29-01-2019, 11:32 PM
मनीष ने कहा- “कहाँ जा रहे हो, तुम इस खटारा बस में चढ़ोगे? ठहरो हमारी कार आने वाली होगी साथ में चलते हैं...”
तभी मनीष का मोबाइल बजा जिसे उसने अपने कान पर रखा, और कहा- “क्या कार पंचर हो गई है और एक्सट्रा तैयार भी नहीं है। नानसेन्स अब मैं कैसे आऊँगा?” यह कहते हुए मनीष ने फोन बंद कर दिया।
मोहित ने मनीष से कहा- “आओ अब यह खटारा बस ही हमें मंजिल तक पहुँचाएगी...”
मनीष भी हमारे साथ बस में चढ़ने लगा। बस में अंदर घुसते ही हम हैरान रह गए। बस बिल्कुल भरी हुई थी, और वहाँ पर बैठने की जगह तो छोड़ो खड़ा रहने की भी गुजाइश बहुत कम थी। हमारे अंदर चढ़ते ही बस स्टार्ट हो गई और आगे चलने लगी।
मनीष ने गुस्से में बस से किराया वसूल करने वाले को बुलाकर कहा- “यह कौन सी शराफत है? कम से कम बस की सीटें खाली नहीं है तो बता देते हम नहीं चढ़ते...”
मनीष की बात सुनकर वो हँसने लगा और हँसते हुए कहा- “लगता है शहर से आए हो, यहाँ पर तो डेली ऐसे ही बस गाँव जाती है...”
मनीष उसकी बात सुनकर चुप हो गया। बस में बहुत भीड़ थी। कई लड़के, बूढ़े और लड़कियां हमारे साथ खड़ी थी और वहाँ पर हिलने की गुंजाइश भी नहीं थी। मैं जहाँ खड़ी थी मेरे आगे मोहित और कुछ लड़कियां खड़ी थी। और मेरे पीछे एक बूढ़ा खड़ा था। करुणा और मनीष साथ में थे, आगे करुणा और पीछे मनीष।
अचानक बस एक ब्रेकर से गुजरी हम सब उछलते हुए एक दूसरे पर गिरने लगे। मोहित ने अपने हाथ से सामने वाली लड़की को पकड़ लिया और पीछे खड़े बूढ़े ने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे पकड़ लिया। क्योंकी मोहित और उस बूढ़े का एक हाथ बस की ऊपर वाली स्टैंड को पकड़े हुए था। उस लड़की ने मोहित को हँसकर शुक्रिया कहा और मैंने भी उस बूढ़े को हँसकर शुक्रिया कहा। बस आगे चलती रही। अब रास्ता बहुत खराब चल रहा था जिस वजह से हम सब एक दूसरे से टकरा रहे थे।
मैंने महसूस किया की बूढ़ा बार-बार मेरे पीछे से टकरा रहा था, और कोई ठोस चीज मेरी गाण्ड से टकरा रही थी। कुछ ही देर के बाद मैं समझ गई की वो बूढ़ा जानबूझ कर मुझसे टकरा रहा था और जो ठोस चीज मुझसे टकरा रही थी वो उस बूढ़े की धोती में खड़ा लण्ड था। मैं अपना चेहरा उस बूढ़े की तरफ करके उस देखने लगी।
वो बूढ़ा मुश्कुराता हुआ कहने लगा- “क्या करें बेटी बहुत भीड़ है, इसलिए हम तुमसे टकरा रहे हैं...”
मैंने अपना चेहरा वापस मोड़ लिया। कुछ देर तक वो बूढ़ा चुपचाप खड़ा रहा मगर थोड़ी ही देर में फिर से उसका लण्ड मेरी गाण्ड पर टकराने लगा। मैंने सोचा चलो बूढ़े को मजे लेने दो, भरी बस में भला वो और क्या कर सकता है? इसलिए मैंने अपनी गाण्ड को पीछे करके उस बूढ़े के लण्ड को अपने चूतड़ों पर ठीक तरीके से सेट कर दिया। बूढ़ा मेरा सपोर्ट पाते ही अपना लण्ड मेरे चूतड़ों पर रगड़ते हुए अपना हाथ भी मेरी गाण्ड पर रख दिया।
मोहित सामने खड़ी लड़की से सटकर खड़ा हो गया और अपना लण्ड उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा। वो लड़की अपनी गाण्ड पर मोहित का लण्ड महसूस करके चौंक गई, और थोड़ा आगे की तरफ होते हुए खड़ी हो गई। मोहित भी थोड़ा आगे होते हुए फिर से उस लड़की के साथ सटकर खड़ा हो गया।
इधर बूढ़ा मेरी नरम गाण्ड पर अपने हाथ फिराते हुए अपना लण्ड मेरे चूतड़ों में दबाने लगा, और अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर दबाते हुए अपना हाथ आगे लाकर मेरे पेट पर फिराते हुए ऊपर-नीचे करने लगा। मेरी साँसे उखड़ने लगी। मैंने बूढ़े का आगे बढ़ता हुआ हाथ अपने हाथ से पकड़कर दूर झटक दिया। बूढ़े ने अपना हाथ फिर से मेरी गाण्ड पर रख दिया और वहाँ से फिराते हुए मेरी कमीज के अंदर घुसकर मेरे नंगे पेट को सहलाने लगा।
तभी मनीष का मोबाइल बजा जिसे उसने अपने कान पर रखा, और कहा- “क्या कार पंचर हो गई है और एक्सट्रा तैयार भी नहीं है। नानसेन्स अब मैं कैसे आऊँगा?” यह कहते हुए मनीष ने फोन बंद कर दिया।
मोहित ने मनीष से कहा- “आओ अब यह खटारा बस ही हमें मंजिल तक पहुँचाएगी...”
मनीष भी हमारे साथ बस में चढ़ने लगा। बस में अंदर घुसते ही हम हैरान रह गए। बस बिल्कुल भरी हुई थी, और वहाँ पर बैठने की जगह तो छोड़ो खड़ा रहने की भी गुजाइश बहुत कम थी। हमारे अंदर चढ़ते ही बस स्टार्ट हो गई और आगे चलने लगी।
मनीष ने गुस्से में बस से किराया वसूल करने वाले को बुलाकर कहा- “यह कौन सी शराफत है? कम से कम बस की सीटें खाली नहीं है तो बता देते हम नहीं चढ़ते...”
मनीष की बात सुनकर वो हँसने लगा और हँसते हुए कहा- “लगता है शहर से आए हो, यहाँ पर तो डेली ऐसे ही बस गाँव जाती है...”
मनीष उसकी बात सुनकर चुप हो गया। बस में बहुत भीड़ थी। कई लड़के, बूढ़े और लड़कियां हमारे साथ खड़ी थी और वहाँ पर हिलने की गुंजाइश भी नहीं थी। मैं जहाँ खड़ी थी मेरे आगे मोहित और कुछ लड़कियां खड़ी थी। और मेरे पीछे एक बूढ़ा खड़ा था। करुणा और मनीष साथ में थे, आगे करुणा और पीछे मनीष।
अचानक बस एक ब्रेकर से गुजरी हम सब उछलते हुए एक दूसरे पर गिरने लगे। मोहित ने अपने हाथ से सामने वाली लड़की को पकड़ लिया और पीछे खड़े बूढ़े ने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे पकड़ लिया। क्योंकी मोहित और उस बूढ़े का एक हाथ बस की ऊपर वाली स्टैंड को पकड़े हुए था। उस लड़की ने मोहित को हँसकर शुक्रिया कहा और मैंने भी उस बूढ़े को हँसकर शुक्रिया कहा। बस आगे चलती रही। अब रास्ता बहुत खराब चल रहा था जिस वजह से हम सब एक दूसरे से टकरा रहे थे।
मैंने महसूस किया की बूढ़ा बार-बार मेरे पीछे से टकरा रहा था, और कोई ठोस चीज मेरी गाण्ड से टकरा रही थी। कुछ ही देर के बाद मैं समझ गई की वो बूढ़ा जानबूझ कर मुझसे टकरा रहा था और जो ठोस चीज मुझसे टकरा रही थी वो उस बूढ़े की धोती में खड़ा लण्ड था। मैं अपना चेहरा उस बूढ़े की तरफ करके उस देखने लगी।
वो बूढ़ा मुश्कुराता हुआ कहने लगा- “क्या करें बेटी बहुत भीड़ है, इसलिए हम तुमसे टकरा रहे हैं...”
मैंने अपना चेहरा वापस मोड़ लिया। कुछ देर तक वो बूढ़ा चुपचाप खड़ा रहा मगर थोड़ी ही देर में फिर से उसका लण्ड मेरी गाण्ड पर टकराने लगा। मैंने सोचा चलो बूढ़े को मजे लेने दो, भरी बस में भला वो और क्या कर सकता है? इसलिए मैंने अपनी गाण्ड को पीछे करके उस बूढ़े के लण्ड को अपने चूतड़ों पर ठीक तरीके से सेट कर दिया। बूढ़ा मेरा सपोर्ट पाते ही अपना लण्ड मेरे चूतड़ों पर रगड़ते हुए अपना हाथ भी मेरी गाण्ड पर रख दिया।
मोहित सामने खड़ी लड़की से सटकर खड़ा हो गया और अपना लण्ड उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा। वो लड़की अपनी गाण्ड पर मोहित का लण्ड महसूस करके चौंक गई, और थोड़ा आगे की तरफ होते हुए खड़ी हो गई। मोहित भी थोड़ा आगे होते हुए फिर से उस लड़की के साथ सटकर खड़ा हो गया।
इधर बूढ़ा मेरी नरम गाण्ड पर अपने हाथ फिराते हुए अपना लण्ड मेरे चूतड़ों में दबाने लगा, और अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर दबाते हुए अपना हाथ आगे लाकर मेरे पेट पर फिराते हुए ऊपर-नीचे करने लगा। मेरी साँसे उखड़ने लगी। मैंने बूढ़े का आगे बढ़ता हुआ हाथ अपने हाथ से पकड़कर दूर झटक दिया। बूढ़े ने अपना हाथ फिर से मेरी गाण्ड पर रख दिया और वहाँ से फिराते हुए मेरी कमीज के अंदर घुसकर मेरे नंगे पेट को सहलाने लगा।