29-01-2019, 11:48 PM
* * * * * * * * * *धन्नो और करुणा
हम दोनों 5:00 बजे तक तैयार हो गई और मौसी से इजाजत लेकर ठाकुर के घर जाने लगी। करुणा ने लाल रंग की साड़ी और मैंने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी। हम दोनों ने इतना मेकअप किया था और सजी सवॅरी थी की रास्ते में सभी लोग हमारी तरफ देख रहे थे। ठाकुर के घर के बारे में हमें मौसी ने बताया की वो यहाँ से थोड़ा दूर था, मगर इतना भी नहीं की हम पैदल ना जा सकें।
हम मौसी के बताए हुए रास्ते से जा रही थीं, अब हम एक सुनसान जगह से गुजर रही थीं। वहाँ पर किसी आदमी का नाम-ओ-निशान नहीं था, और वहाँ पर एक खंडहर की तरह दिखने वाला एक घर बना हुआ था। उस जगह से गुजरते हुए हमें कुछ अजीब किस्म की आवाजें सुनाई दी। मैंने करुणा के बाजू में हाथ डालते हुए उसे रोक लिया।
करुणा ने कहा- “क्या हुआ दीदी?”
मैंने उसे कहा- “तुम्हें कोई आवाजें सुनाई दे रही हैं...”
करुणा- “कुछ आवाजें आ तो रही हैं मगर हमारा क्या लेना देना? चलो चलते हैं...”
मैंने करुणा से कहा- “नहीं एक मिनट ठहरो। मुझे यह आवाजें किसी लड़की की लगती हैं। इस सुनसान जगह पर लड़की क्या कर रही है? हमें देखना चाहिये की कहीं वो लड़की किसी मुशीबत में तो नहीं है?"
करुणा ने कहा- “दीदी तुम भी ना... चलो देख लो कौन है वहाँ?”
हम चलते हुए उस घर के दरवाजे तक पहुँच गये, दरवाजे को हाथ लगाते ही वो अपने आप खुल गया। हम सामने का नजारा देखकर काँप गये। वहाँ पर एक लड़की नंगी नीचे जमीन पर लेटे हुए एक आदमी के लण्ड पर कूद रही थी और वहाँ पर 3 लोग और खड़े थे जिनमें से कोई उस लड़की की चूचियां दबा रहा था तो कोई किसी और चीज से छेड़-छाड़ कर रहा था।
मेरा सिर चकराने लगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उस घर का दरवाजा बहुत पुराना था हमारे दरवाजा खोलने से बहुत जोर की आवाज हुई थी और वो लोग हमें देखकर मुश्कुराने लगे।
उन लोगों में से एक ने कहा- “वहाँ पर क्यों खड़ी हो? जब यहाँ आ ही गई हो तो आओ हमारे साथ मजे लूटो...”
उनमें से दूसरे आदमी ने कहा- “यार माल तो बहुत अच्छा है। बहुत गोरी हैं साली, लगता है किसी दूसरे गाँव से आई हैं, इनकी गोरी चूचियां चूसकर मजा आ जाएगा..”
करुणा ने मुझे बाजू से पकड़ते हुए कहा- “दीदी चलो भागो...”
उन लोगों की बातें सुनकर मेरा सिर चकरा रहा था। मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। करुणा मुझे घसीटते हुए बाहर ले गई।
अंदर से आवाज आई- “अरे पकड़ो, इतना मस्त माल यूँ ही जाने दे रहे हो?”
करुणा ने वो आवाज सुनते ही मुझसे कहा- “भागो दीदी, वरना वो हमें पकड़ लेंगे...”
करुणा की बात सुनकर मुझे भी होश आया और हम दोनों साथ में भागने लगी। हम कुछ देर तक बिना रुके भागती रहीं। भागते-भागते हम अब उस सुनसान जगह से निकल चुकी थीं, और हम ठाकुर की हवेली के नजदीक पहुँच चुके थे। वहाँ पर कुछ दुकानें भी थी और लोगों का आना जाना भी था। हमने पीछे देखा तो हमारे पीछ पड़े हुये वो दो आदमी हमें घूर रहे थे, मगर लोगों की वजह से वो वहाँ से चले गये। हम दोनों बहुत जोर से हाँफ रही थी। उन आदमियों के जाने के बाद हमारी जान में जान आई। हमने वहाँ पर एक दुकान से पानी का एक-एक ग्लास पिया और फिर ठाकुर की हवेली में जाने लगी।
करुणा ने कहा- “दीदी आज तुमने तो फँसा ही दिया था, शुकर है हम वहाँ से भाग निकले...”
मैंने करुणा से कहा- “मुझे क्या पता था की गाँव में भी यह सब होता है?”
हम दोनों 5:00 बजे तक तैयार हो गई और मौसी से इजाजत लेकर ठाकुर के घर जाने लगी। करुणा ने लाल रंग की साड़ी और मैंने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी। हम दोनों ने इतना मेकअप किया था और सजी सवॅरी थी की रास्ते में सभी लोग हमारी तरफ देख रहे थे। ठाकुर के घर के बारे में हमें मौसी ने बताया की वो यहाँ से थोड़ा दूर था, मगर इतना भी नहीं की हम पैदल ना जा सकें।
हम मौसी के बताए हुए रास्ते से जा रही थीं, अब हम एक सुनसान जगह से गुजर रही थीं। वहाँ पर किसी आदमी का नाम-ओ-निशान नहीं था, और वहाँ पर एक खंडहर की तरह दिखने वाला एक घर बना हुआ था। उस जगह से गुजरते हुए हमें कुछ अजीब किस्म की आवाजें सुनाई दी। मैंने करुणा के बाजू में हाथ डालते हुए उसे रोक लिया।
करुणा ने कहा- “क्या हुआ दीदी?”
मैंने उसे कहा- “तुम्हें कोई आवाजें सुनाई दे रही हैं...”
करुणा- “कुछ आवाजें आ तो रही हैं मगर हमारा क्या लेना देना? चलो चलते हैं...”
मैंने करुणा से कहा- “नहीं एक मिनट ठहरो। मुझे यह आवाजें किसी लड़की की लगती हैं। इस सुनसान जगह पर लड़की क्या कर रही है? हमें देखना चाहिये की कहीं वो लड़की किसी मुशीबत में तो नहीं है?"
करुणा ने कहा- “दीदी तुम भी ना... चलो देख लो कौन है वहाँ?”
हम चलते हुए उस घर के दरवाजे तक पहुँच गये, दरवाजे को हाथ लगाते ही वो अपने आप खुल गया। हम सामने का नजारा देखकर काँप गये। वहाँ पर एक लड़की नंगी नीचे जमीन पर लेटे हुए एक आदमी के लण्ड पर कूद रही थी और वहाँ पर 3 लोग और खड़े थे जिनमें से कोई उस लड़की की चूचियां दबा रहा था तो कोई किसी और चीज से छेड़-छाड़ कर रहा था।
मेरा सिर चकराने लगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उस घर का दरवाजा बहुत पुराना था हमारे दरवाजा खोलने से बहुत जोर की आवाज हुई थी और वो लोग हमें देखकर मुश्कुराने लगे।
उन लोगों में से एक ने कहा- “वहाँ पर क्यों खड़ी हो? जब यहाँ आ ही गई हो तो आओ हमारे साथ मजे लूटो...”
उनमें से दूसरे आदमी ने कहा- “यार माल तो बहुत अच्छा है। बहुत गोरी हैं साली, लगता है किसी दूसरे गाँव से आई हैं, इनकी गोरी चूचियां चूसकर मजा आ जाएगा..”
करुणा ने मुझे बाजू से पकड़ते हुए कहा- “दीदी चलो भागो...”
उन लोगों की बातें सुनकर मेरा सिर चकरा रहा था। मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था। करुणा मुझे घसीटते हुए बाहर ले गई।
अंदर से आवाज आई- “अरे पकड़ो, इतना मस्त माल यूँ ही जाने दे रहे हो?”
करुणा ने वो आवाज सुनते ही मुझसे कहा- “भागो दीदी, वरना वो हमें पकड़ लेंगे...”
करुणा की बात सुनकर मुझे भी होश आया और हम दोनों साथ में भागने लगी। हम कुछ देर तक बिना रुके भागती रहीं। भागते-भागते हम अब उस सुनसान जगह से निकल चुकी थीं, और हम ठाकुर की हवेली के नजदीक पहुँच चुके थे। वहाँ पर कुछ दुकानें भी थी और लोगों का आना जाना भी था। हमने पीछे देखा तो हमारे पीछ पड़े हुये वो दो आदमी हमें घूर रहे थे, मगर लोगों की वजह से वो वहाँ से चले गये। हम दोनों बहुत जोर से हाँफ रही थी। उन आदमियों के जाने के बाद हमारी जान में जान आई। हमने वहाँ पर एक दुकान से पानी का एक-एक ग्लास पिया और फिर ठाकुर की हवेली में जाने लगी।
करुणा ने कहा- “दीदी आज तुमने तो फँसा ही दिया था, शुकर है हम वहाँ से भाग निकले...”
मैंने करुणा से कहा- “मुझे क्या पता था की गाँव में भी यह सब होता है?”