29-01-2019, 11:35 PM
करुणा ने कहा- “मैं भी थक गई हूँ, मैं भी आराम करती हैं। शाम को मनीष के यहाँ भी जाना है..”
मैं और करुणा अलग-अलग होकर लेट गई। लेटते ही हमें नींद आ गई, क्योंकी हम दोनों ने रात को ठीक से नींद नहीं ली थी।
मनीष ने रवी के साथ बाइक पर अपने घर पहुँचते ही अपने बाप को वहाँ खड़ा देखा, मनीष बाइक से उतरकर सीधा अपने बाप के पैर छूने लगा।
मनीष के बाप ने उसे बाजुओं से पकड़कर अपने गले से लगाते हुए कहा- “बेटा तुम्हारी जगह हमारे पैरों में नहीं हमारे दिल में है...”
मनीष अपने पिता के साथ अंदर आ गया। अंदर आते ही प्रताप सिंह ने मनीष से कहा- “बेटे तुम थक गये होगे, जाओ फ्रेश होकर आओ जब तक हम खाना लगवाते हैं...”
मनीष अपने बाप की बात सुनकर सीधा अपने कमरे के बाथरूम में घुस गया और अपने पूरे कपड़े उतारकर फ्रेश होने चला गया। ठाकुर प्रताप सिंह का घर नहीं एक महल था। इस गाँव में जहाँ पर किसी के घर में एक भी बाथरूम भी नहीं था वहाँ ठाकुर के महल में हर कमरे के साथ एक अटैच बाथरूम बना हुआ था और उसके महल में जरूरत की सभी चीजें मौजूद थी। ठाकुर के महल में बहुत सारे नौकर रखे हुए थे जो उस महल का काम काज करते थे।
ठाकुर प्रताप के दो बेटे थे उसे कोई लड़की नहीं थी, और उसकी बीवी की मौत 10 साल पहले हो चुकी थी। ठाकुर की उमर कोई 45 साल थी, उसका कद लंबा 5'8” इंच, रंग गोरा और उसकी बाडी गठीली थी क्योंकी ठाकुर डेली सुबह उठकर कसरत करता था।
मनीष नहाने के बाद अपने कमरे से बाहर आ गया। ठाकुर ने खाना टेबल पर लगवा दिया था। मनीष नाश्ते की टेबल पर रवी और ठाकुर के साथ बैठ गया। टेबल पर खाना लग चुका था। मनीष के आते ही सब मिलकर खाना खाने लगे।
खाना खाते हुए रवी ने मनीष से पूछा- “भैया वो दोनों छोरियां कौन थी, जो आपके साथ आई थी?”
मनीष रवी के अचानक इस सवाल से चौंक उठा, मगर वो बात को संभालते हुए बोला- “रवी मैं जिस ट्रेन से आ रहा था उसी से वो लड़कियां और मोहित आ रहे थे, हमारे ही गाँव के सीता मौसी का बेटा और वो लड़कियां उसकी रिश्तेदार हैं। मोहित के साथ गाँव घूमने आई हैं.”
रवी ने मनीष की बात खतम होते ही कहा- “मगर आपने तो उन छोरियों को शाम को चाय के लिए बुलाया है..”
मनीष के बोलने से पहले ठाकुर बोल पड़ा- “रवी अगर चाय पर बुलाया है तो क्या हो गया? वो इसके साथ गाँव आई थी, और ठाकुर का बेटा होने के नाते मनीष ने उन्हें चाय की दावत दी होगी...”
रवी ने मनीष की तरफ देखते हुए कहा- “मगर बापू वो दोनों छोरियां बहुत गोरी और खूबसूरत थीं, मुझे तो दाल में कुछ काला लागे...”
ठाकुर रवी की बात सुनकर हँसते हुए बोला- “रवी तुम सुधरोगे नहीं। मनीष को छोड़ो, उन छोरियों में तुम्हें कौन सी अच्छी लगी?”
मैं और करुणा अलग-अलग होकर लेट गई। लेटते ही हमें नींद आ गई, क्योंकी हम दोनों ने रात को ठीक से नींद नहीं ली थी।
मनीष ने रवी के साथ बाइक पर अपने घर पहुँचते ही अपने बाप को वहाँ खड़ा देखा, मनीष बाइक से उतरकर सीधा अपने बाप के पैर छूने लगा।
मनीष के बाप ने उसे बाजुओं से पकड़कर अपने गले से लगाते हुए कहा- “बेटा तुम्हारी जगह हमारे पैरों में नहीं हमारे दिल में है...”
मनीष अपने पिता के साथ अंदर आ गया। अंदर आते ही प्रताप सिंह ने मनीष से कहा- “बेटे तुम थक गये होगे, जाओ फ्रेश होकर आओ जब तक हम खाना लगवाते हैं...”
मनीष अपने बाप की बात सुनकर सीधा अपने कमरे के बाथरूम में घुस गया और अपने पूरे कपड़े उतारकर फ्रेश होने चला गया। ठाकुर प्रताप सिंह का घर नहीं एक महल था। इस गाँव में जहाँ पर किसी के घर में एक भी बाथरूम भी नहीं था वहाँ ठाकुर के महल में हर कमरे के साथ एक अटैच बाथरूम बना हुआ था और उसके महल में जरूरत की सभी चीजें मौजूद थी। ठाकुर के महल में बहुत सारे नौकर रखे हुए थे जो उस महल का काम काज करते थे।
ठाकुर प्रताप के दो बेटे थे उसे कोई लड़की नहीं थी, और उसकी बीवी की मौत 10 साल पहले हो चुकी थी। ठाकुर की उमर कोई 45 साल थी, उसका कद लंबा 5'8” इंच, रंग गोरा और उसकी बाडी गठीली थी क्योंकी ठाकुर डेली सुबह उठकर कसरत करता था।
मनीष नहाने के बाद अपने कमरे से बाहर आ गया। ठाकुर ने खाना टेबल पर लगवा दिया था। मनीष नाश्ते की टेबल पर रवी और ठाकुर के साथ बैठ गया। टेबल पर खाना लग चुका था। मनीष के आते ही सब मिलकर खाना खाने लगे।
खाना खाते हुए रवी ने मनीष से पूछा- “भैया वो दोनों छोरियां कौन थी, जो आपके साथ आई थी?”
मनीष रवी के अचानक इस सवाल से चौंक उठा, मगर वो बात को संभालते हुए बोला- “रवी मैं जिस ट्रेन से आ रहा था उसी से वो लड़कियां और मोहित आ रहे थे, हमारे ही गाँव के सीता मौसी का बेटा और वो लड़कियां उसकी रिश्तेदार हैं। मोहित के साथ गाँव घूमने आई हैं.”
रवी ने मनीष की बात खतम होते ही कहा- “मगर आपने तो उन छोरियों को शाम को चाय के लिए बुलाया है..”
मनीष के बोलने से पहले ठाकुर बोल पड़ा- “रवी अगर चाय पर बुलाया है तो क्या हो गया? वो इसके साथ गाँव आई थी, और ठाकुर का बेटा होने के नाते मनीष ने उन्हें चाय की दावत दी होगी...”
रवी ने मनीष की तरफ देखते हुए कहा- “मगर बापू वो दोनों छोरियां बहुत गोरी और खूबसूरत थीं, मुझे तो दाल में कुछ काला लागे...”
ठाकुर रवी की बात सुनकर हँसते हुए बोला- “रवी तुम सुधरोगे नहीं। मनीष को छोड़ो, उन छोरियों में तुम्हें कौन सी अच्छी लगी?”