29-01-2019, 11:28 PM
धन्नो और प्रवीण मैं एक गाउन में एक पैर के नीचे से गुजर रही हूँ तभी प्रवीण वहाँ आ जाता है और मेरा हाथ अपने हाथों से पकड़ते हुए कहता है- “धन्नो मैं तुमसे प्यार करता हूँ..."
मुझे ना जाने क्या हो जाता है और मैं रोते हुए उसके गले से लग जाती हूँ और रोते हुए कहती हैं- “यह दुनियां बहुत जालिम है। तुम्हारी शादी हो चुकी है, और मेरी भी। हम चाहकर भी एक दूसरे के नहीं हो सकते..”
मेरी बात सुनकर प्रवीण चुप हो जाता है। मगर थोड़ी देर बाद वो कहता है- “यहाँ हमें कोई नहीं देख रहा है। आओ थोड़ी देर बैठकर बातें करते हैं..." और मेरा हाथ खींचकर उस पैर के नीचे उसके पटों के ऊपर जाकर बैठ जाता है और मुझे भी वहीं बिठा देता है।
प्रवीण बातें करते हुए अचानक मुझसे कहता है- “जान मैं सारी दुनियां की चिंता को भुलाकर तुम्हारी गोद में सोना चाहता हूँ..”
मैं फिर से रोते हुए उसे उसके सिर को अपनी गोद पर रख देती हैं और प्रवीण अपनी आँखें बंद करके कुछ देर तक मेरी गोद में पड़ा रहता है।
प्रवीण कुछ देर के बाद अपनी आँखें खोलकर कहता है- “कितना सुकून है यहाँ पर कितना खूबसूरत है यह पल, मैं तुम्हारी गोद में सोया हुआ हूँ और हमें कोई चिंता नहीं है. मैं अपने भगवान से सिर्फ यही माँगता हूँ की वक़्त को यहीं रोक दे और मैं तेरी गोद में मरते वक़्त तक पड़ा रहू।
मैं अपने नाजुक हाथों को प्रवीण के होंठों पर रख देती हूँ और जज़्बाती होते हुए कहती हूँ- “मरे तुम्हारे दुश्मन मैं अपने भगवान से यही दुआकरती हूँ की हम दोनों की साँसें एक साथ जाए..."
प्रवीण मेरी बात सुनते ही अपने होंठों पर पड़े हुए मेरे हाथ को चूमते हुए कहता है- “जान इसलिए तो तुम मुझे सारी दुनियां से अच्छी लगती हो। मैं तुमसे दूर रहकर अब जी नहीं पाऊँगा, आओ मुझे अपनी बाहों में भर लो, और मुझे सारी दुनियां से छुपाकर अपने आगोश में भर लो...”
प्रवीण की बात सुनकर मैं नीचे झुकते हुए उसको अपनी बाहों में भर लेती हूँ। मेरी चूचियां प्रवीण के सीने में दब जाती हैं, और प्रवीण मेरे चहरे से, अपने हाथों से मेरे बालों को दूर करते हुए मेरे बहते हुए आँसुओं
होंठों को प्रवीण से दूर कर देती हैं। प्रवीण मेरे चहरे को अपने हाथों में भरते हुए अपनी तरफ करता है। मैं शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर देती हूँ।
प्रवीण मुझे देखते हुए कहता है- “आज मैं तुम्हारे अंग-अंग को महसूस करना चाहता हूँ आज मुझ मत रोको...”
प्रवीण यह कहते हुए अपने होंठों को मेरे सुलगाते हुए होंठों पर रख देता है। उसके होंठों के मेरे होंठों से टकराने से मेरी साँसें उखड़ने लगती है और मेरी चूत में से पानी की कुछ बूंदें निकालने लगती हैं। प्रवीण मेरे एक-एक होंठ को अपने होंठों से चूसता है। को साफ करते हुए कहता है- “पगली तुम रो क्यों रही हो? सारी दुनियां को भूलकर अपने यार की बाहों में खो जाओ...”
मुझे ना जाने क्या हो जाता है और मैं रोते हुए उसके गले से लग जाती हूँ और रोते हुए कहती हैं- “यह दुनियां बहुत जालिम है। तुम्हारी शादी हो चुकी है, और मेरी भी। हम चाहकर भी एक दूसरे के नहीं हो सकते..”
मेरी बात सुनकर प्रवीण चुप हो जाता है। मगर थोड़ी देर बाद वो कहता है- “यहाँ हमें कोई नहीं देख रहा है। आओ थोड़ी देर बैठकर बातें करते हैं..." और मेरा हाथ खींचकर उस पैर के नीचे उसके पटों के ऊपर जाकर बैठ जाता है और मुझे भी वहीं बिठा देता है।
प्रवीण बातें करते हुए अचानक मुझसे कहता है- “जान मैं सारी दुनियां की चिंता को भुलाकर तुम्हारी गोद में सोना चाहता हूँ..”
मैं फिर से रोते हुए उसे उसके सिर को अपनी गोद पर रख देती हैं और प्रवीण अपनी आँखें बंद करके कुछ देर तक मेरी गोद में पड़ा रहता है।
प्रवीण कुछ देर के बाद अपनी आँखें खोलकर कहता है- “कितना सुकून है यहाँ पर कितना खूबसूरत है यह पल, मैं तुम्हारी गोद में सोया हुआ हूँ और हमें कोई चिंता नहीं है. मैं अपने भगवान से सिर्फ यही माँगता हूँ की वक़्त को यहीं रोक दे और मैं तेरी गोद में मरते वक़्त तक पड़ा रहू।
मैं अपने नाजुक हाथों को प्रवीण के होंठों पर रख देती हूँ और जज़्बाती होते हुए कहती हूँ- “मरे तुम्हारे दुश्मन मैं अपने भगवान से यही दुआकरती हूँ की हम दोनों की साँसें एक साथ जाए..."
प्रवीण मेरी बात सुनते ही अपने होंठों पर पड़े हुए मेरे हाथ को चूमते हुए कहता है- “जान इसलिए तो तुम मुझे सारी दुनियां से अच्छी लगती हो। मैं तुमसे दूर रहकर अब जी नहीं पाऊँगा, आओ मुझे अपनी बाहों में भर लो, और मुझे सारी दुनियां से छुपाकर अपने आगोश में भर लो...”
प्रवीण की बात सुनकर मैं नीचे झुकते हुए उसको अपनी बाहों में भर लेती हूँ। मेरी चूचियां प्रवीण के सीने में दब जाती हैं, और प्रवीण मेरे चहरे से, अपने हाथों से मेरे बालों को दूर करते हुए मेरे बहते हुए आँसुओं
होंठों को प्रवीण से दूर कर देती हैं। प्रवीण मेरे चहरे को अपने हाथों में भरते हुए अपनी तरफ करता है। मैं शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर देती हूँ।
प्रवीण मुझे देखते हुए कहता है- “आज मैं तुम्हारे अंग-अंग को महसूस करना चाहता हूँ आज मुझ मत रोको...”
प्रवीण यह कहते हुए अपने होंठों को मेरे सुलगाते हुए होंठों पर रख देता है। उसके होंठों के मेरे होंठों से टकराने से मेरी साँसें उखड़ने लगती है और मेरी चूत में से पानी की कुछ बूंदें निकालने लगती हैं। प्रवीण मेरे एक-एक होंठ को अपने होंठों से चूसता है। को साफ करते हुए कहता है- “पगली तुम रो क्यों रही हो? सारी दुनियां को भूलकर अपने यार की बाहों में खो जाओ...”