27-12-2019, 04:44 PM
अपर्णा ने खुद को शीसे में देखा और बोली, "बहुत बढ़िया, मैं तो खुद को पहचान ही नही पा रही हूँ"
"सब मेरा कमाल है"
"थॅंक यू श्रद्धा इस सबके लिए"
"कोई बात नही...मुझे माफ़ करना मैं बात बहुत करती हूँ"
"वो तो ठीक है पर तुम्हारी बाते बहुत गंदी थी...मुझे अच्छा नही लगा"
ये सुन कर श्रद्धा का चेहरा उतर गया और बोली, "ठीक है मैं चलती हूँ. भगवान आपको जल्द से जल्द आपको इस मुसीबत से निकाले"
"थॅंक यू" अपर्णा ने कहा
श्रद्धा के जाने के बाद सौरभ और आशु कमरे में वापिस आ जाते हैं. सौरभ अपर्णा को देख कर कहता है, "बहुत खूब, तेरी श्रद्धा ने तो सच में हुलिया चेंज कर दिया"
"मुझे यकीन था कि श्रद्धा ये काम कर सकती है" आशु ने कहा.
"चला जाए फिर अब"
"हां बिल्कुल, मैने कार अरेंज कर ली है" सौरभ ने कहा.
कुछ देर बाद अपर्णा, सौरभ और आशु कार में थे, सौरभ ड्राइव कर रहा था, आशु उसके बगल में बैठा था और अपर्णा पिछली सीट पर बैठी थी. कार अपनी मंज़िल की ओर बढ़े जा रही थी.
"तुझे पता है ना रास्ता" सौरभ ने आशु से पूछा.
"हां गुरु अभी सीधा चलो आगे जो गली आएगी उसी में है उसका घर" आशु ने कहा.
"ह्म्म कॅटा कहा है" सौरभ ने पूछा.
"मेरे पास है, चिंता मत करो" आशु ने कहा.
"ध्यान रखना कहीं चल जाए ये देसी बंदूक बहुत ख़तरनाक होती है" सौरभ ने कहा.
"तुम लोग बंदूक साथ लाए हो!" अपर्णा ने हैरानी मे पूछा.
"हां मेडम ख़तरनाक कातिल है वो, हमे भी तो कुछ रखना होगा, क्या पता ज़रूरत पड़ जाए"
"हां अपर्णा जी गुरु ठीक कह रहा है, ये देसी कॅटा बहुत काम आएगा"
"ठीक है जैसा तुम ठीक समझो" अपर्णा ने कहा.
"गुरु बस मोड़ लो इस गली में" आशु ने कहा.
जैसे ही सौरभ ने कार को गली में मोड़ा आशु बोला, "वो रहा उसका घर जहा 2 आदमी खड़े हैं"
"ये दोनो पोलीस वाले लगते हैं मुझे"
"ठीक कहा गुरु ये पोलीस वाले ही हैं"
"अब हम क्या करेंगे" अपर्णा ने कहा.
"मैं ये लेटर लाया हूँ, मैं कौरीएर वाला बन कर जाउन्गा और उसे बाहर बुलाऊंगा साइन के लिए आप पहचान-ने की कोशिश करना कि वो वही है की नही"
"ये विटनेस उस के अलावा और कौन हो सकता है ये बिल्कुल वही है" अपर्णा ने कहा
"वो तो है फिर भी एक बार उसे देख तो ले" सौरभ ने कहा.
"अगर वो बाहर नही आया तो" अपर्णा ने कहा.
"अपना लेटर रिसेव करने तो वो आएगा ही, आशु जैसे मैने समझाया है वैसे ही करना"
"ठीक है गुरु" आशु ने कहा.
आशु कार से उतर कर एक लेटर हाथ में लेकर उस घर की तरफ बढ़ता है.
"श्री सुरिंदर जी यही रहते हैं?" आशु ने सिविल कपड़े पहने पोलीस वाले से पूछा.
"हां यही रहते हैं वो, क्या काम है?"
"उनका कौरीएर है बुला दीजिए उन्हे रिसेव करना होगा ये"
पोलीस वाले ने घर की बेल बजाई. थोड़ी देर बाद एक आदमी बाहर निकला.
"आप ही सुरिंदर हो?" आशु ने पूछा.
"हां बोलो क्या बात है?"
"आपका करियर है यहा साइन कर दीजिए" आशु ने एक कागज उसकी ओर बढ़ा कर कहा.
दूर से अपर्णा ने उस आदमी को देखा और तुरंत बोली, "ये वो नही है"
"क्या! ऐसा कैसे हो सकता है ध्यान से देखो" सौरभ ने कहा.
"कार थोड़ी आगे लो" अपर्णा ने कहा.
"ठीक है मैं कार उसके घर के आगे से निकालता हूँ फिर देख कर बताना" सौरभ ने कहा.
कार को अपनी और आते देख आशु ने मन ही मन कहा, "ये गुरु कार आगे क्यों ला रहा है मरवाएगा क्या"
कार उस घर के आगे से निकल गयी. अपर्णा ने बड़े गौर से उस आदमी को देखा.
"ये वो नही है, आय ऍम 100 पर्सेंट शुवर" अपर्णा ने कहा.
"फिर इसने क्यों झुटि गवाही दी" सौरभ ने कहा.
"इसका जवाब तो यही दे सकता है." अपर्णा ने कहा.
सौरभ ने कार गली के बाहर निकाल कर रोक ली ताकि आशु को पिक कर सके.
आशु ने आते ही पूछा, "वही था ना वो"
"नही, ये वो नही है" अपर्णा ने कहा.
"क्या!" आशु भी हैरान रह गया.
"अब क्या करें" आशु ने कहा.
"पहले घर वापिस चलते हैं, मुझे तो ये कोई बहुत बड़ी सोची समझी साजिस लगती है. घर पर बैठ कर आराम से सोचेंगे कि आगे क्या करें"
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"सब मेरा कमाल है"
"थॅंक यू श्रद्धा इस सबके लिए"
"कोई बात नही...मुझे माफ़ करना मैं बात बहुत करती हूँ"
"वो तो ठीक है पर तुम्हारी बाते बहुत गंदी थी...मुझे अच्छा नही लगा"
ये सुन कर श्रद्धा का चेहरा उतर गया और बोली, "ठीक है मैं चलती हूँ. भगवान आपको जल्द से जल्द आपको इस मुसीबत से निकाले"
"थॅंक यू" अपर्णा ने कहा
श्रद्धा के जाने के बाद सौरभ और आशु कमरे में वापिस आ जाते हैं. सौरभ अपर्णा को देख कर कहता है, "बहुत खूब, तेरी श्रद्धा ने तो सच में हुलिया चेंज कर दिया"
"मुझे यकीन था कि श्रद्धा ये काम कर सकती है" आशु ने कहा.
"चला जाए फिर अब"
"हां बिल्कुल, मैने कार अरेंज कर ली है" सौरभ ने कहा.
कुछ देर बाद अपर्णा, सौरभ और आशु कार में थे, सौरभ ड्राइव कर रहा था, आशु उसके बगल में बैठा था और अपर्णा पिछली सीट पर बैठी थी. कार अपनी मंज़िल की ओर बढ़े जा रही थी.
"तुझे पता है ना रास्ता" सौरभ ने आशु से पूछा.
"हां गुरु अभी सीधा चलो आगे जो गली आएगी उसी में है उसका घर" आशु ने कहा.
"ह्म्म कॅटा कहा है" सौरभ ने पूछा.
"मेरे पास है, चिंता मत करो" आशु ने कहा.
"ध्यान रखना कहीं चल जाए ये देसी बंदूक बहुत ख़तरनाक होती है" सौरभ ने कहा.
"तुम लोग बंदूक साथ लाए हो!" अपर्णा ने हैरानी मे पूछा.
"हां मेडम ख़तरनाक कातिल है वो, हमे भी तो कुछ रखना होगा, क्या पता ज़रूरत पड़ जाए"
"हां अपर्णा जी गुरु ठीक कह रहा है, ये देसी कॅटा बहुत काम आएगा"
"ठीक है जैसा तुम ठीक समझो" अपर्णा ने कहा.
"गुरु बस मोड़ लो इस गली में" आशु ने कहा.
जैसे ही सौरभ ने कार को गली में मोड़ा आशु बोला, "वो रहा उसका घर जहा 2 आदमी खड़े हैं"
"ये दोनो पोलीस वाले लगते हैं मुझे"
"ठीक कहा गुरु ये पोलीस वाले ही हैं"
"अब हम क्या करेंगे" अपर्णा ने कहा.
"मैं ये लेटर लाया हूँ, मैं कौरीएर वाला बन कर जाउन्गा और उसे बाहर बुलाऊंगा साइन के लिए आप पहचान-ने की कोशिश करना कि वो वही है की नही"
"ये विटनेस उस के अलावा और कौन हो सकता है ये बिल्कुल वही है" अपर्णा ने कहा
"वो तो है फिर भी एक बार उसे देख तो ले" सौरभ ने कहा.
"अगर वो बाहर नही आया तो" अपर्णा ने कहा.
"अपना लेटर रिसेव करने तो वो आएगा ही, आशु जैसे मैने समझाया है वैसे ही करना"
"ठीक है गुरु" आशु ने कहा.
आशु कार से उतर कर एक लेटर हाथ में लेकर उस घर की तरफ बढ़ता है.
"श्री सुरिंदर जी यही रहते हैं?" आशु ने सिविल कपड़े पहने पोलीस वाले से पूछा.
"हां यही रहते हैं वो, क्या काम है?"
"उनका कौरीएर है बुला दीजिए उन्हे रिसेव करना होगा ये"
पोलीस वाले ने घर की बेल बजाई. थोड़ी देर बाद एक आदमी बाहर निकला.
"आप ही सुरिंदर हो?" आशु ने पूछा.
"हां बोलो क्या बात है?"
"आपका करियर है यहा साइन कर दीजिए" आशु ने एक कागज उसकी ओर बढ़ा कर कहा.
दूर से अपर्णा ने उस आदमी को देखा और तुरंत बोली, "ये वो नही है"
"क्या! ऐसा कैसे हो सकता है ध्यान से देखो" सौरभ ने कहा.
"कार थोड़ी आगे लो" अपर्णा ने कहा.
"ठीक है मैं कार उसके घर के आगे से निकालता हूँ फिर देख कर बताना" सौरभ ने कहा.
कार को अपनी और आते देख आशु ने मन ही मन कहा, "ये गुरु कार आगे क्यों ला रहा है मरवाएगा क्या"
कार उस घर के आगे से निकल गयी. अपर्णा ने बड़े गौर से उस आदमी को देखा.
"ये वो नही है, आय ऍम 100 पर्सेंट शुवर" अपर्णा ने कहा.
"फिर इसने क्यों झुटि गवाही दी" सौरभ ने कहा.
"इसका जवाब तो यही दे सकता है." अपर्णा ने कहा.
सौरभ ने कार गली के बाहर निकाल कर रोक ली ताकि आशु को पिक कर सके.
आशु ने आते ही पूछा, "वही था ना वो"
"नही, ये वो नही है" अपर्णा ने कहा.
"क्या!" आशु भी हैरान रह गया.
"अब क्या करें" आशु ने कहा.
"पहले घर वापिस चलते हैं, मुझे तो ये कोई बहुत बड़ी सोची समझी साजिस लगती है. घर पर बैठ कर आराम से सोचेंगे कि आगे क्या करें"
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