27-12-2019, 05:00 PM
गुरु गाड़ी स्लो करो जल्दी, वो पोलीस की जीप स्लो हो रही है" आशु ने हड़बड़ाहट में कहा.
चौहान एक किनारे पर जीप रोक देता है. "मैं तुम्हे घर छोड़ दूँगा यहा से कैसे जाओगी तुम"
"नही....किसी ने देख लिया तो बदनामी होगी, लोग तरह-तरह के सवाल पूछेंगे कि पोलीस की जीप में मैं क्या कर रही थी. कोई ना कोई ऑटो मिल जाएगा आप जाओ"
"वैसे तुझे यू छोड़ने का मन नही करता पर चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी"
"थॅंक यू सर?"
"किस बात के लिए, तुम्हारी चुदाई करना तो मेरा फ़र्ज़ था हे..हे..हे"
"जी हां... आपने पोलीस वाले का फ़र्ज़ बहुत अच्छे से निभाया, उसी के लिए थॅंक यू बोल रही हूँ" पूजा ने कहा.
"लगता है एक बार और मारनी चाहिए थी तेरी गान्ड....चल दफ़ा हो जा वरना जैल में डाल दूँगा और रोज वही चोदुन्गा तुझे"
पूजा ने आगे कुछ नही कहा. चौहान जीप लेकर आगे बढ़ गया.
जीप को रुकती देख सौरभ ने भी कुछ दूरी पे अपनी कार रोक ली थी.
"गुरु ये पूजा को यहा क्यों उतार दिया पोलीस वाले ने" आशु ने कहा.
"इस बात का जवाब तो पूजा ही दे सकती है" सौरभ ने कहा.
"चलो गुरु उसे अपनी कार में बैठा लेते हैं" आशु ने कहा.
"पागल हो गये हो तुम उसने मुझे पहचान लिया तो" अपर्णा ने कहा.
"अपर्णा ठीक कह रही है आशु, जितने कम लोगो को इसके बारे में पता हो उतना अच्छा है, वक्त बहुत नाज़ुक है" सौरभ ने कहा.
"ठीक है फिर, मैं कार से उतर कर उसके पास जा रहा हूँ. तुम दौनो घर जाओ"
"अरे रूको तो" अपर्णा ने कहा.
पर आशु तब तक कार से बाहर निकल चुका था और पूजा की तरफ बढ़ रहा था.
"ये लड़का भी ना......" सौरभ ने झुंज़लाहट में कहा.
पूजा ऑटो का वेट कर रही थी. उसका ध्यान उसकी और बढ़ते आशु पर नही गया क्योंकि उसकी नज़रे दूसरी दिशा में थी.
"क्या जिंदगी बन गयी मेरी...ये सब उस कामीने की वजह से हुआ है...मैं उसे ज़िंदा नही छोड़ूँगी" पूजा मन ही मन सोच रही है. उसकी आँखे सोचते-सोचते कब नम हो गयी उसे पता ही नही चला.
तभी आशु उसके नज़दीक पहुँच जाता.
"पूजा क्या बात है...यहा क्या कर रही हो" आशु ने पूछा.
पूजा ने फ़ौरन अपने बहते हुए आँसू पोंछे और बोली, "तुम से मतलब...तुम अपना काम करो"
"पूजा बताओ तो सही बात क्या है, तुम रो क्यों रही हो और ये पोलीस की जीप में तुम क्या कर रही थी" आशु ने पूछा.
"तुम दफ़ा हो जाओ यहा से, तुम कौन होते हो ये सब पूछने वाले" पूजा ने कहा. उसे एक ऑटो आता दीखाई दिया उसने आवाज़ लगाई, "ऑटो"
ऑटो रुक गया. "मार्केट ले चलो" पूजा ने कहा.
"पूजा मेरी बात तो सुनो"
पर ऑटो पूजा को लेकर आगे बढ़ गया.
आशु दौड़ कर कार में आया और बोला, "गुरु जल्दी स्टार्ट करो हमे उस ऑटो के पीछे चलना है"
"बात क्या है, कुछ बता तो" सौरभ ने पूछा.
"गुरु वो वहां खड़ी रो रही थी...मुझ से सीधे मूह बात ही नही की उसने"
"ह्म्म....क्या पता क्या बात है...चलो देखते हैं" सौरभ ने कहा.
"मैं भी हूँ कार में याद रखना कहीं मुझे फंस्वा दो"
"चिंता मत करो अपर्णा जी आप को कोई नही पहचानेगा" आशु ने कहा.
सौरभ ने कार पूजा के ऑटो के पीछे लगा दी.
कोई 15 मिनट बाद ऑटो मार्केट में रुका और पूजा ऑटो से उतर कर एक दुकान में घुस गयी.
"वो अपनी सोपिंग कर रही है और हम अपना टाइम वेस्ट कर रहे हैं" अपर्णा ने कहा.
"काई बार वेस्ट से सोना निकल आता है अपर्णा जी" आशु ने कहा.
"बहुत सुन्दर लड़की है सच-सच बताओ आशु कहीं तुम किसी और चक्कर में तो नही हो" अपर्णा ने कहा.
"नही-नही अपर्णा जी....मैने सच में उसकी आँखो में आँसू देखे थे. हां वो सुंदर तो बहुत है बिल्कुल आपकी तरह"
"ठीक है-ठीक है....जाओ जाकर देखो तो सही कि वो क्या कर रही है इस दुकान पर"
"वैसे ठीक ही कहा है आशु ने आप बहुत सुंदर हो मेडम और पूजा आपको टक्कर दे रही है"
"क्या मतलब है तुम्हारा?" अपर्णा ने पूछा.
"कुछ नही यही कि आप दौनो बहुत सुन्दर हो क्यों आशु" सौरभ ने कहा.
"हां हां बिल्क....." आशु अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि अपर्णा के चेहरे के भाव बहुत गंभीर थे.
"गुरु देखो तो ये क्या खरीद रही है?" आशु ने कहा.
"इस चाकू का ये क्या करेगी, ये घरेलू चाकू से बड़ा है" सौरभ ने कहा.
"मैं ना कहता था कि कुछ गड़बड़ है"
"तू सही है आशु कुछ तो गड़बड़ है." सौरभ ने कहा.
चौहान एक किनारे पर जीप रोक देता है. "मैं तुम्हे घर छोड़ दूँगा यहा से कैसे जाओगी तुम"
"नही....किसी ने देख लिया तो बदनामी होगी, लोग तरह-तरह के सवाल पूछेंगे कि पोलीस की जीप में मैं क्या कर रही थी. कोई ना कोई ऑटो मिल जाएगा आप जाओ"
"वैसे तुझे यू छोड़ने का मन नही करता पर चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी"
"थॅंक यू सर?"
"किस बात के लिए, तुम्हारी चुदाई करना तो मेरा फ़र्ज़ था हे..हे..हे"
"जी हां... आपने पोलीस वाले का फ़र्ज़ बहुत अच्छे से निभाया, उसी के लिए थॅंक यू बोल रही हूँ" पूजा ने कहा.
"लगता है एक बार और मारनी चाहिए थी तेरी गान्ड....चल दफ़ा हो जा वरना जैल में डाल दूँगा और रोज वही चोदुन्गा तुझे"
पूजा ने आगे कुछ नही कहा. चौहान जीप लेकर आगे बढ़ गया.
जीप को रुकती देख सौरभ ने भी कुछ दूरी पे अपनी कार रोक ली थी.
"गुरु ये पूजा को यहा क्यों उतार दिया पोलीस वाले ने" आशु ने कहा.
"इस बात का जवाब तो पूजा ही दे सकती है" सौरभ ने कहा.
"चलो गुरु उसे अपनी कार में बैठा लेते हैं" आशु ने कहा.
"पागल हो गये हो तुम उसने मुझे पहचान लिया तो" अपर्णा ने कहा.
"अपर्णा ठीक कह रही है आशु, जितने कम लोगो को इसके बारे में पता हो उतना अच्छा है, वक्त बहुत नाज़ुक है" सौरभ ने कहा.
"ठीक है फिर, मैं कार से उतर कर उसके पास जा रहा हूँ. तुम दौनो घर जाओ"
"अरे रूको तो" अपर्णा ने कहा.
पर आशु तब तक कार से बाहर निकल चुका था और पूजा की तरफ बढ़ रहा था.
"ये लड़का भी ना......" सौरभ ने झुंज़लाहट में कहा.
पूजा ऑटो का वेट कर रही थी. उसका ध्यान उसकी और बढ़ते आशु पर नही गया क्योंकि उसकी नज़रे दूसरी दिशा में थी.
"क्या जिंदगी बन गयी मेरी...ये सब उस कामीने की वजह से हुआ है...मैं उसे ज़िंदा नही छोड़ूँगी" पूजा मन ही मन सोच रही है. उसकी आँखे सोचते-सोचते कब नम हो गयी उसे पता ही नही चला.
तभी आशु उसके नज़दीक पहुँच जाता.
"पूजा क्या बात है...यहा क्या कर रही हो" आशु ने पूछा.
पूजा ने फ़ौरन अपने बहते हुए आँसू पोंछे और बोली, "तुम से मतलब...तुम अपना काम करो"
"पूजा बताओ तो सही बात क्या है, तुम रो क्यों रही हो और ये पोलीस की जीप में तुम क्या कर रही थी" आशु ने पूछा.
"तुम दफ़ा हो जाओ यहा से, तुम कौन होते हो ये सब पूछने वाले" पूजा ने कहा. उसे एक ऑटो आता दीखाई दिया उसने आवाज़ लगाई, "ऑटो"
ऑटो रुक गया. "मार्केट ले चलो" पूजा ने कहा.
"पूजा मेरी बात तो सुनो"
पर ऑटो पूजा को लेकर आगे बढ़ गया.
आशु दौड़ कर कार में आया और बोला, "गुरु जल्दी स्टार्ट करो हमे उस ऑटो के पीछे चलना है"
"बात क्या है, कुछ बता तो" सौरभ ने पूछा.
"गुरु वो वहां खड़ी रो रही थी...मुझ से सीधे मूह बात ही नही की उसने"
"ह्म्म....क्या पता क्या बात है...चलो देखते हैं" सौरभ ने कहा.
"मैं भी हूँ कार में याद रखना कहीं मुझे फंस्वा दो"
"चिंता मत करो अपर्णा जी आप को कोई नही पहचानेगा" आशु ने कहा.
सौरभ ने कार पूजा के ऑटो के पीछे लगा दी.
कोई 15 मिनट बाद ऑटो मार्केट में रुका और पूजा ऑटो से उतर कर एक दुकान में घुस गयी.
"वो अपनी सोपिंग कर रही है और हम अपना टाइम वेस्ट कर रहे हैं" अपर्णा ने कहा.
"काई बार वेस्ट से सोना निकल आता है अपर्णा जी" आशु ने कहा.
"बहुत सुन्दर लड़की है सच-सच बताओ आशु कहीं तुम किसी और चक्कर में तो नही हो" अपर्णा ने कहा.
"नही-नही अपर्णा जी....मैने सच में उसकी आँखो में आँसू देखे थे. हां वो सुंदर तो बहुत है बिल्कुल आपकी तरह"
"ठीक है-ठीक है....जाओ जाकर देखो तो सही कि वो क्या कर रही है इस दुकान पर"
"वैसे ठीक ही कहा है आशु ने आप बहुत सुंदर हो मेडम और पूजा आपको टक्कर दे रही है"
"क्या मतलब है तुम्हारा?" अपर्णा ने पूछा.
"कुछ नही यही कि आप दौनो बहुत सुन्दर हो क्यों आशु" सौरभ ने कहा.
"हां हां बिल्क....." आशु अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि अपर्णा के चेहरे के भाव बहुत गंभीर थे.
"गुरु देखो तो ये क्या खरीद रही है?" आशु ने कहा.
"इस चाकू का ये क्या करेगी, ये घरेलू चाकू से बड़ा है" सौरभ ने कहा.
"मैं ना कहता था कि कुछ गड़बड़ है"
"तू सही है आशु कुछ तो गड़बड़ है." सौरभ ने कहा.