27-12-2019, 03:08 PM
Update 6
अपर्णा अभी भी जाग रही है. रात के 2:30 हो गये हैं.
पर सौरभ के ख़र्राटों की गूँज पूरे कमरे में गूँज रही है.
“कम्बख़त मुझे मुसीबत में फँसा कर खुद चैन से सो रहा है"
ऐसे-जैसे रात बीत रही थी अपर्णा मन ही मन राहत की साँस ले रही थी.
4 बजने को थे. कमरे में अभी भी सौरभ के ख़र्राटों की आवाज़ गूँज रही थी. अपर्णा रात भर आँखे खोले बैठी रही. भूल कर भी उसकी आँख नही लगी. जैसे हर बुरा सपना बीत जाता है ये रात भी बीत ही रही थी.
कब 5 बज गये पता ही नही चला.
'क्या मुझे चलना चाहिए...पर सर्दी का वक्त है सड़के अभी भी सुनसान ही होंगी. मुझे 6 बजने तक वेट करना चाहिए. उस वक्त शायद कोई ऑटो मिल जाए. जहा इतना वेट किया थोड़ा और सही.' अपर्णा ने सोचा.
अचानक कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से खड़कने लगा. सौरभ गहरी नींद में था उसे कुछ सुनाई नही दिया. 'कौन हो सकता है...मुझे क्या लेना होगा कोई सौरभ की पहचान वाला...पर सौरभ उठ क्यों नही रहा' अपर्णा ने सोचा.
दरवाजा लगातार खड़कता रहा. जब सौरभ नही उठा तो अपर्णा ने बेड से उठ कर उसे हिलाया.
'उठो बाहर कोई है...लगातार दरवाजा खड़क रहा है तुम्हे सुनाई नही देता क्या.' अपर्णा ने सौरभ को हिलेट हुए कहा.
'क...कौन है' सौरभ उठते ही हड़बड़ाहट में बोला.
'मैं हू...दरवाजा खोलो कोई कब से खड़का रहा है'
'क्या टाइम हुआ है'
'5 बज कर 5 मिनट हो रहे हैं'
'इतनी सुबह-सुबह कौन आ गया'
सौरभ ने पहले की तरह लाइट बंद करके दरवाजा खोला.
अपर्णा इस बार टॉयलेट में चली गयी.
अपर्णा अभी भी जाग रही है. रात के 2:30 हो गये हैं.
पर सौरभ के ख़र्राटों की गूँज पूरे कमरे में गूँज रही है.
“कम्बख़त मुझे मुसीबत में फँसा कर खुद चैन से सो रहा है"
ऐसे-जैसे रात बीत रही थी अपर्णा मन ही मन राहत की साँस ले रही थी.
4 बजने को थे. कमरे में अभी भी सौरभ के ख़र्राटों की आवाज़ गूँज रही थी. अपर्णा रात भर आँखे खोले बैठी रही. भूल कर भी उसकी आँख नही लगी. जैसे हर बुरा सपना बीत जाता है ये रात भी बीत ही रही थी.
कब 5 बज गये पता ही नही चला.
'क्या मुझे चलना चाहिए...पर सर्दी का वक्त है सड़के अभी भी सुनसान ही होंगी. मुझे 6 बजने तक वेट करना चाहिए. उस वक्त शायद कोई ऑटो मिल जाए. जहा इतना वेट किया थोड़ा और सही.' अपर्णा ने सोचा.
अचानक कमरे का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से खड़कने लगा. सौरभ गहरी नींद में था उसे कुछ सुनाई नही दिया. 'कौन हो सकता है...मुझे क्या लेना होगा कोई सौरभ की पहचान वाला...पर सौरभ उठ क्यों नही रहा' अपर्णा ने सोचा.
दरवाजा लगातार खड़कता रहा. जब सौरभ नही उठा तो अपर्णा ने बेड से उठ कर उसे हिलाया.
'उठो बाहर कोई है...लगातार दरवाजा खड़क रहा है तुम्हे सुनाई नही देता क्या.' अपर्णा ने सौरभ को हिलेट हुए कहा.
'क...कौन है' सौरभ उठते ही हड़बड़ाहट में बोला.
'मैं हू...दरवाजा खोलो कोई कब से खड़का रहा है'
'क्या टाइम हुआ है'
'5 बज कर 5 मिनट हो रहे हैं'
'इतनी सुबह-सुबह कौन आ गया'
सौरभ ने पहले की तरह लाइट बंद करके दरवाजा खोला.
अपर्णा इस बार टॉयलेट में चली गयी.