27-12-2019, 03:26 PM
'आशु ही होगा...चाय लाया होगा मेरे लिए' सौरभ ने कहा.
'ठीक है उसे जल्दी रफ़ा दफ़ा करना...मुझे घर के लिए निकलना है' अपर्णा ये कह कर टॉयलेट में आ गयी.
सौरभ ने दरवाजा खोला. आशु ही था. उसके हाथ में 2 कप चाय थी.
'गुरु आज मस्त चाय बनाई है'
'अच्छा ऐसा क्या कर दिया'
'इलायची डाली है गुरु...श्रद्धा लाई थी कल'
'ठीक है तू जा...मैं चाय पी लूँगा'
'गुरु बात क्या है...बार-बार मुझे यहा से निकाल देते हो'
'कुछ नही आशु...तू नही समझेगा'
'तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए कुछ दिलचस्प बात करूँ'
'बाद में बताना श्रद्धा की बात, अभी नही'
'पर मैं तो कुछ और ही कह रहा था...हां श्रद्धा की बात से याद आया...गुरु कर ली फ़तह मैने उसकी गान्ड. बहुत मज़ा आया गान्ड मार के, सच में. तुम सच कहते थे मस्त गान्ड है उसकी. एक-एक धक्के में वो मज़ा था कि कह नही सकता...'
टॉयलेट में अपर्णा को सब सुन रहा था. 'इन कामीनो को और कोई काम नही है, हर वक्त यही सब' अपर्णा ने सोचा.
'वैसे तू कुछ और क्या कहने वाला था?' सौरभ ने पूछा.
'वो हां...गुरु देखी तुमने न्यूज़ पूरी'
'हां देख ली'
'विश्वास नही होता ना की इतनी हसीन लड़की कातिल भी हो सकती है'
'हां यार यकीन नही होता पर टीवी पर दीखा तो रहे हैं' सौरभ को पता था कि अपर्णा सुन रही होगी इसलिए उसने यू ही चुस्की ली.
'मेरा तो दिल आ गया इस कातिल हसीना पर'
चुप कर दीवारो के भी कान होते हैं' सौरभ ने कहा.
'सुनो तो सही...मैं जब न्यूज़ देख रहा था पहले तो डर लग रहा था. फिर बार-बार उसे देख कर लंड खड़ा हो गया. काश मिल जाए उसकी एक बार.'
'अबे चुप कर मरवाएगा क्या' सौरभ ने कहा.
अपर्णा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.
'सच कह रहा हूँ गुरु अगर एक बार मैने उसकी मार ली ना तो वो सारी रात मुझसे मरवाती रहेगी और ये रातो को खून करना बंद कर देगी.' आशु ने कहा.
'बहुत हो गया तू जा अब'
'गुरु रात भर श्रद्धा से करने के बाद भी सुबह टीवी पर इस हसीना को देख कर वो दिल मचला कि रुका नही गया...मूठ मार ली मैने'
'अबे पागल हो गया है क्या चल निकल यहा से'
'क्या हुआ गुरु गुस्सा क्यों होते हो, मैं तो बस...'
'ठीक है उसे जल्दी रफ़ा दफ़ा करना...मुझे घर के लिए निकलना है' अपर्णा ये कह कर टॉयलेट में आ गयी.
सौरभ ने दरवाजा खोला. आशु ही था. उसके हाथ में 2 कप चाय थी.
'गुरु आज मस्त चाय बनाई है'
'अच्छा ऐसा क्या कर दिया'
'इलायची डाली है गुरु...श्रद्धा लाई थी कल'
'ठीक है तू जा...मैं चाय पी लूँगा'
'गुरु बात क्या है...बार-बार मुझे यहा से निकाल देते हो'
'कुछ नही आशु...तू नही समझेगा'
'तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए कुछ दिलचस्प बात करूँ'
'बाद में बताना श्रद्धा की बात, अभी नही'
'पर मैं तो कुछ और ही कह रहा था...हां श्रद्धा की बात से याद आया...गुरु कर ली फ़तह मैने उसकी गान्ड. बहुत मज़ा आया गान्ड मार के, सच में. तुम सच कहते थे मस्त गान्ड है उसकी. एक-एक धक्के में वो मज़ा था कि कह नही सकता...'
टॉयलेट में अपर्णा को सब सुन रहा था. 'इन कामीनो को और कोई काम नही है, हर वक्त यही सब' अपर्णा ने सोचा.
'वैसे तू कुछ और क्या कहने वाला था?' सौरभ ने पूछा.
'वो हां...गुरु देखी तुमने न्यूज़ पूरी'
'हां देख ली'
'विश्वास नही होता ना की इतनी हसीन लड़की कातिल भी हो सकती है'
'हां यार यकीन नही होता पर टीवी पर दीखा तो रहे हैं' सौरभ को पता था कि अपर्णा सुन रही होगी इसलिए उसने यू ही चुस्की ली.
'मेरा तो दिल आ गया इस कातिल हसीना पर'
चुप कर दीवारो के भी कान होते हैं' सौरभ ने कहा.
'सुनो तो सही...मैं जब न्यूज़ देख रहा था पहले तो डर लग रहा था. फिर बार-बार उसे देख कर लंड खड़ा हो गया. काश मिल जाए उसकी एक बार.'
'अबे चुप कर मरवाएगा क्या' सौरभ ने कहा.
अपर्णा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया.
'सच कह रहा हूँ गुरु अगर एक बार मैने उसकी मार ली ना तो वो सारी रात मुझसे मरवाती रहेगी और ये रातो को खून करना बंद कर देगी.' आशु ने कहा.
'बहुत हो गया तू जा अब'
'गुरु रात भर श्रद्धा से करने के बाद भी सुबह टीवी पर इस हसीना को देख कर वो दिल मचला कि रुका नही गया...मूठ मार ली मैने'
'अबे पागल हो गया है क्या चल निकल यहा से'
'क्या हुआ गुरु गुस्सा क्यों होते हो, मैं तो बस...'