27-12-2019, 05:36 PM
अचानक अपर्णा ने कुछ ऐसा देखा कि वो फॉरन बोली
"ये सच कह रही है...जो भी इसका पीछा कर रहा था वो यहा तक आ गया है....खिड़की से कोई झाँक रहा है" अपर्णा ने ये बात इतनी धीरे से कही की केवल पास खड़े आशु को सुनाई दी. सौरभ को कुछ सुनाई नही दिया.
"तेरी मा की आँख तेरी तो...." आशु ने फ़ौरन कॅटा निकाल कर खिड़की की तरफ फाइयर किया.
सौरभ को भी पूरी बात समझते देर नही लगी उसने फुर्ती से बेड के नीचे से हॉकी निकाली और दरवाजा खोल कर बाहर भागा.
आशु भी उसके पीछे-पीछे भागा.
"उसके सर पे गोली लगी होगी" आशु बोला.
बेवकूफ़ उसे गोली लगी होती तो लाश अपनी खिड़की के नीचे पड़ी होती यहा तो कुछ भी नही है.
"इतनी जल्दी वो यहा से नही भाग सकता....गया कहाँ वो" आशु बोला.
सौरभ भाग कर वापिस कमरे में आया.
"तुम दोनो डरना मत अंदर से कुण्डी लगा लो और खिड़की को भी अंदर से बंद कर लो मैं और आशु अभी अकल ठिकाने लगाते हैं उसकी.
अपर्णा खिड़की और दरवाजा बंद कर लेती है और श्रद्धा से कहती है, "चिंता मत करो तुम यहा सुरक्षित हो"
"देखा कितनी हिम्मत कि उसने मेरे पीछे-पीछे यहा तक आ पहुँचा" श्रद्धा ने कहा.
"वाकई...और तो और खिड़की से झाँक कर देख रहा था...मेरी तो रूह काँप गयी थी उसे देख कर...चेहरा ठीक से दीखाई नही दिया नही तो पहचान लेती कि वो वही है कि नही"
"तुम्हे इस सब की पड़ी है मेरा तो आज का सारा मज़ा किरकिरा हो गया"
"तू भी अजीब है...अभी तो खुद इस बारे में बोल रही थी" अपर्णा ने कहा.
"वो तो ठीक है पर आज बहुत अजीब हुआ मेरे साथ" श्रद्धा ने कहा.
"वो तुम बता चुकी हो" अपर्णा ने उसे टोका.
"क्या बता चुकी हूँ?"
"यही की भोलू ने बिना पूछे....."
"पूरी बात तो सुन....बड़ी शैतानी से डाला पाजी ने मेरी गान्ड में"
"ठीक है-ठीक है समझ गयी" अपर्णा ने उसे फिर टोका.
"अरे सुन तो सही...मैने उसे पहले ही बता दिया था कि गान्ड में नही लूँगी"
"ठीक है बाबा इतनी डीटेल काफ़ी है"
"मेरी बात तो सुन.....उसने पहले चूत में डाला और खूब घिसाई की मेरी"
"घिसाई मतलब?" अपर्णा को इसका मतलब नही पता था और अचानक उसके मूह से निकल गया.
हालाँकि उसे ये सवाल पूछ कर पछताना पड़ा.
"घिसाई मतलब कि खूब लंड अंदर बाहर किया मेरी चूत में"
"बस-बस मेरी मा समझ गयी"
"आगे तो सुन...फिर उसने मुझे घूमने को कहा ये कह कर कि पीछे से चूत में डालूँगा"
"समझ गयी उसने कही और डाल दिया....आगे रहने दो" अपर्णा ने कहा.
"यही तो चूक गयी तुम समझने में...बड़ा पाजी निकला वो....कुछ देर तक मेरी चूत मारता रहा. बड़ा मज़ा आ रहा था. सब ठीक चल रहा था कि अचानक उसने लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया"
ना चाहते हुए भी अब अपर्णा की भी साँसे तेज होने लगी थी. "बस अब सब क्लियर हो गया रहने दे आगे की स्टोरी"
"तुम भी ना पूरी बात तो सुनो....उसने चूत से लंड निकाल कर बड़ी चालाकी से मेरी गान्ड में डाल दिया"
"तो तुम निकलवा देती...इसमे कौन सा बड़ी बात थी" अपर्णा ने कहा.
"निकालने को ही कहा था मैने पाजी को पर वो बोला...अब जब घुस ही गया है गान्ड में तो थोड़ी देर मार लेने दे."
"तो तुमने उसे करने दिया...चलो बात ख़तम हुई कुछ और बात करो" अपर्णा ने गहरी साँस ले कर कहा.
"मैं क्यों करने दूँगी भला....मेरा भी कुछ इसटेंडर्ड है"
"स्टॅंडर्ड बोलते हैं"
"हां-हां वही वही....मैने कहा चलो 2 मिनट मार लो"
"चलो ठीक है उसने 2 मिनट किया और बात ख़तम हुई" अपर्णा ने झुंजलाहट भरे लहजे में कहा.
"नही बाबा...वो बड़ा चालाक निकला पूरे 2 घंटे चोदता रहा वो मेरी गान्ड"
"बकवास कर रही हो...इतनी देर करना क्या मज़ाक है"
"लो कर लो बात...हां वैसे मैं 2 घंटे यू ही कह रही हूँ पर उसने 2 मिनट से तो बहुत ज़्यादा किया है ये मुझे यकीन है"
"2 मिनट भी बहुत होते हैं"
"लगता है तेरा पति तुझे 2 मिनट चोदता था"
"जी नही आराम से 10-15 मिनट हो जाता था हमारा...अपनी बात को मेरी ज़िंदगी पर मत घुमा"
"पर आशु में बहुत दम है...वो 2 घंटे तक खींच लेता है"
"चल ठीक है हो गयी ना तेरी कहानी पूरी या कुछ और भी बाकी है"
"हाई सच तुझे सब बता के यादे ताज़ा हो गयी वरना तो सब गुड गोबर हो गया था थॅंक यू"
"ठीक है-ठीक है"
"पर इस भोलू को भी ना...इतनी अछी चुदाई के बाद ये सब करने की क्या ज़रूरत थी. मैं पहले ही उसके टॉयलेट में वो कमीज़ देख कर डर गयी थी. तुम्हे नही लगता कि उसे मेरा यू पीछा नही करना चाहिए था.
"ये सच कह रही है...जो भी इसका पीछा कर रहा था वो यहा तक आ गया है....खिड़की से कोई झाँक रहा है" अपर्णा ने ये बात इतनी धीरे से कही की केवल पास खड़े आशु को सुनाई दी. सौरभ को कुछ सुनाई नही दिया.
"तेरी मा की आँख तेरी तो...." आशु ने फ़ौरन कॅटा निकाल कर खिड़की की तरफ फाइयर किया.
सौरभ को भी पूरी बात समझते देर नही लगी उसने फुर्ती से बेड के नीचे से हॉकी निकाली और दरवाजा खोल कर बाहर भागा.
आशु भी उसके पीछे-पीछे भागा.
"उसके सर पे गोली लगी होगी" आशु बोला.
बेवकूफ़ उसे गोली लगी होती तो लाश अपनी खिड़की के नीचे पड़ी होती यहा तो कुछ भी नही है.
"इतनी जल्दी वो यहा से नही भाग सकता....गया कहाँ वो" आशु बोला.
सौरभ भाग कर वापिस कमरे में आया.
"तुम दोनो डरना मत अंदर से कुण्डी लगा लो और खिड़की को भी अंदर से बंद कर लो मैं और आशु अभी अकल ठिकाने लगाते हैं उसकी.
अपर्णा खिड़की और दरवाजा बंद कर लेती है और श्रद्धा से कहती है, "चिंता मत करो तुम यहा सुरक्षित हो"
"देखा कितनी हिम्मत कि उसने मेरे पीछे-पीछे यहा तक आ पहुँचा" श्रद्धा ने कहा.
"वाकई...और तो और खिड़की से झाँक कर देख रहा था...मेरी तो रूह काँप गयी थी उसे देख कर...चेहरा ठीक से दीखाई नही दिया नही तो पहचान लेती कि वो वही है कि नही"
"तुम्हे इस सब की पड़ी है मेरा तो आज का सारा मज़ा किरकिरा हो गया"
"तू भी अजीब है...अभी तो खुद इस बारे में बोल रही थी" अपर्णा ने कहा.
"वो तो ठीक है पर आज बहुत अजीब हुआ मेरे साथ" श्रद्धा ने कहा.
"वो तुम बता चुकी हो" अपर्णा ने उसे टोका.
"क्या बता चुकी हूँ?"
"यही की भोलू ने बिना पूछे....."
"पूरी बात तो सुन....बड़ी शैतानी से डाला पाजी ने मेरी गान्ड में"
"ठीक है-ठीक है समझ गयी" अपर्णा ने उसे फिर टोका.
"अरे सुन तो सही...मैने उसे पहले ही बता दिया था कि गान्ड में नही लूँगी"
"ठीक है बाबा इतनी डीटेल काफ़ी है"
"मेरी बात तो सुन.....उसने पहले चूत में डाला और खूब घिसाई की मेरी"
"घिसाई मतलब?" अपर्णा को इसका मतलब नही पता था और अचानक उसके मूह से निकल गया.
हालाँकि उसे ये सवाल पूछ कर पछताना पड़ा.
"घिसाई मतलब कि खूब लंड अंदर बाहर किया मेरी चूत में"
"बस-बस मेरी मा समझ गयी"
"आगे तो सुन...फिर उसने मुझे घूमने को कहा ये कह कर कि पीछे से चूत में डालूँगा"
"समझ गयी उसने कही और डाल दिया....आगे रहने दो" अपर्णा ने कहा.
"यही तो चूक गयी तुम समझने में...बड़ा पाजी निकला वो....कुछ देर तक मेरी चूत मारता रहा. बड़ा मज़ा आ रहा था. सब ठीक चल रहा था कि अचानक उसने लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया"
ना चाहते हुए भी अब अपर्णा की भी साँसे तेज होने लगी थी. "बस अब सब क्लियर हो गया रहने दे आगे की स्टोरी"
"तुम भी ना पूरी बात तो सुनो....उसने चूत से लंड निकाल कर बड़ी चालाकी से मेरी गान्ड में डाल दिया"
"तो तुम निकलवा देती...इसमे कौन सा बड़ी बात थी" अपर्णा ने कहा.
"निकालने को ही कहा था मैने पाजी को पर वो बोला...अब जब घुस ही गया है गान्ड में तो थोड़ी देर मार लेने दे."
"तो तुमने उसे करने दिया...चलो बात ख़तम हुई कुछ और बात करो" अपर्णा ने गहरी साँस ले कर कहा.
"मैं क्यों करने दूँगी भला....मेरा भी कुछ इसटेंडर्ड है"
"स्टॅंडर्ड बोलते हैं"
"हां-हां वही वही....मैने कहा चलो 2 मिनट मार लो"
"चलो ठीक है उसने 2 मिनट किया और बात ख़तम हुई" अपर्णा ने झुंजलाहट भरे लहजे में कहा.
"नही बाबा...वो बड़ा चालाक निकला पूरे 2 घंटे चोदता रहा वो मेरी गान्ड"
"बकवास कर रही हो...इतनी देर करना क्या मज़ाक है"
"लो कर लो बात...हां वैसे मैं 2 घंटे यू ही कह रही हूँ पर उसने 2 मिनट से तो बहुत ज़्यादा किया है ये मुझे यकीन है"
"2 मिनट भी बहुत होते हैं"
"लगता है तेरा पति तुझे 2 मिनट चोदता था"
"जी नही आराम से 10-15 मिनट हो जाता था हमारा...अपनी बात को मेरी ज़िंदगी पर मत घुमा"
"पर आशु में बहुत दम है...वो 2 घंटे तक खींच लेता है"
"चल ठीक है हो गयी ना तेरी कहानी पूरी या कुछ और भी बाकी है"
"हाई सच तुझे सब बता के यादे ताज़ा हो गयी वरना तो सब गुड गोबर हो गया था थॅंक यू"
"ठीक है-ठीक है"
"पर इस भोलू को भी ना...इतनी अछी चुदाई के बाद ये सब करने की क्या ज़रूरत थी. मैं पहले ही उसके टॉयलेट में वो कमीज़ देख कर डर गयी थी. तुम्हे नही लगता कि उसे मेरा यू पीछा नही करना चाहिए था.