27-12-2019, 05:19 PM
Update 19
"बहुत बढ़िया मुझसे पहले जो रोज दिनेश और उसके दोस्त को दिया करती थी अपनी चूत उसका क्या"
"वो पुरानी बात है, जब से तुम मिले हो मैने किसी और को नही दी"
"अच्छा ऐसा क्या है मुझ में"
"बस पूछो मत"
"बताओ ना.....मेरा लंड तगड़ा है ना"
"चल हट....वो तो है ही तेरा स्टाइल भी प्यारा है"
"इस्तयले नही स्टाइल.."
"वैसे तेरा गुरु भी कम नही"
"तुझ में और पूजा में ज़मीन आसमान का अंतर है"
"वो तो होगा ही वो कॉलेज में पढ़ती है और मैं अनपढ़ गवार हूँ"
"वो बात नही है श्रद्धा....मेरा मतलब कुछ और था....चल मैं चलता हूँ तू टाइम से पहुँच जाना भोलू के पास"
"ठीक है मैं तो अपनी आँखे बंद रखूँगी बहुत भयानक सूरत है भोलू की"
"जैसा तेरा मन हो वैसा करना...मैं चलता हूँ"
आशु चला जाता है.
श्रद्धा भोलू के घर की ओर चल पड़ती है.
श्रद्धा ने भोलू हवलदार के घर जा कर उसका दरवाजा खड़काया.
"कौन है?" अंदर से आवाज़ आई.
श्रद्धा ने कोई जवाब नही दिया. "दरवाजा खोल कर देख ले ना कौन है...बेवकूफ़ कही का हा" श्रद्धा बड़बड़ाई.
दरवाजा खुलता है. "अरे श्रद्धा तू है...तू यहा कैसे...आ...आ अंदर आ"
"आक्टिंग देखो जनाब की...कमीना कही का" श्रद्धा ने मन ही मन कहा.
"बताओ क्या लोगि ठंडा या गरम"
"क्या तुम्हे नही पता कि मैं यहा क्यो आई हूँ"
"पता है मेरी जान वो तो मैं यू ही कह रहा था..."
"तुम्हारी बीवी कहा है?"
"बीवी यहा होती तो क्या तुझे बुलाता मैं यहा"
"मैं यहा आशु के कहने पे आई हूँ"
"कोई बात नही...तेरी ऐसी तस्सल्ली करूँगा कि तू याद रखेगी"
"ह्म्म...देखेंगे"
"आशु से पहले तेरा चक्कर दिनेश से था ना"
"क्यों तुम्हे क्या करना है?"
"दिनेश अभी यही से गया है...बहुत तारीफ़ कर रहा था तुम्हारी"
"अच्छा क्या बोल रहा था?"
"बोल रहा था कि तुम बहुत अच्छे से तस्सल्ली से देती हो...क्या ये सच है"
"ये तो लेने वाले पे डिपेंड करता है" श्रद्धा ने कहा.
"लेने वाला तो आज तस्सल्ली से लेगा" भोलू ने अपना लंड पेण्ट के उपर से मसल्ते हुए कहा.
"ठीक है फिर मैं भी तस्सल्ली से दूँगी हां पर तुम मेरे होठ नही चूमोगे"
"ऐसा क्यों?"
"बस यू ही" श्रद्धा ने कहा "क्योंकि तुम्हारी सुवर जैसी सूरत से मुझे घिन आती है" श्रद्धा ने मन में कहा.
"चल नंगी तो हो जा"
"लाइट बंद करो पहले"
"मेरी जान लाइट भी बंद हो जाएगी पहले तेरे हुसन का दीदार तो कर लू...और क्या तुम मेरा लंड नही देखोगी."
लंड की बात सुनते ही श्रद्धा की चूत में खुजली होने लगी और वो बोली, "ठीक है थोड़ी देर लाइट रहने देते है"
"ये हुई ना बात" भोलू ने कहा.
"दीखाओ अपना" श्रद्धा से वेट नही हो रहा था.
"बहुत बेचैन हो रही हो लॉडा देखने के लिए क्या बात है?"
"बात कुछ नही है....जल्दी दीखाओ ना अपना लंड"
भोलू ने एक झटके में अपनी पेण्ट उतार दी और अंडरवेर भी उतार कर दूर फेंक दिया.
"ये लो देखो मेरा लंड"
"ह्म्म"
"कैसा है?"
"अच्छा है...पर आशु जैसा नही है"
"क्या बकवास कर रही है...उस लोंडे के पास क्या तोप है"
"तोप ही समझो पर तुम्हारा भी ठीक ठीक है"
"ये ठीक ठीक क्या होता है"
"दिनेश से तो तुम्हारा बड़ा है पर आशु से छोटा है..."
"बहुत बढ़िया मुझसे पहले जो रोज दिनेश और उसके दोस्त को दिया करती थी अपनी चूत उसका क्या"
"वो पुरानी बात है, जब से तुम मिले हो मैने किसी और को नही दी"
"अच्छा ऐसा क्या है मुझ में"
"बस पूछो मत"
"बताओ ना.....मेरा लंड तगड़ा है ना"
"चल हट....वो तो है ही तेरा स्टाइल भी प्यारा है"
"इस्तयले नही स्टाइल.."
"वैसे तेरा गुरु भी कम नही"
"तुझ में और पूजा में ज़मीन आसमान का अंतर है"
"वो तो होगा ही वो कॉलेज में पढ़ती है और मैं अनपढ़ गवार हूँ"
"वो बात नही है श्रद्धा....मेरा मतलब कुछ और था....चल मैं चलता हूँ तू टाइम से पहुँच जाना भोलू के पास"
"ठीक है मैं तो अपनी आँखे बंद रखूँगी बहुत भयानक सूरत है भोलू की"
"जैसा तेरा मन हो वैसा करना...मैं चलता हूँ"
आशु चला जाता है.
श्रद्धा भोलू के घर की ओर चल पड़ती है.
श्रद्धा ने भोलू हवलदार के घर जा कर उसका दरवाजा खड़काया.
"कौन है?" अंदर से आवाज़ आई.
श्रद्धा ने कोई जवाब नही दिया. "दरवाजा खोल कर देख ले ना कौन है...बेवकूफ़ कही का हा" श्रद्धा बड़बड़ाई.
दरवाजा खुलता है. "अरे श्रद्धा तू है...तू यहा कैसे...आ...आ अंदर आ"
"आक्टिंग देखो जनाब की...कमीना कही का" श्रद्धा ने मन ही मन कहा.
"बताओ क्या लोगि ठंडा या गरम"
"क्या तुम्हे नही पता कि मैं यहा क्यो आई हूँ"
"पता है मेरी जान वो तो मैं यू ही कह रहा था..."
"तुम्हारी बीवी कहा है?"
"बीवी यहा होती तो क्या तुझे बुलाता मैं यहा"
"मैं यहा आशु के कहने पे आई हूँ"
"कोई बात नही...तेरी ऐसी तस्सल्ली करूँगा कि तू याद रखेगी"
"ह्म्म...देखेंगे"
"आशु से पहले तेरा चक्कर दिनेश से था ना"
"क्यों तुम्हे क्या करना है?"
"दिनेश अभी यही से गया है...बहुत तारीफ़ कर रहा था तुम्हारी"
"अच्छा क्या बोल रहा था?"
"बोल रहा था कि तुम बहुत अच्छे से तस्सल्ली से देती हो...क्या ये सच है"
"ये तो लेने वाले पे डिपेंड करता है" श्रद्धा ने कहा.
"लेने वाला तो आज तस्सल्ली से लेगा" भोलू ने अपना लंड पेण्ट के उपर से मसल्ते हुए कहा.
"ठीक है फिर मैं भी तस्सल्ली से दूँगी हां पर तुम मेरे होठ नही चूमोगे"
"ऐसा क्यों?"
"बस यू ही" श्रद्धा ने कहा "क्योंकि तुम्हारी सुवर जैसी सूरत से मुझे घिन आती है" श्रद्धा ने मन में कहा.
"चल नंगी तो हो जा"
"लाइट बंद करो पहले"
"मेरी जान लाइट भी बंद हो जाएगी पहले तेरे हुसन का दीदार तो कर लू...और क्या तुम मेरा लंड नही देखोगी."
लंड की बात सुनते ही श्रद्धा की चूत में खुजली होने लगी और वो बोली, "ठीक है थोड़ी देर लाइट रहने देते है"
"ये हुई ना बात" भोलू ने कहा.
"दीखाओ अपना" श्रद्धा से वेट नही हो रहा था.
"बहुत बेचैन हो रही हो लॉडा देखने के लिए क्या बात है?"
"बात कुछ नही है....जल्दी दीखाओ ना अपना लंड"
भोलू ने एक झटके में अपनी पेण्ट उतार दी और अंडरवेर भी उतार कर दूर फेंक दिया.
"ये लो देखो मेरा लंड"
"ह्म्म"
"कैसा है?"
"अच्छा है...पर आशु जैसा नही है"
"क्या बकवास कर रही है...उस लोंडे के पास क्या तोप है"
"तोप ही समझो पर तुम्हारा भी ठीक ठीक है"
"ये ठीक ठीक क्या होता है"
"दिनेश से तो तुम्हारा बड़ा है पर आशु से छोटा है..."