27-12-2019, 04:28 PM
"तूने तो बेज़्जती करा दी मेरी आशु ये सब क्या है, पूरा फर्श गीला कर दिया" सौरभ ने कहा.
"गुरु य.य..ये यहा कैसे."
"मैं बताती हूँ...तेरा खून करने आई हूँ मैं यहा." अपर्णा ने कहा.
"गुरु ये सब क्या है?"
"समझाया था ना मैने कि दीवारो के भी कान होते हैं...भुगत अब"
"नही गुरु ऐसा मत कहो."
"क्यों कर रहे थे इतनी बकवास तुम?" अपर्णा ने कहा
"मुझे क्या पता था कि आप यहा हो."
"तो क्या पीठ पीछे किसी लड़की के बारे में कुछ भी बोलॉगे."
"ग़लती हो गयी...माफ़ कर दो मुझे" आशु गिड़गिदाया
"बस बहुत हो गया...छोड़ो मेरे दोस्त को" सौरभ ने कहा.
"तुम्हारे दोस्त से कहो ज़ुबान पर लगाम रखा करे वरना किसी दिन भारी पड़ेगा इसे"
आशु चुपचाप खड़ा सुन रहा था. उसकी समझ में कुछ नही आ रहा था.
#
सौरभ आशु को सारी बात बताता है और बोलता है, "ये कहानी है सारी...अपर्णा को फँसाने की चाल है ये उस कातिल की, वो बौखलाया हुआ है कि हम उसके हाथ से बच गये."
"ह्म...मुझे तो पहले से ही यकीन था कि इतनी हस....."
"खबरदार जो आगे बोले तो." अपर्णा बोली.
"म..मेरा मतलब आप कैसे खून कर सकते हो...आप को तो चाकू चलाना भी नही आएगा" आशु बोला.
आशु जाओ और बाहर ध्यान से देख कर आओ कि कही पोलीस तो नही है. और हां पोछा उठा कर पहले ये फर्श साफ कर्दे बदबू हो जाएगी वरना.
आशु ने पहली बार फ़राश पर देखा. "सॉरी गुरु पता नही कैसे हो गया."
"मैं समझ सकता हूँ." सौरभ ने कहा.
#
आशु ने कमरे को साफ किया और बाहर चला गया.
15 मिनट बाद वो नये कपड़े पहन कर आया. अपर्णा उसे नये कपड़ो में देख कर हँसे बिना ना रह सकी.
"पहले तो डराती हो फिर हँसती हो...अच्छा नही किया आपने मेरे साथ."
"तुमने बड़ा अच्छा किया था मेरे साथ...क्या-क्या बक रहे थे." अपर्णा ने कहा.
"छोड़ो ये सब...आशु कैसा माहौल है बाहर" सौरभ ने कहा
"गुरु नुक्कड़ पर पोलीस की जिप्सी खड़ी है"
"पर मुझे हर हाल में अपने घर वालो से बात करनी है."
"ऐसी बेवकूफी मत करना...पोलीस फ़ौरन तुम्हारी लोकेशन ढूँढ कर तुम्हे पकड़ लेगी."
"पर मैने किसी का खून नही किया मैं क्यों डर के बैठी रहू यहा."
"देखो पोलीस को इस बात से कोई मतलब नही होगा कि तुम वाकाई में कातिल हो की नही...उनका केस सॉल्व हो गया बस...ऐसे ही काम करती है पोलीस"
"हां अपर्णा जी गुरु ठीक कह रहा है...पहले हमे ये पता लगाना होगा कि वो विटनेस कौन है"
"ठीक कहा आशु...उसका पता लगाना बहुत ज़रूरी है. इसके साथ-साथ ये भी पता करना होगा कि इसके पीछे उसका प्लान क्या है."
"सीधी से बात है अपर्णा जी ने उसे देखा है...और वो उसके चंगुल से बच गयी है...अब वो एक तीर से 2 निशाने कर रहा है. तुम लोगो को समझ नही आता क्या ये सब करके वो साफ बच जाएगा."
"मुझे लगा था कि तुम सिर्फ़ बेहूदा बाते ही कर सकते हो." अपर्णा.
"अपर्णा जी वो तो मैं गुरु के साथ रह कर बिगड़ गया वरना मैं अच्छा लड़का हूँ."
"क्या बोला साले...मैने बिगाड़ा है तुझे...एक दूँगा कान के नीचे."
"सॉरी गुरु ज़ुबान फिसल गयी...माफ़ करदो...पर मेरे पास एक धांसु आइडिया है सुनो."
"जल्दी बोलो" अपर्णा ने उत्सुकता से कहा.
"हमे इस विटनेस के खिलाफ सबूत सबूत इकट्ठे करने होंगे."
"इतना आसान नही है ये" सौरभ ने कहा.
"हां ठीक कहा." अपर्णा ने हामी भरी.
"सुनो तो...विटनेस के घर में कुछ ना कुछ तो मिल ही जाएगा जिससे कि हम साबित कर पायें कि वही कातिल है...जैसे कि चाकू. न्यूज़ के मुताबिक, हर कतल में एक जैसे चाकू का इस्तेमाल हुआ है. मुझे यकीन है कि कहीं तो रखता होगा वो चाकू."
"मुझे ये आइडिया बिल्कुल पसंद नही आया." सौरभ ने कहा.
"लेकिन हमे कुछ तो करना होगा...यू हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ हाँसिल नही होगा." अपर्णा ने कहा.
"पर ये विटनेस मतलब कि कातिल कहाँ रहता है...हमे कुछ नही पता."
"भोलू हवलदार कब काम आएगा गुरु." आशु ने कहा.
"वो निकम्मा किसी काम का नही."
"एक बार ट्राइ करने में क्या हर्ज है." आशु ने कहा.
"हां बिल्कुल कोई ना कोई रास्ता निकल ही जाएगा...वैसे भी इस कातिल को सज़ा दिलवाना हमारा फर्ज़ बनता है. जो होगा देखा जाएगा." अपर्णा ने कहा.
"ह्म...तुम दौनो का जोश देख कर मुझे भी जोश आ रहा है. ठीक है इस कातिल को उसके अंजाम तक हम ले जाएँगे."
"गुरु ने कह दिया तो समझो काम हो गया...अपर्णा जी आप अब बिल्कुल चिंता मत करो...वो नही बच्चेगा अब." आशु ने कहा.
##
"कितनी देर हो गई आशु को गये हुए, पता नही कहा रह गया" सौरभ ने कहा.
"तुम्हे क्या लगता है उसे पता होगा इस विटनेस के बारे में"
"उसे पता तो होना चाहिए, वैसे वो बहुत निकम्मा है, अगर उसे ना भी पता हो तो मुझे हैरानी नही होगी"
"फिर कैसे पता चलेगा उसके बारे में"
"पहले आशु को आ जाने दो, फिर देखते हैं कि आगे क्या करना है"
"पर वो आशु को क्यों बताएगा" अपर्णा ने पूछा.
"वो सब आशु संभाल लेगा" सौरभ ने जवाब दिया.
तभी कमरे का दरवाजा खड़का. जैसे ही सौरभ ने दरवाजा खोला आशु सरपट अंदर आ गया.
"गुरु पता चल गया उस विटनेस का मतलब कि कातिल का" आशु ने कहा.
अपर्णा चुपचाप खड़ी सब सुन रही थी
"कौन है कहाँ रहता है जल्दी बता" सौरभ ने कहा.
"सुरिंदर नाम है उसका और बस स्टॅंड के पीछे जो कॉलोनी है वहां रहता है. पूरा अड्रेस लिख के लाया हूँ मैं" आशु ने कहा
" इतना कुछ कैसे बता दिया उसने" सौरभ ने पूछा.
आशु ने अपर्णा की तरफ देखा और बोला, "छोडो ना गुरु पता तो चल गया. मैने उसे कहा था कि मेरे एक रिपोर्टर फ़्रेंड को इंटरव्यू लेना है उसका"
"फिर भी वो इतनी जल्दी बताने वाला नही था" सौरभ ने कहा.
"श्रद्धा की गान्ड चाहिए उसे, अपर्णा जी के सामने कैसे बोलू" आशु ने सौरभ के कान में कहा.
"क्या बात है कुछ प्रॉब्लम है क्या" अपर्णा ने पूछा.
"कुछ नही यू ही" सौरभ ने कहा.
"नही कुछ तो बात ज़रूर है, आशु तुम बताओ क्या प्रॉब्लम है" अपर्णा ने कहा.
"वो भोलू हवलदार को श्रद्धा....." आशु ने कहा पर अपर्णा ने उसकी बात बीच में ही काट दी. "ठीक है-ठीक है जाने दो"
"चल गुरु चलते हैं और असली कातिल का परदा-फास करते हैं"
"क्या मतलब... क्या मैं तुम दौनो के साथ नही चलूंगी"
"तुम क्या करोगी...पोलीस ढूँढ रही है तुम्हे...और वहां ख़तरा भी हो सकता है" सौरभ ने कहा.
"नही मुझे जाना ही होगा...तुम कैसे पहचानोगे कातिल को...उसे मैने बहुत नज़दीक से देखा है"
"हां गुरु बात तो ठीक है, अपर्णा जी का साथ होना ज़रूरी है"
"पर ये बाहर निकली तो पोलीस का ख़तरा है" सौरभ ने कहा.
"अगर अपर्णा जी हुलिया बदल के जाए तो"
"वो कैसे होगा" अपर्णा ने पूछा.
"गुरु य.य..ये यहा कैसे."
"मैं बताती हूँ...तेरा खून करने आई हूँ मैं यहा." अपर्णा ने कहा.
"गुरु ये सब क्या है?"
"समझाया था ना मैने कि दीवारो के भी कान होते हैं...भुगत अब"
"नही गुरु ऐसा मत कहो."
"क्यों कर रहे थे इतनी बकवास तुम?" अपर्णा ने कहा
"मुझे क्या पता था कि आप यहा हो."
"तो क्या पीठ पीछे किसी लड़की के बारे में कुछ भी बोलॉगे."
"ग़लती हो गयी...माफ़ कर दो मुझे" आशु गिड़गिदाया
"बस बहुत हो गया...छोड़ो मेरे दोस्त को" सौरभ ने कहा.
"तुम्हारे दोस्त से कहो ज़ुबान पर लगाम रखा करे वरना किसी दिन भारी पड़ेगा इसे"
आशु चुपचाप खड़ा सुन रहा था. उसकी समझ में कुछ नही आ रहा था.
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सौरभ आशु को सारी बात बताता है और बोलता है, "ये कहानी है सारी...अपर्णा को फँसाने की चाल है ये उस कातिल की, वो बौखलाया हुआ है कि हम उसके हाथ से बच गये."
"ह्म...मुझे तो पहले से ही यकीन था कि इतनी हस....."
"खबरदार जो आगे बोले तो." अपर्णा बोली.
"म..मेरा मतलब आप कैसे खून कर सकते हो...आप को तो चाकू चलाना भी नही आएगा" आशु बोला.
आशु जाओ और बाहर ध्यान से देख कर आओ कि कही पोलीस तो नही है. और हां पोछा उठा कर पहले ये फर्श साफ कर्दे बदबू हो जाएगी वरना.
आशु ने पहली बार फ़राश पर देखा. "सॉरी गुरु पता नही कैसे हो गया."
"मैं समझ सकता हूँ." सौरभ ने कहा.
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आशु ने कमरे को साफ किया और बाहर चला गया.
15 मिनट बाद वो नये कपड़े पहन कर आया. अपर्णा उसे नये कपड़ो में देख कर हँसे बिना ना रह सकी.
"पहले तो डराती हो फिर हँसती हो...अच्छा नही किया आपने मेरे साथ."
"तुमने बड़ा अच्छा किया था मेरे साथ...क्या-क्या बक रहे थे." अपर्णा ने कहा.
"छोड़ो ये सब...आशु कैसा माहौल है बाहर" सौरभ ने कहा
"गुरु नुक्कड़ पर पोलीस की जिप्सी खड़ी है"
"पर मुझे हर हाल में अपने घर वालो से बात करनी है."
"ऐसी बेवकूफी मत करना...पोलीस फ़ौरन तुम्हारी लोकेशन ढूँढ कर तुम्हे पकड़ लेगी."
"पर मैने किसी का खून नही किया मैं क्यों डर के बैठी रहू यहा."
"देखो पोलीस को इस बात से कोई मतलब नही होगा कि तुम वाकाई में कातिल हो की नही...उनका केस सॉल्व हो गया बस...ऐसे ही काम करती है पोलीस"
"हां अपर्णा जी गुरु ठीक कह रहा है...पहले हमे ये पता लगाना होगा कि वो विटनेस कौन है"
"ठीक कहा आशु...उसका पता लगाना बहुत ज़रूरी है. इसके साथ-साथ ये भी पता करना होगा कि इसके पीछे उसका प्लान क्या है."
"सीधी से बात है अपर्णा जी ने उसे देखा है...और वो उसके चंगुल से बच गयी है...अब वो एक तीर से 2 निशाने कर रहा है. तुम लोगो को समझ नही आता क्या ये सब करके वो साफ बच जाएगा."
"मुझे लगा था कि तुम सिर्फ़ बेहूदा बाते ही कर सकते हो." अपर्णा.
"अपर्णा जी वो तो मैं गुरु के साथ रह कर बिगड़ गया वरना मैं अच्छा लड़का हूँ."
"क्या बोला साले...मैने बिगाड़ा है तुझे...एक दूँगा कान के नीचे."
"सॉरी गुरु ज़ुबान फिसल गयी...माफ़ करदो...पर मेरे पास एक धांसु आइडिया है सुनो."
"जल्दी बोलो" अपर्णा ने उत्सुकता से कहा.
"हमे इस विटनेस के खिलाफ सबूत सबूत इकट्ठे करने होंगे."
"इतना आसान नही है ये" सौरभ ने कहा.
"हां ठीक कहा." अपर्णा ने हामी भरी.
"सुनो तो...विटनेस के घर में कुछ ना कुछ तो मिल ही जाएगा जिससे कि हम साबित कर पायें कि वही कातिल है...जैसे कि चाकू. न्यूज़ के मुताबिक, हर कतल में एक जैसे चाकू का इस्तेमाल हुआ है. मुझे यकीन है कि कहीं तो रखता होगा वो चाकू."
"मुझे ये आइडिया बिल्कुल पसंद नही आया." सौरभ ने कहा.
"लेकिन हमे कुछ तो करना होगा...यू हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ हाँसिल नही होगा." अपर्णा ने कहा.
"पर ये विटनेस मतलब कि कातिल कहाँ रहता है...हमे कुछ नही पता."
"भोलू हवलदार कब काम आएगा गुरु." आशु ने कहा.
"वो निकम्मा किसी काम का नही."
"एक बार ट्राइ करने में क्या हर्ज है." आशु ने कहा.
"हां बिल्कुल कोई ना कोई रास्ता निकल ही जाएगा...वैसे भी इस कातिल को सज़ा दिलवाना हमारा फर्ज़ बनता है. जो होगा देखा जाएगा." अपर्णा ने कहा.
"ह्म...तुम दौनो का जोश देख कर मुझे भी जोश आ रहा है. ठीक है इस कातिल को उसके अंजाम तक हम ले जाएँगे."
"गुरु ने कह दिया तो समझो काम हो गया...अपर्णा जी आप अब बिल्कुल चिंता मत करो...वो नही बच्चेगा अब." आशु ने कहा.
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"कितनी देर हो गई आशु को गये हुए, पता नही कहा रह गया" सौरभ ने कहा.
"तुम्हे क्या लगता है उसे पता होगा इस विटनेस के बारे में"
"उसे पता तो होना चाहिए, वैसे वो बहुत निकम्मा है, अगर उसे ना भी पता हो तो मुझे हैरानी नही होगी"
"फिर कैसे पता चलेगा उसके बारे में"
"पहले आशु को आ जाने दो, फिर देखते हैं कि आगे क्या करना है"
"पर वो आशु को क्यों बताएगा" अपर्णा ने पूछा.
"वो सब आशु संभाल लेगा" सौरभ ने जवाब दिया.
तभी कमरे का दरवाजा खड़का. जैसे ही सौरभ ने दरवाजा खोला आशु सरपट अंदर आ गया.
"गुरु पता चल गया उस विटनेस का मतलब कि कातिल का" आशु ने कहा.
अपर्णा चुपचाप खड़ी सब सुन रही थी
"कौन है कहाँ रहता है जल्दी बता" सौरभ ने कहा.
"सुरिंदर नाम है उसका और बस स्टॅंड के पीछे जो कॉलोनी है वहां रहता है. पूरा अड्रेस लिख के लाया हूँ मैं" आशु ने कहा
" इतना कुछ कैसे बता दिया उसने" सौरभ ने पूछा.
आशु ने अपर्णा की तरफ देखा और बोला, "छोडो ना गुरु पता तो चल गया. मैने उसे कहा था कि मेरे एक रिपोर्टर फ़्रेंड को इंटरव्यू लेना है उसका"
"फिर भी वो इतनी जल्दी बताने वाला नही था" सौरभ ने कहा.
"श्रद्धा की गान्ड चाहिए उसे, अपर्णा जी के सामने कैसे बोलू" आशु ने सौरभ के कान में कहा.
"क्या बात है कुछ प्रॉब्लम है क्या" अपर्णा ने पूछा.
"कुछ नही यू ही" सौरभ ने कहा.
"नही कुछ तो बात ज़रूर है, आशु तुम बताओ क्या प्रॉब्लम है" अपर्णा ने कहा.
"वो भोलू हवलदार को श्रद्धा....." आशु ने कहा पर अपर्णा ने उसकी बात बीच में ही काट दी. "ठीक है-ठीक है जाने दो"
"चल गुरु चलते हैं और असली कातिल का परदा-फास करते हैं"
"क्या मतलब... क्या मैं तुम दौनो के साथ नही चलूंगी"
"तुम क्या करोगी...पोलीस ढूँढ रही है तुम्हे...और वहां ख़तरा भी हो सकता है" सौरभ ने कहा.
"नही मुझे जाना ही होगा...तुम कैसे पहचानोगे कातिल को...उसे मैने बहुत नज़दीक से देखा है"
"हां गुरु बात तो ठीक है, अपर्णा जी का साथ होना ज़रूरी है"
"पर ये बाहर निकली तो पोलीस का ख़तरा है" सौरभ ने कहा.
"अगर अपर्णा जी हुलिया बदल के जाए तो"
"वो कैसे होगा" अपर्णा ने पूछा.