27-12-2019, 05:30 PM
Update 20
एक बार भोलू ने श्रद्धा की गान्ड मारनी शुरू की तो टाइम का पता ही नही चला.
पूरे 15 मिनट तक वो श्रद्धा की गान्ड रगड़ता रहा. जब भोलू का पानी छूटने वाला था तब तो उसके धक्के भी बहुत तेज हो गये थे. श्रद्धा ने भी कोई ऐतराज़ नही किया. करती भी क्यों वो हर एक धक्के का मज़ा जो ले रही थी.
ढेर सारा गरम पानी भोलू ने श्रद्धा की गान्ड में छोड़ दिया.
"आआहह निकाल अब बाहर 2 मिनट कहा था 2 घंटे मार ली मेरी गान्ड"
"हा..हा...हे हे तू सच में मस्त है....मज़ा आ गया तेरी ले के"
"टॉयलेट कहा है?"
"वो रहा सामने"
श्रद्धा फ़ौरन टॉयलेट में घुस गयी. जब वो टॉयलेट में हाथ धो रही थी अचानक उसकी नज़र खूटी पर तंगी कमीज़ पर गयी.
"ये कमीज़ पर खून जैसे धब्बे.....वो भी इतने सारे...क्या माज़रा है"
"क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा रही हो"
"आ रही हूँ"
श्रद्धा को थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था. वो जब बाहर आई तो उसने टीवी पर रखे एक चाकू को देखा जिस से उसका डर और बढ़ गया.
"मुझे अब चलना होगा"
"क्यों अभी तो बस एक बार ही ली है तेरी...दुबारा नही देगी क्या"
"नही बापू कल आ जाएगा बहुत काम करने हैं मुझे घर पर."
"मैं तुझे तेरे घर तक छोड़ दू"
"नही नही मैं चली जाउंगी अभी 9 ही तो बजे हैं."
श्रद्धा ने कपड़े पहने और चुपचाप वहां से निकल ली. उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.
"हे भगवान मुझे तो डर लग रहा है, उस कमीज़ पर खून के इतने धब्बे क्या कर रहे थे...और वो टीवी पर रखा चाकू....कुछ लाल लाल सा उस पर भी लगा था. धत तेरे की पूरी चुदाई का नशा उतार दिया" श्रद्धा चलते-चलते बड़बड़ा रही है.
अचानक उसे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई देती है. वो थर-थर काँपने लगती है. "हे भगवान ये मेरे पीछे कौन है?" श्रद्धा खुद से कहती है.
"घबरा मत सारे कतल 10 बजे के बाद ही हुए हैं और अभी तो 9 बजे हैं और 5 मिनट में मैं आशु के कमरे पर पहुँच जवँगी" श्रद्धा बड़बड़ाई. लेकिन उसके पीछे लगातार किसी के कदमो की आहट हो रही थी.
"आज चूत मरवाने के चक्कर में मैं खुद ना मारी जाउ कही...हे भगवान मेरी रक्षा करना"
वो थोड़ी देर चुपचाप चलती रहती है फिर अचानक फुर्ती से पीछे मूड कर देखती है...पर उसे अपने पीछे कोई नही दिखाई देता. "भोलू क्या तुम मेरा पीछा कर रहे हो" वो ज़ोर से बोली.
किसी का कोई जवाब नही आया. "भाग श्रद्धा...कुछ गड़बड़ ज़रूर है"
वो वहां से भाग खड़ी होती है और 2 मिनट में आशु के कमरे के बाहर पहुँच जाती है. वो आशु का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है. पर दरवाजा नही खुलता. "ओह यहा तो ताला लगा है...वो ज़रूर अपने गुरु के साथ होगा"
श्रद्धा का खुद का घर अभी भी दूर था और सौरभ का कमरा वहां से नज़दीक पड़ता था. वो तुरंत तेज कदमो से सौरभ के कमरे की तरफ चल दी. अब वो भाग नही रही थी क्योंकि सड़क पर उसके अलावा और भी चार-पाँच लोग थे.
वो सौरभ के कमरे पर पहुँच कर कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है.
सौरभ झट से दरवाजा खोलता है.
"क्या हुआ पागल हो गयी हो क्या?" सौरभ ने पूछा.
"र...आशु कहा है?" श्रद्धा ने कहा.
"आशु यही है....बताओ तो क्या बात है?"
आशु भी तुरंत दरवाजे पर आ गया. "श्रद्धा तू यहा...क्या हुआ भोलू के पास नही गयी क्या"
"अरे वही से आ रही हूँ...मेरी जान ख़तरे में है"
"क्या बोल रही हो....तुमसे तो सारी दुनिया की जान ख़तरे में है...तुम्हे किसने ख़तरे में डाल दिया" सौरभ ने हंसते हुए कहा.
"मैं सच कह रही हूँ...कोई मेरा पीछा कर रहा था" श्रद्धा ने कहा.
"यहा बैठो श्रद्धा....बैठ कर आराम से पूरी बात बताओ" अपर्णा ने उसे अपने पास बुलाया.
श्रद्धा अपर्णा के पास बैठ गयी और बोली, "जब मैं भोलू के घर से निकली तो मुझे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई दी....भाग कर आई हूँ मैं यहा....ये ज़रूर भोलू की कारस्तानी है"
"भोलू क्यों ऐसा करेगा?" आशु ने कहा.
"मैने उसके टॉयलेट में एक नीले रंग की कमीज़ तंगी देखी थी जिस पर की खून के बहुत सारे धब्बे थे. और तो और उसके टीवी पर एक चाकू रखा देखा मैने...उस पर भी हल्के-हल्के लाल रंग के निशान थे" श्रद्धा ने कहा.
"तुझे कुछ ग़लतफहमी हुई है...भोलू ऐसा आदमी नही है...सूरत उसकी जैसी भी हो पर दिल से नेक है वो" आशु ने कहा.
"हां-हां बहुत नेक है वो...तभी तो बिना मेरी इज़ाज़त के मेरी गान्ड मार ली उसने" श्रद्धा तुरंत बोली.
ये सुनते ही सौरभ हस्ने लगा.
"हंस क्या रहे हो मैं सच कह रही हूँ....मैने मना किया था उसे मेरी गान्ड में डालने को पर शैतान ने चुपचाप बिना पूछे डाल दिया"
"श्रद्धा....अपर्णा जी बैठी हैं यहा........" आशु ने श्रद्धा को टोका.
"तो क्या हुआ मैं सच ही तो कह रही हूँ...सच बोलना क्या जुर्म है" श्रद्धा ने कहा.
"असली मुद्दा क्या है....कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था ये कि या फिर भोलू ने तुम्हारी गान्ड मार ली वो....असली मुद्दा बताओ" सौरभ ने चुस्की ली.
"मैं यहा आई ही क्यों तुम सब मतलबी हो"
;)
एक बार भोलू ने श्रद्धा की गान्ड मारनी शुरू की तो टाइम का पता ही नही चला.
पूरे 15 मिनट तक वो श्रद्धा की गान्ड रगड़ता रहा. जब भोलू का पानी छूटने वाला था तब तो उसके धक्के भी बहुत तेज हो गये थे. श्रद्धा ने भी कोई ऐतराज़ नही किया. करती भी क्यों वो हर एक धक्के का मज़ा जो ले रही थी.
ढेर सारा गरम पानी भोलू ने श्रद्धा की गान्ड में छोड़ दिया.
"आआहह निकाल अब बाहर 2 मिनट कहा था 2 घंटे मार ली मेरी गान्ड"
"हा..हा...हे हे तू सच में मस्त है....मज़ा आ गया तेरी ले के"
"टॉयलेट कहा है?"
"वो रहा सामने"
श्रद्धा फ़ौरन टॉयलेट में घुस गयी. जब वो टॉयलेट में हाथ धो रही थी अचानक उसकी नज़र खूटी पर तंगी कमीज़ पर गयी.
"ये कमीज़ पर खून जैसे धब्बे.....वो भी इतने सारे...क्या माज़रा है"
"क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा रही हो"
"आ रही हूँ"
श्रद्धा को थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था. वो जब बाहर आई तो उसने टीवी पर रखे एक चाकू को देखा जिस से उसका डर और बढ़ गया.
"मुझे अब चलना होगा"
"क्यों अभी तो बस एक बार ही ली है तेरी...दुबारा नही देगी क्या"
"नही बापू कल आ जाएगा बहुत काम करने हैं मुझे घर पर."
"मैं तुझे तेरे घर तक छोड़ दू"
"नही नही मैं चली जाउंगी अभी 9 ही तो बजे हैं."
श्रद्धा ने कपड़े पहने और चुपचाप वहां से निकल ली. उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.
"हे भगवान मुझे तो डर लग रहा है, उस कमीज़ पर खून के इतने धब्बे क्या कर रहे थे...और वो टीवी पर रखा चाकू....कुछ लाल लाल सा उस पर भी लगा था. धत तेरे की पूरी चुदाई का नशा उतार दिया" श्रद्धा चलते-चलते बड़बड़ा रही है.
अचानक उसे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई देती है. वो थर-थर काँपने लगती है. "हे भगवान ये मेरे पीछे कौन है?" श्रद्धा खुद से कहती है.
"घबरा मत सारे कतल 10 बजे के बाद ही हुए हैं और अभी तो 9 बजे हैं और 5 मिनट में मैं आशु के कमरे पर पहुँच जवँगी" श्रद्धा बड़बड़ाई. लेकिन उसके पीछे लगातार किसी के कदमो की आहट हो रही थी.
"आज चूत मरवाने के चक्कर में मैं खुद ना मारी जाउ कही...हे भगवान मेरी रक्षा करना"
वो थोड़ी देर चुपचाप चलती रहती है फिर अचानक फुर्ती से पीछे मूड कर देखती है...पर उसे अपने पीछे कोई नही दिखाई देता. "भोलू क्या तुम मेरा पीछा कर रहे हो" वो ज़ोर से बोली.
किसी का कोई जवाब नही आया. "भाग श्रद्धा...कुछ गड़बड़ ज़रूर है"
वो वहां से भाग खड़ी होती है और 2 मिनट में आशु के कमरे के बाहर पहुँच जाती है. वो आशु का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है. पर दरवाजा नही खुलता. "ओह यहा तो ताला लगा है...वो ज़रूर अपने गुरु के साथ होगा"
श्रद्धा का खुद का घर अभी भी दूर था और सौरभ का कमरा वहां से नज़दीक पड़ता था. वो तुरंत तेज कदमो से सौरभ के कमरे की तरफ चल दी. अब वो भाग नही रही थी क्योंकि सड़क पर उसके अलावा और भी चार-पाँच लोग थे.
वो सौरभ के कमरे पर पहुँच कर कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से पीटने लगती है.
सौरभ झट से दरवाजा खोलता है.
"क्या हुआ पागल हो गयी हो क्या?" सौरभ ने पूछा.
"र...आशु कहा है?" श्रद्धा ने कहा.
"आशु यही है....बताओ तो क्या बात है?"
आशु भी तुरंत दरवाजे पर आ गया. "श्रद्धा तू यहा...क्या हुआ भोलू के पास नही गयी क्या"
"अरे वही से आ रही हूँ...मेरी जान ख़तरे में है"
"क्या बोल रही हो....तुमसे तो सारी दुनिया की जान ख़तरे में है...तुम्हे किसने ख़तरे में डाल दिया" सौरभ ने हंसते हुए कहा.
"मैं सच कह रही हूँ...कोई मेरा पीछा कर रहा था" श्रद्धा ने कहा.
"यहा बैठो श्रद्धा....बैठ कर आराम से पूरी बात बताओ" अपर्णा ने उसे अपने पास बुलाया.
श्रद्धा अपर्णा के पास बैठ गयी और बोली, "जब मैं भोलू के घर से निकली तो मुझे अपने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनाई दी....भाग कर आई हूँ मैं यहा....ये ज़रूर भोलू की कारस्तानी है"
"भोलू क्यों ऐसा करेगा?" आशु ने कहा.
"मैने उसके टॉयलेट में एक नीले रंग की कमीज़ तंगी देखी थी जिस पर की खून के बहुत सारे धब्बे थे. और तो और उसके टीवी पर एक चाकू रखा देखा मैने...उस पर भी हल्के-हल्के लाल रंग के निशान थे" श्रद्धा ने कहा.
"तुझे कुछ ग़लतफहमी हुई है...भोलू ऐसा आदमी नही है...सूरत उसकी जैसी भी हो पर दिल से नेक है वो" आशु ने कहा.
"हां-हां बहुत नेक है वो...तभी तो बिना मेरी इज़ाज़त के मेरी गान्ड मार ली उसने" श्रद्धा तुरंत बोली.
ये सुनते ही सौरभ हस्ने लगा.
"हंस क्या रहे हो मैं सच कह रही हूँ....मैने मना किया था उसे मेरी गान्ड में डालने को पर शैतान ने चुपचाप बिना पूछे डाल दिया"
"श्रद्धा....अपर्णा जी बैठी हैं यहा........" आशु ने श्रद्धा को टोका.
"तो क्या हुआ मैं सच ही तो कह रही हूँ...सच बोलना क्या जुर्म है" श्रद्धा ने कहा.
"असली मुद्दा क्या है....कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था ये कि या फिर भोलू ने तुम्हारी गान्ड मार ली वो....असली मुद्दा बताओ" सौरभ ने चुस्की ली.
"मैं यहा आई ही क्यों तुम सब मतलबी हो"
;)