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Adultery बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed}
#58
आशु और सौरभ भोलू के घर की ओर चल पड़ते हैं.

"अभी 10 भी नही बजे और सदके सुनसान हो गयी हैं" आशु ने कहा.

"सब उस का कमाल है....आजकल 9 बजते ही लोग घरो में घुस जाते हैं" सौरभ ने कहा.

कुछ ही देर बाद सौरभ और आशु भोलू के घर पहुँच जाते हैं.

"गुरु दरवाजे पर तो ताला है" आशु ने कहा.

"ह्म्म कहा गया होगा?" सौरभ बड़बड़ाया.

"अब तो सब साफ हो गया...वही थे श्रद्धा का पीछा करने वाला....पर उसने ऐसा क्यों किया...बेचारी ने गान्ड तो दे ही दी थी" आशु ने कहा.

"क्या पता उसे उसकी गान्ड के बाद जान चाहिए हो" सौरभ ने कहा.

"मतलब कि तुम मान रहे हो कि भोलू ही किलर है....पर पूजा ने जो कहा उसका क्या गुरु"

"अरे मज़ाक कर रहा हूँ आशु तू भी ना....क्या पता ताला लगा कर किसी काम से गया हो...पोलीस की नौकरी है उसकी...शायद ड्यूटी पर गया 
हो." सौरभ ने कहा.

"पर श्रद्धा ने जो कमीज़ देखी थी खून के धब्बो वाली....और वो चाकू"

"ये ताला खोलना होगा" सौरभ ने कहा.

"पर कैसे तोड़ने की कोशिश करेंगे तो लोग उठ जाएँगे और बिना मतलब हम धरे जाएँगे"

"तू देखता जा कैसे खोलता हूँ मैं इस ताले को" सौरभ ने कहा अपनी जेब से एक नुकीली सी चीज़ निकाल कर ताले में घुस्सा दी.

"लो खुल गया" सौरभ ने कहा.

"पर कैसे?" आशु हैरानी में बोला.

"वो बाद में बताउन्गा...पहले भोलू का टॉयलेट चेक करते हैं"

दोनो भोलू का दरवाजा खोल कर अंदर जाते हैं और दवाजे को झुका लेते हैं

"कहा है टॉयलेट....हां वो रहा" सौरभ बड़बड़ाया.

टॉयलेट में अभी भी वो कमीज़ वैसी की वैसी तंगी थी.

"ह्म्म...श्रद्धा ठीक कह रही थी....ये खून के ही धब्बे हैं...आख़िर किया क्या है इस भोलू ने...आओ ज़रा अब टीवी पर रखे चाकू को भी देख ले"

"चाकू टीवी पर नही है गुरु"

"तुझे कैसे पता"

"मैने अंदर आते ही सबसे पहले टीवी पर नज़र मारी थी"

तभी अचानक घर का दरवाजा खुलता है. सौरभ और आशु टॉयलेट के एक कोने में दुबक जाते हैं.

उन्हे कदमो की आहट सुनाई देती है...टक...टक...

सौरभ आशु को बिल्कुल चुप रहने का इशारा करता है और उसे इशारो-इशारो में कॅटा देने को कहता है.

आशु, सौरभ को कॅटा पकड़ा देता है.

"कौन घुस्सा है मेरे घर में बिना मेरी इज़ाज़त के...सामने आओ वरना पछताओगे" भोलू ने कहा.

भोलू झटके से टॉयलेट का दरवाजा खोलता है. दरवाजा खुलते ही सौरभ कॅटा भोलू की तरफ तान देता है.

"हिलना मत वरना भेजा उड़ा दूँगा....ये चाकू नीचे फेंको बहुत खून कर लिए तुमने इस से अब और नही"

"ये क्या बकवास कर रहे हो एक तो मेरे घर का ताला खोल कर अंदर घुसते हो और फिर मुझे कातिल बताते हो"

"क्या तुम श्रद्धा का पीछा नही कर रहे थे" आशु ने कहा.

"मैं क्या पागल हूँ जो उसका पीछा करूँगा" भोलू ने कहा.

"हां तुम ही हो वो पागल खूनी जिसने शहर में आतंक मचा रखा है"

"आशु तू भी अपने गुरु की तरह पागल हो गया है.." भोलू ने कहा.

"अच्छा मैं पागल हो गया हूँ....तो ये बताओ कि ये तुम्हारी कमीज़ पर खून के धब्बे क्या कर रहे हैं. और तुम्हारे चाकू पर भी खून के निशान हैं

श्रद्धा ने ये सब देखा था यहा और हमे पूरी बात बताई...तब आए हैं हम यहा"

ये सुनते ही भोलू ज़ोर-ज़ोर से हस्ने लगा और बोला, "उसने ये सब बताया तुम्हे जाकर....हे..हे...हा...हा...क्या ये नही बताया कि मैने कैसे मारी उसकी गान्ड...बड़े नखरे कर रही थी...हा..हा"

"वो भी बताया और ये भी बताया....तुम हंस क्यों रहे हो" सौरभ गुस्से में बोला.

"देखो बात ऐसी है कि आज के दिन मुझे अपने कुछ रीति रीवाज़ के तहत मुर्गी की बलि देनी थी. मैं बाज़ार से ज़िंदा मुर्गी लाया था और उसे हलाल करते वक्त खून के धब्बे मेरी कमीज़ पर लग गये. मुर्गी बहुत छटपटा रही थी. मैं मुर्गी काटने में एक्सपर्ट तो हूँ नही...बड़ी मुश्किल से किया सब. तुम चाहो तो ये कमीज़ ले जाओ और इस पर लगे धब्बो की जाँच करवा लो. रही बात चाकू पर लगे खून की तो उसका जवाब तो तुम समझ ही गये होंगे...इसी चाकू से काटी थी मैने मुर्गी और बताओ कुछ और सुन-ना हो तो"

सौरभ और आशु एक दूसरे की तरफ देखते हैं.

"इस श्रद्धा की वजह से बहुत अच्छा चूतिया कट गया हमारा...क्यों आशु" सौरभ ने कहा.

"अच्छा अब मैं समझा वो इतनी जल्दी क्यों भाग गयी यहा से...मुझे तो लग रहा था कि सारी रात चूत मरवाएगी पर वो तो एक बार देने के बाद ही भाग खड़ी हुई....दुबारा भेजो उसे मेरे पास मेरा मज़ा अधूरा रह गया." भोलू ने कहा.

"सच में तुम श्रद्धा के पीछे नही गये थे" आशु ने पूछा.

भोलू ने अपनी जेब से बीड़ी का नया बंड्ल निकाला और बोला, "मैं बीड़ी लेने गया था...यकीन ना हो तो पान्वाले से पूछ लो जाकर"

"नही अब सब क्लियर हो गया"

"वैसे एक बात बताओ...पोलीस वाला मैं हूँ और पोलीस की तरह इंक्वाइरी करते तुम घूम रहे हो"

"सॉरी भोलू...वो हम श्रद्धा की बातो में गये....हम चलते हैं तुम आराम करो"

"ठीक है...और कोई बात हो तो बेझीजक जाना"

"ठीक है गुड नाइट" आशु ने कहा.


दोनो मूह लटकाए वापिस सौरभ के कमरे की ओर चल पड़ते हैं.

"गुरु जो भी हो....श्रद्धा का पीछा करने वाला वही था"

"क्या तूने वाकाई खिड़की में किसी को देखा था"

"क्या बात करते हो गुरु...बिल्कुल देखा था...हां चेहरा साफ-साफ नही दीखा पर अपर्णा जी और मैने उसे देखा था"

"ह्म्म आज की रात हमे चौक्कना रहना होगा...मुझे यकीन है कि वो ज़रूर यही कही आस-पास है"
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RE: बात एक रात की - The Immortal Romance - {Completed} - by usaiha2 - 27-12-2019, 05:53 PM



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