27-12-2019, 03:23 PM
Update 7
“ठीक कह रही हो. कल हम जब उसके चंगुल से बच निकले तो बोखलाहट में वो ये सब कर रहा है.” सौरभ ने कहा
“बहुत चालाक है ये …हमारे पोलीस तक पहुँचने से पहले ही अपनी झूठी कहानी सुना दी. मैं अभी पोलीस स्टेशन जाउंगी.”
“नही रूको…जल्दबाज़ी में कोई कदम मत उठाओ…हमे सोच समझ कर चलना होगा.”
“हमे से तुम्हारा क्या मतलब है.”
“मेरा जिकर भी तो हो रहा है न्यूज़ में.”
“पर मेरी तो शक्ल दीखाई जा रही है. पता नही कहा से मिल गयी ये फोटो इन्हे. ये मीडीया वाले भी ना…बिना किसी इंक्वाइरी के फैंसला सुना रहे हैं कि मैं ही कातिल हूँ.”
“मीडीया का तो यही काम है…वो सब छोडो…मुझे ऐसा लगता है कि वो किलर ये सब किसी सोची समझी साजिश के तहत कर रहा है…इसलिए कह रहा हूँ कि हमे सोच समझ कर चलना होगा.” सौरभ ने कहा.
“मैं फिलहाल घर जा रही हूँ.”
तभी टीवी पर न्यूज़ आंकर ने कहा, “पोलीस ने चारो तरफ शहर की नाकेबंदी कर दी है. हर वाहन को अच्छे से चेक किया जा रहा है. पोलीस को शक है कि ये हसीन कातिल जिसका की पूरा नाम अपर्णा पाठक है देहरादून से बाहर भागने की कोशिश करेगी. पोलीस अपर्णा के घर वालो से पूछताछ कर रही है…लेकिन कोई भी उसके बारे में बताने को तैयार नही है. उन्हे लगता है कि अपर्णा को फँसाया जा रहा है. लेकिन चस्मडीद गवाह को झुटलाया नही जा सकता. एक ना एक दिन अपर्णा के परिवार वालो को भी मान-ना ही होगा की वो एक सीरियल किलर है जिसे कि शख्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए.”
“मुझे नही लगता कि इस वक्त तुम्हारा घर जाना ठीक होगा.” सौरभ ने कहा
“पर मैं यहा हाथ पर हाथ रख कर तो नही बैठ सकती. इस से तो साबित हो जाएगा कि मैं ही कातिल हूँ.”
'मेरे साथ जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी' अपर्णा ने कहा
'देखो मुझे नही पता था कि बात इतनी बढ़ जाएगी'
'तुम्हारी बेवकूफी की सज़ा मुझे मिल रही है'
'शायद किस्मत हमे साथ रखना चाहती है इसीलिए ये सब खेल हो रहा है. तुम्हारे आने से इस घर में रोनक सी है. मुझे तुम्हारा साथ बहुत अच्छा लग रहा है'
'यहा मेरी जान पर बन आई है और तुम्हे ये बेहूदा फ्लर्ट सूझ रहा है, शरम नही आती तुम्हे ऐसी बाते करते हुए'
तुम मुझे ग़लत समझ रही हो, मेरा कहने का मतलब ये था कि हमे मिल कर इस मुसीबत का सामना करना होगा'
'मैं जब तक तुम्हारे साथ रहूंगी किसी ना किसी मुसीबत में फँसी रहूंगी. मुझे जल्द से जल्द यहा से निकलना होगा' अपर्णा धीरे से बड़बड़ाई.
'कुछ कहा तुमने'
'हां यही की मैं जा रही हूँ'
'तुमने सुना नही चारो तरफ पोलीस ढूँढ रही है तुम्हे. ऐसे में कैसे बाहर निकलोगी'
'कुछ भी हो मुझे जाना ही होगा'
तभी फिर से दरवाजा खड़कने लगा.
“ठीक कह रही हो. कल हम जब उसके चंगुल से बच निकले तो बोखलाहट में वो ये सब कर रहा है.” सौरभ ने कहा
“बहुत चालाक है ये …हमारे पोलीस तक पहुँचने से पहले ही अपनी झूठी कहानी सुना दी. मैं अभी पोलीस स्टेशन जाउंगी.”
“नही रूको…जल्दबाज़ी में कोई कदम मत उठाओ…हमे सोच समझ कर चलना होगा.”
“हमे से तुम्हारा क्या मतलब है.”
“मेरा जिकर भी तो हो रहा है न्यूज़ में.”
“पर मेरी तो शक्ल दीखाई जा रही है. पता नही कहा से मिल गयी ये फोटो इन्हे. ये मीडीया वाले भी ना…बिना किसी इंक्वाइरी के फैंसला सुना रहे हैं कि मैं ही कातिल हूँ.”
“मीडीया का तो यही काम है…वो सब छोडो…मुझे ऐसा लगता है कि वो किलर ये सब किसी सोची समझी साजिश के तहत कर रहा है…इसलिए कह रहा हूँ कि हमे सोच समझ कर चलना होगा.” सौरभ ने कहा.
“मैं फिलहाल घर जा रही हूँ.”
तभी टीवी पर न्यूज़ आंकर ने कहा, “पोलीस ने चारो तरफ शहर की नाकेबंदी कर दी है. हर वाहन को अच्छे से चेक किया जा रहा है. पोलीस को शक है कि ये हसीन कातिल जिसका की पूरा नाम अपर्णा पाठक है देहरादून से बाहर भागने की कोशिश करेगी. पोलीस अपर्णा के घर वालो से पूछताछ कर रही है…लेकिन कोई भी उसके बारे में बताने को तैयार नही है. उन्हे लगता है कि अपर्णा को फँसाया जा रहा है. लेकिन चस्मडीद गवाह को झुटलाया नही जा सकता. एक ना एक दिन अपर्णा के परिवार वालो को भी मान-ना ही होगा की वो एक सीरियल किलर है जिसे कि शख्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए.”
“मुझे नही लगता कि इस वक्त तुम्हारा घर जाना ठीक होगा.” सौरभ ने कहा
“पर मैं यहा हाथ पर हाथ रख कर तो नही बैठ सकती. इस से तो साबित हो जाएगा कि मैं ही कातिल हूँ.”
'मेरे साथ जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी' अपर्णा ने कहा
'देखो मुझे नही पता था कि बात इतनी बढ़ जाएगी'
'तुम्हारी बेवकूफी की सज़ा मुझे मिल रही है'
'शायद किस्मत हमे साथ रखना चाहती है इसीलिए ये सब खेल हो रहा है. तुम्हारे आने से इस घर में रोनक सी है. मुझे तुम्हारा साथ बहुत अच्छा लग रहा है'
'यहा मेरी जान पर बन आई है और तुम्हे ये बेहूदा फ्लर्ट सूझ रहा है, शरम नही आती तुम्हे ऐसी बाते करते हुए'
तुम मुझे ग़लत समझ रही हो, मेरा कहने का मतलब ये था कि हमे मिल कर इस मुसीबत का सामना करना होगा'
'मैं जब तक तुम्हारे साथ रहूंगी किसी ना किसी मुसीबत में फँसी रहूंगी. मुझे जल्द से जल्द यहा से निकलना होगा' अपर्णा धीरे से बड़बड़ाई.
'कुछ कहा तुमने'
'हां यही की मैं जा रही हूँ'
'तुमने सुना नही चारो तरफ पोलीस ढूँढ रही है तुम्हे. ऐसे में कैसे बाहर निकलोगी'
'कुछ भी हो मुझे जाना ही होगा'
तभी फिर से दरवाजा खड़कने लगा.