27-12-2019, 03:04 PM
श्रद्धा छटपटाती रही पर आशु ने अपने लंड को बाहर नही निकाला.
कुछ देर बाद श्रद्धा का दर्द कम हो गया और वो बोली, “तुम बहुत खराब हो.
“आराम है ना अब.”
“हां…पर मैं तुम्हे करने नही दूँगी…निकालो बाहर,.”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
आशु ने अपना लंड श्रद्धा की गान्ड की गहराई से बाहर की तरफ खींचा. लेकिन इस से पहले कि वो पूरा बाहर आ पाता एक झटके में उसे पूरा का पूरा फिर से अंदर धकेल दिया. आशु के आँड श्रद्धा की गान्ड पर जा कर सॅट गये.
“ऊओयइी….तुम नही मानोगे.”
“बिल्कुल नही…बड़े दिन से तम्मानना थी तेरी गान्ड मारने की. आज अच्छे से मार कर ही दम लूँगा.”
“आहह…धीरे से मारो ना फिर…तुम तो ज़ोर से डाल रहे हो.” श्रद्धा ने कहा
“क्या करूँ कंट्रोल ही नही होता.”
“आगे से तुम्हारे पास नही आउन्गि मैं.” श्रद्धा ने गुस्से में कहा.
“सॉरी बाबा ग़लती हो गयी…अब मैं धीरे-धीरे करूँगा.”
आशु धीरे-धीरे अपना लंड श्रद्धा की गान्ड में रगड़ता रहा. कुछ ही देर में दोनो की साँसे फूलने लगी. और आशु के धक्को की स्पीड खुद-बा-खुद तेज होती चली गयी.
“सॉरी अब धीरे से करना मुश्किल हो रहा है…बहुत मज़ा आ रहा है…क्या कहती हो… बना दूं तूफान मैल तुम्हारी गान्ड को.
“ठीक है पर जल्दी ख़तम करना मुझसे सहा नही जा रहा.”
आशु ने अपने धक्के तेज कर दिए…वो अपने चरम के करीब था. कोई 2 मिनट तेज-तेज धक्के मारने के बाद वो श्रद्धा की गान्ड में झाड़ गया.
“आआहह मज़ा गया कसम से…गुरे ठीक कहता था…तेरी गान्ड बड़ी मस्त है.”
“हटो अब…मुझे लेटना है…थक गयी हूँ इस पोज़िशन में.”
आशु बहुत खुश था आख़िर उसकी मुराद जो पूरी हो गयी थी…..
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कुछ देर बाद श्रद्धा का दर्द कम हो गया और वो बोली, “तुम बहुत खराब हो.
“आराम है ना अब.”
“हां…पर मैं तुम्हे करने नही दूँगी…निकालो बाहर,.”
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”
आशु ने अपना लंड श्रद्धा की गान्ड की गहराई से बाहर की तरफ खींचा. लेकिन इस से पहले कि वो पूरा बाहर आ पाता एक झटके में उसे पूरा का पूरा फिर से अंदर धकेल दिया. आशु के आँड श्रद्धा की गान्ड पर जा कर सॅट गये.
“ऊओयइी….तुम नही मानोगे.”
“बिल्कुल नही…बड़े दिन से तम्मानना थी तेरी गान्ड मारने की. आज अच्छे से मार कर ही दम लूँगा.”
“आहह…धीरे से मारो ना फिर…तुम तो ज़ोर से डाल रहे हो.” श्रद्धा ने कहा
“क्या करूँ कंट्रोल ही नही होता.”
“आगे से तुम्हारे पास नही आउन्गि मैं.” श्रद्धा ने गुस्से में कहा.
“सॉरी बाबा ग़लती हो गयी…अब मैं धीरे-धीरे करूँगा.”
आशु धीरे-धीरे अपना लंड श्रद्धा की गान्ड में रगड़ता रहा. कुछ ही देर में दोनो की साँसे फूलने लगी. और आशु के धक्को की स्पीड खुद-बा-खुद तेज होती चली गयी.
“सॉरी अब धीरे से करना मुश्किल हो रहा है…बहुत मज़ा आ रहा है…क्या कहती हो… बना दूं तूफान मैल तुम्हारी गान्ड को.
“ठीक है पर जल्दी ख़तम करना मुझसे सहा नही जा रहा.”
आशु ने अपने धक्के तेज कर दिए…वो अपने चरम के करीब था. कोई 2 मिनट तेज-तेज धक्के मारने के बाद वो श्रद्धा की गान्ड में झाड़ गया.
“आआहह मज़ा गया कसम से…गुरे ठीक कहता था…तेरी गान्ड बड़ी मस्त है.”
“हटो अब…मुझे लेटना है…थक गयी हूँ इस पोज़िशन में.”
आशु बहुत खुश था आख़िर उसकी मुराद जो पूरी हो गयी थी…..
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