27-12-2019, 05:20 PM
"तू छोड़ इन बातो को और जल्दी से नंगी हो जा"
"तुम गान्ड में तो नही डालोगे ना"
"क्यों क्या हुआ?"
"कल आशु ने बहुत बुरा हाल किया अभी तक दर्द है"
"अच्छा आशु ने गान्ड मारी थी कल तुम्हारी"
"हां"
"अगर मान हुआ तो देखेंगे" भोलू ने कहा.
"नही नही गान्ड में नही लूँगी मैं कहे देती हूँ. कल ही तो आशु ने ली थी वो...थोड़े दिन बीत जाते तो शायद दे देती पर आज बिल्कुल नही"
"चल मेरी जान तेरी गान्ड फिर किसी दिन मार लूँगा तू फिलहाल अपनी चूत तो दे मुझे...चल जल्दी से नंगी हो जा."
श्रद्धा ने भोलू की तरफ पीठ करके अपने कपड़े उतार दिए. भोलू उसके नज़दीक आया और गान्ड पर हाथ रख कर बोला, "तेरी गान्ड तो मारने लायक है...पता नही मैं खुद को रोक पाउन्गा की नही"
"हाथ हटाओ मेरी गान्ड से कहा ना नही लूँगी गान्ड में"
"अच्छा मत लेना गान्ड में थोड़ा सा इस मखमली गान्ड को सहला तो लेने दे"
"मुझे कुछ कुछ होता है हटो" श्रद्धा ने भोलू का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया.
"लंड चूस्ति हो ना"
"मैने आज तक आशु का नही चूसा तुम्हारा तो मैं अब चूसुन्गि"
भोलू ने श्रद्धा को बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर लेटा कर उसके उपर चढ़ गया.
"लाइट बंद कर दो" श्रद्धा भोलू की सूरत नही देखना चाहती थी.
"लाइट भी बंद हो जाएगी मेरी जान, पहले इन चुचियों को तो चुस्वा लो"
"उसके लिए लाइट की क्या ज़रूरत है?"
"मुझे रोशनी में चुदाई करनी अछी लगती है" भोलू ये कह कर श्रद्धा के बूब्स पर टूट पड़ा.
"आअहह"
"आ रहा है ना मज़ा"
"हां बहुत मज़ा आ रहा है...अपना लंड डाल दो जल्दी...."
"लंड भी डाल दूँगा इतनी जल्दी क्या है...थोड़ा सरूर तो आने दो"
"सरूर आता रहेगा तुम जल्दी घुसाओ अंदर"
"तेरे जैसी लड़की नही देखी मैने"
"बाते कम कर और जल्दी डाल"
"ये ले संभाल मेरा लंड रंडी कही की"
"आआहह रंडी किसे कहता है... मैं क्या तुझसे पैसे ले रही हूँ"
"यू ही बोल दिया"
"आगे से मत बोलना वरना मैं चली जाउंगी"
"ऐसी चूत मारूँगा तेरी कि तू जाने का सोचेगी भी नही"
"आआहह बिल्कुल सही जा रहे हो...और ज़ोर से मारो"
"ये लो फिर सम्भालो.....आआहह"
भोलू के धक्को की गति तेज हो गयी.
कोई 10 मिनट तक भोलू श्रद्धा को यू ही चोदता रहा. अचानक वो बोला, "चल उल्टी हो जा पीछे से डालूँगा तेरी चूत में"
"गान्ड में मत डाल देना" श्रद्धा ने कहा.
"नही नही चूत में ही डालूँगा घुमो तो सही"
"ठीक है मैं घूम रही हूँ"
श्रद्धा भोलू के नीचे घूम गयी और उसके घूमते ही भोलू ने एक झटके में उसकी चूत में अपना लंड उतार दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
"आआहह"
"मस्त चूत है तेरी"
"तेरा लंड भी मस्त है आआहह"
भोलू ने अचानक अपना लंड बाहर निकाला और फुर्ती से श्रद्धा की गान्ड में डाल दिया.
"आआययईीीई ये तो गान्ड में घुस गया निकालो इसे"
"अब घुस गया है तो मार लेने दो थोड़ी सी गान्ड भी"
"कल से वैसे ही दर्द है...तुम समझते क्यो नही"
"बस 2 मिनट मारने दे फिर निकाल लूँगा"
"ह्म्म चल ठीक है...पर धक्के धीरे मारना यहा समझे"
"समझ गया मेरी जान....तू चिंता मत कर धीरे धीरे मारूँगा गान्ड तेरी मैं हे...हे..हा..हा"
"तुम हंस क्यो रहे हो"
"बस यू ही....ये ले मेरे लंड का पहला झटका तेरी गान्ड में"
"आआहह"
"तुम गान्ड में तो नही डालोगे ना"
"क्यों क्या हुआ?"
"कल आशु ने बहुत बुरा हाल किया अभी तक दर्द है"
"अच्छा आशु ने गान्ड मारी थी कल तुम्हारी"
"हां"
"अगर मान हुआ तो देखेंगे" भोलू ने कहा.
"नही नही गान्ड में नही लूँगी मैं कहे देती हूँ. कल ही तो आशु ने ली थी वो...थोड़े दिन बीत जाते तो शायद दे देती पर आज बिल्कुल नही"
"चल मेरी जान तेरी गान्ड फिर किसी दिन मार लूँगा तू फिलहाल अपनी चूत तो दे मुझे...चल जल्दी से नंगी हो जा."
श्रद्धा ने भोलू की तरफ पीठ करके अपने कपड़े उतार दिए. भोलू उसके नज़दीक आया और गान्ड पर हाथ रख कर बोला, "तेरी गान्ड तो मारने लायक है...पता नही मैं खुद को रोक पाउन्गा की नही"
"हाथ हटाओ मेरी गान्ड से कहा ना नही लूँगी गान्ड में"
"अच्छा मत लेना गान्ड में थोड़ा सा इस मखमली गान्ड को सहला तो लेने दे"
"मुझे कुछ कुछ होता है हटो" श्रद्धा ने भोलू का हाथ अपनी गान्ड से दूर झटक दिया.
"लंड चूस्ति हो ना"
"मैने आज तक आशु का नही चूसा तुम्हारा तो मैं अब चूसुन्गि"
भोलू ने श्रद्धा को बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर लेटा कर उसके उपर चढ़ गया.
"लाइट बंद कर दो" श्रद्धा भोलू की सूरत नही देखना चाहती थी.
"लाइट भी बंद हो जाएगी मेरी जान, पहले इन चुचियों को तो चुस्वा लो"
"उसके लिए लाइट की क्या ज़रूरत है?"
"मुझे रोशनी में चुदाई करनी अछी लगती है" भोलू ये कह कर श्रद्धा के बूब्स पर टूट पड़ा.
"आअहह"
"आ रहा है ना मज़ा"
"हां बहुत मज़ा आ रहा है...अपना लंड डाल दो जल्दी...."
"लंड भी डाल दूँगा इतनी जल्दी क्या है...थोड़ा सरूर तो आने दो"
"सरूर आता रहेगा तुम जल्दी घुसाओ अंदर"
"तेरे जैसी लड़की नही देखी मैने"
"बाते कम कर और जल्दी डाल"
"ये ले संभाल मेरा लंड रंडी कही की"
"आआहह रंडी किसे कहता है... मैं क्या तुझसे पैसे ले रही हूँ"
"यू ही बोल दिया"
"आगे से मत बोलना वरना मैं चली जाउंगी"
"ऐसी चूत मारूँगा तेरी कि तू जाने का सोचेगी भी नही"
"आआहह बिल्कुल सही जा रहे हो...और ज़ोर से मारो"
"ये लो फिर सम्भालो.....आआहह"
भोलू के धक्को की गति तेज हो गयी.
कोई 10 मिनट तक भोलू श्रद्धा को यू ही चोदता रहा. अचानक वो बोला, "चल उल्टी हो जा पीछे से डालूँगा तेरी चूत में"
"गान्ड में मत डाल देना" श्रद्धा ने कहा.
"नही नही चूत में ही डालूँगा घुमो तो सही"
"ठीक है मैं घूम रही हूँ"
श्रद्धा भोलू के नीचे घूम गयी और उसके घूमते ही भोलू ने एक झटके में उसकी चूत में अपना लंड उतार दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा.
"आआहह"
"मस्त चूत है तेरी"
"तेरा लंड भी मस्त है आआहह"
भोलू ने अचानक अपना लंड बाहर निकाला और फुर्ती से श्रद्धा की गान्ड में डाल दिया.
"आआययईीीई ये तो गान्ड में घुस गया निकालो इसे"
"अब घुस गया है तो मार लेने दो थोड़ी सी गान्ड भी"
"कल से वैसे ही दर्द है...तुम समझते क्यो नही"
"बस 2 मिनट मारने दे फिर निकाल लूँगा"
"ह्म्म चल ठीक है...पर धक्के धीरे मारना यहा समझे"
"समझ गया मेरी जान....तू चिंता मत कर धीरे धीरे मारूँगा गान्ड तेरी मैं हे...हे..हा..हा"
"तुम हंस क्यो रहे हो"
"बस यू ही....ये ले मेरे लंड का पहला झटका तेरी गान्ड में"
"आआहह"
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