों वहाँ से चले गये। मेरा और करुणा का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था की ठाकुर क्या कहना चाहता है?
ठाकुर ने कहा- “बेटी मैं जो बात कहने वाला हूँ, उसका जवाब दिमाग से सोच समझकर देना। तुम पर कोई जबरदस्ती नहीं है। हमारे दोनों नालायक बेटों को तुम दोनों पसंद आ गई हो। मनीष को करुणा और रवी को तुम, मगर मैं तुम्हारी आँटी के पास रिश्ता ले जाने से पहले तुमसे पूछना चाहता हूँ की तुम्हारी क्या मर्जी है?”
मैं ठाकुर की बात सुनकर सकते में आ गई। करुणा तो मनीष को पसंद करती है, मगर रवी क्या मेरे लिए सही रहेगा? मगर मेरा दिमाग कह रहा था की इससे अच्छा रिश्ता तुम्हारे लिए और कोई नहीं हो सकता। मैंने अपना सिर झुकाए हुए ही ठाकुर से कहा- “मैं इस रिश्ते के लिए तैयार हूँ और करुणा तो वैसे भी मनीष को चाहती है...”
ठाकुर ने खुश होते हुए कहा- “बेटी तुम दोनों ने मुझे आज जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी दी है..” और उठकर मनीष और रवी को बुला लिया।
ठाकुर ने मनीष और रवी के आते ही उन दोनों को गले से लगाते हुए कहा- “बेटा आज मैं बहुत खुश हूँ... यह दोनों तुमसे शादी करने के लिए राजी हैं। तुम दोनों इनके साथ जाकर अपने कमरे में बातें करो, मैं तब तक मिठाई मँगवाकर सारे गाँव में सबको भिजवाता हूँ..”
ठाकुर के जाते ही मनीष ने करुणा से कहा- “आओ मैं तुम्हें अपना कमरा दिखाता हूँ..” और वो दोनों साथ में चले गये।