27-12-2019, 04:59 PM
Update 17
"मुझे पता है तुम ही कातिल हो, ज़्यादा दिन बच नही पाओगे तुम"
ये सुनते ही परवीन की आँखो में खून उतर आया. इस से पहले की वो कुछ बोल पता, चौहान ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, "चलें अब"
"हां-हां बिल्कुल" परवीन ने पूजा को घूरते हुए कहा.
"चलो पूजा जी मैं आपको घर छोड़ देता हूँ" चौहान ने पूजा की गान्ड पर हाथ मार कर कहा.
कुछ देर बाद पूजा और चौहान जीप में थे और फार्महाउस से निकल कर शहर की तरफ बढ़ रहे थे.
"आपका दोस्त ही है वो किलर" पूजा ने कहा.
"हा....हे...हा" क्या खूब कही "उसे बस चूत और गान्ड मारनी आती है किसी इंसान को वो नही मार सकता"
"ऐसा कैसे कह सकते है आप"
"बहुत पुराना यार है परवीन मेरा बहुत अच्छे से जानता हूँ मैं उसे और वैसे भी कातिल तो अपर्णा है जो कि फरार है"
"वो सब मुझे नही पता पर आपका दोस्त कहीं ना कही इस जुर्म मे ज़रूर शामिल है. मुझे उसके नौकर रामू पर भी शक है"
"पूजा जी आप घर जा कर आराम करो बहुत थक गयी होंगी आज की चुदाई से, पोलीस का काम पोलीस पर छोड़ दो"
#
चौहान की जीप के पास से एक कार गुज़री जिसमे कि सौरभ, आशु और अपर्णा बैठे थे.
"गुरु वो तो पूजा थी, ये पोलीस की जीप में क्या कर रही है"
"पूजा, कौन पूजा?"
"ओह तुम उसे नही जानते गुरु, श्रद्धा की छोटी बहन है वो."
"ह्म्म पर वो पोलीस की जीप में क्या कर रही है?"
"यही सोच कर तो मैं भी परेशान हूँ"
"देखो ये वक्त उस लड़की के बारे में सोचने का नही है. ये सोचो कि मेरा क्या होगा. बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गयी हूँ मैं" अपर्णा ने कहा.
"घर चल कर आराम से सोचेंगे मेडम, तुम बिल्कुल चिंता मत करो" सौरभ ने कहा.
"मैं घर जाना चाहती हूँ गाड़ी को मेरे घर की तरफ ले चलो मैं रास्ता बताती हूँ"
"पर अपर्णा जी आपके घर के आस पास भी पोलीस का पहरा है, मैने न्यूज़ में देखा था." आशु ने कहा
"ह्म्म...पर मेरा अपने घर वालो से मिलना ज़रूरी है."
"अभी नही मेडम, अभी ख़तरा है, थोड़ा संयम रखो" सौरभ ने कहा.
"गुरु अपनी कार को थोड़ा स्लो कर लो, पोलीस की गाड़ी है कही कुछ गड़बड़ हो जाए" आशु ने कहा.
"तू चिंता मत कर आशु, वो खुद ही स्पीड से जा रहे हैं, हमे स्लो करने की कोई ज़रूरत नही है"
"पर गुरु ये पूजा कही किसी चक्कर में तो नही फँस गयी" आशु ने कहा.
"तुझे बड़ी चिंता हो रही है उसकी...हा...क्या बात है?" सौरभ ने कहा.
"गुरु श्रद्धा की बहन है वो, और फिर इंसानियत भी तो कोई चीज़ होती है" आशु ने कहा.
"सच-सच बताओ ये इंसानियत ही है या कुछ और मेरे पीछे तो तुम कुछ और ही बाते करते थे" अपर्णा ने कहा.
"नही अपर्णा जी, ऐसा कुछ नही है, मुझे सच में पूजा की चिंता हो रही है" आशु ने कहा.
"कसम खा के बताना कि तुम्हारा पूजा के बारे में कोई ग़लत इरादा नही है" अपर्णा ने कहा.
"क...क...कसम की क्या ज़रूरत है, मुझ से तो पूजा वैसे भी चिढ़ती है, सीधे मूह बात भी नही करती" आशु ने कहा.
"उसे तुम्हारी नियत पर शक होगा तभी ऐसा करती होगी, वैसे क्या उसे तुम्हारे और श्रद्धा के बारे में पता है क्या?" अपर्णा ने कहा.
"हां एक बार मैं जब श्रद्धा की चूत मार......." आशु अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि जैसे ही उसके मूह से 'चूत मार' निकला अपर्णा ने उसे गुस्से में घूर कर देखा और आशु चुप हो गया.
"स...स...सॉरी ज़ुबान फिसल गयी....गुरु के साथ रह कर गंदी बाते करने की आदत पड़ गयी है" आशु ने कहा.
"क्यों बे सब गंदे काम क्या मैने ही तुझे सिखाए हैं" सौरभ गुस्से में बोला.
"सॉरी गुरु...मैं तो बस" आशु ने मायूस हो कर कहा.
आशु की हालत देख कर अपर्णा ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी. सौरभ भी ठहाके लगाने लगा.
"तुम दोनो बस मेरी क्लास लिया करो और कोई काम नही है तुम दौनो को हा" आशु ने कहा.
"वो फार्स गीला करने वाली बात मैं श्रद्धा को बताना चाहती थी पर बता नही पाई. बताती भी कैसे श्रद्धा ही चपार-चपार किए जा रही थी" अपर्णा ने कहा.
"नही अपर्णा जी ऐसा मत कीजिएगा, मेरी इज़्ज़त नीलाम हो जाएगी. आपको मेरी कसम है"
"मुझे तुम्हारी कसम से क्या लेना देना" अपर्णा ने कहा.
"मैं आपकी मदद कर रहा हूँ और आपको मुझ से कुछ लेना देना नही है" आशु ने कहा.
ये बात जैसे अपर्णा के दिल पर तीर की तरह लगी और वो किन्ही ख़यालो में खो गयी. उसने आशु को बड़े गौर से देखा. आशु के चेरे की मासूमियत उसका दिल छू गयी.
"यू आर रियली आ नॉटी बॉय, अच्छा नही बताउन्गि किसी को भी ये बात...अब खुश"
"ख़ुशी तो मुझे तब मिलेगी जब आप इस मुसीबत से निकल जाएँगी" आशु ने कहा.
"मैं तुम दोनो को हमेशा याद रखूँगी" अपर्णा ने भावुक हो कर कहा.
"हमारी बाते भी याद रखना" सौरभ ने कहा.
"कौन सी बाते?" अपर्णा ने कहा.
"वही जो तुमने छुप-छुप कर सुनी थी" सौरभ ने हंसते हुए कहा.
"बिल्कुल जनाब वो तो तुम दोनो का रियल कॅरक्टर दर्साति हैं, वो कैसे भूल सकती हूँ"
;)
"मुझे पता है तुम ही कातिल हो, ज़्यादा दिन बच नही पाओगे तुम"
ये सुनते ही परवीन की आँखो में खून उतर आया. इस से पहले की वो कुछ बोल पता, चौहान ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, "चलें अब"
"हां-हां बिल्कुल" परवीन ने पूजा को घूरते हुए कहा.
"चलो पूजा जी मैं आपको घर छोड़ देता हूँ" चौहान ने पूजा की गान्ड पर हाथ मार कर कहा.
कुछ देर बाद पूजा और चौहान जीप में थे और फार्महाउस से निकल कर शहर की तरफ बढ़ रहे थे.
"आपका दोस्त ही है वो किलर" पूजा ने कहा.
"हा....हे...हा" क्या खूब कही "उसे बस चूत और गान्ड मारनी आती है किसी इंसान को वो नही मार सकता"
"ऐसा कैसे कह सकते है आप"
"बहुत पुराना यार है परवीन मेरा बहुत अच्छे से जानता हूँ मैं उसे और वैसे भी कातिल तो अपर्णा है जो कि फरार है"
"वो सब मुझे नही पता पर आपका दोस्त कहीं ना कही इस जुर्म मे ज़रूर शामिल है. मुझे उसके नौकर रामू पर भी शक है"
"पूजा जी आप घर जा कर आराम करो बहुत थक गयी होंगी आज की चुदाई से, पोलीस का काम पोलीस पर छोड़ दो"
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चौहान की जीप के पास से एक कार गुज़री जिसमे कि सौरभ, आशु और अपर्णा बैठे थे.
"गुरु वो तो पूजा थी, ये पोलीस की जीप में क्या कर रही है"
"पूजा, कौन पूजा?"
"ओह तुम उसे नही जानते गुरु, श्रद्धा की छोटी बहन है वो."
"ह्म्म पर वो पोलीस की जीप में क्या कर रही है?"
"यही सोच कर तो मैं भी परेशान हूँ"
"देखो ये वक्त उस लड़की के बारे में सोचने का नही है. ये सोचो कि मेरा क्या होगा. बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गयी हूँ मैं" अपर्णा ने कहा.
"घर चल कर आराम से सोचेंगे मेडम, तुम बिल्कुल चिंता मत करो" सौरभ ने कहा.
"मैं घर जाना चाहती हूँ गाड़ी को मेरे घर की तरफ ले चलो मैं रास्ता बताती हूँ"
"पर अपर्णा जी आपके घर के आस पास भी पोलीस का पहरा है, मैने न्यूज़ में देखा था." आशु ने कहा
"ह्म्म...पर मेरा अपने घर वालो से मिलना ज़रूरी है."
"अभी नही मेडम, अभी ख़तरा है, थोड़ा संयम रखो" सौरभ ने कहा.
"गुरु अपनी कार को थोड़ा स्लो कर लो, पोलीस की गाड़ी है कही कुछ गड़बड़ हो जाए" आशु ने कहा.
"तू चिंता मत कर आशु, वो खुद ही स्पीड से जा रहे हैं, हमे स्लो करने की कोई ज़रूरत नही है"
"पर गुरु ये पूजा कही किसी चक्कर में तो नही फँस गयी" आशु ने कहा.
"तुझे बड़ी चिंता हो रही है उसकी...हा...क्या बात है?" सौरभ ने कहा.
"गुरु श्रद्धा की बहन है वो, और फिर इंसानियत भी तो कोई चीज़ होती है" आशु ने कहा.
"सच-सच बताओ ये इंसानियत ही है या कुछ और मेरे पीछे तो तुम कुछ और ही बाते करते थे" अपर्णा ने कहा.
"नही अपर्णा जी, ऐसा कुछ नही है, मुझे सच में पूजा की चिंता हो रही है" आशु ने कहा.
"कसम खा के बताना कि तुम्हारा पूजा के बारे में कोई ग़लत इरादा नही है" अपर्णा ने कहा.
"क...क...कसम की क्या ज़रूरत है, मुझ से तो पूजा वैसे भी चिढ़ती है, सीधे मूह बात भी नही करती" आशु ने कहा.
"उसे तुम्हारी नियत पर शक होगा तभी ऐसा करती होगी, वैसे क्या उसे तुम्हारे और श्रद्धा के बारे में पता है क्या?" अपर्णा ने कहा.
"हां एक बार मैं जब श्रद्धा की चूत मार......." आशु अपने बोल पूरे नही कर सका क्योंकि जैसे ही उसके मूह से 'चूत मार' निकला अपर्णा ने उसे गुस्से में घूर कर देखा और आशु चुप हो गया.
"स...स...सॉरी ज़ुबान फिसल गयी....गुरु के साथ रह कर गंदी बाते करने की आदत पड़ गयी है" आशु ने कहा.
"क्यों बे सब गंदे काम क्या मैने ही तुझे सिखाए हैं" सौरभ गुस्से में बोला.
"सॉरी गुरु...मैं तो बस" आशु ने मायूस हो कर कहा.
आशु की हालत देख कर अपर्णा ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी. सौरभ भी ठहाके लगाने लगा.
"तुम दोनो बस मेरी क्लास लिया करो और कोई काम नही है तुम दौनो को हा" आशु ने कहा.
"वो फार्स गीला करने वाली बात मैं श्रद्धा को बताना चाहती थी पर बता नही पाई. बताती भी कैसे श्रद्धा ही चपार-चपार किए जा रही थी" अपर्णा ने कहा.
"नही अपर्णा जी ऐसा मत कीजिएगा, मेरी इज़्ज़त नीलाम हो जाएगी. आपको मेरी कसम है"
"मुझे तुम्हारी कसम से क्या लेना देना" अपर्णा ने कहा.
"मैं आपकी मदद कर रहा हूँ और आपको मुझ से कुछ लेना देना नही है" आशु ने कहा.
ये बात जैसे अपर्णा के दिल पर तीर की तरह लगी और वो किन्ही ख़यालो में खो गयी. उसने आशु को बड़े गौर से देखा. आशु के चेरे की मासूमियत उसका दिल छू गयी.
"यू आर रियली आ नॉटी बॉय, अच्छा नही बताउन्गि किसी को भी ये बात...अब खुश"
"ख़ुशी तो मुझे तब मिलेगी जब आप इस मुसीबत से निकल जाएँगी" आशु ने कहा.
"मैं तुम दोनो को हमेशा याद रखूँगी" अपर्णा ने भावुक हो कर कहा.
"हमारी बाते भी याद रखना" सौरभ ने कहा.
"कौन सी बाते?" अपर्णा ने कहा.
"वही जो तुमने छुप-छुप कर सुनी थी" सौरभ ने हंसते हुए कहा.
"बिल्कुल जनाब वो तो तुम दोनो का रियल कॅरक्टर दर्साति हैं, वो कैसे भूल सकती हूँ"
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