27-12-2019, 06:20 PM
"मेरा काम होने वाला है....पानी अंदर छोड़ दू क्या या बाहर छोड़ू"
"छोड़ दो अंदर कोई बात नही"
"देख लो कही संजय की जगह मेरे बच्चे खेले तुम्हारे आँगन में"
"गोली खा रही हूँ...चिंता की बात नही...आअहह"
"ये लो फिर.....आआहह" ये कह कर सुरिंदर ने बहुत तेज तेज धक्के मारे और अपने पानी को मोनिका की चूत की खाई में गिरा दिया.
"बहुत बढ़िया सीन देखा आज ये हमने" महिनदर ने कहा.
"चलो अब बाहर गेट के पास खड़े होते हैं कहीं साहब राउंड पे आ जाए"
"आआहह मज़ा आ गया...पर एक बात है...जब तुम बहुत तेज तेज धक्के लगा रहे थे कुछ आहट सुनाई दी थी मुझे"
"मुझे तो कुछ सुनाई नही दिया" सुरिंदर ने कहा.
हो सकता है मुझे वेहम हुआ हो पर फिर भी तुम चेक कर लेना. एक बात और पूछनी थी तुमसे" मोनिका ने कहा.
"क्या तुमने सच में उस लड़की को खून करते देखा था"
"तुझे क्या लगता है मैं झूठ बोल रहा हूँ"
"नही मेरा मतलब ये है कि वो लड़की देखने में बिल्कुल कातिल नही लगती"
"तुम कौन सा देखने में स्लुत लगती हो...पर तुम एक नंबर की स्लुत हो"
"ऐसा कुछ नही है जनाब बंदी, अपने पति के अलावा सिर्फ़ आप को देती है...वरना तो दुनिया घूमती है मेरे पीछे"
"वो तो है...मैं तो मज़ाक कर रहा था."
वैसे रात को किसके साथ गये थे तुम....और उस सीरियल किलर तक कैसे पहुँच गये"
"तुझे क्या करना है ये सब जान के"
"चलु मैं अब?" मोनिका ने कहा.
"अभी तो सादे 11 हुए हैं अभी जा कर क्या करोगी. ऐसा कर संजय को फोन कर दे कि तू किसी मॅरेज में गयी है""
"तो क्या यहा से 2 बजे निकलु. उस वक्त सड़के बिल्कुल सुनसान होंगी. रही बात मॅरेज में जाने की तो वो मुमकिन नही है क्योंकि अभी शाम को ही बात हुई थी मेरी संजय से...अचानक मॅरेज का बहाना ठीक नही होगा."
"सड़के तो इस वक्त भी सुनसान होंगी....उस किलर का ख़ौफ़ जो फैला है चारो और"
"कुछ भी हो मुझे जाना तो पड़ेगा ही"
"ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी" सुरिंदर ने कहा.
मोनिका ने कपड़े पहने और बोली, "ठीक है फिर...मैं चलती हूँ"
"रूको मैं ज़रा टॉयलेट जा कर आता हूँ, मैं तुम्हे बाहर तक छोड़ दूँगा"
"मैं निकल रही हूँ लेट हो जाउंगी"
"अरे रूको तो"
पर मोनिका दरवाजा खोल कर बाहर आ गयी और अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगी. पर किसी कारण से वो स्टार्ट नही हो पाई.
"क्या हुआ मैं कुछ मदद करूँ" महिनदर ने मोनिका के पास आ कर कहा.
"जी नही ये मेरी स्कूटी है और मैं अच्छे से जानती हूँ कि इसे स्टार्ट कैसे करना है"
महिनदर ने मोनिका की गान्ड पर हाथ रखा और बोला, "जी हां ये स्कूटी भी आपकी गान्ड की तरह है...बहुत अच्छे से टीकाई थी ये गान्ड आपने सुरिंदर के लंड पे...लंड सीधा घुस गया था"
मोनिका ने महिनदर का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया और बोली,"तो तुम सब देख रहे थे हां शरम नही आती तुम्हे"
"इसने अकेले ने नही देखा मैने भी देखा...बहुत प्यार से देती हो चूत तुम...हमे कब दोगि" रमेश ने कहा.
"शट अप...मेरे पास फालतू वक्त नही अपनी बकवास किसी और को सुनाओ"
मोनिका ने एक बार फिर से ट्राइ किया और स्कूटी स्टार्ट हो गयी और वो बैठ कर चल दी.
"सोच लेना हम यही है" महिनदर ने मोनिका के पीछे से आवाज़ लगाई
तभी एक आहट होती है.
"ये आवाज़ कहा से आई" रमेश ने कहा.
"पता नही...ऐसा लगता है घर के अंदर से आई है" महिनदर ने कहा.
लेकिन तभी आवाज़ लगातार आने लगी.
"ऐसा लग रहा है जैसे कोई दरवाजा पीट रहा हो" रमेश ने कहा.
"आवाज़ घर के पीछे से आ रही है" महिनदर ने कहा.
"चलो चल कर देखते हैं" रमेश ने कहा.
वो दोनो घर के पीछे आते है. पर वहां पहुँचते ही उनके होश उड़ जाते हैं.
सुरिंदर खून से लथपथ था और खिड़की का शीशा पीट रहा था.
"ओह गॉड....अंबूलेंस बुलाओ जल्दी और हां विजय सर को भी फोन कर दो" मोहिंदर ने कहा और वो घर के दरवाजे की तरफ भागा.
दरवाजा खुला ही था. महिनदर भाग कर घर के अंदर घुस गया और वहां पहुँच गया जहा से सुरिंदर खिड़की को पीट रहा था.
"अंबूलेंस आ रही है"रमेश भी उसके पीछे-पीछे आ गया.
"अब कोई फ़ायदा नही ये मर चुका है" महिनदर ने कहा.
"अपनी तो नौकरी गयी समझो अब" रमेश बाल पकड़ कर नीचे बैठ गया.
"तुम्हे क्या लगता है...क्या वो लड़की इसे मार कर गयी है" रमेश ने कहा.
"सस्स्शह" महिनदर ने रमेश को चुप रहने का इशारा किया.
"जिसने भी इसे मारा है..अभी यही छुपा है...तुम उस कमरे में देखो, मैं टॉयलेट किचन और स्टोर रूम में देखता हूँ" महिनदर ने धीरे से कहा.
"ठीक है...कोई भी बात हो तो ज़ोर से आवाज़ देना" रमेश ने कहा.
"ठीक है...चौक्कने रहना"
महिनदर टॉयलेट की तरफ बढ़ता है और रमेश कमरे की तरफ.
महिनदर टॉयलेट का दरवाजा खोलता है....लेकिन वो अपने बिल्कुल पीछे खड़े साए को नही देख पाता.
"क्या ढूँढ रहे हो" उस साए ने कहा.
महिनदर ने तुरंत मूड कर देखा लेकिन उसके मुड़ते ही उसके पेट को तेज धार चाकू ने चीर दिया.
"छोड़ दो अंदर कोई बात नही"
"देख लो कही संजय की जगह मेरे बच्चे खेले तुम्हारे आँगन में"
"गोली खा रही हूँ...चिंता की बात नही...आअहह"
"ये लो फिर.....आआहह" ये कह कर सुरिंदर ने बहुत तेज तेज धक्के मारे और अपने पानी को मोनिका की चूत की खाई में गिरा दिया.
"बहुत बढ़िया सीन देखा आज ये हमने" महिनदर ने कहा.
"चलो अब बाहर गेट के पास खड़े होते हैं कहीं साहब राउंड पे आ जाए"
"आआहह मज़ा आ गया...पर एक बात है...जब तुम बहुत तेज तेज धक्के लगा रहे थे कुछ आहट सुनाई दी थी मुझे"
"मुझे तो कुछ सुनाई नही दिया" सुरिंदर ने कहा.
हो सकता है मुझे वेहम हुआ हो पर फिर भी तुम चेक कर लेना. एक बात और पूछनी थी तुमसे" मोनिका ने कहा.
"क्या तुमने सच में उस लड़की को खून करते देखा था"
"तुझे क्या लगता है मैं झूठ बोल रहा हूँ"
"नही मेरा मतलब ये है कि वो लड़की देखने में बिल्कुल कातिल नही लगती"
"तुम कौन सा देखने में स्लुत लगती हो...पर तुम एक नंबर की स्लुत हो"
"ऐसा कुछ नही है जनाब बंदी, अपने पति के अलावा सिर्फ़ आप को देती है...वरना तो दुनिया घूमती है मेरे पीछे"
"वो तो है...मैं तो मज़ाक कर रहा था."
वैसे रात को किसके साथ गये थे तुम....और उस सीरियल किलर तक कैसे पहुँच गये"
"तुझे क्या करना है ये सब जान के"
"चलु मैं अब?" मोनिका ने कहा.
"अभी तो सादे 11 हुए हैं अभी जा कर क्या करोगी. ऐसा कर संजय को फोन कर दे कि तू किसी मॅरेज में गयी है""
"तो क्या यहा से 2 बजे निकलु. उस वक्त सड़के बिल्कुल सुनसान होंगी. रही बात मॅरेज में जाने की तो वो मुमकिन नही है क्योंकि अभी शाम को ही बात हुई थी मेरी संजय से...अचानक मॅरेज का बहाना ठीक नही होगा."
"सड़के तो इस वक्त भी सुनसान होंगी....उस किलर का ख़ौफ़ जो फैला है चारो और"
"कुछ भी हो मुझे जाना तो पड़ेगा ही"
"ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी" सुरिंदर ने कहा.
मोनिका ने कपड़े पहने और बोली, "ठीक है फिर...मैं चलती हूँ"
"रूको मैं ज़रा टॉयलेट जा कर आता हूँ, मैं तुम्हे बाहर तक छोड़ दूँगा"
"मैं निकल रही हूँ लेट हो जाउंगी"
"अरे रूको तो"
पर मोनिका दरवाजा खोल कर बाहर आ गयी और अपनी स्कूटी स्टार्ट करने लगी. पर किसी कारण से वो स्टार्ट नही हो पाई.
"क्या हुआ मैं कुछ मदद करूँ" महिनदर ने मोनिका के पास आ कर कहा.
"जी नही ये मेरी स्कूटी है और मैं अच्छे से जानती हूँ कि इसे स्टार्ट कैसे करना है"
महिनदर ने मोनिका की गान्ड पर हाथ रखा और बोला, "जी हां ये स्कूटी भी आपकी गान्ड की तरह है...बहुत अच्छे से टीकाई थी ये गान्ड आपने सुरिंदर के लंड पे...लंड सीधा घुस गया था"
मोनिका ने महिनदर का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया और बोली,"तो तुम सब देख रहे थे हां शरम नही आती तुम्हे"
"इसने अकेले ने नही देखा मैने भी देखा...बहुत प्यार से देती हो चूत तुम...हमे कब दोगि" रमेश ने कहा.
"शट अप...मेरे पास फालतू वक्त नही अपनी बकवास किसी और को सुनाओ"
मोनिका ने एक बार फिर से ट्राइ किया और स्कूटी स्टार्ट हो गयी और वो बैठ कर चल दी.
"सोच लेना हम यही है" महिनदर ने मोनिका के पीछे से आवाज़ लगाई
तभी एक आहट होती है.
"ये आवाज़ कहा से आई" रमेश ने कहा.
"पता नही...ऐसा लगता है घर के अंदर से आई है" महिनदर ने कहा.
लेकिन तभी आवाज़ लगातार आने लगी.
"ऐसा लग रहा है जैसे कोई दरवाजा पीट रहा हो" रमेश ने कहा.
"आवाज़ घर के पीछे से आ रही है" महिनदर ने कहा.
"चलो चल कर देखते हैं" रमेश ने कहा.
वो दोनो घर के पीछे आते है. पर वहां पहुँचते ही उनके होश उड़ जाते हैं.
सुरिंदर खून से लथपथ था और खिड़की का शीशा पीट रहा था.
"ओह गॉड....अंबूलेंस बुलाओ जल्दी और हां विजय सर को भी फोन कर दो" मोहिंदर ने कहा और वो घर के दरवाजे की तरफ भागा.
दरवाजा खुला ही था. महिनदर भाग कर घर के अंदर घुस गया और वहां पहुँच गया जहा से सुरिंदर खिड़की को पीट रहा था.
"अंबूलेंस आ रही है"रमेश भी उसके पीछे-पीछे आ गया.
"अब कोई फ़ायदा नही ये मर चुका है" महिनदर ने कहा.
"अपनी तो नौकरी गयी समझो अब" रमेश बाल पकड़ कर नीचे बैठ गया.
"तुम्हे क्या लगता है...क्या वो लड़की इसे मार कर गयी है" रमेश ने कहा.
"सस्स्शह" महिनदर ने रमेश को चुप रहने का इशारा किया.
"जिसने भी इसे मारा है..अभी यही छुपा है...तुम उस कमरे में देखो, मैं टॉयलेट किचन और स्टोर रूम में देखता हूँ" महिनदर ने धीरे से कहा.
"ठीक है...कोई भी बात हो तो ज़ोर से आवाज़ देना" रमेश ने कहा.
"ठीक है...चौक्कने रहना"
महिनदर टॉयलेट की तरफ बढ़ता है और रमेश कमरे की तरफ.
महिनदर टॉयलेट का दरवाजा खोलता है....लेकिन वो अपने बिल्कुल पीछे खड़े साए को नही देख पाता.
"क्या ढूँढ रहे हो" उस साए ने कहा.
महिनदर ने तुरंत मूड कर देखा लेकिन उसके मुड़ते ही उसके पेट को तेज धार चाकू ने चीर दिया.