27-12-2019, 04:37 PM
Update 14
"श्रद्धा ये काम अच्छे से कर सकती है, ब्यूटी पार्लर में काम करती है वो. वो पूरा लुक चेंज कर देगी आपका" आशु ने कहा.
"ये ठीक रहेगा" सौरभ ने कहा
"ठीक है...लेकिन उसके लिए भी तो बाहर तो जाना ही पड़ेगा" अपर्णा ने कहा.
"मैं उसे यही बुला लाऊंगा...उसका बापू यहा नही है...उसे आने में कोई दिक्कत नही होगी"
"ह्म.....जल्दी करो फिर" अपर्णा ने कहा.
#
आशु ने श्रद्धा को पूरी कहानी बताई और उसे उनकी मदद करने के लिए मना लिया.
"तू ये सब क्यों कर रहा है, तेरा दिल तो नही आ गया उस लड़की पर"
"ऐसा कुछ नही है...मुसीबत में फँसी लड़की की कौन मदद नही करेगा" आशु ने कहा.
"तेरे जैसा दिल फेंक ऐसी बाते करता है हा" श्रद्धा ने कहा.
"जब से तुझ से काँटा भिड़ा है कसम से कहीं और नही घुसाया मैने अपना लंड" आशु ने कहा.
"तो फिर कहा घुसाया है" श्रद्धा ने पूछा.
"अभी कल रात ही तो तेरी गान्ड मारी थी, दुबारा घुस्सा के दिखाउ क्या" आशु ने श्रद्धा के बूब्स को मसल्ते हुए कहा.
"चल छोड़ हर वक्त तुझे यही सूझता है"
"अरे हां श्रद्धा एक बात और कहनी थी" आशु ने कहा.
"अब क्या है?"
"एक और मदद करनी होगी तुझे मेरी"
"बताओ और क्या करूँ अपने आशु के लिए मैं."
"तुझे एक रात के लिए भोलू हवलदार के पास रुकना होगा"
"अपने गुरु के आगे तो पारोष चुके हो मुझे, शरम नही आती तुम्हे मैं क्या कोई रंडी हूँ"
"पागल हो क्या बस एक बार की बात है, तुझे ये काम करना ही होगा"
"मैं ऐसा कुछ नही करूँगी"
"गुरु को भी तो दी थी तूने, और एक बार की ही तो बात है"
"शक्ल देखी है तूने उसकी उसके साथ तो कोई कुतिया भी ना करे, मेरी तो बात ही दूर है"
"अब उस से कुछ काम निकलवाया है तो कीमत तो उसे चुकानी ही पड़ेगी"
"मैं सोच कर बताउन्गि, पहले तू मुझे तेरा पहला काम करने दे"
"ठीक है सोच लो...करना तो तुझे पड़ेगा ही...तू मज़े करना...उसकी शक्ल देखना ही मत आँखे बंद रखना"
"ह्म्म तू बहुत कमीना है"
"क्यों गुरु जे जब तेरी मारी थी मज़ा नही आया था क्या तुझे"
"हां तो मज़े के लिए किसी के भी आगे झुक जाउ मैं...मेरा भी स्टॅंडर्ड है"
"क्या बात है, वो तो है...बस एक बार मेरी बात मान ले फिर कभी ऐसा करने को नही कहूँगा"
"ठीक है, कब करना होगा मुझे काम ये. सिर्फ़ आज का दिन और रात है मेरे पास, कल बापू आ जाएगा"
"भोलू भी आज के लिए ही बोल रहा था, तू रात 9 बजे पहुँच जाना उसके पास"
"चल ठीक है, तेरे लिए एक बार और सही"
"वाह-वाह जैसे तुझे तो मज़ा लेना ही नही"
"भोलू से मज़ा लेने का मैं सोच भी नही सकती ओके...ये काम मैं बस तुम्हारे लिए करूँगी"
"चल ठीक है अब सारा समान उठा ले और जल्दी चल मेरे साथ."
"ठीक है...बस 10 मिनट में चलते हैं."
"तेरी सेक्सी बहन कहा है आज"
"कॉलेज गयी है वो"
"बड़ी जल्दी चली गयी आज"
"तुम्हे क्या करना उसका"
"जवानी फूट रही है उसकी, इस से पहले कि कोई और हाथ मार जाए मुझे कुछ करना होगा"
"चुप कर और चल अब"
"तुम दौनो बहनो की एक साथ लूँगा कभी"
"ज़्यादा सपने मत देख और चल अब, मैं तैयार हूँ."
श्रद्धा अपना सारा समान ले कर आशु के साथ सौरभ के कमरे पर आ जाती है. सौरभ और आशु श्रद्धा को अपर्णा के पास छोड़ कर बाहर आ जाते हैं.
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"श्रद्धा ये काम अच्छे से कर सकती है, ब्यूटी पार्लर में काम करती है वो. वो पूरा लुक चेंज कर देगी आपका" आशु ने कहा.
"ये ठीक रहेगा" सौरभ ने कहा
"ठीक है...लेकिन उसके लिए भी तो बाहर तो जाना ही पड़ेगा" अपर्णा ने कहा.
"मैं उसे यही बुला लाऊंगा...उसका बापू यहा नही है...उसे आने में कोई दिक्कत नही होगी"
"ह्म.....जल्दी करो फिर" अपर्णा ने कहा.
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आशु ने श्रद्धा को पूरी कहानी बताई और उसे उनकी मदद करने के लिए मना लिया.
"तू ये सब क्यों कर रहा है, तेरा दिल तो नही आ गया उस लड़की पर"
"ऐसा कुछ नही है...मुसीबत में फँसी लड़की की कौन मदद नही करेगा" आशु ने कहा.
"तेरे जैसा दिल फेंक ऐसी बाते करता है हा" श्रद्धा ने कहा.
"जब से तुझ से काँटा भिड़ा है कसम से कहीं और नही घुसाया मैने अपना लंड" आशु ने कहा.
"तो फिर कहा घुसाया है" श्रद्धा ने पूछा.
"अभी कल रात ही तो तेरी गान्ड मारी थी, दुबारा घुस्सा के दिखाउ क्या" आशु ने श्रद्धा के बूब्स को मसल्ते हुए कहा.
"चल छोड़ हर वक्त तुझे यही सूझता है"
"अरे हां श्रद्धा एक बात और कहनी थी" आशु ने कहा.
"अब क्या है?"
"एक और मदद करनी होगी तुझे मेरी"
"बताओ और क्या करूँ अपने आशु के लिए मैं."
"तुझे एक रात के लिए भोलू हवलदार के पास रुकना होगा"
"अपने गुरु के आगे तो पारोष चुके हो मुझे, शरम नही आती तुम्हे मैं क्या कोई रंडी हूँ"
"पागल हो क्या बस एक बार की बात है, तुझे ये काम करना ही होगा"
"मैं ऐसा कुछ नही करूँगी"
"गुरु को भी तो दी थी तूने, और एक बार की ही तो बात है"
"शक्ल देखी है तूने उसकी उसके साथ तो कोई कुतिया भी ना करे, मेरी तो बात ही दूर है"
"अब उस से कुछ काम निकलवाया है तो कीमत तो उसे चुकानी ही पड़ेगी"
"मैं सोच कर बताउन्गि, पहले तू मुझे तेरा पहला काम करने दे"
"ठीक है सोच लो...करना तो तुझे पड़ेगा ही...तू मज़े करना...उसकी शक्ल देखना ही मत आँखे बंद रखना"
"ह्म्म तू बहुत कमीना है"
"क्यों गुरु जे जब तेरी मारी थी मज़ा नही आया था क्या तुझे"
"हां तो मज़े के लिए किसी के भी आगे झुक जाउ मैं...मेरा भी स्टॅंडर्ड है"
"क्या बात है, वो तो है...बस एक बार मेरी बात मान ले फिर कभी ऐसा करने को नही कहूँगा"
"ठीक है, कब करना होगा मुझे काम ये. सिर्फ़ आज का दिन और रात है मेरे पास, कल बापू आ जाएगा"
"भोलू भी आज के लिए ही बोल रहा था, तू रात 9 बजे पहुँच जाना उसके पास"
"चल ठीक है, तेरे लिए एक बार और सही"
"वाह-वाह जैसे तुझे तो मज़ा लेना ही नही"
"भोलू से मज़ा लेने का मैं सोच भी नही सकती ओके...ये काम मैं बस तुम्हारे लिए करूँगी"
"चल ठीक है अब सारा समान उठा ले और जल्दी चल मेरे साथ."
"ठीक है...बस 10 मिनट में चलते हैं."
"तेरी सेक्सी बहन कहा है आज"
"कॉलेज गयी है वो"
"बड़ी जल्दी चली गयी आज"
"तुम्हे क्या करना उसका"
"जवानी फूट रही है उसकी, इस से पहले कि कोई और हाथ मार जाए मुझे कुछ करना होगा"
"चुप कर और चल अब"
"तुम दौनो बहनो की एक साथ लूँगा कभी"
"ज़्यादा सपने मत देख और चल अब, मैं तैयार हूँ."
श्रद्धा अपना सारा समान ले कर आशु के साथ सौरभ के कमरे पर आ जाती है. सौरभ और आशु श्रद्धा को अपर्णा के पास छोड़ कर बाहर आ जाते हैं.
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