29-01-2019, 11:39 PM
ठाकुर ने धक्का देते हुए शिल्पा को बेड पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ते हुए उसकी चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा। ठाकुर शिल्पा की चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए अपना मुँह खोलकर शिल्पा की चूचियों के हल्के नासी दाने को चूसने लगा।
शिल्पा अपनी चूचियों को ठाकुर के मुँह में जाते ही फिर से गरम होने लगी। उसके पूरे शरीर में फिर से सिहरन होने लगी।
ठाकुर जैसे-जैसे उसकी चूची के दाने को चूसता उसे अपनी पूरे शरीर में अजीब किस्म की सनसनाहट होने लगती।
ठाकुर अब शिल्पा की दोनों चूचियों के दाने को एक-एक करके अपने मुँह में लेकर चाट रहा था और शिल्पा के मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी। ठाकुर शिल्पा की चूची के दाने को चूसते हुए उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से उसे चूसने लगा। शिल्पा के मुँह से जोर की “आअहह्ह...” निकल गई।
ठाकुर उसकी चूची को कुछ देर तक यूँ ही चूसता रहा। ठाकुर का खड़ा लण्ड शिल्पा की नंगी चूत पर ठोकरें मार रहा था और उत्तेजना के मारे उसके मुँह से बहुत जोर की आहे निकल रही थी। ठाकुर ने शिल्पा के ऊपर से उठते हुए उसकी टाँगों के नीचे दो तकिये रख दिए। ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके पेट पर रख दी जिस वजह से उसकी चूत उठकर बहुत ऊपर हो गई और थोड़ा सा खुल गई। ठाकुर अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
ठाकुर का लण्ड अपनी चूत के छेद पर लगाते ही शिल्पा उछल पड़ी और उसके मुँह से जोर की “आअह्ह्ह... इस्स्स्स..” की सिसकियां निकलने लगी और उसकी चूत से पानी निकलकर ठाकुर के लण्ड को गीला करने लगा।
ठाकुर ने अपने लण्ड को यूँ ही उसकी गीली चूत पर रगड़ते हुए कहा- “शिल्पा मैं तुम्हारी मर्जी के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। हम तुमसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहते। अगर तुम आगे बढ़ना चाहो तो ठीक है। वरना हम आगे कुछ नहीं करेंगे...”
शिल्पा ठाकुर की बात सुनकर हैरान रह गई। उसे उस वक़्त कुछ नहीं सूझ रहा था, वो अजीब कशमकश में थी। एक तरफ उसकी इज्जत तो दूसरी तरफ उसके जिम की आग थी। मगर उस वक़्त वो अपने मुँह से कुछ बोल ना सकी।
ठाकुर ने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए उसे शिल्पा की चूत के होंठों के बीच रख दिया और शिल्पा से कहने लगा- “बोलो तुम क्या कहती हो? मैं सारी उमर के लिए तुम्हारा गुनहगार नहीं बन सकता..” और अपने हाथ से शिल्पा की चूत के छोटे दाने को रगड़ने लगा।
शिल्पा के दिमाग पर उसके जिम की आग उस वक़्त कुछ ज्यादा चढ़ गई थी। उसने कहा- “ठाकुर साहब मैं अपने आपको तुम्हारे हवाले करती हूँ। मेरे जिश्म की सारी हसरत पूरी कर दो...”
ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर बहुत खुश होते हुए बोला- “पहली बार में थोड़ी तकलीफ होती है, थोड़ा सबर रखना। मैं तुम्हारे जिश्म की सारी हसरतें पूरी कर दूंगा..."
ठाकुर ने अपने हाथों से शिल्पा की चूत के पतले होंठों को आपस में से अलग करते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत के लाल छेद में सेट कर दिया और शिल्पा की टाँगों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपने पूरे शरीर का दबाव शिल्पा की चूत पर डाल दिया।
ऊहह... आअहह...” शिल्पा के मुँह से चीख निकल गई।
ठाकुर के लण्ड का सुपाड़ा शिल्पा की चूत को फैलाता हुआ अंदर घुस गया। ठाकुर ने शिल्पा की तरफ देखते हुए कहा- “थोड़ा बर्दाश्त कर लो, फिर देखो कितना मजा आता है?”
ठाकुर की बात सुनकर शिल्पा ने कहा- “आप मेरे चीखने की परवाह मत करें और अपना यह इंडा पूरा मेरी चूत में घुसा दें, चाहे हमारी चूत फट क्यों ना जाए."
ठाकुर ने शिल्पा की आँखों में देखते हुए कहा- “पगली तुम्हारी चूत में हमारी जान अटकी है, हम भला इसे ऐसे कैसे फाड़ सकते हैं?” यह कहते हुए ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को जोर से पकड़ते हुए अपने चूतड़ों को थोड़ा पीछे करते हुए एक जोर का धक्का मार दिया।
शिल्पा चीखी- “ऊईए माँ आह्ह्ह.. मर गई.. ठाकुर आपने तो हमारी छोटी चूत तो सच में फाड़ दी..” ठाकुर का लण्ड शिल्पा की चूत की झिल्ली को तोड़ता हुआ आधा अंदर घुस चुका था। और शिल्पा किसी मछली की तरह छटपटा रही थी। ठाकुर ने शिल्पा को बहुत जोर से पकड़ रखा था इसलिए वो ठाकुर की पकड़ से ना छूट सकी। शिल्पा की आँखों से आँसू निकल रहे थे और उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने उसकी चूत में चाकू घुसेड़ दिया हो। उसे अपनी चूत में बहुत जोर की जलन और दर्द हो रहा था।
ठाकुर नीचे झुकते हुए शिल्पा की एक चूची को अपने मुँह में लेते हुए अपने हाथ से उसकी दूसरी चूची को सहलाने लगा। शिल्पा को कुछ ही देर में कुछ अच्छा लगने लगा और उसकी चूत का दर्द कम होने लगा। शिल्पा को अपनी चूची ठाकुर के मुँह में बहुत अच्छी लग रही थी। वो फिर से गरम होने लगी। उसकी चूत से दर्द गायब हो चुका था। अब उसे अपनी चूत में एक मीठा-मीठा मजा महसूस हो रहा था, इसलिए वो अपने चूतड़ ठाकुर के लण्ड पर उछालने लगी।
ठाकुर समझ गया की शिल्पा का दर्द खतम हो चुका है इसलिए वो सीधा होते हुए शिल्पा से कहने लगा- “अगर बहुत दर्द हो रहा हो तो मैं निकाल दें...”
शिल्पा अपने चूतड़ों को ऊपर उछालते हुए सिसकते हुए बोली- “नहीं ठाकुर साहब, दर्द नहीं हो रहा है आप उसे अंदर-बाहर करिए ना...”
ठाकुर ने अंजान बनते हुए कहा- “किसमें अंदर-बाहर करूं?”
शिल्पा अपनी चूचियों को ठाकुर के मुँह में जाते ही फिर से गरम होने लगी। उसके पूरे शरीर में फिर से सिहरन होने लगी।
ठाकुर जैसे-जैसे उसकी चूची के दाने को चूसता उसे अपनी पूरे शरीर में अजीब किस्म की सनसनाहट होने लगती।
ठाकुर अब शिल्पा की दोनों चूचियों के दाने को एक-एक करके अपने मुँह में लेकर चाट रहा था और शिल्पा के मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी। ठाकुर शिल्पा की चूची के दाने को चूसते हुए उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से उसे चूसने लगा। शिल्पा के मुँह से जोर की “आअहह्ह...” निकल गई।
ठाकुर उसकी चूची को कुछ देर तक यूँ ही चूसता रहा। ठाकुर का खड़ा लण्ड शिल्पा की नंगी चूत पर ठोकरें मार रहा था और उत्तेजना के मारे उसके मुँह से बहुत जोर की आहे निकल रही थी। ठाकुर ने शिल्पा के ऊपर से उठते हुए उसकी टाँगों के नीचे दो तकिये रख दिए। ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके पेट पर रख दी जिस वजह से उसकी चूत उठकर बहुत ऊपर हो गई और थोड़ा सा खुल गई। ठाकुर अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
ठाकुर का लण्ड अपनी चूत के छेद पर लगाते ही शिल्पा उछल पड़ी और उसके मुँह से जोर की “आअह्ह्ह... इस्स्स्स..” की सिसकियां निकलने लगी और उसकी चूत से पानी निकलकर ठाकुर के लण्ड को गीला करने लगा।
ठाकुर ने अपने लण्ड को यूँ ही उसकी गीली चूत पर रगड़ते हुए कहा- “शिल्पा मैं तुम्हारी मर्जी के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। हम तुमसे कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहते। अगर तुम आगे बढ़ना चाहो तो ठीक है। वरना हम आगे कुछ नहीं करेंगे...”
शिल्पा ठाकुर की बात सुनकर हैरान रह गई। उसे उस वक़्त कुछ नहीं सूझ रहा था, वो अजीब कशमकश में थी। एक तरफ उसकी इज्जत तो दूसरी तरफ उसके जिम की आग थी। मगर उस वक़्त वो अपने मुँह से कुछ बोल ना सकी।
ठाकुर ने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए उसे शिल्पा की चूत के होंठों के बीच रख दिया और शिल्पा से कहने लगा- “बोलो तुम क्या कहती हो? मैं सारी उमर के लिए तुम्हारा गुनहगार नहीं बन सकता..” और अपने हाथ से शिल्पा की चूत के छोटे दाने को रगड़ने लगा।
शिल्पा के दिमाग पर उसके जिम की आग उस वक़्त कुछ ज्यादा चढ़ गई थी। उसने कहा- “ठाकुर साहब मैं अपने आपको तुम्हारे हवाले करती हूँ। मेरे जिश्म की सारी हसरत पूरी कर दो...”
ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर बहुत खुश होते हुए बोला- “पहली बार में थोड़ी तकलीफ होती है, थोड़ा सबर रखना। मैं तुम्हारे जिश्म की सारी हसरतें पूरी कर दूंगा..."
ठाकुर ने अपने हाथों से शिल्पा की चूत के पतले होंठों को आपस में से अलग करते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत के लाल छेद में सेट कर दिया और शिल्पा की टाँगों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपने पूरे शरीर का दबाव शिल्पा की चूत पर डाल दिया।
ऊहह... आअहह...” शिल्पा के मुँह से चीख निकल गई।
ठाकुर के लण्ड का सुपाड़ा शिल्पा की चूत को फैलाता हुआ अंदर घुस गया। ठाकुर ने शिल्पा की तरफ देखते हुए कहा- “थोड़ा बर्दाश्त कर लो, फिर देखो कितना मजा आता है?”
ठाकुर की बात सुनकर शिल्पा ने कहा- “आप मेरे चीखने की परवाह मत करें और अपना यह इंडा पूरा मेरी चूत में घुसा दें, चाहे हमारी चूत फट क्यों ना जाए."
ठाकुर ने शिल्पा की आँखों में देखते हुए कहा- “पगली तुम्हारी चूत में हमारी जान अटकी है, हम भला इसे ऐसे कैसे फाड़ सकते हैं?” यह कहते हुए ठाकुर ने शिल्पा की टाँगों को जोर से पकड़ते हुए अपने चूतड़ों को थोड़ा पीछे करते हुए एक जोर का धक्का मार दिया।
शिल्पा चीखी- “ऊईए माँ आह्ह्ह.. मर गई.. ठाकुर आपने तो हमारी छोटी चूत तो सच में फाड़ दी..” ठाकुर का लण्ड शिल्पा की चूत की झिल्ली को तोड़ता हुआ आधा अंदर घुस चुका था। और शिल्पा किसी मछली की तरह छटपटा रही थी। ठाकुर ने शिल्पा को बहुत जोर से पकड़ रखा था इसलिए वो ठाकुर की पकड़ से ना छूट सकी। शिल्पा की आँखों से आँसू निकल रहे थे और उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने उसकी चूत में चाकू घुसेड़ दिया हो। उसे अपनी चूत में बहुत जोर की जलन और दर्द हो रहा था।
ठाकुर नीचे झुकते हुए शिल्पा की एक चूची को अपने मुँह में लेते हुए अपने हाथ से उसकी दूसरी चूची को सहलाने लगा। शिल्पा को कुछ ही देर में कुछ अच्छा लगने लगा और उसकी चूत का दर्द कम होने लगा। शिल्पा को अपनी चूची ठाकुर के मुँह में बहुत अच्छी लग रही थी। वो फिर से गरम होने लगी। उसकी चूत से दर्द गायब हो चुका था। अब उसे अपनी चूत में एक मीठा-मीठा मजा महसूस हो रहा था, इसलिए वो अपने चूतड़ ठाकुर के लण्ड पर उछालने लगी।
ठाकुर समझ गया की शिल्पा का दर्द खतम हो चुका है इसलिए वो सीधा होते हुए शिल्पा से कहने लगा- “अगर बहुत दर्द हो रहा हो तो मैं निकाल दें...”
शिल्पा अपने चूतड़ों को ऊपर उछालते हुए सिसकते हुए बोली- “नहीं ठाकुर साहब, दर्द नहीं हो रहा है आप उसे अंदर-बाहर करिए ना...”
ठाकुर ने अंजान बनते हुए कहा- “किसमें अंदर-बाहर करूं?”